In this Article
बच्चे की जिंदगी में हमेशा से ही माँ की भूमिका को काफी महत्वपूर्ण माना गया है तो वहीं पिता की भूमिका को घर की सभी जरूरतों को पूरा करने के रूप में देखा जाता है। एक पिता घर की जिम्मेदारी उठाता है और अपने परिवार का पालन-पोषण करता है। बदलते दौर के साथ अब माँ के साथ-साथ पिता के महत्व पर भी बात होने लगी है। आज पापा लोगों का व्यावहारिक और एक्टिव होना समय की मांग है और यह समाज में काफी देखा भी जाने लगा है। पिता का बच्चे के सामाजिक और बौद्धिक स्तर पर काफी प्रभाव पड़ता है और इसके दूरगामी परिणाम होते हैं।
हम आपको कुछ ऐसी खासियत बताने जा रहे हैं जो एक अच्छे पिता में होनी चाहिए:
सबसे पहले एक पिता अपने परिवार का अभिभावक होता है। वह सिर्फ किसी खतरे को देखते हुए अपने परिवार की रक्षा ही नहीं करता, बल्कि सामाजिक और आर्थिक तौर पर देखभाल भी करता है। पिता कई जिम्मेदारियां निभाता है, वह परिवार के लिए लंबी आर्थिक योजनाएं बनाता है तो वहीं हर महीने घर का खर्च चलाने के लिए बजट भी देता है। एक अच्छा पिता सबसे पहली प्राथमिकता अपने परिवार को देता है इसके लिए वह अपनी खुद की जरूरतों और ख्वाहिशों का बलिदान भी कर देता है।
पिता अपने बच्चे को अनुशासन के साथ-साथ सामाजिक व्यवहार के तौर तरीके भी सिखाता है। कोई भी बच्चा परफेक्ट पर्सनालिटी के साथ पैदा नहीं होता बल्कि उसका व्यक्तित्व बनाया जाता है और उसे निखारा जाता है। बच्चे को अनुशासित करने में पिता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इसका मतलब यह नहीं है कि पापा अपने बच्चे के साथ मारपीट करे बल्कि इसका अर्थ यह है कि पिता अपने बच्चे को समझाए कि उसका यह व्यवहार गलत क्यों हैं।
कहते हैं कि अनुभव जिंदगी का सबसे अच्छा शिक्षक होता है। हम गलती करते हैं और फिर उन गलतियों से सीखते भी हैं। बड़े होते हुए हमसे गलतियां होना आम बात है और यह बड़े होने की प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा भी है। एक अच्छा पिता इस बात को जानता है और वह कभी भी अपने बच्चे को शारीरिक या मानसिक तौर बांध कर नहीं रखता है। वह जानता है कि जब तक बच्चा गिरेगा नहीं तब तक खुद से उठना भी नहीं सीखेगा।
हम सभी ने जनरेशन गैप को कभी न कभी अपनी जिंदगी में अनुभव किया है। हमारे पेरेंट्स उस दौर के पढ़े-लिखे हैं जब स्मार्टफोन या सोशल मीडिया नहीं था। ऐसे में विचारों या सोच में अंतर होना आम है। अब खुद पेरेंट्स होने पर विचारों में अंतर को हम ज्यादा सही तरीके से महसूस कर सकते हैं।
