बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों का जल जाना – कारण, प्रकार और उपचार

पैदा होने के कुछ महीनों बाद, बच्चा ज्यादा एक्टिव और स्वतंत्र हो जाता है। बच्चे को ऐसे बढ़ते हुए देखना हर माता-पिता के लिए राहत और खुशी की बात होती है, लेकिन इसके भी कुछ बुरे परिणाम हो सकते हैं – जैसे कि जब बच्चा खुद से सब करने के कोशिश करने लगता है तब दुर्घटनाओं की संभावना भी बढ़ जाती है।

आप चाहे जितना अच्छे से अपने बच्चे का ख्याल रखती हों या देखभाल करती हों, लेकिन तब भी वह किसी न किसी तरीके से अंत में अपने आप को चोट पहुंचा ही लेता है। ऐसी घटनाएं तब ज्यादा देखने को मिलती हैं, जब बच्चा हर चीज को जानने के लिए उतावला होने लगता है और अपनी आस-पास की दुनिया को जल्दी से जल्दी एक्स्प्लोर करने की कोशिश करता है। ऐसा करने पर वह अक्सर या तो नीचे गिर जाता है, खुद को चोट पहुंचाता है, या जलने जैसी गंभीर घटना का शिकार हो जाता है।

बच्चे की त्वचा तब जलती है या उसमे फफोला पड़ने लगता है जब उसने किसी गर्म चीज को हाथ लगाया होता है। ड्राई हीट के कारण बर्न होते हैं, जबकि फफोला तब पड़ता है जब त्वचा किसी गर्म चीज या गर्म तरल पदार्थ के संपर्क में आई होती है। ऐसे में बच्चे की जलने की संभावना अधिक हो जाती है क्योंकि उसकी त्वचा बेहद नाजुक होती है और बड़ों जितनी सख्त नहीं होती। इसलिए, आपके लिए जिस चीज का तापनाम सामान्य होगा, हो सकता है उसी चीज के संपर्क में आने से बच्चे की त्वचा गंभीर रूप से जल जाए।

इस आर्टिकल में हम जलने के बारे में गहराई से जानेंगे और आपको बताएंगे कि ऐसा होने पर आपको क्या करना है। 

बच्चों के जलने के आम कारण

बच्चों के जलने के कुछ आम कारण होते हैं, जिनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं।

  • बच्चों का गर्म लिक्विड द्वारा जलना सबसे आम हैं, क्योंकि वे कॉफी कप की टिप, गर्म तरल पदार्थ, भाप या यहां तक ​​कि गर्म पानी के कारण भी जल सकते हैं।
  • ड्राई बर्न होना तब संभव है जब बच्चा किस गर्म वस्तु के बहुत करीब हो, जैसे कि चिमनी या कर्लिंग आयरन।
  • बच्चे केमिकल द्वारा भी जल सकते हैं, जैसे ड्रेन क्लीनर गलती से पीना, बैटरी देखने या अपनी त्वचा पर ब्लीच गिराना।
  • बच्चे के बिजली के प्लग सॉकेट में हाथ डालने से या तारों के संपर्क में आने से वह बिजली द्वारा भी जल सकता है।
  • सूरज के अधिक संपर्क में आने से भी बच्चों की त्वचा जल सकती है।

जलने के प्रकार

बर्न्स तीन प्रकार के होते हैं और ये इस बात पर निर्भर करता है कि संपर्क में आई त्वचा किस हद तक प्रभावित हुई है।

1. फर्स्ट डिग्री बर्न

यह जलने का सबसे सौम्य प्रकार है और बच्चों के मामले में सबसे अधिक यही होता है। इसमें त्वचा लाल हो जाती, कभी-कभी थोड़ी सूज जाती है क्योंकि त्वचा के नीचे की नसें इरिटेट हो जाती हैं। इस प्रकार से जलने में केवल त्वचा की बाहरी परत को ही नुकसान पहुंचता है और सनबर्न का आभास होता है।

2. सेकंड डिग्री बर्न

सेकंड-डिग्री बर्न फर्स्ट-डिग्री बर्न की तुलना में अधिक गंभीर होता है, क्योंकि इसमें एपिडर्मिस के नीचे की परतें भी प्रभावित होती हैं। इस तरह के बर्न में फफोले और सूजन होना आम हैं और इसका अनुभव करना बच्चों के लिए बहुत दर्दनाक साबित होता है।

