In this Article
माँ बनने के बाद और विशेषकर आपका पहला बच्चा होने पर जीवन के शुरुआती दिन काफी तनाव और भागदौड़ भरे हो सकते हैं। बच्चे को संभालने में आपका दिन-रात एक हो जाते हैं और उसकी हर छोटी से छोटी बात को लेकर आप बेहद सावधान और कभी-कभी चिंतित भी रहती होंगी। हालांकि आपको डरने की जरूरत नहीं है क्योंकि आपकी ज्यादातर आशंकाएं बिना तर्क की होंगी और यह अपने न्यूबॉर्न बेबी की अत्यधिक चिंता करने की वजह से उत्पन्न होती हैं। शुरुआती महीनों में बच्चे के सोने का कोई नियम नहीं होता है। वह दिन के दौरान ज्यादातर समय सोते रह सकता है और जब आपके सोने का समय हो तो अचानक उठकर रोने लगेगा। आमतौर पर, एकमात्र समय जब बच्चे पर पेरेंट्स का ध्यान केंद्रित न हो, तब होता है जब वे खुद सो रहे होते हैं या कमरे से बाहर होते हैं। इन्हीं कुछ मिनटों में बच्चे का बेड से गिरना संभव है।
यदि छोटा बच्चा बिस्तर से गिर जाए तो क्या करना चाहिए
बच्चे छोटे होते हैं इसलिए यह सोचना आसान है कि वह बेड के किनारे नहीं आ सकते या बेड से गिर नहीं सकते हैं। हालांकि शिशुओं द्वारा हाथ-पैर मारने को भी कम नहीं समझना चाहिए। छोटे बच्चे का बिस्तर से गिरना बहुत आम बात है जो पहली बार बने लगभग हर पेरेंट्स के साथ होती है।
यदि बच्चा बेड से गिर जाए तो पेरेंट्स को खुद में ही खराब महसूस होता है और वे खुद को ब्लेम करते हैं। हालांकि बच्चे का बिस्तर से गिरना बहुत आम है। आप घबराने के बजाय इस बात का ध्यान रखें कि आपको कुछ ऐसे स्टेप्स फॉलो करने चाहिए जिससे बच्चे के स्वास्थ्य पर कोई भी गंभीर प्रभाव न पड़े। छोटे बच्चों को बेड से गिरने से बचाने के लिए सावधानी बरतना ही एक बेहतरीन तरीका है पर एक्सीडेंट तो किसी के साथ भी हो सकता है। यदि यह समस्या कभी भी होती है तो आप बताए गए तरीके अपनाएं और चेक करें कि बच्चा ठीक है या नहीं, तभी आपको शांति मिलेगी।
सबसे पहले क्या करें?
यदि किसी आवाज से आप रात में अचानक जाग जाती हैं और बच्चे को गिरा हुआ पाती हैं तो अगले 24 घंटों तक ऑब्जर्व करें कि उसे कोई गंभीर समस्या तो नहीं हुई है।
सबसे पहले देखें कि बच्चा होश में है या नहीं। गिरने से छोटा बच्चा बेहोश भी हो सकता है और टॉडलर तो सोता हुआ लगेगा। होश में आते ही बच्चा तुरंत रोने लगेगा। इसके बाद भी यह नॉर्मल लगेगा पर फिर भी आपको इस स्थिति को इमर्जेन्सी जैसा समझकर ही डील करना होगा। यह सलाह दी जाती है कि गिरने के बाद बच्चे को ज्यादा हिलाएं नहीं, क्योंकि इससे चोट बढ़ सकती है।
यदि बच्चे के शरीर में चोट नहीं लगी है तो उसे उठाएं और प्यार से शांत कराने का प्रयास करें। छोटे बच्चे गिरने के बाद कन्फ्यूज हो जाते हैं, डर जाते हैं और चौंक जाते हैं। बच्चे को पकड़े हुए आप उसके शरीर व सिर में चोट के लक्षण चेक करें। यद्यपि छोटे बच्चे का बिस्तर से गिरना और सिर पर चोट लगना आम है पर इसे सावधानी से चेक व ट्रीटमेंट करना भी जरूरी है। यदि बच्चा एक साल से कम उम्र का है तो इस समस्या को मेडिकल इमर्जेन्सी समझें और तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।
गिरने के बाद बेबी के सिर में हुए बंप (उभार) को ठीक करने के तरीके
