16 सप्ताह का बच्चा – विकास, पड़ाव और देखभाल

आपके 16 सप्ताह के बच्चे का विकास, पड़ाव और देखभाल

आपके जीतोड़ देखभाल के बाद आपके बच्चे ने अपना 16वां सप्ताह पार कर लिया है, जो माता पिता होने के नाते आपके लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं है । आप जब अपने बच्चे को विकास की ओर ठीक से बढ़ते हुए देखती हैं तो बेहद संतुष्टि सी महसूस होती है कि आप अपने बच्चे की जरूरतों को समझने और उसे पूरा करने में सफल रही हैं । अब बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास तेजी से होने लगा है और वह आपसे बातचीत करने में रूचि भी दिखाएंगे । अब आपका शिशु भी आपको अपने स्वावलंबन होने का एहसास कराना शुरू कर देगा।

एक 16 सप्ताह के बच्चे का विकास

आपका 16 सप्ताह का बच्चा तेजी से विकास कर रहा है और यह संकेत आप स्पष्ट रूप से देख सकती हैं, क्योंकि इस वक्त उसमें शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से विकास के संकेत तेजी से दिखने शुरू हो जाते हैं।

प्रमुख संकेतों में से एक यह है कि आपके बच्चे के अंगों में नियंत्रण और मजबूती दोनों ही आने लगेगी। अब वह अपने शरीर में ताकत महसूस करेगा और चीजों को पकड़ने के लिए उस तक पहुँचने की कोशिश करेगा, अपने दोनों हाथों से खिलौने को  पकड़ना शुरू कर देगा। बच्चे की इन सभी हरकतों से यह पता चलता है कि अब उन्हें समझ आने लगा है कि वह अपने हाथों उपयोग कैसे करें। 

इस समय तक बच्चे के गर्दन में ठहराव आने लगता है और बच्चा अब ठीक से अपना सिर सीधा रख सकेगा। जब आप बच्चे को पेट के बल लेटाएंगी तो वह अपना सिर आसानी से उपर उठा सकेगा और सामने की ओर देख सकेगा। इस प्रकार वह अपने हाथों और पैरों की ऊर्जा का इस्तेमाल करते हुए आगे की ओर बढ़ने का प्रयास करेगा ।

कुछ शिशुओं में, दाँत निकलने की प्रक्रिया जल्दी शुरू हो जाती है। यदि आपका शिशु उनमें से एक है, तो उसमें दाँत के निकलने के हल्के-हल्के लक्षण दिखने शुरू हो जाएंगे। इसके बाद वह किसी भी चीज को अपने मुँह में डालने और उसे चबाने की कोशिश करेगा।

रात में उठकर बच्चे को बार-बार दूध पिलाने और लंबे समय तक जागते रहने की इस कठिन स्थिति का सामना करने के बाद, अब आपका बच्चा रात में लंबी नींद लेने लगेगा। वह इस वक्त तक रात में करीब 8 घंटे लगातार शांति से सो सकता है, जिससे आप को भी थोड़ा आराम करने का मौका मिलेगा।

खिलौनों से खेलने के साथ-साथ, उन्हें यह अहसास हो जाएगा कि उनके भूख का समय हो गया है। ऐसा वह आपको देखकर या अपनी दूध की बोतल देखकर भी कर सकता है । वह आपको संकेत देने लगेगा की उसे भूख लगी है।

बच्चा अब आपसे बातचीत करने की कोशिश करेगा, या आपकी बातों पर प्रतिक्रिया देने की कोशिश करेगा । वस्तुओं की पहचान करने लगेगा । इस वक्त तक आपका शिशु इतना होशियार हो जाता है कि उसे आपकी बातें समझ आने लगती हैं। उसे मालूम होता जब वह रोएगा तो आप उसके पास तुरंत पहुँच जाएंगी और यह भी समझ जाएंगी कि उसे क्या चाहिए। शायद वह किसी चीज को लेकर आपको बुलाने के लिए लगातार रोए और फिर तुरंत ही किसी दूसरे को देखकर मुस्कुराना या हँसना शुरू कर दे।

बार-बार पलटना अब उसकी एक नई गतिविधि में शामिल हो जाएगा, क्योंकि वह अब जनता है कि इसे कैसे करना है और वह इसके लिए अपनी ताकत का प्रयोग कर सकता है । जब भी आपका बच्चा बिस्तर पर या किसी ऊँची जगह पर बैठा हो तो आपको उसके ऊपर नजर बनाए रखनी होगी । सबसे अच्छा यह होगा कि एक बड़ी चटाई पर मुलायम कपड़ा बिछाएं, और अपने बच्चे को जमीन पर चारों ओर घूमने दें।

