बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों के मल में रक्त – कारण व उपचार

बाल्यावस्था में बच्चों को चोट लगती ही रहती है और वे सरलता से बीमार पड़ जाते हैं, यह बच्चों के विकास के प्रक्रिया में एक सामान्य बात है। किंतु कुछ समस्याएं असामान्य भी होती हैं जो एक माता-पिता के रूप में आपको चिंतित व सतर्क कर सकती हैं, बच्चों के मल में खून इन्ही समस्याओं में से एक है। यद्यपि इस समस्या को आप बच्चे में किसी आंतरिक चोट का कारण भी समझ सकती हैं परंतु निश्चिंत रहें बच्चों की पॉटी में खून आना हमेशा एक गंभीर समस्या का संकेत नहीं होता है। इसलिए सबसे पहले यह जानना महत्वपूर्ण है कि ऐसा होने का कारण क्या है।

बच्चों के मल में रक्त आने के कारण

बच्चों के मल में रक्त होने के निम्नलिखित कारण इस प्रकार हैं, आइए जानते हैं;

1. हिर्स्चस्प्रुंग रोग

यह समस्या आमतौर पर नवजात शिशु में उसके जन्म के कुछ दिनों के बाद ही देखी जा सकती है। यह एक गंभीर समस्या है जिसमें बच्चे की आंतों में कम या पूरी तरह से तंत्रिका कोशिकाओं की अनुपस्थिति होती है। परिणामस्वरूप बच्चा मल त्याग करने में असफल होता है, जिससे पेट में सूजन होती है और बच्चे को उल्टी होती है, ऐसे मामलों में मल के साथ रक्त भी आता है।

2. रक्त में विकार

मल में रक्त आना केवल मलाशय की किसी समस्या का कारण ही नहीं होता है, बल्कि रक्त में समस्या के कारण भी हो सकता है। रक्त के थक्कों से संबंधित विकार या रक्त वाहिकाओं के निर्माण में असामान्यताओं के परिणामस्वरूप यह समस्या हो सकता है और मलाशय से रक्तस्राव का कारण भी बन सकता है। इस समस्या के दौरान शरीर में चकत्ते या साधारण खरोंच भी प्रकट हो सकती है।

3. मिकेल का डायवर्टीकुलम

यह एक अजीब विकृति का नाम है जो बच्चों में जन्मजात होती है। यह समस्या बच्चे की गर्भनाल को काटने के बाद से होने लगती है। इसमें गर्भनाल का टुकड़ा अंदर ही रह जाता है जो बच्चे की छोटी आंतों के निचले हिस्से में पाया जा सकता है। इस गर्भनाल के टुकड़े में पेट की कोशिकाएं होती हैं जो अम्ल को स्रावित करना शुरू करती हैं। आंतों में अम्ल की उपस्थिति के कारण सूजन के साथ अल्सर हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप भी मलाशय मार्ग से रक्तस्राव हो सकता है।

4. जुवेनाइल पॉलीप्स

यह समस्या 2 वर्ष की आयु से लेकर 10 वर्ष तक के बच्चों में मुख्य रूप से देखी जा सकती है। यह पॉलीप्स छोटे-छोटे कण हैं जो मलाशय के अंदरूनी हिस्से की परत के साथ बढ़ते हैं। शुरूआती दिनों में यह समस्या कैंसर लग सकती है किंतु यह जरूरी नहीं है। आमतौर पर, मल त्याग के दौरान यह पॉलीप्स फट जाते हैं जिसके परिणामस्वरूप रक्तस्राव होता है पर दर्द नहीं होता है।

5. संक्रमण के साथ-साथ दस्त

फूड पॉइजनिंग, बच्चों और वयस्कों द्वारा समान रूप से अनुभव की जा सकती है। बाहर के हानिकारक बैक्टीरिया, पैरासाइट या वायरस से दूषित खाद्य पदार्थ का सेवन करने से पाचन तंत्र संक्रमित हो जाता है। फूड पॉइजिंग के कारण होने वाली समस्याएं, जैसे डायरिया के परिणामस्वरूप मल में रक्त आ सकता है।

6. स्तनपान

कभी-कभी स्तनपान के द्वारा मल में रक्त आ सकता है। हालांकि, यह रक्त शिशु का नहीं माँ का होता है। आमतौर पर यह उन मांओं के साथ होता है जिनके निप्पल सूखने के वजह से उनमें दरारें पड़ जाती हैं। स्तनपान के दौरान इन्ही दरारों के माध्यम से निकलने वाला रक्त शिशु के द्वारा लिया जा सकता है। स्तनपान के दौरान शिशु द्वारा ग्रहण किया हुआ यह रक्त भले ही कुछ ही बूंदें क्यों न हों परंतु यही रक्त शिशु के मल में दिखाई दे सकता है।

