In this Article
- अल्फा फेटोप्रोटीन जांच क्या होती है
- आपको ए.एफ.पी. जांच की आवश्यकता क्यों होती है
- जांच की तैयारी कैसे करें
- यह जांच कैसे की जाती है
- जांच के दौरान कैसा महसूस होता है
- ए.एफ.पी. जांच से होने वाले खतरे
- परिणामों से क्या तात्पर्य है
- अल्फा फेटोप्रोटीन का सामान्य स्तर
- अल्फा फेटोप्रोटीन का उच्च स्तर
- अल्फा फेटोप्रोटीन का कम स्तर
- जांच को क्या प्रभावित कर सकता है
- ध्यान रखने योग्य कुछ बातें
गर्भावस्था के दौरान डॉक्टर आपको कई जांच करवाने की सलाह दे सकते हैं। इसमें से कुछ जांच नियमित होती हैं और इनके लिए सभी गर्भवती महिलाओं को सलाह दी जाती है। जबकि कुछ जांच महिलाओं की स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर करवाने की सलाह दी जाती है, जैसे गर्भवती महिला की आयु, माता–पिता का स्वास्थ्य इतिहास या अनुवांशिक असामान्यताओं के खतरे। भ्रूण में असामान्यताएं हैं या नहीं और यदि हैं तो कितनी हैं, इन सभी जानकारियों को प्राप्त करने के लिए अल्फा फेटोप्रोटीन (ए.एफ.पी.) टेस्ट अत्यधिक उपयोगी है।
अल्फा फेटोप्रोटीन जांच क्या होती है
यह एक रक्त जांच होती है जिसके माध्यम से गर्भवती महिलाओं के शरीर में अल्फा–फेटोप्रोटीन (ए.एफ.पी.) के स्तर का पता लगाया जाता है। ए.एफ.पी. आपके गर्भ में पल रहे भ्रूण के लिवर से निर्मित होता है और आपके रक्त में इस पदार्थ की मात्रा यह दर्शाती है कि आपका बच्चा स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं से ग्रसित है या नहीं, जैसे स्पाइना बिफिडा और अभिमस्तिष्कता (शिशु के मस्तिष्क का अपूर्ण विकास)। यह ट्रिपल स्क्रीन या क्वैड स्क्रीन का एक अंश है जो आमतौर पर गर्भावस्था की दूसरी तिमाही में होता है ।
आपको ए.एफ.पी. जांच की आवश्यकता क्यों होती है
ए.एफ.पी. टेस्ट डॉक्टर को यह निर्णय लेने में मदद करता है कि गर्भावस्था के दौरान आपको अन्य जांच या स्क्रीनिंग की आवश्यकता तो नहीं है। गर्भावस्था के 16वें या 18वें सप्ताह में यह टेस्ट करवाने से लगभग सही परिणाम मिलते हैं और साथ ही यह मुख्य रूप से भ्रूण में जन्म दोषों के बारे में भी जानकारी देता है। आपको ए.एफ.पी. जांच करवाने की आवश्यकता क्यों पड़ सकती है, इसके कुछ कारण निम्नलिखित हैं।
- भ्रूण के मस्तिष्क और रीढ़ संबंधी समस्याओं जी जांच के लिए।
- शिशु में डाउन सिंड्रोम का पता लगाने के लिए।
- यदि आपकी आयु 35 या उससे अधिक है।
- परिवार में पहले से जन्म दोष होने के कारण।
- गर्भावस्था के दौरान हानिकारक दवाओं का सेवन करने के कारण।
- यदि आपको मधुमेह (डाइबिटीज) की समस्या है।
जांच की तैयारी कैसे करें
ए.एफ.पी. जांच के लिए कोई तैयारी करने की आवश्यकता नहीं होती है।रक्त निकलने से पहले आपका वजन मापा जाएगा क्योंकि यह इसके परिणाम का एक अभिन्न हिस्सा है। इस टेस्ट के लिए आपसे आयु और आप कितने सप्ताह से गर्भवती हैं, यह पूछा जा सकता है।
यह जांच कैसे की जाती है
यह साधारण रक्त परीक्षण होता है जो आमतौर एक नैदानिक प्रयोगशाला में किया जाता है और इसके परिणाम एक–दो सप्ताह में उपलब्ध होते हैं। निम्लिखित तरीके से जांच के लिए आपका रक्त निकाला जाएगा:
- आमतौर पर ऊपरी भुजा पर, जहाँ से रक्त निकालना है वहाँ चारों तरफ एक इलास्टिक बैंड लपेटा जाता है ताकि नसें सरलता से दिखने लगें।
