जिद्दी या दृढ़ इच्छा शक्ति वाले बच्चों के लिए पैरेंटिंग टिप्स

जिद्दी या दृढ़ इच्छा शक्ति वाले बच्चों के लिए पैरेंटिंग टिप्स

हर बच्चा अपने आप में यूनिक होता है और हर बच्चे में अपनी खूबियां और खामियां होती हैं। इस प्रकार, कुछ बच्चे पेरेंट्स के लिए इस नए अनुभव को आसान बना देते हैं, वहीं कुछ बच्चे ‘पेरेंटिंग’ शब्द को एक नया अर्थ दे देते हैं! स्ट्रांग विल यानी दृढ़ इच्छाशक्ति वाले बच्चे, जिन्हें सरल भाषा में जिद्दी बच्चे भी कह सकते हैं, ऐसे ही बच्चों की श्रेणी में आते हैं। ऐसे में आपके लिए पेरेंटिंग कितना चुनौती भरा काम होता होगा, हम समझ सकते हैं। लेकिन बच्चे की इच्छाशक्ति दृढ़ होना कोई बुरी बात नहीं है, वास्तव में इसे एक पॉजिटिव ट्रेट माना जाता है।

दृढ़ इच्छाशक्ति वाले बच्चे कौन होते हैं? 

स्ट्रांग विल वाले बच्चों को अक्सर ‘जिद्दी’ बच्चे के रूप में वर्णित किया जाता है। लेकिन असलियत में, यह ऐसे बच्चे होते हैं जो अपनी लाइफ में कंट्रोल रखना पसंद करते हैं। वे झुकने या नियमों को चैलेंज देने के बारे में दोबारा नहीं सोचते हैं और यदि आप किसी भी तरह से उनके एक्शन को कंट्रोल करने का प्रयास करती हैं तो वे इसका विद्रोह कर सकते हैं। जब चीजें वैसी नहीं होती जैसी वे चाहते हैं, तो ऐसे में उन्हें गुस्सा भी आ सकता है।

दृढ़ इच्छाशक्ति वाले बच्चों में पाई जाने वाली विशेषताएं

कुछ विशेषताएं हैं जो दृढ़-इच्छाशक्ति वाले बच्चों में देखी जा सकती है और यह कुछ ऐसा जिसे शायद आप भी जानती हैं, क्योंकि केवल माता-पिता ही अपने बच्चों को अच्छी तरह से जानते हैं। लेकिन अगर आपको नहीं पता है, तो यहाँ आपको स्ट्रांग विल वाले बच्चों में पाई जाने वाली विशेषताओं के बारे में बताया गया है।

1. सब्र न होना या तेज

दृढ़ इच्छाशक्ति वाले बच्चे सब कुछ जल्दी से करना चाहते हैं और एक ही बार में सब कुछ करना चाहते हैं। उन्हें चीजों को लेकर इंतजार करना बिल्कुल पसंद नहीं होता है। उनका खाना, बात करना, चलना सब कुछ फास्ट होना चाहिए।

2. बॉसी और कंट्रोलिंग

दृढ़ इच्छाशक्ति वाले बच्चों को ऑर्डर देना पसंद होता है और वे उम्मीद करते हैं कि उनके दिए गए ऑर्डर का पालन किया जाएगा। उनके मन में चीजों को लेकर पहले से ही कुछ न कुछ आईडिया होता है कि कब, क्या और कैसे करना है। यदि आपका बच्चा स्ट्रांग विल वाला है, तो वह आपको यह बताने में संकोच नहीं करेगा कि वह अपने विजन को सच्चाई में बदलने के लिए आपसे क्या अपेक्षा रखता है।

बॉसी और कंट्रोलिंग

3. चीजों को अपनी हिसाब से खुद सीखना चाहते हैं

वे निर्देशों का पालन करने के बजाय खुद ही ‘ट्रायल एंड एरर’ मेथड को अपनाना पसंद करते हैं। उन्हें क्या करना चाहिए और या नहीं यह बताने के बजाय  वे इस बात को ज्यादा पसंद करते हैं कि उन्हें खुद से चीजों को चुनने का मौका दिया जाए।

4. अपनी इच्छा के विरुद्ध कुछ नहीं करेंगे

आपके दृढ़-इच्छाशक्ति वाले बच्चे को कोई काम करने के लिए कहने मात्र से वो काम पूरा नहीं होगा। आपको उसके सामने अपनी बात रखने के लिए क्रिएटिव तरीका अपनाना होगा।

