शिशु

6 महीने के शिशु की देखभाल के लिए प्रभावी टिप्स

आपका नन्हा बेबी अब 6 महीने का हो चुका है, लेकिन ऐसा महसूस होता है, कि वह कल का ही तो दिन था, जब आपने उसे पहली बार अपनी गोद में उठाया था। ऐसा लगता है, जैसे आपका बच्चा काफी तेजी से बढ़ रहा है, है न? और पेरेंट्स होने के नाते, अपने बच्चे के हेल्दी डेवलपमेंट में मदद के लिए, आप अपनी तरफ से हर संभव प्रयास करना चाहते हैं। तो अपने बच्चे के विकास में मदद के लिए आप क्या कर सकते हैं? इस लेख में हम 24 सप्ताह के बच्चे की देखभाल के लिए विभिन्न टिप्स के बारे में चर्चा करेंगे। 

6 महीने के बच्चे की देखभाल कैसे करें?

यहाँ पर 6 महीने के बच्चे की देखभाल के लिए हम कुछ टिप्स लेकर आए हैं, जिनसे आपको अपने नन्हे शिशु की देखभाल करने में मदद मिलेगी। 

1. जरूरी न्यूट्रिशन देना

6 महीने के बेबी की देखभाल के लिए सबसे जरूरी टिप्स में से एक है संतुलित आहार को मेंटेन करना। 6 महीने की उम्र तक आपका बच्चा सॉलिड फूड के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका होता है, क्योंकि इस उम्र तक न केवल उसकी शारीरिक पोषक तत्वों की जरूरतें बढ़ जाती हैं, बल्कि उसका विकसित हो रहा डाइजेस्टिव सिस्टम भी ठोस आहार के लिए तैयार हो चुका होता है। साथ ही आपका ब्रेस्टमिल्क उसकी आयरन की जरूरतों को पूरा करने के लिए काफी नहीं होता है, जो कि बच्चे के डेवलपमेंट के लिए बहुत जरूरी होता है और इसलिए फोर्टीफाइड सीरियल खिलाना अच्छा होता है। आप उसे फलों की प्यूरी भी दे सकते हैं, लेकिन दूध को उसके पोषण का मुख्य स्रोत रहने दें। जब तक उसकी उम्र एक साल या उससे अधिक नहीं हो जाती, तब तक उसे ब्रेस्टफीड करना या फार्मूला देना जारी रखें। लेकिन कभी-कभार बच्चे को सिपर कप में फ्लुइड देने की शुरुआत करना एक अच्छा आइडिया होगा। 

2. सोने का शेड्यूल बनाना

बच्चे के स्वस्थ विकास के लिए नींद बहुत जरूरी है। इस बात का ध्यान रखें, कि बेबी दिन में दो से तीन बार सोए और रात के समय लगभग 10 घंटों की नींद ले। हम आपको सलाह देंगे, कि बच्चे के लिए सोने के एक शेड्यूल को फॉलो करें और उसे हर दिन लगभग एक ही समय पर सुलाने की कोशिश करें। इस बात को सुनिश्चित करें, कि कमरे में उसके ध्यान को बंटाने वाली कोई चीज न हो और उसके सोने के लिए एक शांत और स्थिर वातावरण तैयार करें। इस उम्र के बच्चे अपने आसपास के वातावरण के प्रति काफी जागरूक होते हैं और उनका ध्यान आसानी से भ्रमित हो जाता है। 

3. बच्चे के विकास में मदद करना

6 महीने की उम्र तक आते-आते आपका बच्चा बहुत एक्टिव हो जाता है। वह करवट लेने लगता है, सहारे के साथ बैठने लगता है और कुछ शब्दों को बड़बड़ाने लगता है। वह अजनबियों से डरने लगता है और ऐसे लोगों के बीच सहज रहता है जिन्हें वह हमेशा देखता है। विकास से संबंधित ये सारे बदलाव, बच्चे को थोड़ा डिमांडिंग बना सकते हैं। पैरेंट होने के तौर पर आपके लिए यह बहुत जरूरी है, कि आप शांत रहें और अपने बच्चे की जरूरतों को पूरा करें। यह थोड़ा हताश करने वाला हो सकता है और हम आपको सलाह देंगे, कि आप अपने दोस्तों और परिवार के सदस्यों से मदद लें। 