यदि बच्चे के सिर पर कोई असर पड़ता है तो संभव है उसके सिर में चोट लगने की जगह पर गुलमा या उभार पड़ सकता है। हालांकि यह उतना खराब नहीं है जितना दिखता है और कुछ समय के बाद यह अपने आप ही ठीक हो जाता है। इस उभार का यह अर्थ है कि सिर में चोट लगने की जगह पर थोड़ी बहुत सूजन आई थी।
आप बच्चे के सिर पर हर घंटे पर 5 मिनट के लिए ठंडी सिकाई करके गुलमा ठीक कर सकती हैं। यह करना बहुत आसान है पर आइस पैक लगाते समय छोटे बच्चे का ध्यान भटकाना बहुत कठिन है। गुलमा अक्सर कुछ घंटों में गायब हो जाता है पर यदि यह ठीक नहीं होता है तो डॉक्टर से मिलें।
डॉक्टर से कब परामर्श करें
यदि बच्चे को बहुत गंभीर चोट लगी है या स्थिति बिगड़ती जा रही है तो तुरंत डॉक्टर से मिलें। हालांकि ज्यादातर मामलों में इसकी जरूरत नहीं पड़ती है। बच्चे के बेड से गिरने पर आपको डॉक्टर से कब मिलना चाहिए, आइए जानें;
- यदि गिरने के बाद बच्चे के किसी अंग में किसी भी प्रकार की डिफॉर्मिटी (टेढ़ा होना आदि) दिखाई देती है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
- यदि बच्चे की हड्डी टूट जाती है तो इमरजेंसी में तुरंत उसे हॉस्पिटल ले जाएं और उसका आवश्यक ट्रीटमेंट कराएं।
- यदि बच्चे को कट लग जाता है या चोट लगती है तो यह सलाह दी जाती है कि डॉक्टर या नर्स की मदद से उसकी पट्टी कराएं।
- यदि बेबी को इंटर्नल, जैसे नाक, कान या आँख से ब्लीडिंग होती है तो डॉक्टर से मिलना बहुत जरूरी है। इसे एक गंभीर समस्या के तौर पर ट्रीट किया जाना चाहिए क्योंकि यह इंटरनल क्लॉटिंग की तरफ इशारा करता है।
- ब्रेन हेम्रेज यानी दिमाग में खून का स्राव होने पर भी इंटरनल ब्लीडिंग जैसे ही लक्षण दिखते हैं। बेबी को अस्पताल ले जाते समय इस बात का पूरा ध्यान रखें।
- आघात का अलग खतरा है जिसमें बच्चे को चक्कर आ सकते हैं, कमजोरी होती है और थकान के साथ उल्टी भी होती है। इसका यह अर्थ है कि बच्चे को बहुत तेज चोट लगी है।
- एक और बात पर ध्यान दें कि यदि बच्चे को आँखों के सामने अंधेरा महसूस होता है और उसकी आँखें हिलती-डुलती नहीं हैं तो इसका अर्थ है कि समस्या गंभीर है।
- गिरने के बाद बच्चे की आँख की एक प्यूपिल यानी पुतली दूसरी से बड़ी दिखाई देती है।
- अंत में यदि बच्चा सामान्य से ज्यादा देर तक रोता है तो इसका यही अर्थ है कि उसे आंतरिक समस्या है। आप बच्चे को तुरंत डॉक्टर के पास लेकर जाएं।
छोटे बच्चे को बिस्तर से गिरने से या चोट लगने से कैसे बचाएं
बच्चे को बिस्तर से गिरने से और सिर में चोट लगने से बचाने के या गिरने के प्रभाव को कम करने के बहुत सारे तरीके हैं, आइए जानें;
- सबसे पहले आप बेड का फ्रेम हटा दें और मैट्रेस को जमीन में रखें ताकि जमीन से डिस्टेंस कम हो सके।
- मैट्रेस को दीवार की ओर खिसकाएं और टेबल व कुर्सी को दूर रखें ताकि बच्चा गिरने पर फर्नीचर से न टकराए।
- यदि बच्चा बड़ा है तो उसे बेड से सुरक्षित तरीके से उतरना, पेट के बल स्लाइड होना सिखाएं।
- जमीन पर सॉफ्ट कार्पेट बिछा दें ताकि गिरने पर तेज चोट लगने का खतरा न हो।
- सोते समय हमेशा बेबी के दोनों साइड पर दो तकिए रख दें ताकि वह रोल न हो।
आप चाहे कितना भी ध्यान रखें पर शुरुआती दिनों में बच्चे का बेड से गिरना एक आम मामला है। फिर भी इसके कोई गंभीर परिणाम न हों इसलिए पूरी सावधानी रखें और उसे गिरने की किसी भी संभावना से बचाएं।
यह भी पढ़ें: छोटे बच्चों में होने वाले मोशन सिकनेस से कैसे डील करें