अपने बच्चों को जिंदगी जीना सिखाएं और जिंदगी को लेकर उत्साह भरें। एक अच्छा पिता अपने बच्चे के आराम का काफी ध्यान रखता है। वह उसके लिए अच्छा खाना और अच्छे कपड़ों का इंतजाम तो करता ही है बल्कि उसे अच्छी शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रयास करता है। वह अपने बच्चे में जिंदगी में उत्साह भरता है और उसे जिंदगी अच्छे से जीना सिखाता है। वह बच्चा अपनी जिंदगी में जरूर सफल होता है जो सुख-सुविधाओं और उसे मिल रहे लाभों का गलत फायदा नहीं उठाता।
एक अच्छा पिता यह जानता और समझता है कि हर बच्चे का अपना व्यक्तित्व होता है। उसका कर्तव्य अपने बच्चे के व्यक्तित्व का विकास करना और उसे निखारना है। अच्छा पिता जानता है कि बच्चे पर किसी भी विचार या व्यवहार को थोपा नहीं जा सकता। एक अच्छा पिता हमेशा बच्चे को प्रोत्साहित करता है और उसके कार्यों की सराहना करता है।
एक अच्छे पिता को एक अच्छा लीडर भी होना चाहिए। उसे अपने बच्चे को घर के काम भी सिखाने चाहिए और उसे शराब-सिगरेट जैसे चीजों से भी दूर करना चाहिए। एक अच्छा पिता हमेशा अपने बच्चे को कड़ी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित भी करता है जिससे उसके बच्चे का भविष्य अच्छा हो सके।
एक अच्छा पिता अपने साथी की जिम्मेदारी निभाने में मदद करता है। जब माँ गर्भवती होती है तब पेरेंट्स के बीच आपसी सहयोग काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। बच्चे को जन्म देने के बाद भी एक अच्छा पिता कई तरह की जिम्मेदारियां संभालने में अपनी पत्नी की मदद करता है। वह डायपर बदलना सिखता है तो कभी बच्चे को नहलाता है। वह बच्चे को बोतल में दूध पिलाता है जिससे उसकी पत्नी को आराम मिल सके।
बच्चे को जानने और समझने के लिए बच्चे व परिवार के साथ समय बिताना काफी जरूरी होता है। एक अच्छा पिता हमेशा इस बात का खयाल रखता है कि परिवार में सभी का बॉन्ड आपस में हमेशा मजबूत बना रहे। साथ मूवी देखने, पिकनिक पर जाने और आउटिंग करने से आप अपने बच्चे को सही तरह से समझ पाएंगे और उसके साथ आपका बॉन्ड काफी मजबूत भी होगा। यह सब तब और भी अहम हो जाता है जब आपका बच्चा अपनी किशोरावस्था में कदम रखता है। इस समय आपके और आपके बच्चे के बीच आपसी समझ का अच्छा होना काफी जरूरी हो जाता है जिससे वह आपसे सारी बातें साझा कर सके।
आप अपने बच्चे को छोटे से बड़ा होते हुए देखते हैं। बच्चे के के साथ-साथ आपकी भूमिका में भी अंतर आ जाता है। यह जरूरी नहीं कि जो आप अपने बच्चे के साथ पहले करते थे वह अभी भी करना सही हो। जैसे कि पहले आप अपने बच्चे के डायपर बदलते थे और उसे दूध पिलाते थे लेकिन बच्चे के किशोरावस्था में प्रवेश करने के बाद आप अपने बच्चे के साथ यह कार्य नहीं कर सकते।
माता-पिता बनने की तैयारी करने से पहले पेरेंट्स को यह अच्छे से देखना चाहिए कि उनकी जिंदगी में सब सही है। क्या वह पेरेंट्स बनने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं?