5. उनकी राय लें

आपके बच्चे को हर छोटी-छोटी बात पर अपनी बात रखनी होगी। फिर चाहे आप डिनर के लिए कोई नई रेसिपी ट्राई कर रही हों या अपने कपड़ों के रंग चुन रही हों, इससे बच्चे में अपनी ईमानदार राय रखने का आत्मविश्वास आता है और यह एक पॉजिटिव तरीका भी है बच्चे की राय जानने का।

6. गुस्सा नखरे दिखाना 

बच्चे, विशेषकर छोटे बच्चे, काफी नखरे दिखाते हैं। लेकिन जब दृढ़ इच्छाशक्ति वाले बच्चों की बात आती है, तो उन्हें तेज गुस्सा आ सकता है, जिसे शांत होने में भी बहुत समय लगता है। उन्हें अपना गुस्सा जाहिर करना मुश्किल हो सकता है।

गुस्सा नखरे दिखाना 

7. सही और गलत की समझ रखना

ऐसे बच्चे वही करेंगे जिसमें वे खुद विश्वास करते हैं और इस प्रकार उन्हें जो चीज सही लगती है वो उसके लिए लड़ने में जरा भी संकोच नहीं करेंगे। एक बार जब वे अपना मन बना लेते हैं तो कोई भी उन्हें अपने इरादों से नहीं हिला सकता है।

8. लगातार बहस करते रहना 

वे किसी विषय का तब तक पीछा करते रहेंगे जब तक कि उनको इसका हल न मिल जाए। आपका यह कहना कि ‘मैं ऐसा कह रही हूँ’ काफी नहीं होगा और वे आपसे तब तक प्रश्न करते रहेंगे जब तक कि वे आपको थका नहीं देते। स्ट्रांग विल वाले बच्चे पॉवर स्ट्रगल में रहना पसंद करते हैं।

9. बदलाव मुश्किल होता है

दृढ़ इच्छाशक्ति वाले बच्चों को खुद को रोकना बहुत मुश्किल होता है जब तक कि वो अपने लक्ष्य को प्राप्त न कर लें। वे अपना काम पूरा करते हैं और उसे बीच में नहीं छोड़ते हैं।

10. अलग हटकर सोच रखना 

दृढ़ इच्छशक्ति वाले बच्चे दूसरों से बहुत अलग सोच रखते हैं और उनका किसी स्थति या समस्या के प्रति एक अलग नजरिया होता है। उन्हें इस बात की परवाह नहीं होती है कि दूसरे उसके बारे में क्या सोचते हैं ।

दृढ़ इच्छाशक्ति वाले बच्चों के लिए पैरेंटिंग टिप्स 

दृढ़ इच्छाशक्ति वाले बच्चे चाहे लड़का हो या लड़की हो, जब उनके लिए पैरेंटिंग की बात आती है तो कोई एक फॉर्मूला काम नहीं करता है। आप अपने प्रयास को बच्चे के व्यवहार और रवैये के हिसाब से बदलें । यहाँ कुछ बातें बताई गई हैं जिन्हें आपको ध्यान में रखना चाहिए:

दृढ़ इच्छाशक्ति वाले बच्चों के लिए पैरेंटिंग टिप्स 

1. सम्मान और सहानुभूति व्यक्त करें

जब आप अपने बच्चे का सम्मान करती हैं, तो बच्चे को आपसे इसके लिए लड़ना नहीं पड़ेगा। एक बार जब उसे ये अहसास होने लगता है कि उसे आपसे अपने सम्मान के लिए लड़ना नहीं पड़ेगा, तो वह खुल कर आपसे कम्यूनिकेट करने लगेगा।

2. जबरदस्ती न करें  

नियमों और रूटीन का पालन करने की जरूरत को लेकर दृढ़ रहें, लेकिन इसे बच्चे को फॉलो करने के लिए जबरदस्ती न करें। यदि घर में सभी के लिए नियम-कायदे एक समान हों और आप अपने बच्चे को उन्हें अपने तरीके से इसका पालन करने देती हैं, तो यह आपके और बच्चे दोनों के लिए आसान हो जाएगा।

3. बच्चे की सुनें 

आपसे बच्चा कुछ कहना चाहता है और आपको धैर्य के साथ उनकी बात सुननी चाहिए और उनकी सोच को अहमियत देनी चाहिए। इससे आपको यह समझने में मदद मिलेगी कि वह जिस तरह से व्यवहार कर रहा है, वैसा क्यों कर रहा है। 

