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भारत को आजादी तो मिल चुकी थी, वो आजाद भारत जिसके लिए कई वीर और वीरांगनाओं ने अपनी जान की बाजी लगा दी ताकि वो अपने देश को आजाद होता हुआ देख सके, लेकिन इससे पहले वो आजाद भारत को देख पाते उन्हें अपनी जान देशप्रेम के लिए कुर्बान करनी पड़ी। लेकिन उन शहीदों की कुर्बानी व्यर्थ नहीं गई देश आजाद हुआ 15 अगस्त 1947 भारत स्वतंत्र तो हो गया लेकिन सोने की चिड़िया कहे जाने वाले देश की हालत अब पहले जैसे नहीं रही थी। अंग्रेज जाते-जाते भी भारत का बहुत नुकसान कर चुके थे।
अब भारत को जरूरत थी एक ऐसे नेता की जो देश की बागडोर को संभाल सके और देश की दयनीय स्थिति को बेहतर कर सके। यह लड़ाई आसान नहीं थी, देश को दोबारा खड़ा करना था। जिसके लिए ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू’ को प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया। नेहरू जी का मानना था कि बच्चे आने वाले कल की नीव हैं जो देश के विकास में क्रांति ला सकते हैं, क्योंकि वो जानते थे कि देश को अब एक नई सोच की जरूरत है। उनके इस प्रेम के चलते भारत में 14 नवंबर को बाल दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा की गई।
इस अनुभाग में बच्चों के लिए सरल भाषा में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के जीवन और योगदान पर 10 आसान पंक्तियाँ दी गई हैं। उम्मीद करते हैं कि आपके बच्चे को इन पंक्तियों से नेहरू जी पर निबंध लिखने में आसानी होगी और मदद मिल सकेगी।
अगर आप चाचा नेहरू पर हिंदी में शार्ट एस्से लिखना चाहते हैं। या जवाहरलाल नेहरू पर शार्ट पैराग्राफ लिखना है तो आप नीचे दिए गए पंडित जवाहरलाल नेहरू के इस हिंदी एस्से की मदद ले सकते हैं।
जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 में प्रयागराज में हुआ था। इमोतीलाल नेहरू था जो कि एक प्रसिद्ध बैरिस्टर थे और उनकी माता का नाम स्वरूप रानी था। 13 वर्ष की उम्र तक जवाहर लाल नेहरू ने घर पर रह कर ही हिंदी, अंग्रेजी तथा संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। अक्टूबर 1907 में नेहरू जी ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज गए और वहां से 1910 में प्राकृतिक विज्ञान में डिग्री प्राप्त की। इस समय के दौरान उन्होंने राजनीति, अर्थशास्त्र, इतिहास तथा साहित्य का भी अध्ययन किया। इनकी शादी 1916 में श्रीमती कमला कॉल से हुई थी, जिससे उनकी एक बेटी थी जिनका नाम इंदिरा गांधी था, जो आगे चल कर भारत की प्रधानमंत्री बनी। 1916 में नेहरू जी एनी बेसेंट की होम रूल लीग का हिस्सा बने। आप ने भारत छोड़ो आंदोलन, सत्याग्रह, असहयोग आंदोलन आदि अन्य आंदोलनों में भाग लिया और महात्मा गाँधी के साथ कदम से कदम मिला कर उनका साथ दिया। 1929 में पंडित नेहरू ने भारत का पहला तिरंगा आजादी की मांग को लेकर फहराया था। 15 अगस्त 1947 में भारत ने स्वतंत्रता हासिल की थी और इसी दिन पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री बने थे। इन्हे बच्चों से बेहद लगाव था इसलिए ही उनकी जन्म (14 नवंबर 1889) को देश भर में ‘बाल दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। इसी वजह से नेहरू जी पूरे भारत में ‘चाचा नेहरू’ के नाम से प्रसिद्ध हैं। 15 अगस्त 1947 से 27 मई 1964 तक नेहरू लगातार भारत के प्रधानमंत्री बने रहे। 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु हो गई। नेहरू जी एक महान व्यक्ति, राजनीतिज्ञ, लेखक थे। वह हमेशा से ही भारत के एक सच्चे सेवक बनकर ही काम करना चाहते थे। उन्होंने इस देश को एक सफल देश बनाने के लिए दिन रात कड़ी मेहनत की थी।
पंडित जवाहरलाल नेहरू देशवासियों के पसंदीदा नेता रहे हैं खासतौर पर बच्चों के लिए। उन्हें बच्चों से बेहद लगाव था। उनका मानना था की बच्चे ही हमारे देश का भविष्य हैं और वही उसे बेहतर बनाएंगे। उनका कहना था ‘’सही शिक्षा से ही समाज की बेहतर व्यवस्था का निर्माण किया जा सकता है’’। बेहतरीन व्यक्तित्व के धनी पंडित नेहरू पर यदि आप लॉन्ग एस्से लिखना चाहते हैं तो यह एस्से सैंपल से आपको काफी सहायता मिलेगी।
