गर्भावस्था के दौरान ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट: क्यों किया जाता है, प्रक्रिया, परिणाम व अन्य जानकारी

In this Article

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट गर्भावस्था के दौरान किया जाने वाला एक रक्त परीक्षण है। गर्भवती महिलाओं को परीक्षणों की एक श्रृंखला से गुजरना पड़ता है यह सुनिश्चित करने के लिए कि उसकी गर्भावस्था ठीक प्रकार से प्रगति कर रही है और उसके शिशु का उचित विकासहो रहा है या नहीं। यदि आप गर्भवती हैं, तो आपके शिशु में किसी भी आनुवंशिक विकार की जाँच के लिए आपका चिकित्सक आपको ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट करवाने की सलाह दे सकता है। ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट को बहु सूचक परीक्षण या बहु अनुवीक्षण परीक्षण के रूप में भी जाना जाता है। इस परीक्षण के बारे में अधिक जानने के लिए ये लेख आगे पढ़ें ।

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट क्या है?

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट एक साधारण जोखिम रहित रक्त परीक्षण है, जो गर्भावस्था के पन्द्रहवें और बाईसवें सप्ताह के बीच किया जाता है। इस परीक्षण में, रक्त का एक नमूना लिया जाता है और भ्रूण में किसी भी असामान्यताओं को निर्धारित करने के लिए एएफपी, एचसीजी और रक्त में एस्ट्रियोल के स्तर को मापा जाता है।

  • अल्फा-फेटोप्रोटीन (एएफपी) – एएफपी एक प्रोटीन है जो विकासशील भ्रूण द्वारा निर्मित होता है। इस प्रोटीन का उच्च स्तर संभावित दोषों का सूचक हो सकता है जैसे कि शिशु में तन्त्रिका तन्त्र संबंधी दोष।
  • ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (एचसीजी) – एचसीजी गर्भनाल द्वारा निर्मित एक हार्मोन है। इस हार्मोन का उच्च स्तर मोलर प्रेग्नेंसी  या एकाधिक गर्भावस्था का सूचक हो सकता है, जबकि इस हार्मोन का स्तर कम होने पर ये गर्भावस्था में गर्भपात या अस्थानिक गर्भावस्था जैसी संभावित जटिलताओं का सूचक हो सकता है।
  • एस्ट्रियोल – एस्ट्रियोल एक एस्ट्रोजन है जो भ्रूण और गर्भनाल दोनों द्वारा निर्मित होता है। इस हार्मोन का कम स्तर शिशु के डाउन सिंड्रोम से पीड़ित होने के जोखिम का सूचक हो सकता है।

परीक्षण यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि क्या विकासशील भ्रूण में कुछ जन्मजात दोष होने का खतरा है।

इसे ‘स्क्रीनिंग टेस्ट’ क्यों कहा जाता है?

स्क्रीनिंग टेस्ट करवाते समय आश्वस्त होने के लिए यह समझना अत्यावश्यक है कि स्क्रीनिंग टेस्ट क्या होता है। स्क्रीनिंग टेस्ट एक डायग्नोस्टिक टेस्ट जैसा नहीं होता है। उपस्थित असामान्यताओं के जोखिम कारक जानने से पहले यह उम्र, जातीयता, रक्त परीक्षण के परिणामों आदि जैसे कई मापदंडों की तुलना करता है।,स्क्रीनिंग टेस्ट किसी विशिष्ट समस्या का पता लगाने के संदर्भ में नहीं किया जाता है, ये केवल किसी विशेष स्थिति या समस्या का पता लगाने व आगे के परीक्षण करवाने में सहायक होता है और आगे के लिए एक निर्देश प्राप्त करने में मदद करता है।

गर्भावस्था के दौरान ट्रिपल टेस्ट करवाने का क्या कारण है

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट आपके चिकित्सक को आपकी गर्भावस्था की महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवा सकता है। यह निम्न तरीकों से मदद करता है:

