24 सप्ताह का बच्चा – विकास, पड़ाव और देखभाल

24 सप्ताह का बच्चा - विकास, पड़ाव और देखभाल

24 सप्ताह यानि 6 महीने, हाँ आपका बच्चा 6 महीने का हो गया है! माता-पिता होने के नाते, वैसे तो आपके बच्चे का हर दिन आपके लिए बहुत खास होता है लेकिन जब बच्चा 6 महीने का हो जाता है तो यह एक बड़ी उपलब्धि जैसा लगता है। अब आपका बच्चा अपने विकास के दूसरे स्तर पर जाने के लिए तैयार है। यह लम्हा आप और आपके बच्चे के लिए बहुत खास है, क्योंकि अब आप दोनों ही नई चुनौतियों का सामना करने जा रहे हैं। लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि आपके मन में अपने बच्चे को लेकर बहुत सारे सवाल होंगे, जैसे कि आपका बच्चा ज्यादा बाएँ हाथ का इस्तेमाल करता है या दाएँ हाथ का? आपका बच्चा पूरी तरह से ठोस खाद्य पदार्थों को खाने के लिए तैयार हैं या नहीं? अपने इन सभी सवालों के जवाब पाने के लिए आप इस लेख को पूरा पढ़ें।

24 सप्ताह के शिशु का विकास

24 सप्ताह के शिशु का विकास

एक 24 सप्ताह के बच्चे का वजन और आकार उसकी वृद्धि और विकास के आधार पर भिन्न होता है। आप बच्चे में कई प्रकार से विकास देख सकती हैं जैसे अब वह पहले के मुकाबले खुद से बैठने में अधिक सक्षम हो जाएंगे, अपने खिलौनों को पकड़ने में और उनसे खेलने में सक्षम हो जाएगा, पहले के मुकाबले अब ज्यादा तेजी से घुटनों के बल चलने लगेगा। 24 सप्ताह तक आपका बच्चा माँ का दूध और फॉर्मूला दूध के अलावा हल्के खाद्य पदार्थों को खाने लिए भी तैयार है। ऐसे कई विकासात्मक उपलब्धियां हैं जिसे आपका बच्चा 24 सप्ताह तक प्राप्त कर चुका होगा। अपने बच्चे में इन उपलब्धियों को देखकर हो सकता है आप यह सोचने लगे कि आपका बच्चा अपने किस हाथ को ज्यादा उपयोग में लाएगा, सीधा हाथ या फिर उल्टा हाथ? लेकिन अभी इस विषय पर बात करना या इसके बारे में बता पाना जल्दबाजी होगी। यह जानने के लिए कि बच्चा सीधे हाथ वाला है या उल्टे हाथ वाला है, इसके लिए आपको कम से कम 2 या 3 साल तक रुकने की जरूरत है।

24 सप्ताह के शिशु की विकासात्मक उपलब्धियां

  • शारीरिक रूप से बच्चे का वजन और आकार जन्म से दोगुना बढ़ गया होगा। इसके अलावा जन्म के समय की तुलना में उसकी त्वचा का रंग भी बहुत काफी साफ हो जाएगा।
  • बच्चा मानसिक रूप से भी विकसित हो रहा है, इसलिए अब आप देख सकती हैं कि वह आपके स्पर्श, आवाज और मौजूदगी को पहचानने लगा है तथा वह तरह-तरह के भावों से अपनी बात कहने की कोशिश करेगा। कभी बहुत खुश होकर किलकारियां मारने लगेगा तो कभी कोई चीज न पूरी होने पर क्रोध भी जाहिर करेगा । वह अपने आस-पास के लोगों को पहचानना शुरू कर देगा, खासकर यदि आपका एक संयुक्त परिवार है और आपके संबंधी आपके साथ ही रहते हैं।
  • जैसे-जैसे उसकी हड्डियां और मांसपेशियां मजबूत होती जाएंगी, वह अब खुद से बैठने और घुलटने में और ज्यादा सक्षम होता जाएगा। अपने घुटनों से इधर-उधर रेंगना शुरू कर देते है। अगर आपका बच्चा ऐसा नहीं करता है, तो चिंता की जरूरत की कोई बात नहीं है, वह जल्दी ही ऐसा करना शुरू कर देगा।
  • क्योंकि अभी वह मानसिक व शारीरिक दोनों ही रूपों से विकसित हो रहा है, इसलिए आप देख सकती हैं कि वह नियमित रूप से रात में जाग जाता है । यदि ऐसा हो तो आप उसे दूध पिलाकर दोबारा सुलाने की कोशिश करें। कुछ बच्चों के दाँत भी निकलना शुरू हो जाते हैं जिसके कारण वह रात में कई बार जागते हैं ।
  • बच्चा अपने पैरों को मुँह में डालकर उसे चूसने की कोशिश कर सकता है। क्योंकि, अब उसके शरीर के निचले भाग में ताकत आना शुरू हो गई है, अपने बच्चे को इस प्राकर की गतिविधि करने दें इससे उनके शरीर की कसरत भी होगी और उन्हें इसे करने में मजा भी आएगा।

