प्रीस्कूलर (3-5 वर्ष)

कैसे मूषक बना गणपति का वाहन?

गणेश चतुर्थी की धूम पूरे भारत में देखी जा सकती है, जिधर देखो उधर बाप्पा के स्वागत की तैयारी चल रही है, भक्तों में इस पर्व से जुड़ी आस्था देखते बनती है, कोई अपने घर में प्रतिमा लाकर सजा रहा है तो कोई बाप्पा का स्वागत करने के लिए घर और मंदिरों की साफसफाई में लगा है वहीं कोई फूलों के गणपति तैयार कर रहा है तो कोई वातावरण के अनुकूल मिट्टी के ईकोफ्रेंडली गणेश प्रतिमा बना रहा है। ऐसा लग रहा मानों सभी भक्त गणेश जी के रंग में रंग गए हों। इसी दौरान गणपति के भजन और गानों का सिलसिला भी भक्तों के बीच जारी है ।

बात जब गणेश जी की आती है तो उनके सवारी का भी का जिक्र जरूर होता है। यह हम सभी जानते हैं कि देवीदेवताओं के पास एक से बढ़कर एक सवारियां हैं, लेकिन सबसे पहले पूजे जाने वाले भगवान गणेश के पास सवारी के रूप में एक छोटासा मूषक ही क्यों? गौरी पुत्र भगवान श्री गणेश को बुद्धि का देवता माना जाता है पर क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया कि गणेश जी का वाहन उनके शरीर के अनुरूप क्यों नहीं है, अगर आपका ध्यान इस ओर गया होगा, तो आपको यह भी ख्याल जरूर आया होगा कि उनका वाहन किसी बलिष्ठ जीव को होना चाहिए था फिर उन्होंने चूहे को ही अपना वाहन क्यों चुना, अगर इस बात का तार्किक उत्तर तलाशें तो पता चलता है कि चूहे में भी बहुत उत्कंठा होती है जिसकी वजह से वह हर वस्तु को काट कर उसके भीतर क्या है यह जानने की कोशिश करता है । भगवान गणेश भी उसे बुद्धि प्रदान करते है जिसमें उत्कंठा कूट कूट के भरी होती है, लेकिन उनकी सवारी होने का सिर्फ यह कारण नहीं है । मूषक का भगवान गणेश का वाहन बनने के पीछे बड़ी ही रोचक कथा बताई जाती है।

गणेश जी ने अपना वाहन मूषक क्यों चुना इस विषय में कई प्राचीन कथाएं प्रचलित हैं चलिए आपको बताते हैं कि आखिर श्रीगणेश के पास ये सवारी कहाँ से आई और असल में यह मूषक है कौन?

पहली कथा

ये कथा कुछ इस प्रकार प्रचलित है, कि कहा जाता है कि देवराज इंद्र के दरबार में ‘क्रोंच’ नामक गंधर्व था। वह अप्सराओं के साथ हंसी ठिठोली करने में व्यस्थ था और इसी दौरान उसने मुनी वामदेव के ऊपर पैर रख दिया जिससे वह क्रोधित हो गए और उन्होंने क्रोंच को चूहा बन जाने का श्राप दे दिया। चूहा बनते ही वह सीधा पराशर ऋषि के आश्रम में जा गिरा, वहाँ जाते ही उस बलवान मूषक ने भयंकर उत्पात मचाया और आश्रम के सारे मिट्टी के पात्र तोड़कर सारा अनाज खा गया और वाटिका को बुरी तरह उजाड़ दिया, ऋषियों के सारे वल्कल वस्त्र और ग्रन्थ कुतर डाले। इस पर पराशर ऋषि बहुत दुखी हुएं और सोचने लगे की इस चूहे के आतंक को कैसे खत्म करें?

तब पराशर ऋषिअपनी समस्या लेकर गणेश जी के पास आएं तब श्री गणेश ने उनसे कहा की वो परेशान न हो, मैं इस समस्या का कोई हल निकालता हूँ । गणेश जी ने अपना तेजस्वी पाश फेंका, पाश उस मूषक के पीछे पाताल तक गया और उसका का कंठ बाँध लिया तथा उसे घसीट कर बाहर निकाल कर गजानन के सम्मुख उपस्थित कर दिया। पाश की पकड़ से मूषक मुर्छित हो गया । होश में आते ही मूषक ने गणेश जी की आराधना शुरू कर दी और अपने प्राणों की भीक मांगने लगा । गणेश जी मूषक की स्तुति से प्रसन्न तो हुए, लेकिन उससे कहा कि तूने ब्राह्मणों को बहुत कष्ट दिया है, मैंने दुष्टों के नाश करने एवं साधु पुरुषों के कल्याण के लिए अवतार लिया है, लेकिन शरणागत की रक्षा भी मेरा परम धर्म है, इसलिए जो वरदान चाहो मांग लो। ऐसा सुनकर उस उत्पाती मूषक का अहंकार जाग उठा, वह बोला मुझे आपसे कुछ नहीं मांगना है, आप चाहे तो मुझसे वर की याचना कर सकते हैं । मूषक की गर्व भरी वाणी सुनकर गणेश जी मन ही मन मुस्कुराएं और कहा यदि तेरा वचन सत्य है, तो तू मेरा वाहन बन जा। मूषक के तथास्तु कहते ही गणेश जी तुरंत उस पर सवार हो गए । अब भारी भरकम गजानन के भार से दबकर मूषक की प्राणों पर बन आई। तब उसने गजानन से प्राथना की कि वे अपना भार उसके वाहन करने योग्य बना लें । इस तरह मूषक का गर्व चूर हो गया और गणेश जी ने उसे अपना वाहन बना लिया। इसके बाद मूषक श्रीगणेश का प्रिय वाहन बना और इसका नाम ‘डिंग’ पड़ा ।

