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इस आर्टिकल के माध्यम से हमने ये बताया है कि बच्चे को जन्म देने के बाद आपको आमतौर पर कितने समय तक अस्पताल में रहना चाहिए।
हालांकि बच्चे को जन्म देने के बाद एक महिला को कितने दिन अस्पताल में रहना चाहिए इसका कोई सटीक जवाब नहीं है, क्योंकि यह कई तरह की बातों पर निर्भर करता है, जैसे कि माँ का स्वास्थ्य और किस तरह का प्रसव हुआ है। यह आपके बच्चे के स्वास्थ्य पर भी निर्भर करता है, क्योंकि पहले कुछ दिनों में बच्चा कई तरह की समस्याओं की चपेट में आ सकता है।
बच्चे को जन्म देने के ठीक बाद, उसका अपगर टेस्ट नाम का एक चेकअप किया जाएगा। यह आपके बच्चे के स्वास्थ्य का तुरंत मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है। बच्चा जल्द से जल्द बाहरी दुनिया के साथ तालमेल बिठाना शुरू कर देगा और पैदा होने के पहले ही कुछ घंटों के अंदर इसके अनुकूल हो जाएगा। इस दौरान डॉक्टर द्वारा बच्चे की जांच की जाएगी। बच्चे के सभी अहम अंगों की जांच यह देखने के लिए की जाएगी कि क्या वे अच्छी तरह से काम कर रहे हैं, साथ ही आंखें, कूल्हे, नीचे और अंडकोष (लड़कों के लिए) इनको भी चेक किया जाएगा।
ऊपर बताए गए टेस्ट आमतौर पर रेगुलर टेस्ट होते हैं और आपको अस्पताल में रहने की जरूरत तभी होगी यदि आपके बच्चे के स्वास्थ्य में कोई परेशानी उत्पन्न हो।
सामान्य प्रसव यानी वजाइनल या नार्मल डिलीवरी के मामलों में, माँ और बच्चे के लिए अस्पताल में रहने का समय आमतौर पर ज्यादातर 24 से 48 घंटे तक का होता है। इसके लिए लेबर को सुचारू रूप से करने की जरूरत होती है, जिसमें किसी भी स्तर पर कोई समस्या उत्पन्न न हो। एक बार सभी जरूरी टेस्ट किए जाने और कोई समस्या नहीं पाए जाने के बाद, माँ और बच्चा सुरक्षित रूप से घर जा सकते हैं। हालांकि, अगर आपको लगता है कि आप थकान और कमजोरी के कारण घर जाने के लिए तैयार नहीं हैं, तो आप वहां अपने रहने के समय को बढ़ाने के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से बात कर सकती हैं।
कई गर्भवती महिलाएं यह जानना चाहती होंगी कि आखिर सी-सेक्शन के बाद कितने समय तक अस्पताल में रहना चाहिए? लेकिन इस बात का सही जवाब अभी तक नहीं मिल सका है। नार्मल डिलीवरी कराने वाली महिलाओं की तुलना में आपको निश्चित रूप से अधिक समय तक अस्पताल में रहना पड़ेगा। सिजेरियन ऑपरेशन की व्यापकता को ध्यान में रखते हुए आपको आमतौर पर प्रसव के बाद कम से कम 2 से 3 दिनों के लिए अस्पताल में रहने की जरूरत होगी, हालांकि कुछ मामलों में, डॉक्टर आपको पहले ही जाने की अनुमति दे सकते हैं यदि उनको लगता है कि आप पर्याप्त रूप से स्वस्थ हैं।
इस प्रक्रिया से गुजरने वाली महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने के लिए कुछ घंटे लग सकते हैं। इसलिए, डॉक्टर जांच करेंगे कि क्या आप अपने दम पर बिना सहारे के चल सकती हैं और कैथेटर की मदद के बिना पेशाब कर सकती हैं। साथ ही यह भी देखना होगा कि नई माँ अच्छे से खाना-पीना कर रही है।