स्तनपान

क्योंकि बच्चे का शरीर अभी भी विकास की दौर से गुजर रहा है, इसलिए अब उसे माँ के दूध या फॉर्मूला दूध के अलावा ठोस आहार देना शुरू कर सकती है, जिसे वह आसानी से पचा सके। आप बच्चे को चावल के मुरमुरे, बिना हड्डी वाली मछली, फल जैसे सेब, केला, आम, आदि दे सकती हैं । इसके अलावा, याद रखें कि कुछ खाद्य पदार्थ ऐसे भी हैं जिसे आपको बच्चे को देने से पूरी तरह बचना चाहिए । इस बात का हमेशा ख्याल रखें कि बच्चे को ठोस आहार देने के लिए उनकी उम्र 6 माह से कम की नहीं होनी चाहिए।

अपने बच्चे को एक नया भोजन देते समय देखें की वह कैसी प्रतिक्रिया दे रहा है। वह ठोस खाद्य पदार्थ खाने के दौरान अपनी जीभ, होंठ और मसूड़ों को अलग-अलग तरीकों से इस्तेमाल करेगा। इसके अलावा थोड़ा धैर्य भी रखें, प्रारंभिक चरण के दौरान यह थोड़ा अस्त-व्यस्त हो सकता है, क्योंकि वह भोजन को अपने मुँह में पहली बार चबा रहे और निगलना शुरू कर रहे हैं। आप बच्चे को एक बड़ी बिब पहना दें, जो उसकी गर्दन और हाथों को भी ढंक दे, ताकि उसके कपड़े में खाने का दाग न लगे । एक ऊँची कुर्सी के नीचे चटाई बिछा कर उसे खाना खिलाएं, इससे खाने के बाद सफाई करने में आसानी होती हैं। यदि आप दही, सूप, आदि जैसे खाद्य पदार्थ खिला रही हैं, तो नरम चम्मच का उपयोग करें जो बाजार में आसानी से उपलब्ध होते हैं।

नींद

24-सप्ताह के बच्चे की नींद विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है जिसमें निम्न शामिल हैं:

  • इन हफ्तों के दौरान, आपका बच्चा कई नई चुनौतियों से परिचित होता है और उनमें से एक है, ठोस खाद्य पदार्थ खाना। खाने के इस बदलाव के कारण आपके 24 सप्ताह के बच्चे की रात की नींद में खलल पड़ सकता है।
  • ठोस खाद्य पदार्थों के साथ, मस्तिष्क का विकास, घुटनों के बल चलने की प्रक्रिया और दाँत निकलने जैसी चीजें बच्चे की नींद पर असर डाल सकती हैं। इस अवधि के दौरान बच्चे के रात में जागने पर उसे दोबारा सुलाने के लिए आपको उसे दूध पिलाने और शांत रखने की आवश्यकता होगी।

24 सप्ताह के बच्चे की देखभाल के टिप्स

  • अपने बच्चे की देखभाल करना वास्तव में थकान भरा हो सकता है, अपने बढ़ते बच्चे के साथ समय बिताने के लिए उन्हें प्रैम में बैठाकर किसी गार्डन या बाहर घुमाने ले जाएं ।
  • बच्चे की जरूरत से ज्यादा सुरक्षा न करें और न ही उन्हें किसी विशेष स्थान या क्षेत्र तक में भी सीमित करें। इस समय बच्चों में बहुत जिज्ञासा होती है वह चीजों को समझने की कोशिश करते हैं। उन्हें ऐसा करने से न रोके, लेकिन उन पर हमेशा अपनी नजरे बनाए रखें ताकि उन्हें चोट न लगे।
  • अपने बच्चे के खाने के प्रति सतर्क रहें, किसी पोषण विशेषज्ञ से बात करें और उसके इस चरण के लिए संतुलित आहार योजना बनाएं ताकि बच्चे के विकास में कोई रूकावट न आए।
  • आपके बच्चे को अभी भी दिन के दौरान 1-3 घंटे के अंतराल पर कम से कम 3 बार नींद लेने की आवश्यकता होती है। इसलिए उसे सुलाने की कोशिश करें। आप बच्चे को कहानियां सुनाकर भी सुला सकती हैं।
  • बच्चे की साफ-सफाई का ख्याल रखते हुए हो सकता है कि आप उसे खिलौने चूसने न दें, लेकिन आपको यह सुझाव दिया जाता है कि उन्हें ऐसा करने से न रोकें, जब तक उसके लिए यह हानिकारक न हो, तब तक आप उसे ऐसा करने दें।