  • गर्भावस्था के शुरुआत में इस परीक्षण को करवाने से, तंत्रिका तंत्र संबंधी दोष और अन्य जन्मजात दोषों का पता लगाया जा सकता है।
  • यह परीक्षण आपके शिशु में डाउन सिंड्रोम के जोखिम को पहचानने में मदद करता है ।
  • ट्रिपल मार्कर स्क्रीन  टेस्ट गर्भावस्था के दौरान ट्राइसोमी 18 (एडवर्ड सिंड्रोम) की पहचान करने में मदद करता है।
  • ट्राइसोमी परीक्षण यह पता लगाने में मदद करता है, कि आपको दो या उससे अधिक शिशु होने की संभावना तो नहीं है।
  • ये परीक्षण अन्य असामान्यताओं का भी पता लगाने में मदद करता है जो चिकित्सक को आगे डायग्नोसिस करने में मदद करता है।

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट कब करवाना चाहिए

गर्भावस्था में ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट को पन्द्रहवें सप्ताह से बाईसवें सप्ताह के बीच किया जाना चाहिए। हालांकि, सबसे सटीक परिणाम सोलहवें सप्ताह से अठारहवें सप्ताह के बीच प्राप्त किए जाते हैं। परीक्षण के परिणाम सामान्यतः दो से चार दिनों के अंदर उपलब्ध होते हैं।

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट के लिए आपको कैसे तैयारी करनी चाहिए

इस परीक्षण के लिए किसी तैयारी की आवश्यकता नहीं है। इस परीक्षण को करवाने से पहले आपको खाने की कोई पाबंदी नहीं होगी। इस परीक्षण के दुष्प्रभाव भी न के बराबर होते हैं, क्योंकि यह रक्त का नमूना लेकर किया जाने वाला जोखिम रहित परीक्षण होता है। इससे माँ और शिशु को कोई भी बड़ा खतरा नहीं  होता है।

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन परीक्षण कैसे किया जाता है

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन  टेस्ट प्रक्रिया बाकि किसी अन्य रक्त परीक्षण की तरह ही समान होता है। यहाँ बताया गया है कि आपका चिकित्सक या तकनीशियन इस परीक्षण को कैसे करेगा।

  • चरण 1: सबसे पहले, तकनीशियन आपको आपकी बाँह फैलाकर और मुट्ठी बनाने के लिए कहेगा। इससे उन्हें आपकी नस ढूँढने में मदद मिलेगी।
  • चरण 2: फिर चिकित्सक आपकी बाँह के चारों ओर एक स्ट्रैप बांधेगा
  • चरण 3: इसके बाद, तकनीशियन एक जीवाणुरोधक और रोगाणुरोधक कपड़े से उस क्षेत्र को साफ करेगा जहाँ वो सुई लगाएंगे।
  • चरण 4: फिर एक सुई की मदद से रक्त का सैंपल लिया जाएगा।
  • चरण 5: फिर उस जगह को एंटीसेप्टिक व एंटीबैक्टीरियल कपड़े से साफ किया जाएगा। 
  • चरण 6: इसके बाद रक्त का नमूना एक प्रयोगशाला में मूल्यांकन के लिए भेजा जाएगा जहाँ जीव रसायनविज्ञानी नमूने का मूल्यांकन करेगा।

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन परीक्षण कैसे किया जाता है

आपके चिकित्सक परिणामों के आधार पर प्रासंगिक जानकारी प्रदान करेंगे और आगे आपको क्या करना चाहिए इसके बारे में बताएंगे।

नोट: इस परीक्षण का कोई दुष्प्रभाव नहीं है। यदि आपको अपने परीक्षण परिणाम से जुड़े कोई भी समस्या या सवाल हैं तो आपको अपने चिकित्सक के साथ उस विषय पर खुल कर चर्चा करें।

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन क्यों किया जाता है?

