In this Article
प्रेगनेंसी के दौरान और उसके बाद एक महिला का शरीर बहुत सारे बदलावों से गुजरता है। इन बदलावों के लिए आपके हॉर्मोंस जिम्मेदार होते हैं। ऐसा ही एक बदलाव जो कि अधिकतर नई माएँ नोटिस करती हैं, वह उनकी आंखों की रोशनी से संबंधित है। आपके शरीर में हॉर्मोन और फ्लुइड के बदलते लेवल, आपकी आंखों की रोशनी में बदलाव ला सकते हैं और आपके देखने की शक्ति को कम कर सकते हैं। लगभग 50% प्रेगनेंट महिलाएं इस बदलाव से गुजरती हैं। हो सकता है कि आपने दूसरी तिमाही में अपनी नजर में आ रहे बदलाव को नोटिस किया हो, पर तीसरी तिमाही के दौरान और डिलीवरी के बाद यह समस्या और बढ़ सकती है। हॉर्मोनल बदलावों के कारण आपको प्रेगनेंसी के बाद सूखी आंखों की शिकायत भी हो सकती है। आपके बच्चे के जन्म के कुछ महीनों बाद ये बदलाव दूर हो जाते हैं और आपकी नजर सामान्य हो जाती है।
प्रेगनेंसी के बाद नजर में बदलाव आने के क्या है कारण
आंखों का धुंधलापन प्रेगनेंसी का एक लक्षण है, जो कि हॉर्मोनल बदलावों के कारण होता है। हालांकि, यह बदलाव प्रेगनेंसी से संबंधित न होकर किसी और कारण से भी हो सकता है। इसके लिए आपको एक ऑप्टोमेट्रिस्ट से सलाह लेनी चाहिए।
प्रेगनेंसी के बाद नजर में बदलाव आने के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
1. प्रीक्लैम्प्सिया
प्रीक्लैम्प्सिया एक ऐसी स्थिति है, जो कि प्रेगनेंसी के दौरान होती है। इस अवस्था में महिला का ब्लडप्रेशर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है और उसकी किडनी अबनॉर्मल तरीके से काम करने लगती है। प्रेगनेंसी के दौरान हाई ब्लडप्रेशर आपको रोशनी के प्रति संवेदनशील बना सकता है और इसलिए आपको नजर में धुंधलापन महसूस हो सकता है। ऐसे में आपको अपने गायनकोलोजिस्ट से मिलकर अपने ब्लडप्रेशर की जांच कराने की सलाह दी जाएगी।
2. जेस्टेशनल डायबिटीज
जेस्टेशनल डायबिटीज से पीड़ित महिला का ब्लडशुगर लेवल प्रेगनेंसी के दौरान बदलता रहता है। निरंतर बदलाव के कारण रेटिना से जुड़े हुए ब्लड वेसेल्स खराब हो सकते हैं। इससे आंखों की रोशनी पर प्रभाव पड़ता है और उन में धुंधलापन आ सकता है।
3. पिट्यूटरी एडिनोमा
महिला के पिट्यूटरी ग्लैंड में ट्यूमर बनने के कारण उसके हारमोंस सिक्रेशन के काम में बाधा आ सकती है और इससे आंखों संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। हालांकि यह एक बहुत ही दुर्लभ समस्या है।
4. लोअर फ्लुएड रिटेंशन
एक बच्चे को जन्म देने के बाद महिला की आंखों के डक्ट्स की फ्लुएड रिटेंशन क्षमता कम हो जाती है। इससे कॉर्निया का आकार बदल सकता है, जिससे आंखों में धुंधलापन और नजर में कमी आ सकती है।
प्रेगनेंसी के बाद आंख संबंधी समस्याओं के लक्षण
डिलीवरी के बाद देखने की शक्ति में कमी और आंखों की समस्याओं के कुछ लक्षण नीचे दिए गए हैं:
- रोशनी के प्रति संवेदनशीलता – तेज रोशनी से आपकी आंखों को तकलीफ हो सकती है।
- चक्कर आना – आंखों के धुंधलेपन से आप को चक्कर और मतली की समस्या हो सकती है।
- डबल विजन – आउटलाइन धुंधले देख सकते हैं और आपको ओवरलैप करती हुए छवि दिख सकती है।
- रुक-रुक कर होने वाला धुंधलापन – यह कभी-कभी हो सकता है, जिसमें रोड साइन जैसी कुछ खास चीजें धुंधली लग सकती हैं।
- आंखों पर जोर – आपकी आंखें हर समय थकावट और तनाव महसूस कर सकती हैं।
- फ्लैश और फ्लोटर – रेटिनल डिटैचमेंट के कारण आपकी नजर में तेज रोशनी या लहराती लकीरें दिख सकती हैं, जो कि लेबर के दौरान जोर लगाने से हो सकता है।
डिलीवरी के बाद होने वाली नजर संबंधी समस्याओं का इलाज कैसे करें?
