बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों के लिए चीनी: कितनी मात्रा सही होती है?

आमतौर पर खाने के बाद कुछ मीठा खाना हर किसी को पसंद होता है, जिसे डेजर्ट भी कहा जाता है। इसके अलावा बच्चों को चॉकलेट, केक और मिठाइयों का सेवन करना अच्छा लगता है और उन्हें मिठाई देकर, शांत करना एक आसान तरीका है। मीठा छोड़ना मुश्किल है, लेकिन इसके सेवन के परिणाम आपको कम से कम इस बारे में दोबारा सोचने पर मजबूर कर देगें, क्योंकि बार-बार मीठा खाने से डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए खासकर बच्चों को शुरू से कितनी चीनी का और किस हद तक सेवन करने देना चाहिए, यह आपको पता होना चाहिए।

चीनी क्या है?

चीनी आमतौर पर सफेद रंग की होती है, और इसे वैज्ञानिक रूप से सुक्रोज के रूप में जाना जाता है, यह एक केमिकल कंपाउड होता है जो हाइड्रोजन, कार्बन और ऑक्सीजन से मिलकर बनता है।

शक्कर कई रूपों में पाई जाती है, आइए इसके बारे में जानते हैं:

1. व्हाइट टेबल शुगर

यह लगभग हर घर में उपलब्ध सबसे आम प्रकार की चीनी है। इस प्रकार की चीनी गन्ने से बनाई जाती है जिसमें नेचुरल मिठास होती है, इसलिए दुनिया भर में बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन किया जाता है।

2. शहद

शहद भी एक प्रकार का चीनी है जो मधुमक्खियों के छत्ते से निकलता है। इस प्रकार की चीनी को एक हेल्दी स्वीटनर माना जाता है और यह उन लोगों के लिए फायेदमंद होती है जो डाइटिंग करते हैं या जो हेल्दी स्वीटनर का सेवन करना पसंद करते हैं।

3. मेपल सिरप

यह एक प्रकार की चीनी है जो मेपल के पेड़ के रस से मिलती है। मेपल चीनी में उच्च तीव्रता वाला कंपाउंड सुक्रोज पाया जाता है। इसका एक अनूठा स्वाद होता है और इसे आमतौर पर वॉफेल, पैनकेक्स या ओटमील में स्वीटनर के रूप में उपयोग किया जाता है।

4. ब्राउन शुगर

यह एक प्रकार की चीनी है जो सफेद चीनी और गुड़ के मिश्रण से बनती है। ब्राउन शुगर प्राकृतिक रूप से नम होती है क्योंकि गुड़ को हाइग्रोस्कोपिक के रूप में जाना जाता है, और इसी कारण से यह चीनी ‘नरम चीनी’ के नाम से जानी जाती है।

क्या चीनी खाना बच्चों के लिए हानिकारक है?

चीनी का सेवन करना बुरा नहीं है, लेकिन इसका अधिक मात्रा में सेवन करना बच्चे के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक साबित हो सकता है। इसके अलावा, बच्चे जिस प्रकार की चीनी पसंद करते हैं, वह भी उनके स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव को तय करती है। जब चीनी का सेवन एक तय सीमा से अधिक किया जाता है, तो बच्चे की आगे की सेहत पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

फलों में पाई जाने वाली चीनी अन्य पदार्थों की चीनी की तुलना में हेल्दी क्यों मानी जाती है?

सभी प्रकार की चीनी में कैलोरी पाई जाती है, चाहे उसका स्रोत फल हो या कोई अन्य खाद्य पदार्थ, लेकिन फलों में पाई वाली चीनी को प्राकृतिक चीनी के रूप में जाना जाता है, जो सुक्रोज, फ्रुक्टोज और ग्लूकोज का मिश्रण होती है। फलों में चीनी होती है, पर सीमित मात्रा में। जबकि अन्य प्रकार के खाद्य पदार्थों में ‘फ्री’ शुगर होती है, जो किसी के स्वास्थ्य को काफी हद तक प्रभावित कर सकती है।

ऐसा इसलिए है क्योंकि अन्य खाद्य पदार्थों में मौजूद चीनी को उसके प्राकृतिक स्रोत से निकाला जाता है, जिससे उसमें ज्यादा मिठास होती है। स्टडी, से पता चला है कि जिन खाद्य पदार्थों में फ्री शुगर होती है, वे बच्चों के दांतों की सड़न या मोटापे का कारण बन सकती है इस प्रकार, इससे बचा जाना चाहिए। फल, बच्चों को खाने के लिए जरूर देने चाहिए, क्योंकि वो न केवल बच्चों को हाइड्रेटेड रहने में मदद करते हैं बल्कि खाने की अच्छी आदतों को विकसित करने में भी मदद करते हैं।

एक बच्चे को प्रतिदिन कितनी चीनी का सेवन करना चाहिए?