4. अपने बच्चे को चुनाव करने दें

ऐसे बच्चों को किसी बात के लिए ऑर्डर देकर काम नहीं कराया जा सकता है। इसके बजाय, आप अपने बच्चे को ऑप्शन दें और उसे अपनी पसंद खुद चुनने दें, ताकि उसे लगे कि वह कंट्रोल में है। उदाहरण के लिए, बच्चे से पूछें कि क्या वह अभी पार्क से घर जाना चाहता है या दस मिनट बाद जाएगा।

5. बच्चे को खुद निर्णय लेने दें

बाहर जाते समय, यदि बच्चा अपनी मर्जी की ड्रेस पहनना चाहता है, तो आप उसे आपके हिसाब से कपड़े पहनने के लिए जबरदस्ती न करें, बल्कि उसे अपनी मर्जी से अपनी ड्रेस चुनने दें । अगर जो ड्रेस बच्चे ने चुनी है वो मौसम के लिहाज से सही नहीं है, तो आप उसे मौसम के अनुसार बेस्ट ऑप्शन सुझाएं ताकि वो आपकी बात समझ सके, जैसे अगर सर्दी का समय है और वो आधी बाहों की शर्ट पहन रहा है, तो आप उसे अपने साथ जैकेट रखने के लिए कहें।

बच्चे को खुद निर्णय लेने दें

6. अपना रवैया बदलें 

आमतौर पर, एक स्ट्रांग विल वाला बच्चा आपको जानबूझकर उकसाने की कोशिश नहीं करता है। बच्चा बस वैसा ही होता है। इस बात को आप जब भी उसके साथ संवाद करती हों तो हर बार याद रखें।

7. अनुशासन में देरी

डिसिप्लिन का उद्देश्य तब पूरा होता है, जब बच्चा इसके पीछे के कारण को समझता है। इसलिए, सजा सुनाने या किसी चीज का कैसा परिणाम हो सकता है, यह बताने से पहले बच्चे के शांत होने का इंतजार करें।

8. सहानुभूति रखें 

अगर आपकी बच्चे के साथ कोई बहस हो गई है या आपने उससे किया कोई वादा तोड़ दिया है, तो एक बार उसकी जगह खुद को रखकर सोचें। आपको कैसा लगेगा अगर आपसे कोई वादा करे फिर उसे पूरा न करे?

9. बच्चे को भी अधिकार दें

दृढ़ इच्छाशक्ति वाले बच्चों को कंट्रोल महसूस करने की जरूरत होती है। इसलिए, बच्चे को किसी काम के लिए फोर्स करने के बजाय, याद दिलाती रहें कि उसे अपना काम पूरा करना अभी बाकी है, आप ऐसा तब तक करती रहें जब तक वो अपना काम पूरा न कर ले।

10. अनुभव से सीखने दें 

जिन बच्चों में कुछ कर दिखाने का जज्बा होता है उन्हें अपने ही अनुभव से चीजों को सीखने की जरूरत होती है। जब तक गंभीर चोट लगने का कोई खतरा न हो, अपने बच्चे को खुद एक्सपेरिमेंट करने दें और अपनी गलतियों से चीजों को सीखने दें।

11. कम नियम बनाएं, लेकिन उसे सीमा बताएं 

बच्चों के लिए बहुत नियम बनाने से भी वे परेशान हो जाते हैं, क्या आप भी अपने रूल लागू करने के लिए बच्चे पर दबाव डालती हैं। तो आपको यह समझना होगा कि बच्चे पर स्ट्रेस डालने से वे आपकी बात बिलकुल नहीं मानेंगे और उसे इग्नोर कर देंगे। साथ ही बच्चे को यह साफ करना जरूरी है कि आप घर में बॉस हैं। उसके व्यव्हार की क्या सीमा क्या होनी चाहिए, यह उसे बताएं। इस बात का खयाल रखें कि नियम बड़ों के लिए भी लागू होने चाहिए और घर के सभी लोग इनका पालन करें।

