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बेबी का डायपर लीक होने से कैसे बचाएं

सभी पेरेंट्स को रोजाना बच्चे का डायपर लीक होने की दिक्कत का सामना करना ही पड़ता है। अक्सर रात को 3 बजे बच्चा पॉटी करने की वजह से रोना शुरू कर देता है। हर दो घंटे में बच्चे का डायपर बदलने से आपको काफी थकान हो सकती है। डायपर लीकेज की समस्या को खत्म करने के लिए आप क्या कर सकती हैं यह जानने के लिए आगे पढ़ें। 

बेबी का डायपर लीक क्यों होता है?

छोटे बच्चे का डायपर अक्सर रात (दिन में नहीं) को ही क्यों लीक होता है, यह जानने के लिए आगे पढ़ें;

1. पॉटी आने से

यदि बेबी पॉटी ट्रेनिंग के लिए बहुत छोटा है और उसे अपने रिफ्लेक्स को नियंत्रित करना नहीं आता है तो वह दिन या रात में कभी भी पॉटी कर सकता है। रात में बच्चे का डायपर लीक हो सकता है और यदि यह दिन में भी होता है तो आप उसे पॉटी ट्रेनिंग देना शुरू करें। 

2. कम्प्रेशन लीक से

यदि बच्चे का डायपर गीला हो जाता है और यह बहुत फिट भी है तो आप देखेंगी कि डायपर निकालने पर उसके हिप्स भी गीले होंगे। यदि बच्चे की वनजी बहुत छोटी है तब भी दबाव से लीकेज हो सकता है। इसलिए जब भी बच्चे को डायपर पहनाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि वह बच्चे की कमर में फिट आए और बहुत ज्यादा टाइट न हो। 

3. डायपर का मटेरियल अच्छा न होने से

डायपर के मटेरियल की वजह से भी यह लीक हो सकता है। कुछ डायपर नेचुरल फाइबर, जैसे कॉटन और हेम्प के बने होते हैं पर अन्य नहीं। डायपर जितना कम अब्सॉर्ब कर पाएगा लीकेज उतना ही ज्यादा होगा और डायपर जितना ज्यादा अब्सॉर्ब कर पाएगा लीकेज उतना ही कम होगा। यदि बच्चे ने खराब क्वालिटी का डायपर पहना है तो यह लीक हो सकता है। 

4. फिटिंग अच्छी न होने से

यदि डायपर का साइज बहुत छोटा है या यह बहुत टाइट है और यदि इसकी इलास्टिसिटी खत्म हो जाती है और यह पैरों व बॉटम में फिट नहीं आता है तो लीकेज हो सकता है। 

5. केमिकल-बेस्ड डिटर्जेंट से धोने से

यदि आप बच्चे का डायपर सिंथेटिक या केमिकल बेस्ड-डिटर्जेंट से धो देती हैं तो इससे भी यह लीक करने लगता है। इसलिए इसे धोने के लिए प्लांट-बेस्ड डिटर्जेंट का उपयोग करें क्योंकि यह पानी में पूरी तरह से घुल जाता है। 

बेबी का डायपर लीक होने से कैसे बचाएं

बच्चे का डायपर लीक होने के कई कारण हो सकते हैं पर सिर्फ इन्हें जानना ही पर्याप्त नहीं हैं, इससे बचना भी चाहिए। बच्चे के डायपर लीकेज से बचने से संबंधित यहाँ कुछ टिप्स बताए गए हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं ताकि वह रात में व दिन में अच्छी तरह से सो सके। वे टिप्स कौन से हैं, आइए जानें;

1. सही साइज का डायपर खरीदें

यदि बेबी का डायपर बार-बार लीक होता है तो आपको बड़े साइज का डायपर खरीदना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि डायपर का साइज 2 है तो सोने से पहले उसे 4 साइज का डायपर पहनाएं। यह उसकी पॉटी को अब्सॉर्ब करेगा और इससे लीकेज भी नहीं होगा। 

2. शेड्यूल बनाएं

यदि प्रतिदिन बच्चे का डायपर बहुत ज्यादा लीक करता है तो यह फीडिंग शेड्यूल की वजह से भी हो सकता है। बच्चे को दिन में दूध देने, नैप से पहले और बाद में दूध पिलाने और बेड टाइम से ठीक पहले दूध पिलाते समय ध्यान रखें। टॉडलर्स को सोने से पहले कोई भी ड्रिंक या जूस देने से बचें ताकि डायपर लीकेज न हो। बच्चे को बेबी फॉर्मूला देना बंद न करें क्योंकि यह भी जरूरी है। हम यहाँ पर फॉर्मूला मिल्क के अलावा अन्य चीजों की बात कर रहे हैं। इसके अलावा आप बच्चे को सोने से लगभग एक घंटे पहले जूस या कोई भी तरल पदार्थ पिलाएं। 

3. कई बार डायपर बदलें

बच्चे को इंफेक्शन और डायपर रैश से बचाने के लिए यह सलाह दी जाती है कि आप उसका डायपर जल्दी-जल्दी बदलें और सोने से पहले तो जरूर बदलें। यदि सिर्फ रात में ही डायपर बदलने की जरूरत पड़ती है तो उसे दिन में डायपर न पहनाएं। इससे बच्चे के बॉटम को आराम मिलेगा और वह आराम से सो सकेगा। 