जाँच और टीकाकरण

आपको अपने 24-सप्ताह के बच्चे के टीकाकरण की तारीखों को ध्यान में रखना जरूरी है। जब आपका शिशु 6 महीने का हो जाए, तो उसके लगने वाले टीकों में निम्न शामिल हैं:

  • इन्फ्लुएंजा फ्लू का टीका 6 महीने और उससे अधिक उम्र के बच्चों को दिया जाता है।
  • रोटावायरस टीकाकरण टीके का तीसरा डोज (खुराक) है जिसे आर.वी. भी कहा जाता है।
  • न्यूमोकोकल कंजुगेट टीका जिसे आमतौर पर पी.सी.वी. के रूप में जाना जाता है।
  • हीमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप ‘बी’ टीका जिसे एच.आई.बी. के नाम से भी जाना जाता है का तीसरा डोज का टीकाकरण प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए दिया जाता है।

खेल और गतिविधियां

आपका 24 सप्ताह का शिशु अब ऊर्जा से भरपूर होगा और पहले से कहीं ज्यादा सक्रिय होगा। बच्चा अपने आस-पास की चीजों को जानने और अपने शारीरिक विकास के लिए उसे फर्श पर उनके खिलौनों के साथ छोड़ना बहुत जरूरी है। यह बच्चे की अंगों और मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए जरूरी है। वह अपने पैरों को पकड़कर अपने मुँह में डालने की कोशिश करेंगे और चूसना शुरू कर देगा। कुछ हफ्तों तक यह उसके लिए एक मजेदार खेल होगा और यह खेल बच्चे बच्चे के पैरों और कूल्हों को मजबूत करने में मदद करेगा। यह उसे लेटने से बैठने की स्थिति में आने में भी मदद करेगा।

आपका बच्चा ऐसे खेल को पसंद करेगा जिसमें आप उनसे बातचीत करे या तुकबंदी वाले शब्दों का इस्तेमाल करें, गाना गाने या भिन्न प्रकार की ध्वनि निकालने वाले खेल शामिल करें। आप जानवरों की आवाज बनाकर बच्चे के साथ खेल सकती हैं और इसके साथ उस जानवर की तस्वीर दिखाएं ताकि उनके खेल-खेल में जानवरों को पहचान कराई जा सके। इस मजेदार खेल में वह आपको देखकर आपकी नकल करना शुरू कर सकते है।

उंगली की कठपुतलियां बनाकर बच्चे के साथ खेलना भी एक अच्छा विकल्प है। छोटे बच्चे वास्तव में उंगली की कठपुतलियों वाले खेल का आनंद लेते हैं और आप इस खेल में उनकी काफी सक्रिय भागीदारी पाएंगी।

विकास में देरी

हर बच्चा अद्वितीय होता है और अपनी गति से बढ़ता है। कई मामलों में, बच्चे की वृद्धि और विकास धीमा होता है, लेकिन यह सामान्य है। अगर आपके 24-सप्ताह के बच्चे ने सामान्य शारीरिक विकास के पड़ाव को हासिल नहीं किया है, तो आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है।

इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं इसलिए सबसे पहले इसके पीछे का कारण जानना बहुत जरूरी है। यदि आपका बच्चा प्रीमैच्योर था, 37 सप्ताह की गर्भावस्था से पहले पैदा हुआ था, तो उसे अपने इन सभी पड़ाव को पार करने में अधिक समय लग सकता है, जो इसी उम्र के अन्य बच्चे आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चों को दोहरी तारीखें दी जाती हैं, एक कालानुक्रमिक उम्र जो बच्चे की जन्म तिथि होती हैं और दूसरी सही उम्र यानी बच्चे की जन्म की वास्तविक तारीख। इसलिए आपको अपने बच्चे के विकास को उसकी सही उम्र से मापने की जरूरत है न कि उसकी कालानुक्रमिक तिथि से।

चिकित्सक से परामर्श कब करें

यदि आप अपने बच्चे के व्यवहार में किसी भी तरह का असामान्य परिवर्तन देखती हैं, तो तुरंत अपने चिकित्सक से परामर्श खासकर अगर आपका बच्चा लगातार रो रहा है, उसे लंबे समय से तेज बुखार है, वह खेलने में रुचि नहीं दिखा रहा है और पहले की तरह सक्रिय भी नहीं दिख रहा हो। आहार में परिवर्तन के कारण हो सकता है बच्चे को दस्त आना शुरू हो जाए; ऐसे मामलों में चिकित्सक से परामर्श करना बेहतर होता है। ये संकेत दाँत निकलने के भी हो सकते हैं, इसलिए अपने चिकित्सक को दिखाना सबसे बेहतर रहेगा।

अपने नन्हे से बच्चे के साथ एक मजबूत रिश्ता विकसित करने का यह सबसे अच्छा समय है।उनकी प्यारी-प्यारी व मजेदार गतिविधियों का आंनद उठाएं।