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कल्पना कीजिए कि आप समुद्र में हैं और आपकी आँखें बंद हैं, तो ऐसे में सबसे पहली चीज जो आप महसूस करेंगी वो है लहरों की आवाज। क्योंकि किसी भी तरल पदार्थ में साउंड यानि ध्वनि चार गुना तेजी से बहती है, इसलिए आपको दबी हुई धुनों, तरंगों और अन्य ध्वनियों की लय सुनाई देगी। इसी प्रकार आपका बच्चा जिस पहले घर में रहता है वो है आपका गर्भ और उसमें भी एक लिक्विड सैक यानी एमनियोटिक द्रव की थैली होती है जिसमें बच्चा बढ़ता है। उसके सभी अंग पहले विकसित होते हैं और अंत में, जैसे-जैसे उसका सेंस विकसित होता है, वह आवाज सुनना शुरू कर देता है। जिस तरह हम समुद्र में आवाजें सुनते हैं, उसी तरह बच्चे गर्भ में हर आवाज सुन सकते हैं जो उन तक एमनियोटिक द्रव के माध्यम से ट्रांसमिट होती हैं। जो सबसे तेज और शांत करने वाली आवाज है वो है आपके दिल की धड़कन।
माता-पिता के रूप में सबसे अधिक पूछे जाने वाले प्रश्नों में से एक है, “गर्भ में बच्चे किस सप्ताह से सुनना शुरू करते हैं?” या “बच्चा गर्भ में कब सुनता है?”।
तो आपको बता दें कि आमतौर पर 16 से 18 सप्ताह के आसपास बच्चा आवाज सुनना शुरू कर देता है और लगभग 25 सप्ताह के आसपास बच्चा रिएक्शन देना भी शुरू कर देता है।
श्रवण अंगों का विकास
सप्ताह | विकास |
4-5 | एम्ब्रियो सेल्स इंद्रियों के विभिन्न हिस्सों जैसे आँख, कान, नाक को विकसित करने के लिए खुद को व्यवस्थित करते हैं। |
8-9 | कानों के बनने के लिए सिर के दोनों ओर सेक्शन दिखाई देने लगता है |
16-18 | आवाजों को सुनने के लिए कान पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं। |
23-24 | आवाज की स्पष्टता को पहचानने के लिए ऑडिटरी ऑर्गन विकसित हो जाते हैं |
25-26 | बच्चा इस समय तक ध्वनियों को पहचानने लगता है और रिएक्ट भी करता है। |
इस प्रकार तीसरी तिमाही तक आपका बच्चा गर्भ में ध्वनियों को पहचानने लगता है इस समय आपकी गर्भावस्था का 25-26वां सप्ताह होता है। हालांकि,16वें सप्ताह तक उनके कान सुनने के लिए पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं।
जैसा कि आपको पहले बताया गया है बच्चे गर्भ में लिक्विड के माध्यम से ध्वनि को सुनते हैं। वे हर उस चीज की आवाज सुनते हैं जो उनके आसपास दिन-प्रतिदिन फंक्शन करती है। इसमें माँ का खाना खाना, कोई भी पेय पीना, अमीनो लिक्विड की आवाज, पाचन, सांस लेना, मिक्स राइम पैटर्न में माँ की दिल की धड़कन शामिल है। वे गर्भ के बाहर की भी आवाजें सुनते हैं, जैसे अचानक से शोर होना, म्यूजिक और बातचीत। वे ज्यादातर जो सुनते हैं वह मेलोडी साउंड और पैटर्न होता है। उदाहरण के लिए, वे माँ को बात करते हुए सुन सकते हैं, लेकिन शब्द दब जाते हैं या गड्डमड्ड हो जाते। इसलिए उन्हें जो सुनाई देता है वो जिस भाषा में आप बात कर रही होती हैं, उसमें मिली-जुली आवाज होती है जो उन्हें मेलोडी लगती है।