देश के प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को इलाहाबाद (आधिकारिक रूप में प्रयागराज) में हुआ था। इनके पिता मोतीलाल नेहरू जाने-माने बैरिस्टर थे और उनकी माँ का नाम स्वरूप रानी था। नेहरू जी का पूरा परिवार कश्मीरी पंडित समाज से तालुक रखता था। 13 वर्ष की उम्र तक जवाहर लाल नेहरू ने घर पर रह कर ही हिंदी, अंग्रेजी तथा संस्कृत भाषा का ज्ञान प्राप्त किया। साल 1905 में, नेहरू जी ने हैरो, इंग्लैंड के प्रसिद्ध स्कूल में अपनी शिक्षा हासिल की । 1907 के अक्टूबर में उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में ऑनर्स डिग्री का कोर्स करने के लिए ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज में एडमिशन लिया था। 1910 में अपने कॉलेज की पढाई पूरी करने के बाद इनर टेम्पल इन में अपनी वकालत का अभ्यास शुरू किया था। पढ़ाई पूरी करने बाद साल 1912 में जवाहरलाल नेहरू भारत लौट आए और अपने पिता की तरह बैरिस्टर के रूप में काम शुरू किया।
अपनी वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद जवाहरलाल नेहरू भारत लौट आए थे। लौटने के कुछ समय बाद नेहरू जी पटना में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के एनुअल सेशन का हिस्सा बने और यहाँ से ही इन्होंने एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाना शुरू किया था। 1920 में असहयोग आंदोलन के दौरान नेहरू जी ने राष्ट्रीय राजीनीति में अपनी पहली बड़ी भागीदारी निभाई थी। जिसके कारण इनको कई बार जेल भी जाना पड़ा था। भारत की स्वतंत्रता के कई आंदोलन का यह हिस्सा भी रहे हैं। 1939 के द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुवात में नेहरू जी की कांग्रेस पार्टी ने अंग्रेजों सामने अपनी शर्तों को रखकर मदद करने का फैसला किया था। शर्त थी भारत की स्वतंत्रता और दूसरा नया संविधान बनाने का अधिकार, लेकिन अंग्रेजों ने शर्त मानने से इंकार कर दिया। युद्ध के बाद भारत को स्वतंत्रता हासिल हुई लेकिन देश को दो हिस्सों में बांट दिया गया था, पहला भारत और दूसरा पाकिस्तान। इसी दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री चुने गए थे।
पंडित जवाहरलाल नेहरू की मृत्यु 27 मई 1964 को दिल का दौरा पड़ने से हुई थी। मृत्यु के समय नेहरू जी उम्र 74 साल थी।
पंडित नेहरू अपनी वसीयत में लिखते हैं कि “मैं चाहता हूँ कि मेरी मुट्ठी भर राख को प्रयाग संगम में बहा दिया जाए जो हिंदुस्तान के दामन को चुमते हुए समंदर में जा मिले, परंतु मेरी राख का अधिक भाग हवाई जहाज से ऊपर ले जाकर खेतों में बिखेर दिया जाए, वो खेत जहां हजारों किसान काम में लगे हैं, ताकि मेरे वजूद का हर जर्रा वतन की खाक में मिल जाए..”
नेहरू जी का भाषण ‘ट्रिस्ट विद डेस्टिनी’ था। उन्होंने भाषण स्वतंत्रता दिवस के दिन संसद में यह भाषण दिया था। भारतीय संविधान सभा में अपना भाषण दिया।
नेहरू जी ने ‘नेशनल हेराल्ड’ अखबार की शुरुआत 9 सितम्बर 1938 में लखनऊ में की थी।
1929 में पंडित जवाहरलाल नेहरू कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में चुने गए थे।
पंडित जवाहरलाल नेहरू भारत के पसंदीदा राजनीतिज्ञ में से एक थे, जिन्हे देश का पहला प्रधानमंत्री भी चुना गया था। भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इसलिए आज भी लोग और छात्र इनके बारें इतिहास की किताबों में पढ़ते हैं। यदि बच्चों को आसान शब्दों में चाचा नेहरू के बारें में जानकारी चाहिए तो यह निबंध उनके लिए फायदेमंद साबित होगा और उन्हें भी देश के लोकप्रिय स्वतंत्रता सेनानी के बारें में विस्तार से जानने को मिलेगा।
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