4. ओवरनाइट डायपर का उपयोग करें

यदि रेगुलर डायपर से बच्चे को कोई भी आराम नहीं मिल रहा है तो स्ट्रेटेजी बदलें। बड़े साइज का डायपर लेने के बजाय बच्चे के लिए ओवरनाइट डायपर का उपयोग करें। ओवरनाइट डायपर बहुत ज्यादा अब्सॉर्बेंट होता है, काफी समय तक चलता है और पूरी रात काम करता है। आप एक महीने तक रात में लीकेज से बचने के लिए इसका एक पूरा बॉक्स खरीद लें। 

5. डायपर बूस्टर लें

यदि ओवरनाइट डायपर काम नहीं आता है तो क्या करें? आपके बच्चे को शायद किसी अलग चीज की जरूरत है पर थोड़े से बूस्ट से यह डायपर बहुत काम आ सकते हैं। बच्चे के लिए डायपर बूस्टर पैड्स खरीदें। डायपर बूस्टर पैड्स डायपर को जल्दी गीला होने से बचाने के लिए एक एक्स्ट्रा लेयर के रूप में लगाई जाती है और यह लेयर डायपर गीला होने से पहले तक लगभग 225 मिलीलीटर फ्लूइड तक अब्सॉर्ब कर सकती है। 

6. सही से डायपर लगाएं

‘मेरे बच्चे का डायपर लगातार लीक हो रहा है’ – क्या इसी समस्या के बारे में आप अपने पड़ोसियों व रिश्तेदारों से बात करती हैं ताकि आपको कोई समाधान मिल सके? वास्तव में समस्या डायपर को फोल्ड करके पैक करने में हो सकती है। फोल्ड करने के अलावा इसका दूसरा कारण यह हो सकता है कि बच्चे को सही से डायपर न लगाया गया हो। इसका अर्थ यह है कि डायपर की फिटिंग ढीली है या डायपर में इलास्टिसिटी बहुत ज्यादा है। बच्चे को रात में सोने के लिए तैयार करने से भी बहुत फर्क पड़ता है। 

बच्चे को डायपर ठीक से लगाया गया है, इससे संबंधित कुछ टिप्स निम्नलिखित हैं, आइए जानें; 

  • बच्चे की कमर व पैर में डायपर को अच्छी तरह से रैप करें ताकि इसकी फिटिंग अच्छी हो और साइड से लीकेज न हो सके। कमर की जगह हमेशा नाभि से नीचे होनी चाहिए।
  • डायपर के किनारों को चेक करके देखें कि यह अच्छी तरह से रैप हुआ है और अंदर कहीं से भी अटका नहीं है।
  • बच्चे की पोजीशन नीचे की ओर करके डायपर को थोड़ा ओवरलैप करें ताकि यह बड़ा दिखे।
  • हमेशा नेचुरल फाइबर से बने डायपर का ही उपयोग करें, जैसे कॉटन, हेम्प या बैम्बू। इस बात का ध्यान रखें कि डायपर का मटेरियल अब्सॉर्बेंट होना चाहिए काफी समय तक इसका उपयोग करने के लिए प्लांट बेस्ड डिटर्जेंट का ही उपयोग करें।
  • कपड़े के डायपर के लिए आप डायपर इन्सर्ट भी खरीदें। डायपर में अब्सॉर्प्शन के लिए एक एक्स्ट्रा लेयर के रूप में इसका उपयोग किया जाता है।

7. अप्रत्याशित समय के लिए तैयार रहें

यदि आप यह अपेक्षा नहीं करती हैं कि बच्चे का डायपर लीक नहीं करेगा पर फिर भी वह लीक करने लगता है तो ऐसे समय के लिए तैयार रहें। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे के लिए एक्स्ट्रा कपड़े और डायपर बैग डिस्पेंसर का स्टॉक साथ में रखें (जिसमें गंदे डायपर और पॉटी डिस्पोज की जाती है)। बच्चे के लिए बेबी वाइप्स व ओवरनाइट डायपर खरीदें और डायपर बूस्टर का उपयोग करना न भूलें ताकि यह पूरी रात चल सके। 

बच्चे का डायपर लीक क्यों करता है और इससे कैसे बचें? इन सवालों के जवाब यहाँ बताए गए हैं। यदि रोजाना रात को बच्चे का डायपर लीक होता है तो ऊपर बताए हुए टिप्स आपकी मदद कर सकते हैं ताकि आपको भी गहरी व अच्छी नींद आ सके और आप इस बात का भी ध्यान रखें कि बच्चा कम्फर्टेबल तरीके से और बिना चिड़चिड़ाए सोए। 

यह भी पढ़ें:

बच्चों के लिए डायपर का सुरक्षित रूप से उपयोग करना
रात में बेबी को डायपर पहनाना – ध्यान रखने वाली कुछ बातें
डायपर का इस्तेमाल – शिशु को एक दिन में कितने डायपर की जरूरत पड़ती है

सुरक्षा कटियार

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