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अपने बच्चे को चलते हुए देखना बहुत एक्साइटिंग होता है, क्योंकि इस दौरान आप देख सकते हैं कि आपका बेबी किस तरह से अपनी प्रॉब्लम को डील करता है और उन्हें हल करने की कोशिश करता है। यह एक्साइटिंग तो है, लेकिन आपको थोडा सब्र करना होगा, बच्चा पहले क्रॉल यानी घुटनों के बल चलना या रेंगना शुरू करता है फिर चलना शुरू करता है और इस प्रक्रिया में कुछ महीने लग जाते हैं।
जब बच्चा पैदा होता है, तो उसके शरीर के वजन को उठाने के लिए उसके पैरों की मांसपेशियां कमजोर होती हैं। जो समय के साथ स्ट्रॉन्ग होती जाती हैं। औसतन, बच्चा एक साल के अंदर अपना पहला कदम रख देता है। हालांकि, खड़े होते समय वो अभी भी लड़खड़ागा, लेकिन बिना किसी सपोर्ट के वो धीरे धीरे चलना शुरू कर देगा। ऐसे उदाहरण भी हैं जहाँ बच्चे को चलने में लगभग 18 महीने लग सकते हैं। यह किसी समस्या का संकेत नहीं है, और एक बार जब बच्चे चलना शुरू कर देते हैं, तो उन्हें रोकना या बैठा के रखना मुश्किल हो जाता है।
पैरों का सपोर्ट लेकर चलना बच्चों के लिए अभी मुश्किल होता है, क्योंकि उनकी मांसपेशियां अभी कमजोर होती हैं। हालांकि, अगर आप नोटिस करते हैं कि बच्चा सामने आने वाली बाधाओं को पार करते हुए आगे बढ़ रहा है तो समझ जाएं कि बच्चा चलने के लिए बस एक कदम ही दूर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि वह अपने पैर की मांसपेशियों का उपयोग कर रहा है और इस प्रक्रिया के दौरान उनकी मसल्स स्ट्रॉन्ग होना शुरू हो जाती हैं।
जब आप बच्चे को जमीन से खुद उठाने की कोशिश करते हुए देखते हैं, तो समझ जाइए कि वो दिन नजदीक है जब बच्चा चलने लगेगा। बच्चा जमीन का सपोर्ट लेते हुए खुद उठने की कोशिश करता है। उठने के लिए वो किसी भी चीज का सहारा ले सकता है, फिर चाहे वो फर्नीचर हो या आपके पैर हों। हालांकि, वह अभी भी ठीक तरह से खड़ा नहीं हो पाता है, लेकिन जल्दी ही वो ऐसा भी करने लगेगा।
एक बार जब उसमें यह कॉन्फिडेंस आ जाता है कि वह बिना किसी सपोर्ट के उठ सकता है, तो वह तुरंत चलने का प्रयास करने लगता है। हालांकि, साइकिल की सवारी की तरह ही, बच्चा एक बार में चलना नहीं सीख जाता है बल्कि वो गिरता है, उठता है, फिर गिरता है और संभलता है, इस प्रकार धीरे धीरे ही बच्चा चलना सीखता है। इसके लिए ट्रेनिंग की जरूरत होती है, खासतौर पर बैलेंस बनाए रखने की, जैसे साइकिल चलाते समय बैलेंस बनाकर रखने की जरूरत होती है।
हैंडहोल्डिंग ठीक है, लेकिन आपका बच्चा खुद चलने के लिए उत्सुक रहता है और वो आपकी हेल्प लेने का इंतजार किए बगैर ही चल पड़ेगा। वह फर्श पर बने रहने के लिए और अपना बैलेंस बनाए रखने के लिए दीवार, फर्नीचर या किसी मजबूत चीज का सहारा खोज ही लेगा।
एक बार जब वह किसी भी सपोर्ट के बिना खड़े होने लगता है, तो फिर यह मान के चलिए कि अब वो चलने में ज्यादा देर नहीं लगाने वाला है। हालांकि अभी भी उसका बैलेंस उतना अच्छा नहीं होगा, लेकिन उसे पता है कि बिना किसी सपोर्ट के कैसे खड़े रहना है। कुछ समय बाद आप उसे कूदते हुए, सीढ़ियों पर चढ़ते हुए और एक्टिविटी करते हुए देखेकर हैरान हो जाएंगे, यकीन मानिए इस समय आपका बच्चा आपके काबू में नहीं आएगा, आपको दिन भर उसके पीछे भागना पड़ेगा, लेकिन इस दौरान उसका बैलेंस पहले से काफी बेहतर हो जाएगा।
यह एक नॉर्मल कंडीशन है, और यह बात ज्यादातर डॉक्टर बताते हैं। प्रॉब्लम एनवायरमेंट में ही है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि दोनों माता-पिता वर्किंग होते हैं और उनके पास समय नहीं होता है कि वो खुद बच्चे को चलने की ट्रेनिंग दें, वहीं कुछ पैरेंट बच्चे को चलाने के लिए कुछ ज्यादा ही प्रयास करने लगते हैं। तो ऐसा भी न करें एक बैलेंस बनाकर चलें।
आपके बच्चे के विकास में आपकी भूमिका बहुत अहम है और आपको उन्हें सही ट्रेनिंग देने के लिए कुछ समय भी लग सकता है। ध्यान रहे कि बच्चे को हर दिन थोड़ी प्रैक्टिस की जरूरत होती है और जब आप अपने बच्चे को अपने पैरों पर खुद चलते हुए देखेंगे तब आपकी खुशी आपकी आँखों में साफ तौर पर देखा जा सकता है।
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