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन  टेस्ट एक सांकेतिक परीक्षण है, जो चिकित्सकों को किसी भी असामान्यता पाए जाने पर आगे क्या करना है, ये जानने में मदद करता है। यह परीक्षण एसीजी के स्तर को मापता है और निर्धारित करता है कि एचसीजी और एस्ट्रियोल का स्तर सामान्य है या नहीं। इसके बाद डाइग्नोसिस के लिए माँ की आयु, वजन, गर्भकाल गर्भावस्था और जातीयता को नजर में रखते हुए आगे की कार्यवाही की जाती है । 

परीक्षण के दौरान बरती जाने वाली सावधानियां

इस परीक्षण को करवाते समय, यह महत्वपूर्ण है कि आप अपनी गर्भावस्था से जुड़ी तमाम चीजें चिकित्सक को बताएं । यदि सूचना में किसी प्रकार का बदलाव होता है तो इससे परीक्षण के परिणाम बदल सकते हैं। चिकित्सक परीक्षण करने के लिए  रक्त निकालते समय आवश्यक सावधानी बरतते हैं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके की भ्रूण किसी रक्त-जनित रोगाणु से प्रभावित ना हो जैसे नई सुई का इस्तेमाल करना, रोगाणुरोधक और जीवाणुरोधक कपड़ों का उपयोग और यदि आवश्यक हो तो आपको एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन करने के लिए भी कहा जा सकता है।

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट के लाभ

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन  टेस्ट गर्भावस्था में संभावित जटिलताओं और एकाधिक भ्रूणों की उपस्थिति का संकेत देता है। ट्रिपल मार्कर स्क्रीन  टेस्ट करवाना 35 वर्ष से अधिक आयु वाली महिलाओं के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होता है। इस परीक्षण का मुख्य लाभ यह है कि यह शिशु में जन्मजात दोषों को पहचानने में मदद करता है और गर्भवती महिला को इसके लिए पहले से ही तैयार करने में सहायता प्रदान करता है। इन आनुवांशिक विकारों और असामान्यताओं में से कुछ हैं:

  • ट्राइसोमी 18 या एडवर्ड सिंड्रोम, जो क्रोमोसाम असामान्यता के कारण होता है।
  • डाउन सिंड्रोम, एक ऐसी स्थिति जिसमें क्रोमोसाम 21 से अतिरिक्त आनुवांशिक सामग्री कोशिका में उपस्थित होती है।
  • तंत्रिका नली दोष, जो मूलतः जन्मजात दोष हैं जिसमें मस्तिष्क, रीढ़ और रीढ़ की हड्डी से जुड़े विकार शामिल है।

माँ और शिशु पर इसका दुष्प्रभाव और जोखिम

इस परीक्षण का कोई ज्ञात दुष्प्रभाव नहीं हैं। क्योंकि परीक्षण के लिए निकाले जाने वाले रक्त की मात्रा बहुत कम होती है, इसलिए, यह परीक्षण माँ और बच्चे को कोई नुकसान नहीं पहुँचाता है ।

परीक्षण परिणाम की व्याख्या

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट शिशु में आनुवांशिक विकार होने की संभावना को दर्शाते हैं। हालांकि ये परिणाम निम्नलिखित कारकों पर निर्भर करते हैं:

  • गर्भवती महिला की आयु
  • जातीयता
  • गर्भवती महिला का वजन
  • उसे मधुमेह है या नहीं
  • एक या एकाधिक शिशु होने की संभावना हो 
  • उसकी गर्भावस्था की कितना समय हो गया है

परीक्षण के बाद आपके स्त्रीरोग चिकित्सक आपके परीक्षण परिणाम के जरिए बताएंगे कि परिणाम नकारात्मक हैं या सकारात्मक। यदि इस परीक्षण के परिणाम गलत सकारात्मक हैं,तो वह अन्य परीक्षणों को करवाने का सुझाव दे सकते हैं।

नकारात्मक स्क्रीन का क्या अर्थ है?