डिलीवरी के बाद की नजर संबंधी समस्याएं, प्रेगनेंसी के बाद स्थाई रूप से बनी रहें, यह बहुत ही दुर्लभ है। बच्चे के जन्म के बाद अधिकतर बदलाव कुछ महीनों में वापस सामान्य हो जाते हैं। पर कुछ महिलाओं में आंखों की यह समस्या स्थाई रूप से रह जाती है।
नजर संबंधी पोस्टपार्टम समस्याओं के लिए यहां पर इलाजों के कुछ विकल्प दिए गए हैं:
1. सूखी आंखों के लिए
आंखों का सूखा होना, आंखों के धुंधलेपन के मुख्य कारणों में से एक हो सकता है। कांटैक्ट लेंस का इस्तेमाल करने वाले लोगों की तरह कुछ सलाइन ड्रॉप्स का इस्तेमाल करके आप इसे ठीक कर सकती हैं। एक ऑफथलमोलॉजिस्ट के द्वारा बताए गए आय ड्रॉप्स का इस्तेमाल भी आप कर सकती हैं। ओवर द काउंटर आय ड्रॉप्स का इस्तेमाल करके अपनी आंखों को और खराब ना करें और सुरक्षित रहें।
2. धुंधली नजर के लिए
प्रेगनेंसी के बाद धुंधली नजर की समस्या अक्सर ही चली जाती है, पर अगर यह बनी रहे तो एक ऑपथलमोलॉजिस्ट से मिलकर अपनी आंखों की जांच कराएं। अगर नजर का धुंधलापन 6 से 8 महीनों के बाद भी बरकरार रहे, तो ऐसे में आपको नए प्रिस्क्रिप्शन के बारे में सोचना चाहिए।
3. प्रीक्लैम्प्सिया के लिए
जैसा कि ऊपर बताया गया है, प्रीक्लैम्प्सिया या हाई ब्लडप्रेशर, रेटिनल ब्लड वेसेल्स पर असर डाल सकता है और नजर में समस्याएं पैदा कर सकता है। इसलिए यह जरूरी है, कि आप प्रेगनेंसी के दौरान अपने गायनोकोलॉजिस्ट से मिलें और अपने ब्लडप्रेशर की जांच कराते रहें। आपको कॉर्टिकोस्टेरॉइड या एंटी कन्वर्जन एंटीकन्वलसंट की सलाह दी जा सकती है।
4. जेस्टेशनल डायबिटीज के लिए
आंखों का धुंधलापन वंशानुगत डायबिटीक कंडीशन के कारण भी हो सकता है। इसके लिए जेस्टेशनल डायबिटीज के खतरों को कम करने के लिए, एक हेल्दी डायट और हेल्दी लाइफस्टाइल को चुनना पहला कदम होगा। जेस्टेशनल डायबिटीज की समस्या प्रेग्नेंट महिलाओं में होती है। प्रेगनेंसी के बाद आप स्वस्थ और फिट रहने के लिए एक अच्छी लाइफस्टाइल को चुन सकती हैं। वहीं अगर आपका शुगर लेवल पहले से ही हाई है, तो आप का गायनोकॉलजिस्ट उसे कंट्रोल में रखने के लिए आपको दवाएं प्रिसक्राइब करेगा।
5. स्थाई रूप से नजर कमजोर होने के लिए
प्रेगनेंसी के बाद नजर में कमी आना आम बात है, पर हर बार यह प्रेगनेंसी के दौरान होने वाले हॉर्मोनल बदलावों के कारण हो ऐसा जरूरी नहीं है। इस बात का ध्यान रखना जरूरी है, कि हो सकता है, कि आंखों का यह धुंधलापन आपकी प्रेगनेंसी का हिस्सा ना हो। अगर आपकी आंखों की समस्या लगातार बनी हुई है, तो ऐसी स्थिति में यह जरूरी है, कि आप एक ऑपथलमोलॉजिस्ट से मिलें। हो सकता है, कि आपको नए चश्मे या नये कांटेक्ट लेंस की सलाह दी जाए।
प्रेगनेंसी में होने वाले नजर में बदलाव विभिन्न कारणों से हो सकते हैं। समस्या की पूरी जानकारी होना ही, समस्या के समाधान का सबसे बेहतरीन तरीका है।
यह भी पढ़ें:
पोस्टपार्टम एनीमिया – लक्षण, कारण और इलाज
डिलीवरी के बाद कब्ज होना – कारण और उपचार