किसी भी माँ के लिए गर्भावस्था सबसे चुनौतीपूर्ण समय होता है। इस समय उसका लाइफ पार्टनर उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है।
बच्चे के जन्म के कुछ दिन बाद तक आपको थोड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। आपने जो चीजें सीखी थीं या जो प्लान तैयार किए थे अब उन पर अमल करना होता है।
एक 8 से 36 महीने तक बच्चा बहुत छोटा होता है। इस समय वह सिर्फ चलना सीख रहा होता है।
यहाँ से आपके बच्चे का सामाजिक जीवन शुरू होता है।
जैसे-जैसे आपका बच्चा किशोरावस्था में जा रहा होता है वैसी ही पिता की भूमिका भी काफी बदल जाती है। इस समय पिता को एक अच्छे दोस्त की भूमिका में भी आना पड़ता है। वह अपने बच्चे के दोस्त की भूमिका को भी निभाता है जिससे पिता और बच्चे के बीच एक मजबूत संबंध स्थापित हो जाता है।
रिसर्च में यह बात लगातार साबित हो रही है कि बेटी के सामाजिक विकास में उसके पिता की काफी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। एक बेटी के उसके पिता के साथ संबंध आत्मीय होते हैं।
आपकी बेटी काफी छोटी उम्र से हमेशा यह देखती रहती है कि आप अपनी पत्नी के साथ किस तरह का व्यवहार करते हैं। अगर आप अपनी पत्नी का सम्मान करते हैं, उसके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं तो आपकी बेटी भविष्य में उसी हिसाब से अपने रिश्तों को आंकती है।
आप अपनी बेटी को उन गतिविधियों से शामिल होने से न रोकें जिनके लिए माना जाता है कि यह काम सिर्फ पुरुष ही कर सकते हैं। यह काम ज्यादातर घर के आसपास के ही होते हैं। जैसे लाइट बल्ब बदलना, मामूली बिजली रिपेयरिंग आदी। यह एक तरह के कौशल हैं जो आगे जाकर जिंदगी में बहुत काम आते हैं।
आपकी बेटी के स्वाभिमान का इस बात पर निर्भर करता है कि आप अपनी बेटी के साथ किस तरह का व्यवहार करते हैं। उसके लुक्स की ज्यादा तारीफ करने के बजाय उस चीज की तारीफ करें जिसके लिए वह काफी मेहनत करती है। उसके प्रतिभा को हमेशा प्रोत्साहन देते रहें।
कोई और चीज ये साबित नहीं कर पाएगी कि आप उसकी चीजों को वैल्यू करते हैं, लेकिन अगर उसे सुनेंगे तो ऐसा जरूर लगेगा। बहुत बार ऐसा होता है कि आपको अपनी बेटी की प्रॉब्लम को ठीक करने की जरूरत नहीं होती है, उसे बस सुनने के जरूरत होती है। क्योंकि आपसे बात करके वो खुद अपनी प्रॉब्लम को सॉल्व कर सकती हैं।
कई बार बेटी के बड़े होने पर पिता अपनी बेटी से दूरी बना लेते हैं। इस वजह से बेटी के सामाजिक जीवन पर आगे जाकर इसका गलत प्रभाव पड़ सकता है। हर पिता को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह अपनी बेटी के करीब ही रहे। पिताओं को सोचना चाहिए कि वह इस समस्या को कैसे संभालेंगे।
नीचे हम कुछ ऐसे टिप्स बता रहे हैं जिसका पालन करते हुए आप अपने बेटे की अच्छे पिता बन सकते हैं:
एक समय था जब महिलाओं और पुरुषों में अंतर समझा जाता था। उस समय घर की साफ-सफाई और खाने बनाने का काम महिलाओं के लिए ही था। आज के समय में महिला और पुरुष को अपने भविष्य के निर्माण के लिए कई बार अकेले रहना भी पड़ता है। ऐसे में लड़का हो या लड़की, दोनों को ही साफ-सफाई, खाना बनाना, कपड़े धोने जैसे काम करने पड़ते हैं।
