In this Article
हम सभी को गोल मटोल बच्चे बहुत क्यूट लगते हैं। हाँ, उनके चब्बी चीक्स और मोटे-मोटे हाथ बहुत प्यारे लगते हैं। लेकिन बहुत ज्यादा मोटापा भी अच्छी बात नहीं। अगर बेबी की उम्र के अनुसार उसका जितना वेट होना चाहिए वो उससे ज्यादा है तो यह आपके लिए एक चिंताजनक संकेत हो सकता है।
बहुत ज्यादा बेबी फैट होना इस बात का संकेत देता है कि आपका बच्चा ओबेसिटी यानी मोटापे का शिकार है। इसे किसी भी पेरेंट्स को हल्के में नहीं लेना चाहिए, क्योंकि इससे बच्चे की हेल्थ और डेवलपमेंट पर बुरा असर पड़ सकता है। मोटापे के कारण आगे चलकर बच्चे को कई हेल्थ प्रॉब्लम का सामना करना पड़ सकता है, ऐसे में ब्लड प्रेशर, ठीक तरह डेवलपमेंट न होना और साइकोलॉजिकल साइड इफेक्ट्स जैसी समस्याएं पैदा होती है। हालांकि शिशु का वजन बढ़ना जरूरी है, लेकिन यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि बच्चा हेल्दी वेट गेन करे!
यहाँ कुछ टिप्स दिए गए हैं जो आपको ध्यान में रखने चाहिए ताकि बच्चा अपनी उम्र के हिसाब से हेल्दी वेट गेन कर सके, लेकिन मोटा न हो।
इस पर सख्ती से रोक लगनी चाहिए! बच्चा टीवी देखने में इतना व्यस्त हो जाता है कि उसे इस बात का अहसास तक नहीं होता कि उसने कितना खा लिया है और वो खाता ही रहता है। जैसे-जैसे वह बड़ा होता है, स्क्रीन का आदी होने लगता है और इसके बगैर खाना खाने से भी इंकार कर देता है! इसी तरह की समस्या से गुजर रही मांओं को यह लेख पढ़ना चाहिए और बच्चे को कैसे टीवी की आदत छुड़ानी चाहिए इस पर ध्यान दें, वरना यह छोटी सी बात बड़ी समस्या का रूप ले सकती है।
बेबी और टॉडलर के लिए अत्यधिक मात्रा में सोडा, जूस और चीनी के सेवन पर रोक लगानी चाहिए। 1 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए आहार में हद से ज्यादा चीनी और नमक का प्रयोग करने से परहेज करना चाहिए । ये चीजें न केवल वजन बढ़ाने का कारण बनती हैं बल्कि बच्चे के दांतों के लिए हानिकारक होती है।
हम अक्सर सोचते हैं कि फ्रेंच फ्राइज की कुछ बाईट या आलू के चिप्स बच्चे के लिए हानिरहित होंगे। हालांकि, बच्चे में खाने की अच्छी आदतें शुरू से ही लागू की जानी चाहिए। अपने बच्चे को अनहेल्दी स्नैक्स देना या परिवार के लोगों और रिश्तेदारों को बच्चे की गलत खाने की आदतें डेवलप करने देना उसके लिए और भी बुरा है, इसका मतलब यह है कि आपका शिशु बड़ा होकर खाने में नखरे दिखाएगा। इसलिए बच्चे के रोजाना के शेड्यूल में उसे बेवजह की स्नैकिंग से बचाना चाहिए।
अपने बच्चे की डाइट में पौष्टिक खाना जैसे फल, सब्जियां, होल ग्रेन्स और दूध से बनी चीजें परोसना चाहिए। भले ही वह इन्हें खाने में नखरे दिखाएं, लेकिन खाने की इन चीजों से किसी भी हाल में समझौता नहीं किया जाना चाहिए। बच्चों को फल खिलाने के लिए कई ट्रिक हैं जिन्हें आप आजमा सकती हैं। इसके अलावा याद रखें पैकेज्ड जूस का ऑप्शन बिलकुल भी अच्छा नहीं है क्योंकि इसमें चीनी की मात्रा बहुत ज्यादा होती, जो बच्चे के लिए हानिकारक होती है।
जिन पदार्थों में हाई फैट हो उन्हें बच्चे को नहीं देना चाहिए। ये बच्चे के नाजुक डाइजेस्टिव सिस्टम पर बहुत प्रेशर डालते हैं जिससे मोटापा बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे खाने से भी बचें जिसमें सैचुरेटेड फैट पाया जाता हो जैसे बिस्कुट, क्रिस्प, केक और पेस्ट्री।
आप अपने बच्चे को जो खाना देती हैं उसे छोटे छोटे हिस्सों में बांट लें।छोटे बच्चे एक बार में बहुत ज्यादा खाना डाइजेस्ट नहीं कर पाते हैं। अगर आप उसे बहुत ज्यादा दूध देंगी तो इससे उसे गैस की समस्या या पाचन की समस्याएं हो सकती है, इसके अलावा ऐसा करने से बच्चे का मोटापा बढ़ेगा।
