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डिलीवरी के दौरान एक महिला को जो तीव्र दर्द होता है, वह बहुत गंभीर हो सकता है और 10 के स्केल पर ये दर्द 8 से ऊपर जा सकता है। यह दर्द कई महिलाओं के लिए असहनीय हो सकता है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो पहली बार गर्भवती हुई हैं। हालांकि, अब कई महिलाएं इस दर्द को कम करने और अपने बच्चे के जन्म के अनुभव को एन्जॉय करने के लिए दर्द रहित तरीकों का ऑप्शन चुनती हैं।
डिलीवरी के दौरान बिना दर्द वाले उपायों को चुनने वाली महिलाओं की संख्या में अब भारी वृद्धि देखने को मिलती है। यह ट्रेंड काफी आम हो गया है, विशेष रूप से शिक्षित महिलाओं में जो इस प्रक्रिया के फायदे और रिस्क से अवगत होती हैं और वे अपने हिसाब से सूट होने वाले विकल्प को चुनती हैं।
पेनलेस डिलीवरी क्या होती है और क्या ऐसा करना संभव है?
डिलीवरी के दौरान माँ को एपिड्यूरल एनेस्थीसिया देकर दर्द रहित नॉर्मल डिलीवरी कराई जाती है। यह एक लोकल एनेस्थीसिया होता है, जो शरीर के किसी विशेष भाग में दर्द को रोक सकने में समर्थ होता है। डिलीवरी के दौरान, इसे महिलाओं की पीठ के निचले हिस्से में इंजेक्ट किया जाता है, जिससे वो डिलीवरी की पूरी प्रक्रिया में आराम महसूस करती हैं, इस प्रकार उन्हें डिलीवरी के गंभीर दर्द से काफी राहत मिलती है और यह लगभग दर्द रहित डिलीवरी जैसा अनुभव होता है।
लेबर के दर्द को कम सहन करने वाली महिलाएं या जो महिलाएं तीस वर्ष की उम्र के बाद गर्भवती होती हैं, वे सी-सेक्शन का ऑप्शन चुनती हैं, क्योंकि उनमें डिलीवरी के दौरान होने वाली पीड़ा को झेल पाने की क्षमता काफी कम हो सकती है। एपिड्यूरल एनेस्थीसिया से ऐसी महिलाओं में डिलीवरी पेन को काफी हद तक कम करके उनकी नॉर्मल डिलीवरी कराई जा सकती है।
पेनलेस डिलीवरी की प्रक्रिया क्या है?
दर्द के बिना डिलीवरी की प्रक्रिया के दौरान, आपको एपिड्यूरल लेने से पहले इंट्रावेनस या आईवी फ्लूइड दिया जा सकता है। फिर आपको बताया जाएगा कि अपनी पीठ को झुकाएं और स्थिर होकर बैठी रहें। यह पोजीशन एपिड्यूरल की प्रभावशीलता को बढ़ा सकती है और किसी भी समस्या को होने से रोकती है।
एंटीसेप्टिक सॉल्यूशन से आपकी पीठ को पोंछने के बाद, निचले हिस्से को सुन्न करने के लिए लोकल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया जाएगा। फिर आपकी कमर के हिस्से में रीढ़ की हड्डी के आसपास इस सुन्न क्षेत्र में एक सुई इंजेक्ट की जाती है। इस सुई के माध्यम से एक पतले कैथेटर को एपिड्यूरल क्षेत्र में फैलाने के बाद, सुई को हटा दिया जाता है और कैथेटर को टेप से कवर कर दिया जाता है। इस कैथेटर का उपयोग डिलीवरी के दौरान एपिड्यूरल एनेस्थीसिया को इंजेक्ट करने के लिए किया जाता है।
गर्भावस्था के दौरान आवश्यकतानुसार दवा दी जाती है जो पेल्विस और उसके नीचे के हिस्से को सुन्न कर देती है। हालांकि, आप इस दौरान सचेत रहती हैं और बच्चे की डिलीवरी को खुद भी देख सकती हैं, इस प्रक्रिया के दौरान आपको जबकि थोड़ा दर्द या शायद बिल्कुल भी दर्द का अहसास न हो।