हमारे समाज में पिताओं द्वारा कभी भी लड़कों को अपनी भावनाएं शेयर करने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता। ऐसे में लड़कों का व्यक्तित्व जटिल हो जाता है और वे अपनी भावनाएं शेयर करने में सहज नहीं होते। उनके जीवन में एक मजबूत वृद्ध व्यक्ति की उपस्थिति उन्हें विचार में परिपक्वता खोजने में मदद कर सकती है। जब इंसान अपनी कमजोरियों और ताकत को पहचान लेता है तो उसे उसका समाधान या हल निकालने में मदद मिलती है।
आपके बेटे के लिए जीवन में सतर्क दृष्टिकोण विकसित करना काफी जरूरी है। गलतियों को लेकर परेशान न हों बल्कि उन्हें सीखने के अनुभव के तौर पर ही देखें।
कहते हैं कि बेटे, पिता से सीखते हैं। आप महिलाओं के साथ कैसे व्यवहार करते हैं वैसा व्यवहार आपके बेटे भी महिलाओं के साथ कर सकते हैं क्योंकि उन्होंने आपसे यह सीखा है। बेटे की सही उम्र देखकर उसके साथ यौन संबंधों के बारे में बात करनी चाहिए और उसे संबंधों के मायने समझाने चाहिए।
हमारे देश की शिक्षा प्रणाली छात्रों को व्यवहारिक ज्ञान की जानकारी नहीं देती। आप, बच्चे को यह समझाने में मदद कर सकते हैं कि वह क्या जानते हैं और वह किस-किस विषय का ज्ञान ले सकते हैं। भविष्य में बच्चों के लिए यह काफी मददगार साबित हो सकता है।
कई बार ऐसे हालात बन जाते हैं कि जब पिता की भूमिका बदल जाती है। किसी पार्टनर की मृत्यु या तलाक के बाद ऐसे केस ज्यादा सामने आते हैं। ऐसे में आपको क्या करना चाहिए इसके टिप्स नीचे दिए गए हैं।
गोद लेना एक अच्छा कार्य है। इससे दुनिया को और ज्यादा अच्छा बनाने में मदद मिलती है।
सौतेले पिता होते हुए आपको अपने सौतेले बच्चे के साथ संबंध अच्छे करने में कुछ दिन या कुछ साल तक का समय लग सकता है।
परवरिश करते समय सिंगल पेरेंट होना एक मुश्किल काम है।
अलगाव में शामिल सभी लोगों के लिए यह मुश्किल होता है लेकिन बच्चों के लिए यह काफी कठिन समय होता है। अलगाव किसी न किसी कारण के साथ जिंदगी में आता है इसलिए एक खुशहाल भविष्य का रास्ता भी दिखा सकता है।
पालक पिता यानी फोस्टर फादर को बच्चे आसानी से स्वीकार नहीं करते हैं और न ही उनकी मदद आसानी से स्वीकर करते हैं। फोस्टर फादर की अवधारणा का संबंध बच्चों से है न कि पेंरेट्स से।
पिता की भूमिका बहुत अहम होती और यह बच्चे के सामाजिक विकास के लिए काफी हद तक जिम्मेदार होती है। अगर एक पिता अपने बच्चे पर विश्वास करता है, तो बच्चे को भी अपने ऊपर विश्वास होने लगता है। इस प्रकार यह सबसे बेहतर बात हो सकती है।
यह भी पढ़ें:
बच्चों के सामने माता-पिता के लड़ने के 10 गलत प्रभाव
36 अच्छी आदतें – जो माता-पिता को अपने बच्चों को सिखानी चाहिएं
बच्चों को स्वावलंबी बनाने के लिए 10 टिप्स
जैसे हिंदी भाषा में बच्चों को सबसे पहले ‘वर्णमाला’ सिखाया जाता है वैसे ही गणित…
हिंदी की वर्णमाला में उ अक्षर का महत्वपूर्ण स्थान है। यह अक्षर बच्चों के लिए…
हिंदी की वर्णमाला में 'ई' अक्षर का बहुत महत्व है, जिसे 'बड़ी ई' या 'दीर्घ…
जैसे-जैसे डिलीवरी की तारीख नजदीक आती है, गर्भवती महिला की चिंता और उत्तेजना बढ़ती जाती…
आमतौर पर जोड़ों की बीमारियां बड़ों में देखने को मिलती हैं, लेकिन ये समस्याएं बच्चों…
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…