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार,एक व्यक्ति की एक दिन की ऊर्जा का लगभग 10% हिस्सा केवल चीनी से मिलता है। इस मामले में, बच्चों को रोजाना 5% से अधिक चीनी का सेवन नहीं करना चाहिए। लगभग 5-7 साल की बच्ची के लिए 6-10 चम्मच चीनी पर्याप्त से अधिक होगी। वहीं अगर बच्चा लड़का है तो उसके लिए 8-12 चम्मच चीनी पर्याप्त होगी। 

बच्चों का अधिक मात्रा में चीनी का सेवन करने के प्रभाव

किसी भी चीज की अधिकता हानिकारक होती है, और ऐसा ही चीनी के मामले में भी है। यहां बच्चों में अधिक चीनी का सेवन करने के कुछ हानिकारक प्रभावों को शामिल किया गया है:

1. कुपोषण

जब आपका बच्चा चीनी का सेवन करता है, तो उसे अपना पेट भरा हुआ महसूस हो सकता है। क्योंकि चीनी की मात्रा खून में शुगर को बढ़ाती है और भूख की इच्छा को कम कर देती है। इसलिए यह सुझाव है कि आप अपने बच्चों को अधिक मात्रा मिठाई का सेवन करने से रोकें, क्योंकि यह उनके मानसिक और शारीरिक विकास के लिए आवश्यक और पौष्टिक आहार से दूर कर सकता है।

2. वायरस जैसे लक्षण

चीनी का अधिक सेवन करने के कारण कुछ बच्चों को अस्थमा, हे फीवर या अन्य इंफेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है। जिसमें नाक बहना, बार-बार पेशाब आना आदि इंफेक्शन होने के संकेत माने जा सकते हैं। कुछ बच्चों को सोते समय खांसी आ सकती है। ऐसा तब होता है जब बच्चों को शुगरी डेयरी उत्पाद ज्यादा दिए जाते हैं। क्योंकि इससे सिस्टम में एसिड बनने लगता है और गले की मांसपेशियों में ऐंठन आने लगती है।

3. मोटापा

बच्चों को ज्यादा मीठा देने पर उनमें मोटापा बढ़ सकता है, क्योंकि इसका कारण कैलोरी की कम खपत होना और फैट का बढ़ना होता है। यहां एक महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि केवल मीठे खाद्य पदार्थों से ही नहीं बचना चाहिए, बल्कि सॉफ्ट ड्रिंक्स या शरबत का सेवन भी सीमित होना चाहिए। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) फ्रूट जूस, प्रोसेस्ड फूड, पाई, चॉकलेट और सिरप में मौजूद शुगर के सेवन को भी सीमित करने की सिफारिश करता है।

4. त्वचा संबंधी समस्याएं

अगर आपका बच्चा मीठी चीजों का सेवन अधिक करता हैं, तो इससे उसे डैंड्रफ, रूखी त्वचा, खुजली, त्वचा में खुरदरापन और  मुंहासे या रोसैसिया होने की संभावना बढ़ जाती है। यही नहीं, बल्कि लगातार ज्यादा मीठे का सेवन करने की वजह से शरीर में इंसुलिन का स्तर नकारात्मक होने लगता है। जिससे त्वचा पर अत्यधिक बाल उगना, त्वचा पर काले धब्बे आना, त्वचा पर सूजन और झुर्रियां भी पड़ने लगती हैं, जिससे उबरना बहुत ही मुश्किल हो सकता है।

5. सीखने और याद रखने की क्षमता में कमी आना

जब कोई बच्चा ज्यादा मात्रा में मीठी चीजों का सेवन करता है, तो उससे बीडीएनएफ (ब्रेन डिराइव्ड न्यूरोट्रोफिक फैक्टर) यानी मस्तिष्क में न्यूरॉन्स की मात्रा धीरे-धीरे कम होने लगती है। जो स्मृति को बनाए रखने और प्रतिक्रिया विकसित करने में मदद करते हैं। इससे बच्चों की सीखने और समझने की शक्ति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

6. कैविटी

मुंह में बैक्टीरिया हमेशा ही मौजूद होते हैं। ऐसे में जब बच्चे कुछ मीठी चीजों का सेवन करते हैं, तो शुगरी फूड और बैक्टीरिया मिलकर एसिड बनाते हैं जिसके परिणामस्वरूप दांतों में सड़न या कैविटी होने लगती है।  जबकि बार-बार ज्यादा मीठे का सेवन करने और चीनी-लार-बैक्टीरिया के मिलने से दांतों पर प्लाक जमा हो जाता है।

7. डायबिटीज

बच्चों में मोटापे का कारण बनने वाली चीनी के बारे में पहले ही बात की जा चुकी है। लेकिन, डायबिटीज खासकर टाइप 2 डायबिटीज मोटापे से संबंधित होता है। इस प्रकार, जब बच्चों को ज्यादा मीठी चीजें सेवन के लिए दी जाती है, तो वो डायबिटीज जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं।