4. दाँत निकलते समय बच्चे को दर्द से आराम दिलाने की कोशिश

6 महीने की उम्र तक आते-आते बच्चे के दाँत आने शुरू हो जाते हैं और यह समय उसके लिए थोड़ा कठिन हो सकता है, क्योंकि उसके मसूड़ों में खुजली हो सकती है या फिर हर समय उसके मुँह से लार बह सकती है, साथ ही वह चीजों को मुँह में डालने लगता है। ऐसे समय में आपको उसके लिए अच्छे टीदिंग टॉयज लाने चाहिए और उन्हें हमेशा साफ रखना चाहिए। दाँत निकलने के कारण होने वाले दर्द और तकलीफ से आराम दिलाने के लिए आप बेबी के मसूड़ों की मसाज भी कर सकते हैं। 

5. बात करने में मदद करना

इस उम्र तक आपका बच्चा भले ही बात न कर सकता हो या बातें समझ न सकता हो, लेकिन वह अपने आसपास के वातावरण को लेकर काफी अटेंटिव हो जाता है। इसलिए यह बहुत जरूरी है, कि आप उससे बात करें, उसके लिए गाने गाएं या उसे कुछ पढ़कर सुनाएं। आप पीक-अ-बू जैसे खेल खेल सकते हैं, बड़ी और चमकीली तस्वीरों वाली किताब पढ़ सकते हैं या उसके लिए लोरी गा सकते हैं। बच्चा आपको सुनेगा और बात करने की कोशिश भी करेगा, जिससे उसकी वोकैबलरी के विकास में मदद मिलेगी। 

6. अच्छी सेहत के लिए वैक्सीनेशन

6 महीने की उम्र तक आपके बच्चे को कुछ वैक्सीनेशन दिए जाएंगे। खुराकों के बारे में जानने के लिए बेबी के पेडिअट्रिशन से परामर्श लेने की सख्त हिदायत दी जाती है। यहाँ पर कुछ वैक्सीन दिए गए हैं, जिन्हें आपको बच्चे को लगाना चाहिए: 

  • ओरल पोलियो वायरस वैक्सीन (ओपीवी) – हालांकि ओपीवी 1, ओपीवी 2 और ओपीवी 3 वैक्सीन क्रमशः 6 सप्ताह, 10 सप्ताह और 14 सप्ताह की उम्र में दिए जाते हैं। अगर इनमें से कोई छूट गया हो, तो उसे अभी दिया जा सकता है। इसके पहले के या छूटे हुए खुराकों के अलावा ओपीवी 6 महीने की उम्र में भी दिया जाता है।
  • पेंटावेलेंट वैक्सीन – पेंटावेलेंट 1, 2 और 3 भी 6 सप्ताह, 10 सप्ताह और 14 सप्ताह में दिए जाते हैं। लेकिन इनमें से अगर कोई भी खुराक छूट जाती है, तो बच्चे को एक साल की उम्र तक दी जा सकता है। अगर इनमें से कोई भी खुराक छूट जाए, तो डॉक्टर के निर्देश के साथ इनमें से किसी एक खुराक को देने के लिए 6 महीने की उम्र सही मानी जाती है।

स्रोत: https://main.mohfw.gov.in/sites/default/files/245453521061489663873.pdf

सिंगल शॉट की तुलना में कंबाइन वैक्सीन की सलाह दी जाती है या फिर आप अपने पेडिअट्रिशन के निर्देश के साथ इन खुराकों को कई सप्ताह में लगवा सकते हैं। वैक्सीनेशन के बाद आपका बच्चा चिड़चिड़ा हो सकता है या रो सकता है या फिर कुछ मामलों में उसे बुखार भी हो सकता है। इस दर्द और तकलीफ से राहत दिलाने के लिए आप उसकी ठंडी सिंकाई भी कर सकते हैं। 

यहाँ पर हमने कुछ ऐसे आम टिप्स के बारे में चर्चा की है, जिनसे आपको अपने 6 महीने के शिशु की देखभाल में मदद मिलेगी। लेकिन अगर आपको यह महसूस होता है, कि आपके बच्चे का विकास देर से हो रहा है, तो आप अपने डॉक्टर की सलाह भी ले सकते हैं।

पूजा ठाकुर

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