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बच्चों के लिए शॉपिंग करते समय उनके लिए नैपकिंस खरीदना बहुत जरूरी और अच्छा भी है। यदि बच्चा बार-बार मुंह से दूध पलटता है या उसे सामान्य रिफ्लक्स होता है तो इससे मांओं को चिंता होने लगती है। आपकी सभी चिंताओं को ध्यान में रखते हुए इस आर्टिकल में बच्चे के मुंह से दूध निकलने या सामान्य रिफ्लक्स होने से संबंधित बहुत सारी जानकारी दी हुई है, जानने के लिए यह आर्टिकल पूरा पढ़ें।
बच्चों में स्पिट अप यानि दूध पलटने का कारण
नॉर्मल या बिना किसी कॉम्प्लिकेशन के रिफ्लक्स होने को स्पिटिंग भी कहते हैं जो छोटे बच्चों में होना बहुत आम है। मांएं अक्सर सोचती हैं कि बच्चे में स्पिटिंग क्यों होती है या वह दूध क्यों निकालता है? खैर, यह बच्चे के पाचन तंत्र की वजह से होता है जो अब भी विकसित हो रहा है और इसकी वजह से पेट की चीजें फ्लो के साथ ओएसोफेगस में आ जाती है या बच्चा बाहर निकाल देता है। ज्यादातर बच्चा नियमित रूप से दूध निकालते हैं और चार महीने की आयु तक यह कभी-कभी बहुत ज्यादा भी हो सकता है।
छोटे बच्चे ब्रेस्टमिल्क या फॉर्मूला दूध पीते समय हवा भी अंदर ले लेते हैं और यह दूध के साथ अंदर जाती है। जब यह शरीर से बाहर निकलती है तो इसके साथ बच्चे के मुँह या नाक से दूध भी आ सकता है। बच्चा जल्दी में ज्यादा दूध पीने पर भी वह इसे बाहर निकाल सकता है। कुछ बच्चों में यह समस्या अन्य की तुलना में अधिक होती है। जब बच्चा घुटनों के बल चलना शुरू कर देता है, उसके दाँत आने लगते हैं या वह सॉलिड फूड खाने लगता है तो उसमें दूध निकालने की समस्या बढ़ जाती है।
दूध पलटने और उल्टी में क्या अंतर है
उल्टी और मुंह से दूध पलटना, एक दूसरे से बहुत अलग हैं। स्पिटिंग एक साल से कम आयु के बच्चों में होता है पर उल्टी बड़े बच्चों में भी हो सकती है। उल्टी में पेट की सभी चीजें जबरदस्ती बाहर निकल जाती हैं पर मुंह से दूध पलटने के साथ डकार आना पेट की चीजों का एक नॉर्मल फ्लो है। यदि पेट की चीजें निकलने के बाद बच्चा कमजोर लगता है तो यह उल्टी है क्योंकि स्पिटिंग की वजह से बच्चा बीमार नहीं पड़ता है।
क्या बहुत ज्यादा दूध पलटने से बच्चे के विकास में प्रभाव पड़ता है?
अक्सर मुंह से दूध निकलने से बच्चे के विकास में कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है। यदि आपका बच्चा कंफर्टेबल है, उसका वजन बढ़ रहा है और व ठीक से खता है तो चिंता करने की जरूरत नहीं है। स्पिटिंग से कैलोरी कम होने पर बच्चे के वजन बढ़ने या उसके विकास में कोई भी फर्क नहीं पड़ता है। हालांकि कुछ मामलों में यह एक चिंता का कारण भी हो सकता है। यदि आपका बच्चा बीमार पड़ जाता है और वह बार-बार दूध पलटता है तो आपको तुरंत डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।
बच्चा मुंह से दूध पलटना कब बंद करता है?