3. थर्ड डिग्री बर्न

थर्ड डिग्री बर्न तीनों में से सबसे गंभीर प्रकार है, इसमें ज्यादा तापमान के संपर्क में आने की वजह से कई परतें प्रभावित होती हैं और साथ ही त्वचा के नीचे चोट बहुत गहराई तक जाती है। इस हालत में इलाज मेडिकल इमरजेंसी के अंतर्गत किया जाता है और इसके लिए डॉक्टर को तुरंत दिखाने की आवश्यकता होती है। इससे जलने में त्वचा जली हुई और सफेद दिखाई देती है और जले हुए हिस्से के आसपास के हिस्सों में बुरी तरह चोट लग सकती है। हालांकि, प्रभावित हिस्से में ज्यादा चोट नहीं पहुंची होती है – ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादा टेंपरेचर की वजह से नीचे की नसें पूरी तरह से डैमेज हो चुकी होती हैं।

बच्चों में जलने का इलाज कैसे करें

अगर आपका बच्चा जल जाता है तो तुरंत उसे ऐसी जगह से दूर ले जाएं जहां गर्मी का स्रोत हो, इसे सबसे पहला महत्वपूर्ण उपचार माना जाता है। यदि बच्चे आग से जला है, तो उसे तुरंत कंबल में लपेट दें या अपने शरीर से उसको बुझाने की कोशिश करें और आग की लपटों को बुझाने के लिए उसे जमीन पर उसे रोल करवाएं। केमिकल से जलने के मामले में, आपको यह देखने की जरूरत है कि शरीर से किसी भी कपड़े को हटाने से पहले केमिकल को पूरी तरह से हटा दिया गया हो – इसके लिए प्रभावित हिस्से को कम से कम दस मिनट के लिए ठंडे पानी के नीचे रखें। बिजली से जलने पर आप नॉन मैटेलिक वस्तु का इस्तेमाल कर के बच्चे को झटका देने वाले स्रोत से दूर कर दें। ऐसे में कभी भी पानी न फेंके, क्योंकि इससे बच्चे की हालत और खराब हो सकती है।

बेबी बर्न के उपचार का तरीका इस बात पर निर्भर करता है कि बर्न किस डिग्री का है:

1. फर्स्ट डिग्री बर्न का इलाज

प्रभावित हिस्से पर पानी डालने से पहले उस पर पड़ा कपड़ा जरूर हटा दें (केमिकल बर्न के मामले में अलग है)। ठंडे पानी को प्रभावित हिस्से पर कम से कम पांच मिनट डालें जब तक कि आपको यह न लगे कि दर्द कम हो गया है। दूसरी तरफ आप जले हुए हिस्से पर एक ठंडा, गीला कपड़ा लगा सकती हैं। उसपर बर्फ, मक्खन या किसी भी प्रकार का पाउडर नहीं लगाना चाहिए। प्रभावित हिस्से में अगर किसी भी तरह का इंफेक्शन दिखे, तो उसकी तुरंत जांच कराएं। 

2. सेकंड डिग्री बर्न का इलाज

यदि सेकंड-डिग्री बर्न माइल्ड है, तो आपको चोट के प्रभाव को कम करने के लिए फर्स्ट डिग्री बर्न के उपचारों का पालन करना चाहिए। ध्यान रखें कि जलने की जगह पर कोई फफोला न फटे क्योंकि इससे संक्रमण हो सकता है। आप एसिटामिनोफेन जैसी पेन किलर बच्चे को डॉक्टर की सलाह के बाद ही दे सकती हैं। डॉक्टर जलने वाली जगह पर सिलवाडीन जैसे ऑइंटमेंट को लगाने के लिए भी लिख सकते हैं। जब तक जलन ठीक न हो जाए, तब तक बच्चे को सूरज के संपर्क में कम आने दें।

3. थर्ड डिग्री बर्न का इलाज

सेकंड डिग्री के जलने और तीसरे डिग्री के जलने का इलाज एक जैसा ही होता है और इसे मेडिकल इमरजेंसी भी कहा जाता है। यदि जले हुए हिस्से में कपड़े अभी भी सुलग रहे हैं, तो आप कपड़ों को हटते वक्त यह प्रयास जरूर करें की वह त्वचा से चिपके हुए न हो। हो सके तो उसके शरीर के प्रभावित हिस्से को उसकी छाती के ऊपर रखें और उस जगह पर एक ठंडा, गीला कपड़ा लगाएं। उसके बाद आप प्रभावित हिस्से को साफ कपड़े से ढक सकती हैं। ऐसे में आपको बर्फ, मक्खन या टूथपेस्ट लगाने से बचना चाहिए, क्योंकि यह चोट को और बढ़ा सकता है। ऐसा होने पर डॉक्टर के पास तुरंत जाएं, ताकि बच्चा मेडिकल प्रोफेशनल की निगरानी में रह सके।

