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पति कौन है, यह विक्रम बेताल की दूसरी कहानी है। यह कहानी एक गणपति नामक ब्राह्मण के घर की है, जिसकी एक सुंदर और बुद्धिमान बेटी थी। उसकी शादी के लिए ब्राह्मण के परिवार के तीन सदस्य एक-एक ब्राह्मण वर ढूंढते हैं। लेकिन विवाह से पहले ही लड़की की मृत्यु हो जाती है। उसके बाद एक-एक कर के लड़कों ने अपने-अपने तरीके से लड़की को खोने का शोक मनाने लगते हैं। लेकिन कुछ समय बाद एक लड़के को एक तांत्रिक का मुर्दा को जीवित करने का मंत्र हासिल हो जाता है। फिर तीनों ब्राह्मण लड़के मिलकर मंत्र की मदद से उस लड़की को पुनर्जीवित करते हैं। कहानी के अंत में बेताल विक्रम से पूछता है आखिर अब इसका पति कौन है, इसपर राजा विक्रम जो जवाब देते हैं वह कहानी पढ़ने पर आपको पता चलेगा।
कई वर्ष पहले की बात है यमुना किनारे धर्मस्थल नाम का एक नगर था। उस नगर में एक गणपति नाम का ब्राह्मण रहता था। उस ब्राह्मण की एक खूबसूरत और गुणवान बेटी थी। बेटी की उम्र शादी की हो गई थी, इसलिए उसका पूरा परिवार उसके लिए एक सही वर की तलाश करने में जुट गया था। एक दिन ब्राह्मण किसी के घर पूजा के लिए गया था और उसका बेटा भी पढ़ाई के लिए घर से बाहर गया हुआ था। घर पर सिर्फ ब्राह्मण की बेटी और पत्नी थे। उसी समय एक ब्राह्मण लड़का उनके घर आया। उस समय ब्राह्मण की पत्नी ने लड़के का अच्छे से आदर सत्कार किया और खाना भी खिलाया। लड़के का स्वभाव भी ब्राह्मण की पत्नी को बहुत पसंद आया और उसने अपनी बेटी का विवाह उससे करवाने का वचन दे दिया।
वहीं दूसरी तरफ, ब्राह्मण गणपति जिनके घर पर पूजा करने गया था, वहां पर उसकी भेंट एक ब्राह्मण लड़के से होती है और वह उसे अपनी बेटी से शादी करवाने का वचन देता है। एक तरफ ब्राह्मण का बेटा भी एक और ब्राह्मण लड़के से शादी का वादा कर देता है। जब कुछ समय बाद ब्राह्मण और उसका बेटा अपने-अपने पसंद के लड़कों को घर पर ले जाते हैं। लेकिन वहां मौजूद एक और लड़के को देखकर वो लोग हैरान हो जाते हैं। सब सोच में डूब जाते हैं कि लड़की सिर्फ एक है और तीनों लड़कों से शादी का वादा कर दिया गया है। अब क्या होगा? अब वह अपनी बेटी का विवाह किससे करवाएंगे?
इसी समस्या के बीच उनके घर पर उनका पड़ोसी पहुंच जाता है और बताता है कि उनकी बेटी को एक सांप ने काट लिया है। पूरा परिवार हड़बड़ाहट में भागकर अपनी बेटी के पास जाता है और उनके साथ तीनों ब्राह्मण लड़के भी होते हैं। लेकिन तब तक उस लड़की की मृत्यु हो जाती है।
लड़की की मौत की वजह से तीनों लड़के दु:खी हो जाते हैं। कुछ समय बाद लड़की का परिवार उसका अंतिम संस्कार कर देता है। लड़की के क्रिया कर्म के बाद एक ब्राह्मण लड़के ने लड़की की हड्डियां अपने पास रख लीं और उसे जंगल लेकर चला गया। दूसरा लड़का उसकी राख को एक पोटली में बांधकर वहीं शमशान घाट पर ही झोपड़ी में रहने लगा और तीसरा लड़का लड़की के मरने के दु:ख में देशभर में योगी बनकर घूमने लगा। ऐसा करते-करते कई साल बीत गए एक दिन योगी बना हुआ ब्राह्मण एक तांत्रिक के घर पंहुचा। ब्राह्मण को देखकर तांत्रिक खुश हो गया और उसका अच्छे से आदर-सत्कार किया। तांत्रिक ने ब्राह्मण को अपने घर पर कुछ दिनों के लिए रुकने के लिए कहा।
एक दिन तांत्रिक अपनी विद्या में मगन था और उसकी पत्नी भोजन बना रही थी। उसी समय उनका बेटा रोने लगा और अपनी माँ को तंग करने लगा। तांत्रिक की पत्नी ने उसे बहुत संभालने का प्रयास किया, लेकिन वो बिलकुल नहीं मान रहा था। आखिर ने गुस्से में तांत्रिक की पत्नी ने उसे बहुत पीटा। लेकिन उसके बाद भी जब बच्चा चुप नहीं हुआ, तो स्त्री ने उसे चूल्हे में डालकर जला दिया। ये देखने के बाद योगी बहुत क्रोधित हुआ और बिना कुछ खाए तांत्रिक के घर से जाने लगा। इतने में तांत्रिक वहां आ गया और बोला –