- इंजेक्शन लगाने के हिस्से पर अल्कोहल शराब लगाई जाती है।
- नसों में सुई लगाकर इंजेक्शन ट्यूब को पूरा भरने तक रक्त निकाला जाता है।
- रक्त निकालने के बाद आपकी भुजा से इलास्टिक बैंड हटा दिए जाते हैं।
- सुई लगाई हुई जगह पर कॉटन रखा जाता है और ऊपर से बैंडेज लगा दिया जाता है।
जांच के दौरान कैसा महसूस होता है
यह प्रक्रिया दर्द रहित होती है और जब आपकी भुजा पर सुई लगाई जाएगी तो ज्यादा से ज्यादा आपको हल्का सा डंक लगने की तरह ही महसूस होगा। इसमें सिर्फ कुछ मिनट ही लगते हैं। क्योंकि इसके परिणाम कुछ दिनों के बाद ही आएंगे तो प्रतीक्षा के दौरान आपको शिशु के बारे में जानने की थोड़ी उत्सुकता व चिंता हो सकती है।
ए.एफ.पी. जांच से होने वाले खतरे
ए.एफ.पी. परीक्षण से संबंधित लगभग कोई भी खतरे नहीं हैं। बस आपको थोड़ी बहुत असुविधाएं हो सकती हैं जैसा एक नियमित रक्त परीक्षण में होता है, वही निम्नलिखित समस्या आपको भी अनुभव हो सकती है;
- जहाँ सुई लगाई गई थी वहाँ पर पीड़ा व दर्द होता है।
- इस जगह पर थोड़ी सी चोट भी लग सकती है।
- कुछ दुर्लभ मामलों में इसके परिणामस्वरूप नसों में सूजन आ जाती है जिसे फ्लेबिटिस की समस्या कहा जाता है। इसे ठीक करने के लिए नियमित अंतराल में गर्म सिकाई का उपयोग करें।
परिणामों से क्या तात्पर्य है
आपके रक्त में मौजूद अल्फा फेटोप्रोटीन की मात्रा यह बताती है कि क्या आपके गर्भस्थ शिशु में कोई समस्या है या नहीं और यदि है तो वह कौन सी समस्याएं हैं। ए.एफ.पी. के स्तर को 3 भागों में विभाजित किया गया है, जैसे सामान्य, उच्च और कम स्तर।
अल्फा फेटोप्रोटीन का सामान्य स्तर
ए.एफ.पी. का सामान्य स्तर प्रयोगशाला के अनुसार भिन्न हो सकता है और यह शिशु की आयु पर भी निर्भर करता है। अल्फा–फेटोप्रोटीन के सामान्य स्तर में आमतौर पर निम्नलिखित अनुमान लगाया जा सकता है;
वर्ग |
ए.एफ.पी. स्तर – नैनोग्राम/मिलीलीटर |
सामान्य वयस्क महिला |
0-40 एनजी/एमएल |
15-18 सप्ताह तक की गर्भवती महिला |
10-150 एनजी/एमएल |
अल्फा फेटोप्रोटीन का उच्च स्तर
ए.एफ.पी. के असामान्य रूप से उच्च स्तर पर ध्यान देने से पहले आपको अपनी व्यक्तिगत परिस्थिति व स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है। ए.एफ.पी. के उच्च स्तर का तात्पर्य निम्नलिखित में से एक हो सकता है;
- आपके गर्भ में एक से अधिक शिशु हो सकते हैं।
- आपकी गर्भावस्था आपके विचार से अधिक विकसित हो चुकी है और इसकी नियत तारीख की दोबारा से गणना करने की आवश्यकता है।
- शिशु को तंत्रिका संबंधी दोष है।
- भ्रूण की मृत्यु हो सकती है।
- शिशु के पेट की दीवार पर दोष है। यह वो समस्या होती है जब आंतें और अन्य अंग शरीर से बाहर स्थित होते हैं। जन्म के बाद सर्जरी की मदद से इसे ठीक किया जा सकता है।
अल्फा फेटोप्रोटीन का कम स्तर
असामान्य रूप से ए.एफ.पी. के कम स्तर का मतलब निम्नलिखित में से एक हो सकता है;
- आपके शिशु की गर्भकालीन आयु गलत है। यह तब हो सकता है जब नियत तारीख की गणना गलत की गई हो और आपकी गर्भावस्था आपके शुरूआती अनुमान से पहले हो।
- बच्चे को डाउन सिंड्रोम या एडवर्ड्स सिंड्रोम है।
जांच को क्या प्रभावित कर सकता है
कुछ कारक हैं जो इस जांच के परिणामों को प्रभावित कर सकते हैं और आपको गलत जानकारी दे सकते हैं। ऐसे इसलिए हो सकता है क्योंकि;