पेनलेस डिलीवरी – फायदे और नुकसान
नॉर्मल डिलीवरी के लिए दर्द रहित इंजेक्शन लेने के कुछ फायदे और नुकसान यहाँ आपको इस प्रकार दिए गए हैं।
1. फायदे
- बिना दर्द के होश में रहने के साथ-साथ बच्चे को जन्म लेते हुए देखा और मूवमेंट को महसूस किया जा सकता है।
- माँ को थकान और पोस्टपार्टम डिप्रेशन से बेहतर तरीके से निपटने में मदद करता है।
- चूंकि यह डिलीवरी के दौरान होने वाले दर्द से राहत प्रदान करता है, शरीर में स्ट्रेस हार्मोन जारी नहीं करता है। स्ट्रेस हार्मोन माँ पर प्रतिकूल प्रभाव डालने और बच्चे को भी स्ट्रेस देता है।
- यह प्रक्रिया माँ के ब्लड प्रेशर को कम कर सकती है, इस प्रकार जिन महिलाओं को हाई लेवल ब्लड प्रेशर की समस्या है उनके लिए यह फायदेमंद साबित हो सकता है। ब्लड प्रेशर को अगर प्रभावी ढंग से कंट्रोल नहीं किया जाता है, तो बच्चे के जन्म के दौरान और भी ज्यादा बढ़ सकता है और इसके कारण स्ट्रोक हो सकता है।
- इससे अतिरिक्त एनेस्थीसिया की जरूरत के बिना इंस्ट्रूमेंटल या फोर्सेप डिलीवरी का विकल्प चुना जा सकता है।
- यदि आवश्यक हो तो एक एपिड्यूरल कैथेटर को और लगाने से सिजेरियन डिलीवरी पर स्विच करना संभव हो सकता है।
- बच्चे के पैदा होने का समय काफी हद तक कम हो जाता है।
- यह दिल के रोग या प्री-एक्लेमप्सिया जैसी बीमारियों वाली महिलाओं के अनुकूल है।
2. नुकसान
- इससे ब्लड प्रेशर में अचानक गिरावट आ सकती है जो बच्चे की हृदय गति को प्रभावित कर सकती है।
- पेल्विक हिस्से में सुन्न पड़ जाने से या पेल्विस रिलैक्सेशन के कारण, आपको बच्चे को धक्का देना मुश्किल हो सकता है, जिससे डॉक्टरों को फोर्सेप या सिजेरियन डिलीवरी का विकल्प चुनना पड़ सकता है।
- कई बार चक्कर आना, पीठ दर्द या कंपकंपी महसूस हो सकती है।
- यदि रीढ़ की हड्डी में फ्लूइड का रिसाव होता है, तो इससे सिरदर्द हो सकता है।
- आपको पेशाब करने में कठिनाई हो सकती है।
- जहाँ इंजेक्शन दिया जाता है उस जगह पर आपको पीठ में दर्द अनुभव हो सकता है।
- बच्चे के जन्म के कुछ घंटों बाद तक आपको अपने शरीर के निचले आधे हिस्से के सुन्न का अनुभव हो सकता है।
- उस क्षेत्र के पास की नसें डैमेज हो जाती हैं जहाँ कैथेटर डाला गया था।
- कुछ स्टडीज से पता चलता है कि बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के दौरान परेशानी हो सकती है।
यह प्रक्रिया किसे करानी चाहिए?
कुछ मामलों में, डॉक्टर महिलाओं को दर्द रहित डिलीवरी का विकल्प चुनने की सलाह देते हैं। निम्नलिखित मामलों में आपके लिए यह प्रक्रिया चुनी जा सकती है:
- यदि आपको प्री-एक्लेमप्सिया, हृदय रोग या ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां हैं।
- यदि आपकी पिछली गर्भावस्था के दौरान सिजेरियन डिलीवरी हुई है और दूसरी डिलीवरी के लिए नॉर्मल डिलीवरी को प्राथमिकता दे रही हैं।
- यदि आपकी पहले की डिलीवरी लंबी या जटिल रही हो, तो डॉक्टर आपको दर्द रहित डिलीवरी का विकल्प चुनने की सलाह देंगे ताकि आप और बच्चे दोनों को राहत मिल सके।
इस प्रक्रिया को अपनाने से किसे बचना चाहिए?
