आपका नन्हा बच्चा चाहे कितना भी हंसमुख और चुलबुला क्यों न हो, रोना उसके जीवन का एक नॉर्मल पार्ट है। आखिरकार, यही एकमात्र तरीका है जिससे आपका छोटा बच्चा अपनी जरूरतों के लिए आप तक अपनी बात पहुँचा सकता है। लेकिन यह जानना बहुत जरूरी है कि बच्चे का रोना कितना सही है? अपने बच्चे को कब रोने देना ठीक है – और कब नहीं? यह पता लगाने के लिए लेख पढ़ें।
कुछ बच्चे बहुत रोते हैं और बहुत जोर से रोते हैं, जबकि कुछ कभी-कभार ही रोते हैं और उनका रोना सॉफ्ट होता है, यहाँ तक कि उनके रोने की आवाज भी मुश्किल से सुनाई देती होती है। चाहे वे कैसे भी रोएं, यह प्रकृति का नियम है कि हर बच्चा रोता है। कुछ पेरेंट्स क्राइंग इट आउट कहे जाने वाले मेथड को इस्तेमाल करते हैं, जिसमें वो बच्चे को शांत कराने के लिए उसकी पीठ को थोड़ी-थोड़ी देर पर थपथपाकर रिलैक्स कर देते हैं। बच्चे को रोता छोड़ देने पर वो अपने आप ही शांत हो जाता है, जब उसे पता चल जाता है कि उसे शांत करने वाला कोई भी आसपास मौजूद नहीं है। हालांकि यह आपकी पर्सनल चॉइस है, हम आपको हर हाल में ऐसा करने की सलाह नहीं देते हैं। हमारा यह मानना है कि आपको बच्चे के रोने को अनदेखा नहीं करना चाहिए। बच्चे का रोना ही एकमात्र तरीका है जिससे वह खुद को व्यक्त कर सकता है और उसके रोने को समझने से आपके प्रति उसका विश्वास बढ़ता है।
बेशक, बच्चे के रोने को समझना जितना आसान लगता है उतना आसान काम है नहीं। बच्चा क्यों रो रहा है – और जब वह रोता है तो आपको क्या करना चाहिए, यह जानने के लिए नीचे दी गई उम्रवार गाइड पढ़ें।
नवजात से तीन महीने तक
इस उम्र में बच्चे अलग-अलग जरूरतों जैसे भूख, नींद, अकेलापन आदि के लिए अलग-अलग तरह से रोते हैं। जब आप उसकी जरूरतों का तुरंत जवाब देती हैं, तो आप न केवल अपने बच्चे के साथ संवाद कर पाएंगी, बल्कि आप उसका भरोसा जीतने में भी मदद कर पाएंगी। यदि बच्चे के रोने पर उसकी जरूरतें पूरी नहीं होती हैं, तो वह नजरअंदाज और स्ट्रेस महसूस करता है। जब बच्चे के रोने को अक्सर नजरअंदाज किया जाता है, तो उसे पता चलता है कि जब वह रोता है तो उसकी जरूरतें पूरी नहीं होंगी और वह खुद ही रोना बंद करना सीख जाता है। स्टडीज से पता चला है कि जिन बच्चों के रोने को नजरअंदाज किया जाता है, उनमें एंग्जायटी , डिप्रेशन और ट्रस्ट इशू की समस्या देखी जाती है। इसलिए, ध्यान रखें कि आप इस उम्र में बच्चे के रोने पर तुरंत रिएक्ट करें।
तीन से छह महीने
तीन से चार महीने में, बच्चा तभी रोता है जब उसे भूख लगती है, उसका डायपर चेंज करना होता है या जब वह थका हुआ महसूस कर रहा हो और नींद में हो। इस समय तक आप समझ पाएंगी कि आपका बच्चा क्यों रो रहा है। यदि आप बच्चे के रोने से पहले उसकी जरूरतों को पूरा कर देती हैं, तो फिर वह बेवजह नहीं रोएगा। यदि बच्चा इन सब के बाद भी रो रहा है, तो इसका मतलब है कि वह अस्वस्थ है।
पांच से छह महीने का बच्चा कम रोता है, क्योंकि इस समय तक वह खुद से शांत होना सीख जाता है। निश्चिंत रहें, अपने बच्चे को कुछ मिनट के लिए हंगामा करने देने में और उसे रोने के लिए छोड़ देने में अंतर है। हालांकि, ध्यान रखें कि बेबी लगातार 6 मिनट से अधिक न रोए। बच्चे को अभी भी यह चाहिए होता है कि आप उसके आसपास रहें और आपकी मौजूदगी से दोनों के बीच का बॉन्ड मजबूत होगा।
छह से नौ महीने
छह से नौ महीने तक, आपका बच्चा लगातार 6-8 घंटे तक चैन की नींद सोएगा। यदि उसे अभी भी सोने में समय लगता है तो आप क्राइंग इट आउट मेथड अपना सकती हैं। इससे पहले कि आप उसे शांत कराएं, थोड़ी देर के लिए उसे रोने दें। हर रात इसकी समय सीमा बढ़ाएं और तीन से चार रातों के भीतर, आप देखेंगी कि आपके उसे शांत कराए बिना ही वह खुद से सोने में सक्षम हो गया है।
इस समय स्ट्रेंजर एंग्जायटी पैदा होने लगती है, जिससे बच्चा अजनबियों के पास जाने पर या उन्हें देखने पर रोने लगता है अपरिचित लोगों की उपस्थिति में बच्चा रोने लगेगा। यह वो समय भी होता है जब वह सेपरेशन एंग्जायटी का शिकार होने लगता है जिसकी वजह से आपकी गैरमौजूदगी पर वो रोने लगेगा। जैसे ही वह आपको देखता है, तुरंत शांत हो जाएगा।
नौ से बारह महीने
आपका बच्चा अब इतना बड़ा हो गया है कि उसे यह पता है कि रात में कब रोना है, तो आप उसे अपनी बाहों में लेकर उसे शांत करने की कोशिश करेंगी। जब इस उम्र का बच्चा रात में रोता है, तो आमतौर पर इसका कारण बोरियत या सेपरेशन एंग्जायटी होती है। इसका समाधान यह है कि आप उसे गोद में लेकर शांत कराएं, आपकी मौजूदगी से वो काफी ज्यादा रिलैक्स फील करेगा। जब बच्चा रोए, तो उसके पास जाएं लेकिन उसे उठाए नहीं। इसके बजाय, उसे कहें कि यह उनके सोने का समय है। 5-10 मिनट के छोटे अंतराल में इस प्रक्रिया को दोहराएं। जैसे-जैसे बच्चा इसका आदि हो जाएगा, समय के साथ उसका रोना कम हो जाएगा।
याद रखें, आपका बेबी इसलिए रो रहा है क्योंकि वह आपसे कुछ कहना चाहता है। आपका काम यह पता लगाना है कि वह क्यों रो रहा है और आप इसके बारे में क्या कर सकती हैं। ऐसी स्थिति में जब वह रोना बंद न कर रहा हो, पैसिफायर का उपयोग करें। आपका बच्चा कितना भी क्यों न रो रहा हो पैसिफायर उसे जल्दी शांत करने में मदद करेगा।
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