- एक से अधिक गर्भावस्था – इसका तात्पर्य है – आपके गर्भ में एक से अधिक शिशु हैं।
- आपको गर्भावधि मधुमेह है।
- आप धूम्रपान करती हैं यह आपके रक्त में ए.एफ.पी. के स्तर को बढ़ा सकता है।
- आपने ए.एफ.पी. जांच करवाने से पहले कोई और चिकित्सीय जांच करवाई है जिसमें रेडियोएक्टिव ट्रेजर का उपयोग किया गया हो।
ध्यान रखने योग्य कुछ बातें
इसे मैटरनल सीरम अल्फा फेटोप्रोटीन (एम.एस.ए.एफ.पी.) जांच भी कहा जाता है । यह सिर्फ एक स्क्रीनिंग टेस्ट है और कोई निदान नहीं है। यह ध्यान में रखना आवश्यक है कि यह जांच, जन्म के समय बच्चे में कम या अधिक खतरों के स्तर व जन्म–दोष को दर्शाती है। इसमें निश्चित परिणाम नहीं मिलते हैं, इस जांच को करवाते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखें;
- ए.एफ.पी. का असामान्य परिणाम आने के बाद एक बार और ए.एफ.पी. जांच करवाएं और यदि परिणाम समान हैं तो इसके कारण को समझने के लिए अल्ट्रासाउंड करवाया जा सकता है।
- यदि अल्ट्रासाउंड में भी असामान्य ए.एफ.पी स्तर का कारण नहीं पता चलता है तो डॉक्टर आपको एक प्रभावशाली जांच करवाने की सलाह दे सकते हैं, जैसे एम्नियोसेंटेसिस।
- जिन महिलाओं के रक्त में ए.एफ.पी. का स्तर असामान्य होता है, ज्यादातर उन महिलाओं के एम्नियोटिक द्रव में ए.एफ.पी. का स्तर आमतौर पर सामान्य हो सकता है। इन महिलाओं को तंत्रिका दोष के साथ शिशु को जन्म देने का बहुत कम खतरा होता है।
- ए.एफ.पी. के सामान्य स्तर को निश्चित रूप से यह नहीं माना जा सकता है कि आपकी गर्भावस्था साधारण होगी या शिशु स्वस्थ होगा।
- यदि आपके ए.एफ.पी. के परिणाम असामान्य स्तर दिखाते हैं तो डॉक्टर से सलाह लें या फिर आप जेनेटिक कॉउंसलर के पास भी जा सकती हैं।
- ए.एफ.पी. के परिणाम, बिना किसी कारण के भी असामान्य हो सकते हैं। ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि 1000 में से लगभग 25-50 गर्भावस्थाओं का परिणाम असामान्य हो सकता है। वास्तविक जन्म–दोष से ग्रसित शिशु 16 से 33 में से लगभग 1 हो सकता है।
- ए.एफ.पी. जांच के बाद अत्यधिक प्रभावी प्रक्रियाओं की सलाह दी जाती है, इसे करवाने का निर्णय लेने से पहले डॉक्टर से इसके फायदे और नुकसान जान लें।
ए.एफ.पी. के असामान्य स्तर का – चाहे वह उच्च हो या कम – यह तात्पर्य नहीं है कि आपके शिशु को जन्म–दोष है। इसका सिर्फ यही मतलब है कि डॉक्टर ने आपको अन्य जांच करवाने की सलाह दी हैं, जैसे निदान के लिए अल्ट्रासाउंड। यह कोई आवश्यक जांच नहीं है आप चाहें तो इसे करवाएं या न करवाएं। यद्यपि इस जांच से लगभग 70-90% शिशुओं में तंत्रिका नली से संबंधित दोष देखे जा सकते हैं इसलिए यह जांच आपके भविष्य की योजनाओं में मदद कर सकती है। अन्य जांच आपको निश्चित निदान बता सकते हैं जिसकी मदद से आप
अतिरिक्त जांच आपको निदान की पुष्टि दे सकती हैं जिसके बाद आप यह पता लगा सकती हैं कि क्या कोई चिकित्सीय हस्तक्षेप संभव है या शिशु से संबंधित आवश्यकताओं की आपूर्ति के लिए जीवनशैली में बदलाव करना शुरू करें।
डिस्क्लेमर: इस जानकारी को सिर्फ एक मार्गदर्शिका के रूप में लें और यह डॉक्टर की सलाह का कोई विकल्प नहीं है।
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