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अबॉर्शन की वजह से महिलाओं को जहाँ आराम करने मिलता है तो वहीं उन्हें इसका पछतावा भी बहुत होता है। एक तरफ महिला को लगता है कि उनके अंदर पल रहे बच्चे से उन्हें कई भावनाओं के अनुभव मिलें हैं जिसकी वजह से कुछ गंभीर मामलों में डिप्रेशन होता है और वहीं दूसरी तरफ कई महिलाओं को इससे आराम भी मिला है। गर्भपात के बाद महिलाओं में पड़ने वाले शारीरिक और मानसिक/भावनात्मक प्रभावों के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें।
अबॉर्शन के बाद महिलाओं में शारीरिक साइड इफेक्ट्स
अबॉर्शन से शरीर में होने वाले संभावित साइड इफेक्ट्स निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
- मतली
- उल्टी
- पेट में क्रैंप आना
- स्पॉटिंग
- ब्लीडिंग
- अंग डैमेज होना
- गर्भाशय की परत में घाव होना
- इन्फेक्शन
- सर्वाइकल डैमेज होने
- सेप्सिस (सेप्टिसीमिया)
अबॉर्शन के बाद गंभीर कॉम्प्लीकेशंस
अबॉर्शन के बाद शरीर पर दूरगामी प्रभाव डालने वाले गंभीर साइड-इफेक्ट्स की लिस्ट यहाँ दी गई है, आइए जानें;
- बहुत ज्यादा और लगातार ब्लीडिंग होना
- गर्भाशय में छेद होना
- रेस्पिरेटरी फेलियर
- नर्व डैमेज
- कैंसर
- पैरालिसिस (लकवा)
- मृत्यु
अबॉर्शन के बाद महिलाओं में भावनात्मक और मानसिक साइड इफेक्ट्स
महिलाओं में अबॉर्शन के बाद भावनात्मक और मानसिक प्रभाव पड़ना बहुत नॉर्मल है। इनमें से कुछ साइड इफेक्ट्स निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
- डिप्रेशन
- गुस्सा
- एंग्जायटी
- अपराधबोध
- आत्म-सम्मान कम होना
- अनिद्रा
- संबंधों में समस्याएं
- आत्मघाती विचार
- खाने से संबंधित विकार
- पछतावा
- शर्म
- अकेलापन
किस महिला को सबसे ज्यादा भावनात्मक साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं?
अबॉर्शन के बाद उन महिलाओं पर भावनात्मक प्रभाव ज्यादा पड़ता है जो निम्नलिखित श्रेणी में आती हैं, आइए जानें;
- जो धार्मिक होती हैं या जो नैतिक मूल्यों में विश्वास रखती हैं।
- जो अबॉर्शन का विरोध करती हैं और नीतिपरक विचार रखती हैं।
- जिन महिलाओं को अपने पति से मानसिक सपोर्ट नहीं मिलता है।
- जिन महिलाओं को पहले से ही मानसिक समस्याएं होती हैं।
अबॉर्शन के बाद स्ट्रेस होना (पोस्ट अबॉर्शन स्ट्रेस सिंड्रोम) क्या है?
पोस्ट अबॉर्शन स्ट्रेस सिंड्रोम एक टर्म है जिसका उपयोग अबॉर्शन का विरोध करने वाले और वैज्ञानिक करते हैं। हालांकि इसके बारे में पूरी रिसर्च करना अभी बाकी है। पोस्ट अबॉर्शन स्ट्रेस सिंड्रोम पीटीएसडी की तरह ही होता है पर लोग मानते हैं कि यह अबॉर्शन के बाद पूरी तरह से मानसिक स्वास्थ्य विकारों के अनुभवों में दुर्लभ है। कई महिलाओं में अबॉर्शन के बाद सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार से भावनात्मक बदलाव होते हैं पर यह उतने ज्यादा प्रभावी व लंबे समय के लिए नहीं होते हैं जिसकी वजह से महिला को डिप्रेशन हो या वह पीटीएसडी से ग्रसित हो जाए। पोस्ट-अबॉर्शन स्ट्रेस सिंड्रोम को साइकोलॉजिस्ट मान्यता नहीं देते हैं।
अबॉर्शन को ध्यान में रखते हुए महिलाओं के लिए टिप्स
यदि आपकी कोई दोस्त अबॉर्शन का विचार कर रही है तो जाहिर है उन्हें बहुत ज्यादा मदद की जरूरत होगी। यहाँ पर कुछ टिप्स बताई गई हैं जिनके माध्यम से आप उनकी मदद कर सकती हैं, आइए जानें;
1. सही जानकारी लें