अचानक से दूध निकलने या सामान्य रिफ्लक्स होने से गंदगी होती है और ज्यादातर महिलाएं यही सोचती हैं कि यह बच्चे के विकास का संकेत है। ऐसा हो सकता है कि बच्चे के विकास की वजह से उसके मुंह से ज्यादा दूध निकल जाता हो पर यह ज्यादा दूध पीने से भी हो सकता है। हालांकि आपने यह देखा होगा कि जब बच्चा बैठकर ठोस आहार खाना शुरू कर देता है तो उसमें सामान्य रिफ्लक्स कम होता है या बंद हो जाता है। यह अक्सर 6 या 7 महीने की आयु में होता है। इस समय तक बच्चे के पेट की मांसपेशियां मजबूत हो जाती हैं और भोजन को अंदर रख सकती हैं। हालांकि कुछ बच्चों में सामान्य रिफ्लक्स या दूध पलटने की समस्या एक साल की आयु तक या उससे अधिक भी होती है।
बच्चों के मुंह से दूध पलटने को खत्म करने के टिप्स
बच्चे में स्पिटिंग की समस्या कम करने के लिए आप निम्नलिखित टिप्स जरूर फॉलो करें, आइए जानते हैं;
1. बच्चे को ज्यादा दूध न पिलाएं
बच्चे को बहुत ज्यादा दूध पिलाने से भी स्पिटिंग या उसके मुंह से दूध पलट सकता है। यदि आपका बच्चा बहुत ज्यादा दूध पलटता है तो उसे थोड़ा-थोड़ा दूध पिलाएं।
2. बच्चे को अधिक न हिलाएं
दूध पिलाने के बाद बच्चे को बहुत ज्यादा न हिलाएं डुलाएं। फीडिंग के बाद बच्चे को सीधा और सही पोजीशन में रखें।
3. दूध पिलाते समय बच्चे को सही पोजीशन में पकड़ें
दूध पिलाते समय बच्चे को मुड़ने या झुकने न दें क्योंकि इससे बच्चे के पेट में दूध नहीं जा पाएगा।
4. बच्चे को डकार दिलाएं
फीडिंग के बाद बच्चे को डकार दिलाना जरूरी है ताकि उसके पेट की हवा निकल जाए। आप फीडिंग सेशन के दौरान भी बच्चे को डकार लेने में मदद कर सकती हैं।
5. बोतल से दूध पिलाने के लिए सही निप्पल चुनें
यदि आप बच्चे को बोतल से दूध पिलाती हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि निप्पल का छेद बहुत छोटा या बहुत बड़ा न हो। छोटे छेद से बच्चा इरिटेट हो सकता है और हवा निगल सकता है वहीं छेद बड़ा होने से बच्चा बहुत ज्यादा और जल्दबाजी में दूध पी सकता है।
6. बच्चा भूखा होने से पहले उसे दूध पिलाएं
आप बच्चे के भूखे होने तक का इंतजार न करें। यदि बच्चे को बहुत ज्यादा भूख लगती है तो वह बहुत ज्यादा दूध पीता है और साथ में अधिक हवा भी निगलता है।
7. बच्चे के पेट में प्रेशर न दें
दूध पिलाने के बाद आप बच्चे के पेट को न दबाएं या उसके पेट पर कोई भी प्रेशर न डालें। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे के कपड़े और डायपर बहुत ज्यादा टाइट न हों। बच्चे को डकार दिलाते समय उसके पेट को न दबाएं। फीडिंग के तुरंत बाद बच्चे को कार या किसी भी गाड़ी से कहीं बाहर लेकर न जाएं।
8. सोते समय बच्चे का सिर ऊंचा रखें
यदि बच्चा सोते समय भी स्पिट करता है तो उसका सिर ऊंचा कर दें। इसके लिए आप मैट्रेस के नीचे फोम बिछा सकती हैं या क्रिब पर साइड में ब्लॉक रखकर उसका सिर ऊंचा करें। सिर ऊंचा करने के लिए आप तकिए का उपयोग न करें क्योंकि यह उसके लिए बिलकुल भी सुरक्षित नहीं है (तकिए का उपयोग करने से बच्चे को एसआईडीएस हो सकता है)।
बच्चे का दूध पलटना एक समस्या का संकेत कब बन सकता है?
बच्चों में नॉर्मल रिफ्लक्स होना कोई भी बड़ी चिंता का विषय नहीं है। हालांकि निम्नलिखित मामलों में चिंता करने की जरूरत है या यह समस्या के लक्षण भी हो सकते हैं, आइए जानें;
- यदि बच्चे को खून या हरे रंग का रिफ्लक्स होता है तो यह एक गंभीर समस्या का संकेत है।
- यदि बच्चा ठीक से दूध नहीं पीटा है या उसका वजन नहीं बढ़ रहा है।
- यदि दूध पीने के बाद गंभीर रूप से रिफ्लक्स होने की वजह से बच्चा बहुत ज्यादा रोता है।
- यदि बच्चा सामान्य से कम सोता है और उसे असुविधा महसूस होती है तो आपको डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।
- यदि बच्चे को बहुत ज्यादा हिचकियां आती हैं या बार-बार चोकिंग होती है या सांस लेने में तकलीफ होती है तो भी आप डॉक्टर से सलाह लें।
- यदि बच्चा बार-बार उल्टी करता है (रिफ्लक्स और उल्टी में अंतर है और उल्टी के बाद बच्चे को अजीब और असुविधाजनक महसूस होता है)।
- यदि बच्चे में डिहाइड्रेशन के लक्षण दिखते हैं, जैसे डायपर कम गीला होना तो आप डॉक्टर के पास जरूर जाएं।
- यदि बच्चा 6 महीने और अधिक बाद में स्पिटिंग करता है।
यद्यपि में नर्सिंग के बाद बच्चे का दूध निकालना या थूक आना बहुत आम है पर यदि आप बच्चे में ऊपर बताए गए लक्षण देखती हैं तो आपको मेडिकल मदद लेनी चाहिए। डॉक्टर इसके लक्षणों के आधार पर आपको कुछ ट्रीटमेंट लेने की सलाह दे सकते हैं। हो सकता है कि आपको फीडिंग तरीकों को ठीक करने के लिए भी कहा जाए जिससे मदद मिल सकती है और सामान्य रिफ्लक्स को ठीक करने के लिए डॉक्टर कुछ दवाएं भी प्रिस्क्राइब कर सकते हैं।
वैसे तो यह समस्या कुछ होम रेमेडीज से ठीक हो सकती है पर फिर भी यदि आपको इसके गंभीर लक्षण दिखाई देते हैं तो आप डॉक्टर से मदद जरूर लें।
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