“महाराज आप ऐसे नाराज होकर बिना कुछ खाए न जाएं, खाना तैयार है।”
योगी गुस्से में बोला –
“मैं अब इस घर में एक क्षण नहीं रुकूंगा। जिस घर में ऐसी राक्षसी का वास हो मैं वहां का भोजन कैसे कर सकता हूं।”
इतना सुनकर तांत्रिक तुरंत चूल्हे के पास गया और वहां से एक किताब में मंत्र पढ़कर अपने बेटे को जीवित कर दिया। ये देखने के बाद योगी बहुत हैरान हुआ। उसके मन में विचार आया कि यदि यह किताब उसे मिल जाए तो वह अपनी होने वाली पत्नी को जीवित कर सकता है। योगी यह सब सोच रहा था, तभी तांत्रिक ने अपने बेटे को जिंदा करने के बाद योगी से फिर से भोजन करने के लिए निवेदन किया। योगी फिर वहीं खाना खाकर रुक जाता है।
योगी के मन में बस उस किताब को हासिल करने की योजना चल रही थी। ऐसे ही सोचने में रात हो जाती है। सब लोग खाना खाकर सो जाते हैं। आधी रात में योगी उस मंत्र वाली किताब को हासिल कर लेता है और उसे लेकर सीधे शमशान घाट पहुंच जाता है, जहां ब्राह्मण की बेटी का अंतिम संस्कार हुआ था। वो सबसे पहले वहां झोपड़ी बनाकर रहने वाले ब्राह्मण लड़के से मिलता है और उसे सारी बात बताता है। उसके बाद दोनों तीसरे बने ब्राह्मण लड़के की खोज करते हैं।
जब तीनों ब्राह्मण लड़के मिलते हैं, तब योगी ब्राह्मण बाकी दोनों से लड़की की हड्डी और राख लाने के लिए कहता है और लड़की को जिंदा करने की बात बताता है। दोनों लोग वैसा ही करते हैं जैसा बोला गया होता है। लड़की को जहां जलाया गया था योगी ब्राह्मण वहीं राख और हड्डी रखता है और किताब से उस मंत्र को पढ़ने लगता है और तभी लड़की पुनर्जीवित हो जाती है। लड़की को जिंदा देखकर तीनों लड़कों की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहता है। इतनी कहानी सुनाकर बेताल चुप हो जाता है और फिर राजा विक्रम से पूछता है –
“वह लड़की किसी पत्नी होगी?”
विक्रमादित्य, बेताल के दुबारा उड़ने के डर से जवाब नहीं देते हैं।
बेताल गुस्से में बोलता है –
“यदि तुम्हें जवाब पता है और तुम नहीं दे रहे हो, तो मैं तुम्हारी गर्दन धड़ से अलग कर दूंगा, इसलिए जल्दी जवाब दो।”
इतना सुनते ही विक्रम बोलते हैं –
“जो श्मशान में झोपड़ी बनाकर रह रहा था, वह उसकी बीवी हुई। क्योंकि जो हड्डी चुनकर भिखारी बन गया, वह उसके बेटे के समान हुआ। जिसने तांत्रिक विद्या से उसे पुनर्जीवित किया, वो तो उसके पिता के समान हुआ। इसलिए जो उसकी राख के साथ जीवन व्यतीत कर रहा था, असल में वही उसका पति है।”
विक्रम का जवाब सुनने के बाद बेताल ने विक्रम कहा राजन तुमने बिलकुल सही उत्तर दिया है, लेकिन वचन के अनुसार तुम्हें अपना मुंह नहीं खोलना था। इसलिए, मैं अब दोबारा उड़ रहा हूं। इतना कहते ही बेताल फिर से पेड़ पर जाकर लटक गया।
विक्रम-बेताल की पति कौन है कहानी से यह सीख मिलती है कि जीवन में आने वाले हर प्रश्न को तर्क से हल करना चाहिए।
यह कहानी विक्रम-बेताल की कहानियों के अंतर्गत आती है। राजा विक्रम को बेताल ने जो कहानियां सुनाईं उन्हें बेताल पचीसी भी कहा जाता है।
पति कौन है कि इस कहानी की नैतिकता यह है कि सबसे पहले तो हमें परिवार में कोई भी निर्णय अकेले न सहमति से लेना चाहिए। इसके अलावा यदि कोई समस्या आती है तो धैर्य और शांति से तर्कपूर्ण विचार करके उसका समाधान ढूंढना चाहिए।
समझदारी से किया गया कार्य हमेशा आपको सफलता दिलाता है। यदि सही बुद्धि और बेहतर समझदारी से आप काम करते हैं, तो किसी भी बड़ी समस्या को हल किया जा सकता है।
विक्रम बेताल की कहानी – पति कौन है की कहानी से यह निष्कर्ष निकलता है कि जीवन में कठिन समय के आने पर भी तर्क और धैर्य का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।
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