हाँ आप ऐसा कर सकती हैं। यह माना जाता है कि संगीत सुनने से गर्भ में पल रहे बच्चे का आईक्यू बढ़ता है। हालांकि इस बात का कोई ठोस सबूत मौजूद नहीं है, लेकिन आपके गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए म्यूजिक बजाने में कोई बुराई नहीं है।
हाँ और ना दोनों ही इसका जवाब हो सकते हैं।
यह सलाह दी जाती है कि यदि कोई भी गर्भवती महिलाएं जो कामकाजी हैं या शोर-शराबे वाले क्षेत्रों में ज्यादा समय बिताती हैं तो वे थोड़ी सावधानी बरतें। कुछ स्थान जो आमतौर पर शोरगुल वाले होते हैं, वे हैं ट्रैफिक एरिया, मशीनों की लगातार आवाज, हवाई जहाज, लाउड म्यूजिक और बाजार आदि। हालांकि आपको बताया गया है कि बच्चे तक जो आवाजें पहुँचती हैं वो दब जाती हैं, और बच्चा अंदर सुरक्षित रहता है, लेकिन तेज आवाज बच्चे के ऑडिटरी ऑर्गन के विकास में बाधा बन सकती है। आप खुद तो इयरप्लग पहन कर लाउड साउंड से बच सकती हैं, लेकिन बच्चे को इतनी तेज आवाज से बचाने का एक ही तरीका है कि आप ऐसी जगह से दूर ही रहें।
हालांकि, अच्छी बात यह है कि अगर आप थोड़े समय के लिए तेज आवाजों के एक्सपोजर में आ भी जाती हैं तो बच्चे को इससे कोई नुकसान नहीं पहुँचता है, इसलिए जब आपको असज महसूस होने लगे तो आप ऐसी जगह से दूर हो जाएं। एक दिन के लिए म्यूजिकल नाइट में हिस्सा लेने से या हैवी ट्रैफिक में कुछ देर रहने से बच्चे को नुकसान नहीं पहुँचता है।
हाँ। उनके लिए, सभी मानवीय आवाजों को सुनना संभव है, लेकिन बच्चे अपनी माँ की आवाज को अलग तरह से सुनते हैं। माँ के गर्भ में होने की वजह से बच्चे को अपनी माँ की आवाज दूसरे से अलग सुनाई देती है। विज्ञान का मानना है कि यह उन कई चीजों में से एक है जो माँ और बच्चे के बीच एक बांड बनाती है।
हालांकि गर्भ में बच्चा अच्छी तरह से सुरक्षित रहता है, लेकिन अप्रिय तेज आवाज के लगातार संपर्क में आने से बचना आपके और बच्चे के लिए बेहतर होता है। यह सुनिश्चित करेगा कि कोई बाहरी बाधा बच्चे की श्रवण इंद्रियों के विकास में बाधा न डाले।
गर्भ में आपका बच्चा सुरक्षित है। बच्चे तक पहुँचने वाली कोई भी ध्वनि फिल्टर हो कर जाती है और इसके प्रभाव को पहले ही कम कर देती है। लेकिन लगातार तेज आवाजों के बीच रहने से बच्चे का इससे संपर्क लगातार बना रहता है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है साथ ही यह माँ के शरीर पर भी जोर देता है। बेहतर यही है कि आप तेज आवाजों के बीच रहने से बचें और बच्चे के लिए मेलोडी म्यूजिक चलाएं या खुद उसके लिए गाना गाएं। कुछ समय बाद आपको आवाजों के सुनाई देने पर बच्चे का रिएक्शन भी मिलेगा जैसे किक करना या तेज हलचल करने लगना। तो, अब अपने गर्भ में पल रहे बच्चे को ध्वनि के माध्यम से मानव जाति और प्रकृति द्वारा बनाई गई सभी सुंदर चीजों को महसूस करने दें और गर्भावस्था का आनंद लें।
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