दूसरी कथा

एक बार गजमुखासुर नामक दैत्य ने देवताओं को बहुत परेशान कर दिया, जिसके चलते सभी देवीदेवता एकत्रित होकर भगवान गणेश के पास मदद मांगने के लिए पहुँच गए, देवताओं की बात सुनकर भगवान गणेश ने उनकी मदद करने का आश्वासन दिया और कहा की वो दुष्ट गजमुखासुर से उन सबको मुक्ति दिलाएंगे। इस प्रकार श्रीगणेश और गजमुखासुर दैत्य के बीच युद्ध छिड़ गया और युद्ध के दौरान गणेश जी का एक दाँत टूट गया, क्रोधित होकर उसी दाँत से गणेश जी ने गजमुखासुर पर प्रहार किया, जिससे गजमुखासुर भयभीत होकर मूषक के रूप में आ गया और अपनी जान बचाकर भागने लगा, लेकिन गणेश जी ने उसे पकड़ लिया । मृत्यु के भय से उसने गणेश जी से माफी मांगी और फिर गणेश जी ने उसे मूषक के रूप में अपना वाहन बना लिया ।

क्यों लोग मूषकराज के द्वारा गणेश जी से वरदान मांगते है

ऐसा कहा जाता है कि यदि आपको अपनी कोई मन्नत या मुराद जल्दी पूरी करानी है, तो आप अपनी फ़रियाद मूषक से बता सकते हैं, माना जाता है कि मूषक गणेश जी के बहुत करीबी हैं और अगर आप उनसे अपनी मुराद बताएंगे तो वो उसे गणेश जी तक जल्दी पहुँचाने में आपकी मदद करते हैं ।

भगवान गणेश का वाहन होने के कारण कई स्थानों पर मूषकराज को भी बहुत माना जाता है । ठीक उसी प्रकार मैसूर में आर्य समुदाय से ताल्लुक रखने वाला परिवार है, जो मूषक को बहुत मान देते हैं। इतना ही नहीं वहाँ ऐसे कई परिवार हैं जो अपने घर में मूषक की मूर्ति लगाते हैं और उनकी पूजा करते हैं । गणेश जी का वाहन होने के कारण मूषक को हर घर में बहुत सम्मान दिया जाता है और लोग अपनी मन्नतों, मुरादों को लेकर उनके पास जाते हैं। इसलिए, गणेश चतुर्थी के अवसर पर लोग बाप्पा के साथसाथ उनकी सवारी यानि मूषक का भी स्वागत करते हैं और बड़े ही सम्मान और आस्था के साथ उन्हें विदा करते हैं ।

समर नक़वी

Recent Posts

जादुई हथौड़े की कहानी | Magical Hammer Story In Hindi

ये कहानी एक लोहार और जादुई हथौड़े की है। इसमें ये बताया गया है कि…

1 week ago

श्री कृष्ण और अरिष्टासुर वध की कहानी l The Story Of Shri Krishna And Arishtasura Vadh In Hindi

भगवान कृष्ण ने जन्म के बाद ही अपने अवतार के चमत्कार दिखाने शुरू कर दिए…

1 week ago

शेर और भालू की कहानी | Lion And Bear Story In Hindi

शेर और भालू की ये एक बहुत ही मजेदार कहानी है। इसमें बताया गया है…

1 week ago

भूखा राजा और गरीब किसान की कहानी | The Hungry King And Poor Farmer Story In Hindi

भूखा राजा और गरीब किसान की इस कहानी में बताया गया कि कैसे एक राजा…

1 week ago

मातृ दिवस पर भाषण (Mother’s Day Speech in Hindi)

मदर्स डे वो दिन है जो हर बच्चे के लिए खास होता है। यह आपको…

1 week ago

मोगली की कहानी | Mowgli Story In Hindi

मोगली की कहानी सालों से बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय रही है। सभी ने इस…

1 week ago