बच्चों को एक खतरनाक बीमारी से बचाने का एक सही तरीका वैक्सीनेशन ही है। वैक्सीन शरीर को बाहरी जर्म्स, जैसे वायरस और बैक्टीरिया से परिचित कराने का काम करती है पर यह सिर्फ बच्चे के इम्यून सेल्स को उत्तेजित करने के लिए होता है और इससे वह बीमार होने से बचता है। बच्चों को बढ़ने में मदद के लिए विभिन्न प्रकार की वैक्सीन की जरूरत है। 2 महीने के बच्चों के लिए वैक्सीन के बारे में जानने के लिए यह आर्टिकल पूरा पढ़ें।
बच्चे को वैक्सीन लगवाने से पहले आपको कुछ सावधानियां भी बरतनी चाहिए। जिस दिन वैक्सीन लगवानी है उस दिन यदि बच्चा गंभीर रूप से बीमार है तो आप डॉक्टर से किसी और दिन आने के लिए पूछें। बच्चे को थोड़ा बहुत बुखार या जुकाम होना समस्या नहीं है और डॉक्टर आपको इससे संबंधित सलाह देंगे। यदि बच्चे को पहले वाली वैक्सीन से रिएक्शन हुआ था तो दोबारा लगवाने से पहले आप इसे चेक करें और डॉक्टर से इसके बारे में बात करें।
2 महीने के बच्चे के लिए वैक्सीन की पूरी लिस्ट निम्नलिखित है, आइए जानें;
1. डीटीएपी/डीटीडब्ल्यूपी
यह वैक्सीन बच्चे में डिप्थीरिया, टिटनेस और पर्टुसिस होने से बचाती है। ये बचपन में होने वाली आम बीमारियां हैं और यदि इनसे बचाव नहीं किया गया तो बच्चे को कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं, जैसे हार्ट फेलियर, निमोनिया और जबड़े में जकड़न की समस्या।
कुल डोज: 5 और अगला डोज: 4 महीने
2. एचआईबी
यह वैक्सीन हेमोफाइलस इन्फ्लुएंजा को खत्म करती है जिससे बच्चों को अक्सर बुखार, सिर में दर्द, खांसी, गर्दन में जकड़न और सांस लेने में समस्या हो सकती है। गंभीर मामलों में इससे बच्चे को मेनिन्जाइटिस और निमोनिया की समस्या हो सकती है जो काफी खतरनाक है।
कुल डोज: 3 और अगला डोज: 6 – 18 महीने
3. रोटावायरस
यह बच्चों के लिए एक जरूरी वैक्सीन है क्योंकि इससे रोटावायरस से सुरक्षित रखने में मदद मिलती है – इसकी वजह से बच्चों में डायरिया होता है। रोटावायरस छोटे बच्चों के लिए काफी खतरनाक है क्योंकि इससे उन्हें गंभीर रूप से डिहाइड्रेशन भी हो सकता है।
कुल डोज: 3 और अगला डोज: 4 महीने
4. आईपीवी
यह इंजेक्शन द्वारा लगाई जाने वाली पोलियो की वैक्सीन है और इस बीमारी से पूरी दुनिया में बुरा प्रभाव पड़ा था। पोलियो स्थाई रूप से व्यक्ति को पैरालाइज करने वाली बीमारी थी जो अब भारत में खत्म हो चुकी है।
कुल डोज: 4 और अगला डोज: 4 महीने
5. हेप बी
हेपेटाइटिस बी वैक्सीन से बच्चे में हेपेटाइटिस बीमारी का प्रभाव कम हो जाते हैं जिसमें थकान, डायरिया, जॉन्डिस और यहाँ तक कि लिवर का डैमेज होना भी शामिल है।
कुल डोज: 3 और अगला डोज 6 – 18 महीने
6. पीसीवी (न्यूमोकोकल कोंजूगेट वैक्सीन)
न्यूमोकोकल कोंजूगेट वैक्सीन बच्चे के लिए एक वैकल्पिक वैक्सीन है और यह थोड़ी महंगी भी होती है। हालांकि इससे बच्चों में निमोनिया और मेनिन्जाइटिस जैसी गंभीर समस्याएं होने की संभावना नहीं रहती हैं। आप पेडिअट्रिशन से इस बारे में बात कर सकती हैं।
क्या डॉक्टर ने बच्चे के लिए ऊपर बताई हुई वैक्सीन से कम वैक्सीन प्रिस्क्राइब की हैं? कुछ डॉक्टर कॉम्बिनेशन वैक्सीन या एक ही इंजेक्शन में कई वैक्सीन का उपयोग करते हैं। चिंता मत कीजिए, इसमें बच्चा पूरी तरह से सुरक्षित होता है और एक साथ कई वैक्सीन देने का मतलब यह भी होता है कि उसे कम इंजेक्शन लगवाने पड़ेंगे।
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