16 सप्ताह के शिशु की विकासात्मक उपलब्धियां

  • इस उम्र तक आपका छोटा बच्चा सीधा बैठ सकता है और अपने सिर को भी ठीक से संभाल सकता है। ऐसा वह 8-10 मिनट तक कर सकता है।
  • बच्चे को गुदगुदाने से वह जोर-जोर से हँसते है और इस प्रकार की गतिविधियों में उन्हें खूब मजा आता है ।
  • आपकी गतिविधियों का अनुसरण करते हुए वह आपकी तरह चीजों को करने की कोशिश करेगा, जहाँ-जहाँ आप जाएंगी वह आपके पीछे-पीछे आएगा ।
  • इस समय तक आपका बच्चा रात में लगातार लंबे समय तक सोएगा, जिससे आपको भी रात में आवश्यक और वांछित नींद मिल जाएगी।
  • क्योंकि अब वह अपने अंगों के प्रयोग को समझने लगा है इसलिए स्नान करते समय वह अपने हाथ पैर का इस्तेमाल कर के पानी के साथ खेलने की कोशिश करेगा ।
  • इस समय बोतल या निपल्स के माध्यम से दूध पिलाए जाने के अलावा वह चम्मच से भी भोजन खाना शुरू कर सकते हैं।
  • बच्चे को व्यायाम कराने से उन्हें पता चलता है कि उन्हें अपने पैरों और घुटनों का इस्तेमाल कैसे करना है। इस प्रकार वह इस नई क्रिया को करने में व्यस्त रहेंगे।
  • जब आप बच्चे को बाहर बगीचे या किसी पार्क में घुमाने ले जाएंगी तो आप देखेंगी कि वह चीजों को देखने और सुनने का प्रयास करेंगे, ऐसा इसलिए है क्योंकि उनकी आंखें और कान काफी तेज और संवेदनशील हो जाते हैं।
  • आपका शीशु अपनी मुट्ठी में चीजों को मजबूती से पकड़ सकेगा, यहाँ तक कि अब वह अपने दोनों हाथों का उपयोग करके चीजों को पकड़ सकता है ।

स्तनपान

यदि आप नौकरी करती हैं तो शायद आपको अपने बच्चे के साथ ज्यादा बिताने का समय न मिल सके। इसका मतलब यह हुआ कि जब काम के लिए जाएं तो बच्चे के लिए उसके दूध का पर्याप्त बंदोबस्त करके जाएं। ताकि आपके बच्चे को आपके न रहने पर कोई परेशानी न हो ।  इस उम्र में बच्चे को ठोस आहार शुरू करने की सलाह दी जाती है । हालांकि, बच्चे के लिए माँ का दूध सबसे बेहतरीन भोजन होता है, जो बच्चे के पौष्टिक और महत्वपूर्ण भोजन होता है। इसलिए जितना मुमकिन हो सके बच्चे को माँ दूध ही दें । आप चाहें तो बच्चे को चम्मच से माँ का दूध या फार्मूला दूध थोड़ी थोड़ी मात्रा में पिलाने की कोशिश कर सकती हैं। यह उसके मुँह की मांसपेशियों को व्यायाम करने में मदद करेगा और इस तरह उसे एक अलग तरीके से खाने की आदत भी पड़ेगी। प्रचुर मात्रा में दूध पीने के कारण वह थक सकता है। इसलिए कुछ मामलों में, हो सकता है डॉक्टर बच्चे को ठोस आहार देने की सलाह दे। लेकिन यह पूरा आप पर निर्भर करता है कि आप बच्चे को अभी ठोस आहार देना चाहती है या नहीं। अगर आपने बच्चे को ठोस आहार देने शुरुआत कर दी है और अब आप इसे बंद करना चाहती हैं, तो इससे बच्चे पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।