यदि स्क्रीन टेस्ट का परिणाम नकारात्मक आता है, तो इसका अर्थ यह है कि आपके भ्रूण में तंत्रिका नली दोष संबंधी, डाउन सिंड्रोम और ट्राइसोमी 18 जैसे जन्मजात दोषों के जोखिम को कम करता है।हालांकि, नकारात्मक स्क्रीन टेस्ट परिणाम प्राप्त करने से ये आश्वासन नहीं दे सकता है कि शिशु पूर्ण स्वस्थ होना और सामान्य पैदा होगा।

यदि परीक्षण परिणाम असामान्य हैं तो आपको क्या करना चाहिए

यदि परीक्षण परिणाम असामान्य हैं तो आपको क्या करना चाहिए

यदि परीक्षण के परिणाम असामान्य हैं, तो अपने चिकित्सक से परामर्श करें। भ्रूण में पाई जाने वाली असामान्यता का  सटीक निर्धारण करने के लिए आपको अन्य परीक्षण करवाने के लिए कहा जाएगा। इन परीक्षणों में से सबसे पहले संभवतः एक अल्ट्रासाउंड परीक्षण कराना होगा, जिससे भ्रूण की आयु निर्धारित की जाएगी। इसके साथ ही, चिकित्सक किसी भी समस्या का पता लगाने के लिए भ्रूण के मस्तिष्क, रीढ़ की हड्डी, गुर्दों और हृदय की भी जाँच करेंगे।

कम जोखिम वाला ट्रिपल टेस्ट परीक्षण यह सुनिश्चित करता है कि यदि परिणाम असामान्य भी हों, तब भी आपका चिकित्सक या तो आपको आने वाली परिस्थितियों के लिए तैयार करने में मदद करेगा या इसे ठीक करने के लिए आगे की कार्यवाही शुरू कर देगा।

वो कौन से कारण हैं जिससे आपको अन्य परीक्षण करवाने की आवश्यकता होती है

 ट्रिपल टेस्ट करवाने से आपको संभावित जन्मजात दोषों और आनुवांशिक विकार की पहचान करने व इसका निदान करने में मदद मिलती है। लेकिन उससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात यह है कि, ये माता-पिता को इस स्थिति के लिए तैयार करने में मदद करता है। परीक्षण करवाने का एक सबसे बड़ा कारण संभावित माता-पिता को ऐसे शिशु के साथ जीवन बिताने की तैयारी करने में मदद करना है। जो इस प्रकार किया जाता है:

  • माता-पिता को दिव्यांग शिशु की आवश्यकताओं के बारे में शिक्षित करना
  • माता पिता को सपोर्ट ग्रुप और थेरपिस्ट से मिलवाना
  • संभावित स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना
  • माता-पिता को सर्जरी, मेडकेशन थेरपी जैसी सभी विकल्पों पर विचार करने का अवसर देता है 

ट्रिपल मार्कर स्क्रीन टेस्ट के अन्य विकल्प

कुछ माता-पिता निदान को समझने या दूसरी राय लेने के लिए वैकल्पिक तौर पर ट्रिपल टेस्ट करवाते हैं। प्रसवपूर्व अल्ट्रासाउंड  परीक्षण करवाने से माता-पिता को निदान की पुष्टि करने में मदद मिलती है।

आप अपनी आवश्यकता के अनुसार सही परीक्षण का चुनाव करने के लिए चिकित्सक से बात करें, जो आपको वैकल्पिक परीक्षणों से जुड़ी बेहतर जानकारी दे सकेंगे।

ये परीक्षण केवल आपको शिशु के स्वस्थ से जुड़ी जानकारी नहीं देते बल्कि ये आपके सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार भी करते हैं। ये जानना कि आपका शिशु स्वस्थ है या नहीं, आपको आगे के जीवन के लिए फैसला लेने में मदद करेगा। ट्रिपल टेस्ट परीक्षण आपको अपने शिशु के स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं को जानने और साथ-साथ उनके लिए तैयार करने में मदद करेगा। इसलिए इस परीक्षण के अलावा अन्य आवश्यक परीक्षणों को भी कराएं और एक स्वस्थ गर्भावस्था प्राप्त करें।

यह भी पढ़ें:

गर्भावस्था के दौरान गैर-तनाव परीक्षण (नॉन-स्ट्रेस टेस्ट)
गर्भावस्था के दौरान कॉरियोनिक विलस सैम्पलिंग (सीवीएस) परीक्षण