बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

आईसीएसई या सीबीएसई – कौन सा बोर्ड आपके बच्चे के लिए बेहतर होगा

आपका बच्चा जूनियर स्कूल की दुनिया में कदम रख रहा है, और अब आप सोच रहे हैं कि बच्चे के लिए किस एजुकेशन बोर्ड को चुनना सही रहेगा। आईसीएसई और सीबीएसई दोनों भारत के सभी स्कूलों और कॉलेजों में मान्यता प्राप्त बोर्ड हैं। हालांकि इन दोनों बोर्ड की अपनी अच्छाइयां और खामियां हैं। जैसा कि कहा जाता है कि हर बच्चा अलग होता है, इसलिए आप जो भी निर्णय लें वो अपने बच्चे को ध्यान में रखते हुए लें।

अगर आप अभी भी ये जानने के लिए उत्सुक हैं कि कौन सा बोर्ड बेस्ट है, सीबीएसई या आईसीएसई, तो इस लेख को पढ़ना जारी रखें।

आईसीएसई बोर्ड क्या है?

आईसीएसई को सीआईएससीई या ‘काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन’ कहा जाता है। आईसीएसई तकनीकी रूप से सीआईएससीई बोर्ड कक्षा 10 के छात्रों के लिए आयोजित परीक्षाओं की एक सीरीज होती है। छात्रों के लिए एक प्रतिष्ठित शैक्षणिक विकल्प होने के अलावा, आईसीएसई अपने कड़े इंटरनल असेसमेंट और विभिन्न विषयों के सिलेबस की पूरी डिटेल कवरेज के लिए जाना जाता है। आईसीएसई का विकल्प चुनने वाले बच्चों को अंग्रेजी अनिवार्य होने के साथ कुल छह विषयों को पढ़ना होता है। संरचनात्मक रूप से, आईसीएसई का दायरा अंतरराष्ट्रीय परीक्षाओं और ओलंपियाड के लिए अधिक तैयारी करवाने वाला होता है, जो इसे उन लोगों के लिए आदर्श विकल्प बनाता है जो अपने जीवन में विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं, चाहे वह कक्षा 10 के बाद हो या किसी प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में। 

ध्यान रखें कि आईसीएसई एक गैर-सरकारी शिक्षा बोर्ड है और कक्षा 10 के बाद, आईसीएसई का बदलाव आईएससी (इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट) में हो जाता है। भारत और दुनिया भर में 1000 से अधिक स्कूल सीआईएससीई से संबद्ध (अफ्लेटिड) हैं। 

सीबीएसई बोर्ड क्या है?

सीबीएसई बोर्ड सीधे भारत सरकार के अंतर्गत आता है और भारत में एक उच्च मान्यता प्राप्त बोर्ड है। सीबीएसई को आईसीएसई से जो चीज अलग बनाती है, वह है इसका सिलेबस और कंटेंट का दायरा। सीबीएसई बोर्ड में निर्धारित शैक्षणिक पाठ और टेक्स्ट बुक विभिन्न राष्ट्रव्यापी प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे एआईईई, जेईई, एनईईटी और अन्य के स्ट्रक्चर और पैटर्न का पालन करती हैं। सीबीएसई में 11वीं और 12वीं कक्षा का विस्तार किया गया है, जो उन लोगों के लिए सुविधाजनक है जो कक्षा 10 के बाद एक ही शिक्षा बोर्ड करना चाहते हैं। मोटे तौर पर भारत के साथ दुनिया के 24 देशों में 16000 स्कूल सीबीएसई शिक्षा बोर्ड से संबद्ध हैं।

सीबीएसई और आईसीएसई बोर्डों के बीच प्रमुख अंतर

अगर आप आईसीएसई और सीबीएसई के बीच चयन करने की सोच रहे हैं, तो सही उत्तर आपके बच्चे के प्रोफाइल पर निर्भर करता है। अपने बच्चे की ताकत और कमजोरियों के बारे में सोचें और उसके अनुसार अपने विकल्पों पर विचार करें। ध्यान देने योग्य एक बात यह है कि आईसीएसई में पढ़ाई का माध्यम केवल अंग्रेजी है, जबकि सीबीएसई में, छात्रों को हिंदी और अंग्रेजी दोनों में शिक्षा दी जाती है, जिससे छात्रों के लिए कॉन्सेप्ट्स को समझना आसान हो जाता है, विशेष रूप से उन्हें, जिन्हें इनमें से कोई एक भाषा समझने में कठिनाई होती है। सीबीएसई और आईसीएसई के बीच छह प्रमुख अंतर यहां दिए गए हैं। 