यदि बच्चे के दांत आ गए हैं और वो 10 महीने या उससे ज्यादा का हो गया, तो सुनिश्चित करें कि आप उसे खाना ठीक से चबाना सिखाएं। भोजन को ठीक तरह से चबाने से यह आसानी से ब्रेक डाउन होकर डाइजेस्ट हो जाता है, प्रकार शरीर न्यूट्रिएंट्स को अच्छे से अब्सॉर्ब भी करता है ।
बच्चे को एक्टिव रखें। उसे आपके साथ टहलने, साइकिल चलाने, स्वीमिंग और ऐसी अन्य फिजिकल एक्टिविटीज में हिस्सा लेने दें बच्चे ऐसी एक्टिविटी को एन्जॉय भी करते हैं। बच्चों को एक्टिव रखने के लिए फिजिकल एक्टिविटी होना बच्चे के लिए बहुत जरूरी है, आपको ध्यान देना होगा कि बच्चा ठीक तरह से खाना खाए और फिजिकल एक्टिविटी करे, इससे मोटापा होने की संभावना बहुत कम हो जाती है। समय के साथ, बच्चे के वेट गेन पर नजर रखें और अलग अलग तरह के एक्सपेरिमेंट करती रहे ताकि बच्चा दिनभर एक्टिव रहे।
एक नियम के रूप में बच्चे का स्क्रीन टाइम लिमिटेड रखें, न केवल खाने के दौरान टीवी, कंप्यूटर और टैबलेट देखने पर रोक लगाएं बल्कि आमतौर पर भी बच्चे का स्क्रीन टाइम बहुत कम रखें। एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों की जीरो स्क्रीन टाइमिंग होनी चाहिए। ऐसा करने से बच्चे के डेली रूटीन में फिजिकल एक्टिविटीज ज्यादा होती हैं, जो उसके विकास में भी मदद करती हैं। इसका मतलब है कि आपका बच्चा फिट रहेगा और हेल्दी वेट गेन करेगा!
बच्चे के सही वजन बढ़ने में उसका ठीक से सोना भी अहम भूमिका निभाता है। जब बच्चा सो रहा होता है तो शरीर का मेटाबॉलिज्म अपना कार्य कर रहा होता है। शुरुआत में शिशु को 10-16 घंटे के बीच नींद चाहिए होती है और जैसे जैसे वह बड़ा होता है, यह समय कम होने लगता है। हालांकि, टॉडलर और स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए रोजाना 8 घंटे की नींद लेना जरूरी है। यदि आपका बच्चा नींद की समस्याओं का सामना करता है जैसे कि बार-बार जागना या बुरे सपने आना, तो डॉक्टर से इस बारे में चर्चा करें।
यदि आप ऊपर बताई गई टिप्स और सावधानियों का पालन करती हैं, तो आपका बच्चा ठीक तरह से वेट गेन करेगा। इससे उसकी हेल्थ भी सही रहेगी इस बात की पूरी गारंटी रहेगी। हालांकि, यदि बच्चा ओवर वेट या मोटापे से ग्रस्त हो जाता है, तो आपको डॉक्टर से बात करने में देर नहीं करनी चाहिए। शुरू से ही आपको उसके अनहेल्दी वेट गेन को मैनेज करना चाहिए ताकि आगे चलकर बच्चा स्वस्थ और फिट रहे।
डॉक्टर बच्चे का बढ़ा हुआ वजन चेक करने के लिए (बॉडी मास इंडेक्स) टेस्ट करेंगे। आप ऑनलाइन बीएमआई चार्ट का उपयोग करके स्वयं भी इसकी जांच कर सकती हैं, बहुत ज्यादा वजन होने का मतलब है कि बच्चा मोटापे का शिकार हो गया है। वैसे डॉक्टर बच्चे का वजन कम करने के लिए स्ट्रिक्ट डाइट देने की सलाह नहीं देते हैं, क्योंकि यह उसके लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसके बजाय उसे ऐसे हेल्दी खाद्य पदार्थ देने की सलाह दी जाती है, जो वजन कम करने में मदद करते हैं, जैसे एवोकैडो और अंगूर, ब्रोकोली, पत्तेदार सब्जियां। बच्चे के वजन को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर फिजिकल एक्टिविटी भी बता सकते हैं, जैसे बच्चे को कुछ देर पेट के बल लिटाना और बॉल के साथ खेलना, इससे बच्चे के वेट पर असर पड़ेगा।
आपको लंबे समय तक, एक सही डाइट, धैर्य, फिजिकल एक्टिविटी और पॉजिटिव रहने की जरूरत है जिससे बच्चे का हेल्दी वेट बनाए रखने और उसे फिट रखने में मदद मिलती है।
यह भी पढ़ें:
छोटे बच्चों का वजन बढ़ाने के लिए 11 हाई कैलोरी फूड
शिशुओं का वजन न बढ़ना – कारण, लक्षण और उपचार
नवजात शिशु का वजन बढ़ना – क्या सामान्य है और क्या नहीं
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…