घर पर पालन किए जाने वाले जरूरी स्टेप्स

घर पर रहकर जले हुए हिस्से में राहत दिलाने के लिए यहां कुछ उपाय दिए गए हैं।

  1. जले हुए हिस्से को ठंडे पानी से भिगोएं (बर्फ का प्रयोग कभी न करें)।
  2. जले हुए हिस्से के आसपास मौजूद किसी भी कपड़े को हटा दें, अगर वह त्वचा पर चिपका नहीं हो।
  3. एक रेशमी कपड़े, जैसे की गौज का उपयोग करके जले हुए हिस्से को ढक दें। वहां मौजूद किसी भी फफोले को न फोड़ें।
  4. दर्द से राहत के लिए तभी दवा दें जब उसके बारे में निश्चित हों और डॉक्टर से सलाह ली हो।

बच्चों की जली त्वचा के लिए घरेलू उपचार

कुछ घरेलू सामान हैं जिनका उपयोग आप जलने के तुरंत बाद घरेलू उपचार के रूप में कर सकती हैं, और उनमें से कुछ की लिस्ट नीचे दी गई है।

1. ठंडा पानी

यह आप बिना सोचे समझे कर सकती हैं। ठंडे पानी को तुरंत प्रभावित हिस्से में डालना शुरू कर दें, जब तक आप दर्द को कम करने के लिए कुछ और उपाय नहीं सोच लेती हैं। 

2. एलोवेरा

एक हलके गीले कपड़े का उपयोग करके एलोवेरा लगाने से सूजन को रोकने में मदद मिलती है, और प्रभावित हिस्से में सूजन और दर्द कम हो जाता है।

3. सिल्वरेक्स क्रीम

यह त्वचा पर हल्के जलने का इलाज करने और उसमें होने वाले संक्रमण को रोकने के लिए इस्तेमाल की जाती है। क्रीम को पहले कुछ दिनों के लिए दिन में सिर्फ दो बार लगाना है।

4. टी बैग्स

इनमें टैनिक एसिड होता है, जो दर्द में आराम देता है और जलने वाली जगह से गर्मी को दूर करने का बहुत अच्छा काम करता है। अच्छे परिणामों के लिए जले हुए हिस्से पर ठंडे, गीले टी बैग्स को लगभग आधे घंटे के लिए रखें।

5. नारियल का तेल

नारियल का तेल न केवल बच्चों की जली हुई त्वचा से गर्मी को दूर करता है, बल्कि इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण भी होते हैं जो प्रभावित हिस्से में इंफेक्शन को फैलने से रोक सकते हैं।

6. दूध

दूध में मौजूद फैट और प्रोटीन जलन को शांत करता है उसको ठीक करने में मदद करता है।

मेडिकल मदद कब लें

अगर आपका बच्चा फर्स्ट डिग्री के अलावा किसी और तरीके से जला हो तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए। यदि जला हुआ हिस्सा दो इंच से ज्यादा बड़ा है, तो अपने बच्चे को तुरंत इमरजेंसी वार्ड में ले जाएं। यदि जलने की वजह से बच्चे का हाथ, चेहरा या गुप्तांग प्रभावित होता है, या जलने का कारण बिजली है, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं।

बड़े हो रहे बच्चों के जल जाने की घटना आम इसलिए हो जाती है, क्योंकि वह अक्सर चीजों को इधर-उधर करते रहते हैं और अनजाने में अपने आस-पास की हर चीज को छूते हैं। हालांकि, ज्यादातर मामलों में मामूली नुकसान ही होता है जैसे कि बेबी बर्न, उंगलियों पर छाले या शरीर पर छोटे जलने के निशान। लेकिन कभी-कभी बच्चे हाई टेम्परेचर से भी जल सकते हैं, इसलिए आप ऊपर दिए गए स्टेप्स को फॉलो करें और अगर आपको लगता है कि मामला गंभीर है तो डॉक्टर के पास जाएं।

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समर नक़वी

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