ऐसे कुछ मामले हैं जब महिलाओं के लिए एपिड्यूरल की सलाह नहीं दी जाती है। अगर नीचे बताई गई कोई भी स्थिति आपमें देखी जाती है, तो आपको डिलीवरी के दौरान एपिड्यूरल एनेस्थेसिया से दूर ही रहना चाहिए और यही बेहतर है।
- ब्लीडिंग डिसऑर्डर वाली महिलाओं में हेमेटोमा या रीढ़ की हड्डी में रक्तस्राव का खतरा बढ़ जाता है जो स्थाई न्यूरोलॉजिकल डैमेज का कारण बन सकता है।
- पीठ के निचले हिस्से में पहले भी सर्जरी होना: स्कार टिश्यू और इन्फेक्शन का खतरा एपिड्यूरल एनेस्थीसिया दिए जाने की संभावना को कम कर सकता है।
- एपिड्यूरल क्षेत्र में स्किन इन्फेक्शन: सुई लगाने से इन्फेक्शन के और फैलने का खतरा हो सकता है।
- ब्लड क्लॉटिंग: ब्लड क्लॉटिंग डिसऑर्डर वाली महिलाएं आमतौर पर हेपरिन जैसे थिनर का प्रयोग करती हैं। इससे डिलीवरी के दौरान बहुत ज्यादा ब्लीडिंग हो सकती है, विशेष रूप से रीढ़ के पास और इससे लकवा होने का भी खतरा हो सकता है।
- न्यूरोलॉजिकल रोग: चूंकि सुइयों को रीढ़ की हड्डी के करीब रखा जाता है, इसलिए न्यूरल टिश्यू को नुकसान होने की संभावना होती है।
क्या इस प्रक्रिया के विफल होने की कोई संभावना है?
हालांकि, इस प्रक्रिया के विफल होने का कोई स्टैंडर्ड डेटा नहीं मिलता है, लेकिन एपिड्यूरल एनेस्थीसिया के विफल होने की संभावना हो सकती है। यह तब हो सकता है जब सुई सही तरह से न लगाई गई हो, कैथेटर को एक बार सेट करने के बाद दोबारा सेट करना, एनाटॉमिकल चैलेंज के कारण हो सकता है कि सुई को इंजेक्ट करना मुश्किल हो, दवा की डोज कम देने से, या अचानक से डिलीवरी किए जाने से जिसे एनेस्थेसियोलॉजिस्ट ने पूर्व सूचित न किया हो, ऐसे मामलों में इस प्रक्रिया के विफल होने की संभावना होती है।
क्या यह सिजेरियन सेक्शन की संभावना को बढ़ाता है?
इस बात का कोई ठोस सबूत नहीं है कि एपिड्यूरल लेने से आपके सी-सेक्शन होने की संभावना बढ़ सकती है। हालांकि, थ्योरी में, यदि आपने एपिड्यूरल एनेस्थीसिया के माध्यम से दर्द रहित नॉर्मल डिलीवरी का विकल्प चुना है, तो लेबर धीरे आगे बढ़ सकता है, क्योंकि सुन्न हो जाने के कारण मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इसके अलावा, यदि आपके ब्लड प्रेशर में गिरावट देखी जाती है या फीटस को कोई खतरा है, तो आपकी सिजेरियन डिलीवरी हो सकती है। यह भी संभव है कि एक स्ट्रांग एपिड्यूरल ब्लॉक के केस में, आपकी बच्चे को पुश करने की क्षमता सीमित हो जाए और लेबर में परेशानी हो सकती है। ऐसे मामलों में इमरजेंसी सी-सेक्शन करना जरूरी हो जाता है।
आज बहुत सी महिलाएं डिलीवरी के दौरान होने वाले दर्द से बचने के लिए दर्द रहित डिलीवरी तरीकों को अपनाना पसंद करती हैं। एपिड्यूरल सबसे अधिक मांग वाले दर्द रहित डिलीवरी विकल्पों में से एक है जिन्हें ज्यादातर महिलाएं बच्चे के जन्म के दौरान चुनना पसंद करती हैं। आप अपने डॉक्टर से बात कर सकती हैं और डिलीवरी के दौरान आपके लिए उपलब्ध विभिन्न प्रकार के दर्द रहित तरीकों के बारे में पूछ सकती हैं और जो आपके अनुसार ज्यादा बेहतर हो वो ऑप्शन चुन लें। भले ही आप एक एपिड्यूरल मेथड को चुनने का प्लान कर रही हो, फिर भी आप एक आरामदायक डिलीवरी प्रक्रिया के लिए विकल्प चुनने पहले अपने डॉक्टर से बात करें।
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