7. आंत्र के विकार

इसे इर्रिटेबल बॉवेल सिंड्रोम (आई.बी.एस.) के नाम से भी जाना जाता है और यह समस्या ज्यादातर बच्चों व कुछ वयस्कों में पाई जाती है। यह एक ऐसी समस्या है जिसमें मल त्याग अनियमित तरीके से होता है और इसके परिणामस्वरूप कब्ज के साथ-साथ दस्त की समस्या भी हो जाती है। निरंतर दस्त व मल त्याग के लिए आंतरिक मांसपेशियों में खिचाव से रक्त कोशिकाओं में भी तनाव के कारण मलमार्ग से रक्तस्राव हो सकता है।

8. क्रोहन रोग (कोलाइटिस)

यह समस्या संक्रमण से भी अधिक प्रभावी होती है जो पाचन तंत्र की परत के अंदरूनी हिस्से को प्रभावित कर सकती है। इसे कोलाइटिस (बृहदांत्र-शोथ) के रूप में भी जाना जाता है। इस संक्रमण के परिणामस्वरूप पाचन तंत्र में अल्सर की समस्या होती है जो अत्यधिक सूजन का कारण भी हो सकता है। मल त्याग के दौरान यह अल्सर फटते हैं जिसकी वजह से दस्त के साथ मल में रक्त भी आता है।

9. दूध या सोया से इन्टोलेरेंस (असहिष्णुता)

विशेषकर गाय के दूध से बने उत्पाद के प्रति असहिष्णुता होने से मल में रक्त आ सकता है। यदि शिशु को आहार में गाय का दूध या सोया में दूध मिलाकर दिया जाता है तो शिशु में संक्रमण से होने वाली प्रतिक्रियाएं दिखाई देती हैं। माँ द्वारा गाय के दूध का सेवन स्तनपान के माध्यम से भी शिशु तक पहुँच सकता है, जिससे बच्चे के मल में रक्त दिखाई दे सकता है।

10. मलद्वार पर घाव

गुदा की आंतरिक परत या उसके आसपास घाव से मल में रक्त आ सकता है। यह समस्या कब्ज या बलपूर्वक मल त्याग करने से होती है। बच्चे द्वारा हर बार मल त्याग के दौरान अधिक जोर लगाने से गुदा पर दबाव व दरारें पड़ती हैं जिससे मल त्याग के दौरान रक्तस्राव होता है।

बच्चों के मल में रक्त का इलाज कैसे करें

ज्यादातर बच्चों के मल में रक्त दस्त के कारण होता है जो बैक्टीरिया और पैरासाइट से दूषित भोजन खाने के बाद अक्सर हो जाता है। कब्ज से पीड़ित बच्चों के गुदा में घाव के कारण मल त्याग के दौरान रक्त स्राव होता है। इस समस्या को ठीक करने के लिए सामान्यतः तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाकर या लुब्रीकेंट का उपयोग किया जा सकता है। इससे मल में नर्माहट आती है और पाचन तंत्र को प्रभावित किए बिना आसानी से मल त्याग करने में मदद मिलती है।

यदि रक्तस्राव का स्रोत शरीर के भीतर पाचन तंत्र के अंदर होता है, तो डॉक्टर आपके बच्चे के निरीक्षण और अपेक्षित उपचार के लिए अंत: एंडोस्कोपी का विकल्प चुन सकते हैं। संक्रमण को ठीक करने के लिए एंडोस्कोपी के माध्यम से दवा का उपयोग सीधे प्रभावी जगह पर किया जा सकता है। लेजर, हीटर या विद्युत तकनीक का उपयोग करते हुए, रक्त के बहाव को नियंत्रित करके आंतरिक क्षेत्रों से रक्तस्राव का उपचार किया जा सकता है।अत्यधिक गंभीर मामलों में सर्जरी की आवश्यकता भी पड़ सकती है। पॉलीप्स को आमतौर पर एंडोस्कोपी का उपयोग करके बिना किसी खतरे के हटा दिया जाता है।

इस तरह के उपचार के बाद ज्यादातर दोबारा से रक्तस्राव को रोकने के लिए दवा दी जाती है। यह दवाइयां मल को नर्म या मल त्याग को आसान बना सकती हैं, साथ ही संक्रमण, घाव और इत्यादि को ठीक भी कर सकती हैं।

बच्चों के मल में रक्त के लिए घरेलू उपचार और कुछ टिप्स

यदि आप अपने बच्चे के मल में रक्त के लिए घरेलू उपचारों की तलाश कर रही हैं तो यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं, आइए जानते हैं;