8. व्यवहार संबंधी मुद्दे

लगातार मीठे पदार्थों का सेवन बच्चों के व्यवहार को कैसे बदल सकता है। रिफाइन शुगर के बार बार सेवन से  कमजोर इम्युनिटी वाले बच्चे चीनी की मात्रा के प्रति अधिक संवेदनशीलता दिखाते हैं जिसकी वजह से वो ज्यादा मीठी चीजों का सेवन करते हैं, जो एड्रेनालाईन में तेजी से जाती है। बच्चों में हार्मोन का ये बदलाव उनमें आक्रामकता को बढ़ावा देता हैं। जिससे कई बार ऐसी स्थितियों को संभालना मुश्किल हो जाता है।

बच्चों को मीठे से छुटकारा दिलाने के 7 प्रभावी टिप्स

इन सुझावों की मदद से बच्चों को मीठे के सेवन से होने वाले नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षित रखा जा सकता है।

1. विकल्प

नेचुरल चीनी की जगह शुगर फ्री को उपयोग करना एक व्यावहारिक विकल्प है। पाई और चॉकलेट देने के स्थान पर आप बच्चों को ताजा दही और ताजा जूस दे सकती हैं।

2. जूस में बदलाव लाएं

अगर आप अपने बच्चों को प्रोसेस्ड या आर्टिफिशियल जूस दे रहीं हैं, तो इसमें ताजे कटे हुए फल या खीरे को मिलाएं, जिससे जूस में मौजूद चीनी की मात्रा कम हो सके।

3. शुगरी ड्रिंक्स का कम सेवन

सुबह के नाश्ते में संतरे का जूस हो, सोडा हो या स्पोर्ट्स ड्रिंक, अगर इन ड्रिंक्स की जगह अपने बच्चों में अधिक पानी पीने की आदत को विकसित करने में मदद करें।

4. स्वास्थ्यवर्धक विकल्पों पर भरोसा न करें

शहद, चीनी का एक बेहतर विकल्प है, इसलिए स्वास्थ्य के लिए इसे हमेशा अच्छा माना जाता है,लेकिन इसकी अधिकता भी आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। 

5. सादा या फल मिश्रित दही दें

दही सेहत के लिए अच्छा होता है। ऐसे में जब आप भी दही खरीदें, तो वो सादा होना चाहिए, मीठा नहीं। अगर आपके बच्चे को सादा दही पसंद नहीं है, तो उसमें आप ताजे कटे हुए फलों को मिला सकती हैं।

6. अपने बच्चों को जागरूक करें

अपने बच्चे को शुरू से ही मीठी चीजों के उसकी हेल्थ पर होने वाले नकारात्मक प्रभावों के बारे में जरूर बताएं, इसके साथ ही आप उसे लाइव उदाहरण दें और मीठी चीजों के सेवन को कम करने का कारण भी बताएं।

7. धीरे धीरे बदलाव लाएं

बच्चों की मीठी चीजों के सेवन को एक ही बार में कम या बंद न करें, बल्कि छोटी शुरुआत के साथ धीरे-धीरे मीठी चीजों के सेवन में बदलाव करें।

एक बच्चे की सेहत बहुत ही महत्वपूर्ण है, ऐसे में अगर आप अपने बच्चे को हमेशा हेल्दी और फिट रखना चाहती हैं, तो उसमें शुरू से ही अच्छी आदतें विकसित करने में मदद करें। इसके लिए आपको अपने बच्चे को मीठा देना सीमित करना होगा।

यह भी पढ़ें:

क्या बच्चों के लिए अंडों का सेवन करना अच्छा है?
बच्चों के लिए दूध – कारण, प्रकार और फायदे
क्या बच्चों को चाय या कॉफी देना उनकी सेहत के लिए सही है?

समर नक़वी

Recent Posts

जादुई हथौड़े की कहानी | Magical Hammer Story In Hindi

ये कहानी एक लोहार और जादुई हथौड़े की है। इसमें ये बताया गया है कि…

1 week ago

श्री कृष्ण और अरिष्टासुर वध की कहानी l The Story Of Shri Krishna And Arishtasura Vadh In Hindi

भगवान कृष्ण ने जन्म के बाद ही अपने अवतार के चमत्कार दिखाने शुरू कर दिए…

1 week ago

शेर और भालू की कहानी | Lion And Bear Story In Hindi

शेर और भालू की ये एक बहुत ही मजेदार कहानी है। इसमें बताया गया है…

1 week ago

भूखा राजा और गरीब किसान की कहानी | The Hungry King And Poor Farmer Story In Hindi

भूखा राजा और गरीब किसान की इस कहानी में बताया गया कि कैसे एक राजा…

1 week ago

मातृ दिवस पर भाषण (Mother’s Day Speech in Hindi)

मदर्स डे वो दिन है जो हर बच्चे के लिए खास होता है। यह आपको…

1 week ago

मोगली की कहानी | Mowgli Story In Hindi

मोगली की कहानी सालों से बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय रही है। सभी ने इस…

1 week ago