12. उसके अच्छे कामों की प्रशंसा करें

ध्यान रहे कि आप बच्चे के अच्छे बिहेवियर पर उनकी प्रशंसा करें, जैसे अगर बच्चा किसी चीज के लिए जल्दी मान जाता है, तो उसे शाबाशी दें। आपके बच्चे में अपनी ही एक स्ट्रेंथ होती है, तो आपको उसे समझना होगा और उसके अनुसार इसका सही तरीके से उपयोग करने का प्रयास करना होगा। ऐसे बच्चों को देखने का एक नजरिया यह है कि आप उन्हें जिद्दी और डिफिकल्ट कह सकती हैं, वहीं दूसरी ओर अगर पॉजिटिव तरीके से देखा जाए तो आप उन्हें लगातार दृढ़ रहने के रूप में ले सकती हैं।

बच्चे को अनुशासन में रखने के टिप्स

बच्चों को डिसिप्लिन में रखने का मतलब पिटाई करना नहीं है, जिससे आप बच्चे को आसपास की चीजों से परिचित कराएं। बच्चों को ऑर्डर और कमांड सुनना पसंद नहीं होता है, तो इसका मतलब है कि आपको नियम पालन करवाने के लिए दूसरा तरीका अपनाना होगा।

1. कम्युनिकेशन बढ़ाएं

स्ट्रांग विल वाले बच्चों को सजा देने से कोई हल नहीं निकलेगा। इसलिए अपने बच्चे से बात करें और देखें कि उसे क्या चीज परेशान कर रही है और उसे अपनी भावनाएं व्यक्त करने दें, यदि वह ऐसा नहीं कर पाता है, तो उसे अपने इमोशन जाहिर करने का तरीका बताएं, चाहे वह डर हो, क्रोध या किसी बात से हुआ दुख हो।

2. चिल्लाएं नहीं 

बच्चे पर चीखने और चिल्लाने से या तंज भरे लहजे में बात करने से मामला और बिगड़ सकता है और लड़ाई का माहौल बन सकता है।

चिल्लाएं नहीं 

3. अपनी बात पर कायम रहें

यदि किसी गलती पर आप बच्चे से उसके किसी विशेषाधिकार को वापस लेने चेतावनी देती हैं, तो ध्यान रहे कि आपने जो कहा है उस पर कायम रहें। अपने फैसले से डगमगाएं नहीं, इससे बच्चे को अपनी हदों के बारे पता चलेगा।

4. स्लीप रूटीन को जारी रखें

इस बात का खयाल रखें कि बच्चा अपने स्लीप रूटीन को ठीक से फॉलो करे, रात में ठीक से अपनी नींद पूरी करे, वरना नींद की कमी उसे चिड़चिड़ा बना देती है और उसका व्यवहार खराब हो जाता है।

दृढ़ इच्छाशक्ति वाले बच्चों के फायदे

स्ट्रांग विल वाले बच्चे बड़े हो कर इंडिपेंडेंट रहना पसंद करते हैं और उनके अपने ही विश्वास होते हैं। ऐसे बच्चे आगे चलकर सफल बनते हैं, क्योंकि वे अपने रास्ते में आने वाली रुकावटों से पीछे नहीं हटते और कुछ कर दिखाने का जज्बा रखते हैं। स्ट्रांग विल वाले बच्चे चैलेंज लेना पसंद करते हैं और यह चीज उनके बड़े होने के बाद भी उनमें बाकी रहती है। ऐसे बच्चों में वो सभी क्वालिटी होती है जो एक लीडर में होनी चाहिए ।

दृढ़ इच्छाशक्ति वाले बच्चों की पैरेंटिंग करना आपके लिए एक चैलेंजिंग काम हो सकता है, खासकर शुरुआती वर्षों में। हालांकि, हर बच्चे की अपनी एक इंडिविजुअल पर्सनालिटी होती है आप उसकी पर्सनालिटी को एक सही दिशा दे सकती हैं, जो आगे चलकर उसे सही फैसले लेने में सक्षम बनाती है, साथ ही इससे उसका आत्म विश्वास भी बढ़ता है। अपने बच्चे को पॉजिटिव तरीके से अटेंशन दें और उसकी एनर्जी को सही तरीके से इस्तेमाल करें ।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी सिर्फ एक गाइड के रूप में बताई गई है, न कि किसी मेडिकल सलाह के रूप में बताई जा रही है।

यह भी पढ़ें:

जिद्दी बच्चों के साथ कैसे डील करें?
बच्चों की पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए उपयोगी 10 टिप्स
बच्चों को अनुशासन में कैसे रखें – पेरेंटिंग के तरीके और जरूरी टिप्स