  • बच्चे के मल में रक्त को ठीक करने का सबसे तीव्र और आसान तरीका गुनगुने पानी से स्नान कराना है। एक टब में गुनगुना पानी भरें और बच्चे को उस टब में इस तरह से बैठाएं कि उसके शरीर का निचला हिस्सा पूरी तरह से पानी में डूब जाए, परंतु ख्याल रखें पानी का तापमान अधिक गर्म न हो। नहाने के पानी में थोड़ा सा एंटीसेप्टिक मिलाने से किसी भी बाहरी बैक्टीरिया को हटाने में मदद मिलती है, साथ ही यह लगातार मल में रक्त के कारण दर्द को ठीक करता है।
  • यदि कब्ज और बलपूर्वक मल त्याग करने से गुदा में घाव या गुदाचीर हो जाता है, तो गुदा क्षेत्र में बर्फ की थैली से सिकाई करने का सुझाव दिया जाता है। प्रभावी क्षेत्र में 5-10 मिनट के लिए बर्फ की थैली लगाने से दर्द कम हो सकता है।
  • सामान्य दैनिक स्नान के दौरान, गुदा क्षेत्र की सफाई करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतें। सौम्य स्पर्श के लिए स्पंज का उपयोग करें और साथ ही आगे संक्रमण के प्रभाव को रोकने के लिए यह सुनिश्चित करें कि बच्चे के गुदा का पूरा क्षेत्र अच्छी तरह से साफ किया जाए और वह अन्य बैक्टीरिया से मुक्त हो ।
  • जब तक मल में रक्त बंद नहीं हो जाता, तब तक अपने शिशु को डायपर ना पहनाएं। क्योंकि इससे आपका बच्चा अस्वस्थ हो सकता है और उसे संक्रमण का खतरा हो सकता है। यदि डायपर पहनाना आवश्यक है, तो मल त्याग के तुरंत बाद उसे बदल दें।
  • इस समस्या के दौरान पर्याप्त पानी पीना महत्वपूर्ण है। सुबह-सुबह एक गिलास पानी और दिनभर में पर्याप्त पानी पीना मल को नर्म करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इस तरीके का उपयोग बहुत पहले से किया जा रहा है।
  • फाइबर आहार के सेवन से भी मल त्याग में अधिक सरलता होती है। फाइबर-युक्त आहार ऐसे मल का निर्माण करने में मदद करता है जो अत्यधिक नर्म होता है व मल त्याग के दौरान अधिक सरलता होती है और पेट पूरी तरह से साफ हो जाता है।  इस प्रकार गुदा में घाव भी नहीं होता है और कब्ज को ठीक होने में मदद मिलती है।

डॉक्टर से कब परामर्श करें

यदि आपके द्वारा किए हुए घरेलू उपचारों से फायदा नहीं होता है तो मल में रक्त की समस्या का इलाज करने के लिए डॉक्टर से सलाह लेना सर्वोत्तम है। यदि आपको निम्नलिखित संकेत दिखाई देते हैं, तो तुरंत चिकित्सक से परामर्श करें।

  • बच्चे के गुदा क्षेत्र में जख्म
  • पेट में तीव्र दर्द और उल्टी में रक्त दिखाई देना
  • लगातार रक्त के साथ गहरे रंग का मल
  • बच्चा बीमार है और उसे बुखार है

अपने बच्चे के मल में रक्त देखना भयावह होता है लेकिन यह बिलकुल असामान्य नहीं है। सामान्य कारणों में अनुचित आहार या बाहरी संक्रमण भी शामिल हैं। सही समय पर सही उपाय करने से, आपका बच्चा कुछ ही समय में अपनी सामान्य दिनचर्या को दोबारा से आरंभ कर सकता है।

यह भी पढ़ें:

शिशुओं को हिचकी आने के कारण, निवारण और उपचार

शिशुओं में एसिड रिफ्लक्स

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

सिद्धांत नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Siddhant Name Meaning in Hindi

जब घर में एक बच्चे का जन्म होता है, तो ऐसा लगता है जैसे भगवान…

1 day ago

आलिया नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Aaliya Name Meaning in Hindi

बच्चों का नाम रखना एक दिलचस्प लेकिन बहुत सोच-समझकर किया जाने वाला काम होता है।…

2 days ago

सारिका नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Sarika Name Meaning in Hindi

क्या आप अपनी बेटी के लिए एक ऐसा नाम ढूंढ रहे हैं जो सुनते ही…

3 days ago

जया नाम का अर्थ, मतलब और राशिफल l Jaya Name Meaning in Hindi

हर माता-पिता यही चाहते हैं कि उनकी बेटी जिंदगी में खूब तरक्की करे और उसका…

3 days ago

35+ पत्नी के जन्मदिन पर विशेस, कोट्स और मैसेज | Birthday Wishes, Quotes And Messages For Wife in Hindi

यह बात तो बिलकुल सत्य है कि पति के जीवन में पत्नी की भूमिका ऐसी…

3 days ago

35+ माँ और बेटे के बंधन पर कोट्स, स्टेटस और मैसेज | Mother And Son Bonding Quotes, Status And Messages In Hindi

माँ और बच्चे का रिश्ता दुनिया के सबसे खूबसूरत और गहरे रिश्तों में से एक…

3 days ago