कई वेबसाइट हैं जिनमें अबॉर्शन से संबंधित जानकारी होती है। हालांकि इनमें अक्सर अबॉर्शन के बारे में घृणा, शर्म और सांस्कृतिक कलंक के बारे में ही बताया जाता है। चूंकि इस समय आपकी दोस्त भावनात्मक रूप से सेंसिटिव होगी इसलिए आप ऐसी वेबसाइट की खोज करें जिनमें अबॉर्शन के बारे में वो जानकारी दी जाती हो जो उन्हें जानने की जरूरत है। एक दोस्त होने के नाते आप उन्हें विशेष मानसिक व भावनात्मक सपोर्ट प्रदान करें क्योंकि अबॉर्शन को धार्मिक और सामाजिक कलंक माना जाता है जिसकी वजह से आपकी दोस्त पर अधिक स्ट्रेस पड़ सकता है। इससे आपकी दोस्त को लंबे समय तक अबॉर्शन के साइड-इफेक्ट्स पड़ सकते हैं जिसकी वजह से उन्हें मदद मिल सकती है।
2. समझें और आलोचना न करें
आप उनके सामने अपमान-रहित भाषा और शब्दों का उपयोग न करें, जैसे “क्या आप गर्भावस्था खत्म करनेवाली हैं?” या “आप कब अबॉर्शन करवाएंगी?” उनकी बातों को पूरे मन से सुनें और देखें कि आपकी दोस्त इस स्थिति के बारे में बात करते समय कौन से शब्दों का उपयोग करती हैं और आप अपनी दोस्त की सोच के अनुसार उनसे बात करें और उनके निर्णय में उनका साथ दें।
3. निर्णय लेने में मदद करें
अबॉर्शन कोई छोटी-मोती चीज नहीं है। कभी-कभी आपकी दोस्त भी दुविधा में हो सकती है और वो यह निर्णय नहीं ले पाती है कि अबॉर्शन करना चाहिए या नहीं। आप उन्हें टी-चार्ट लेने के लिए कह सकती हैं और अबॉर्शन के फायदे या नुकसान की एक लिस्ट बनाएं और उन्हें बिना किसी अन्य विचार के लिखें। इस प्रकार से लिखें कि आज से 5 सालों के बाद वो कहाँ होंगी या अपने करियर और जीवन से क्या अपेक्षा रखती हैं? इन चीजों के बारे में लिखें और उन्हें फायदे व नुकसान बताकर निर्णय लेने में मदद करें।
4. सपोर्टिव बनें
आपकी दोस्त के लिए अबॉर्शन क्लिनिक तक जाना भी कठिन हो सकता है क्योंकि ऐसे समय में अबॉर्शन का विरोध करनेवाले लोग आपके दुःख को बढ़ा सकते हैं या उन्हें निरुत्साहित कर सकते हैं। यदि उनके साथ क्लिनिक तक उनकी एक दोस्त जाए तो इससे उन्हें काफी मदद और आराम मिल सकता है। ऐसे में आप अपनी दोस्त के साथ ही रहें और उन्हें एक अच्छे क्लिनिक में लेकर जाएं। कई हेल्थ इंश्योरेंस प्लान में अबॉर्शन के बारे में नहीं होता है जिसकी वजह से आपके लिए यह प्रक्रिया महंगी हो सकती है और कुछ क्लिनिक काफी दूर भी हो सकते हैं जिसकी वजह से आपको वहाँ पर एक रात के लिए ठहरना भी पड़ सकता है।आप पास में ही कोई जगह खोजें जहाँ पर आसानी से खाना और अन्य आवश्यक चीजें आसानी से खरीदी जा सकती हैं और संभव हो तो इस समय पर आप अपनी दोस्त के साथ रह सकें। आपकी दोस्त आपके इस सपोर्ट को हमेशा याद रखेंगी और आपका आभार प्रकट करेंगी।
5. सहानुभूति बरतें
आपकी थोड़ी सी सहानुभूति से आपकी दोस्त लंबे समय के लिए ठीक हो सकती हैं और उन्हें खुद के बारे में जानने में मदद मिलेगी। आप अपनी दोस्त के लिए कुछ भी ऐसे ही न मानें और उनके लिए कभी भी जजमेंटल न हों। आमतौर पर सहानुभूति का मतलब है कि आपकी दोस्त पर क्या बीत रही है या वो कैसा महसूस कर रही है, इस बारे में आप समझ रही हैं। आप उनसे बात करें और यदि वे बिना कुछ कहे सिर्फ आपका साथ चाहती हैं तो आप उन्हें अपना पूरा साथ दें। जो महिलाएं अबॉर्शन करवाती हैं कभी-कभी उन्हें किसी के साथ की जरूरत होती है और उन्हें लगता है कि उनके साथ कोई हो जो उनके अनुभवों को सुनें और उनके विचारों को बदलने में मदद करे। एक अच्छी दोस्त होने के नाते आप इस कठिन समय में उनका साथ दें।
यदि आपने अबॉर्शन करवाया है तो इस बात का ध्यान रखें कि आप कमजोर, बेवकूफ या स्वार्थी नहीं हैं। इसे करने के लिए हिम्मत और ताकत की जरूरत होती है। यदि आपके किसी दोस्त ने भी अबॉर्शन करवाया है तो आप उनकी दोस्त बनी रहें। ऐसा करने से वो आपको हमेशा याद रखेंगीं और अबॉर्शन के पहले और बाद के साइड इफेक्ट्स का सामना करने के लिए बिना किसी शर्त के सपोर्ट करेंगी। इसी को दोस्ती कहते हैं।
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