नींद

नींद

16 सप्ताह के बच्चे की नींद में काफी सुधार आने लगता है अब वह पहले के मुकाबले बार बार नहीं जगता जब तक उसे भूख न लगी हो या फिर किसी प्रकार की कोई परेशानी न हो । आपका बच्चा अब लगातार कई घंटों की नींद लेगा जो आपके लिए एक अच्छी खबर है। अब शिशु के नींद का समय आपके नींद के समय के साथ तालमेल बैठना शुरू हो जाता और आप अपने बच्चे को रात में सोते हुए पा सकते हैं, जो आपके के लिए काफी राहत की बात है। इस अवस्था में मस्तिष्क और शारीरिक विकास काफी तेज होता है और अधिकांश वृद्धि नींद में ही होती है। यदि बच्चे का दिन के समय ठीक से पेट नहीं भरा है, तो उसके रात में उठने की संभावना अधिक होती है। वहीं दूसरी तरफ कुछ बच्चे रात में जागते हैं, लेकिन उसके पीछे का कारण भूख लगना नहीं होता है। ऐसा होना स्वाभाविक है, कभी कभी वो किसी आवाज के कारण जाग सकते हैं लेकिन फिर खुद ही दोबारा सो जाते हैं । यदि वह रात में उठकर रोने लगे तो उसे शांत कराने के लिए उसे दूध पिलाएं इस प्रकार वह वापस से सो जाएगा।

16 सप्ताह के बच्चे की देखभाल के टिप्स

  • इस उम्र में आने तक अधिकतर माएं बच्चे के भोजन में ठोस आहार शामिल कर देती हैं। लेकिन माँ का दूध बच्चे के लिए अभी भी जरूरी होता है, इसलिए बच्चे को स्तनपान कराना बंद न करें ।
  • कई बार, शिशु के दाँत निकलने के कारण उसे बहुत दर्द हो सकता है या उसे लगातार कुछ चबाने की इच्छा हो सकती है। इसलिए उसके पास एक ऐसा जीवाणुरहित खिलौना रख दें जिसे वह चबा सके।
  • अपने बच्चे को पीठ के बल बैठने में मदद करें। यह उसकी पीठ और रीढ़ को मजबूत करेगा।

जाँच और टीकाकरण

आमतौर पर पहले के कुछ हफ्तों में ज्यादा टीके लगाए जाते हैं। यदि वह सभी टीके बच्चे को ठीक से लगाए गए हैं, तो इस सप्ताह के लिए किसी अतिरिक्त टीकाकरण की जरुरत नहीं है।

खेल और गतिविधियां

आपका बच्चा अब ज्यादा देर तक टिक कर बैठ सकता है और अपने सिर को संतुलित करने में सक्षम हो जाएगा, इसलिए अब आप उसके साथ कई तरह के खेल खेल सकतीं हैं। क्योंकि अब बच्चा अपने चारों ओर सिर घुमा कर देख सकता है, इसलिए आप साबुन के पानी से बुलबुले बनाकर उसे चारों ओर उड़ाएं और अपने बच्चे के साथ मिलकर खेलें, उड़ते बुलबुले को देखते ही वह उसे अपनी अंगुलियों से पकड़ने की कोशिश करेगा और बहुत उत्साहित हो कर जोर जोर से आवाजें निकलेगा । लेकिन, इस दौरान इस बात का ख्याल रखें कि वह ठीक से बैठा हो, ताकि उन्हें चोट लगने का खतरा न रहे ।

आपके बच्चे को गाने सुनने में मजा आता है। भले ही वह ठीक से बात करने में सक्षम न हो, लेकिन कुछ विशिष्ट ध्वनि उनको याद रह जाती हैं। उन्हें बताए की उन्हें आपको माँ कहना है और आपके साथी को पापा कहना है। जब आप उसके सामने बार बार खुद को ऐसे ही परिचित कराएंगी, तो वह आपका अनुसरण करने की कोशिश करेगा।

चिकित्सक से परामर्श कब करें

इस उम्र में अधिकांश शिशुओं का वजन बढ़ता है, जो उसके विकास के अनुसार होना भी चाहिए। यदि आपके बच्चे में वजन बढ़ने के संकेत नहीं दिखाई दे रहे हैं तो तुरंत इस मामले में अपने बाल रोग विशेषज्ञ की राय लें।

इसके अलावा, यदि आपके 16 सप्ताह के शिशु का रोना बढ़ता जा रहा है और वह अपनी पर्याप्त नींद ले रहा है, ठीक से भोजन नहीं कर रहा है, आवाजों के प्रति किसी प्रकार का जवाब नहीं दे रहा है तो, आप अपने डॉक्टर से बच्चे की जाँच कराएं । 

4 महीने पूरे होने तक बच्चा अपने आसपास की मौजूद चीजों को जानना शुरू कर देता है और नई चीजों को सीखना शुरू कर देता है । ऐसे में आपका सावधान रहना बहुत जरूरी है ताकि उन्हें किसी प्रकार का कोई नुकसान न पहुँचे इसके अलावा बच्चे के आसपास का माहौल भी उनके अनुसार व्यवस्थित करें ।