अस्पताल से छुट्टी की अनुमति मिलने से पहले आपको कुछ जरूरतों को पूरा करना होगा।
यह स्वाभाविक रूप से ध्यान देने वाली बात है, माँ को बिना किसी समस्या के स्वस्थ होना बहुत जरूरी है, जैसे अत्यधिक ब्लीडिंग होना व अन्य समस्याएं जो डिस्चार्ज होने पहले ध्यान देनी चाहिए।
बच्चा भी स्वस्थ होना चाहिए और उसे अस्पताल में पहली बार पॉटी होनी चाहिए। किसी भी जन्मजात विकार की संभावना न हो इसके लिए डॉक्टर और बाल रोग विशेषज्ञ आपके बच्चे की भी जांच करेंगे।
नर्स और डॉक्टर इस बात की जांच करेंगे कि क्या बच्चे के पास जीवित रहने के लिए जरूरी क्षमता है, जिसमें यह भी शामिल है कि वह खुद चूसने, निगलने और सांस लेने में सक्षम है या नहीं।
बच्चों की तरह उनकी माँ में भी कुछ क्षमताएं आवश्यक होंगी जो उन्हें अपने बच्चों की प्रभावी ढंग से देखभाल करने में मदद करेंगी और यह नर्सों पर निर्भर करेगा कि वे आपको बच्चे के पालन से संबंधित बातें सिखाएं। इसमें स्तनपान से जुड़ी सामान्य समस्याओं, अपने बच्चे को नहलाना और उसका डायपर बदलने जैसी कई अन्य बातों के बारे में जानकारी शामिल है।
अस्पताल का रजिस्ट्रार भी आपके सामने आएगा जिसमें आपको अपने बच्चे का दाखिला करना होगा उसके जन्म प्रमाण पत्र को हासिल करने के लिए – आप इस दौरान बच्चे का नाम चुने बिना भी रजिस्टर कर सकती हैं।
ऐसी कुछ स्वास्थ्य समस्याएं हैं जिनमें आपको अस्पताल में थोड़े ज्यादा दिन रुकना पड़ सकता है –
नई माँ को एक घंटे में एक पैड (अधिकतम दो) से अधिक पैड का उपयोग नहीं करना चाहिए, इसे सामान्य ब्लीडिंग कहा जाता है। संकुचन और ब्लीडिंग को रोकने के लिए नर्सें आपके गर्भाशय की मालिश भी कर सकती हैं।
प्रसव के दौरान खून की कमी के कारण माँ का ब्लड प्रेशर कम हो सकता है – प्रसव के दौरान नर्सों द्वारा इसकी भी निगरानी की जाएगी।
यदि माँ को जेस्टेशनल डायबिटीज है, तो इसके परिणाम में जन्म के बाद बच्चे को लो ब्लड शुगर हो सकता है – आपको घर जाने की अनुमति देने से पहले इसे ठीक किया जाएगा।
यदि डिलीवरी के दौरान बच्चा शौच करता है, तो वह इस प्रक्रिया के दौरान कुछ गंदगी सांस के माध्यम से अंदर भी ले सकता है- जिससे उसे ऑक्सीजन की समस्या हो सकती है। हालत स्थिर होने से पहले कुछ बच्चों को अतिरिक्त ऑक्सीजन की भी जरूरत होती है।
यदि बच्चे का वजन 2 किलोग्राम से कम है, तो उसे अस्पताल में तब तक रखा जाएगा जब तक कि घर ले जाने के लिए उसका वजन पर्याप्त न हो जाए।
आपको बता दें कि अभी तक कोई ऐसा तय नियम नहीं है, जो ये बताए कि डिलीवरी के बाद महिलाओं को कितने दिन में हॉस्पिटल से छुट्टी लेनी चाहिए, यह बहुत सारी बातों पर निर्भर करता है। हालांकि, आप प्रसव के बाद अस्पताल में रहने या घर जाने को लेकर अपनी राय डॉक्टर के सामने रख सकती हैं वो आपको आपकी हालत के अनुसार बेहतर सुझाव देंगे।
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