1. कठिनाई का स्तर

कठिनाई के स्तर के मामले में आईसीएसई, सीबीएसई से ऊपर है। ऐसा इसलिए है क्योंकि आईसीएसई सिलेबस कई इंटरनल असेसमेंट पर टिका हुआ है और कक्षा में पढ़ाए जाने वाले कॉन्सेप्ट व्यावहारिक पाठ (प्रैक्टिकल लेसन्स) पर दिए जाते हैं, लेकिन जब आपका बच्चा सीबीएसई में दाखिला लेता है, तो सीखने की अवस्था तेज नहीं होती है। जिससे वह व्यावहारिक और वास्तविक दुनिया पर आधारित नॉलेज से चूक जाता है। सीबीएसई के विपरीत, आईसीएसई उच्च स्तर की शिक्षा की मांग करता है क्योंकि परीक्षा चुनौतीपूर्ण और कठिन होती है। अगर आपके बच्चे के लिए कॉन्सेप्ट की स्पष्टता और विषय की गहराई को समझना महत्वपूर्ण है, तो आईसीएसई आदर्श विकल्प है। 

2. ट्रांसफरेबिलिटी

अगर आपका अक्सर अलग-अलग शहरों में ट्रांसफर होता रहता है, तो आपको आईसीएसई में अपने बच्चे की शिक्षा जारी रखने में कठिनाई होगी क्योंकि देश में बहुत सारे आईसीएसई स्कूल नहीं हैं। हालांकि, सीबीएसई को भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त है और देश भर के कई स्कूल इस एजुकेशन बोर्ड को अपनाते हैं, इसलिए अगर आप ट्रांसफरेबल नौकरी करते हैं तो आपके बच्चे के लिए स्कूलों को बदलना इतना कठिन नहीं होगा। अगर आप अगले 5 से 10 साल तक अपने परिवार के साथ एक शहर में रहने की योजना बना रहे हैं, तो आईसीएसई चुनें, वरना सीबीएसई आपके बच्चे के लिए बेस्ट ऑप्शन है।

3. प्रतियोगी और अंतर्राष्ट्रीय परीक्षा

सीबीएसई का सबसे बड़ा फायदा इसके सिलेबस में है। सीबीएसई सिलेबस का कंटेट प्रतियोगी परीक्षाओं को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है। यहां तक ​​कि लोकप्रिय इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस परीक्षाएं भी इसके सब्जेक्ट सिलेबस पर ही आधारित होती हैं। दूसरी ओर, आईसीएसई अंतर्राष्ट्रीय लोकप्रियता के मामले में सीबीएसई से आगे है। विदेशों में कई स्कूल सिलेबस की गहराई और डिटेलिंग को पहचानते हैं और आईसीएसई ग्रेजुएट्स पर अपना भरोसा दिखाते हैं। सरल शब्दों में कहें तो, अगर आप अपने बच्चे को एआईईई और जेईई जैसी राष्ट्रीय प्रतियोगी परीक्षाओं को क्लीयर करवाने की योजना बना रहे हैं, तो सीबीएसई चुनें। अंतरराष्ट्रीय ओलंपियाड और छात्रवृत्ति परीक्षाओं के लिए, आईसीएसई को अपनाएं।

4. विषयों की रेंज

अगर आपका बच्चा सीखना पसंद करता है और उसका ब्रेन लगातार नई चीजें जानने की कोशिश करता है, तो आईसीएसई उसके लिए एक आदर्श विकल्प है। हिंदी, अंग्रेजी, कन्नड़, तमिल, तेलुगु और जैसी अनेक भाषाओं की पेशकश करते हुए, आईसीएसई में रचनात्मक विषयों (क्रिएटिव सब्जेक्ट्स) जैसे फैशन डिजाइन, कृषि, होम साइंस और इनोवेटिव ब्रेन के लिए कुकरी को शामिल किया गया है। अगर बच्चा बाद में जीवन में एक प्रोफेशनल विजुअल आर्टिस्ट, एक एथलीट या यहां तक ​​कि एक वैज्ञानिक बनने की इच्छा रखता है, और आप अपने बच्चे को एक ऑलराउंडर के रूप में तैयार करना चाहते हैं तो आईसीएसई सही विकल्प है।

5. ग्रेडिंग सिस्टम

सीबीएसई में, आप नहीं जानते कि बच्चे ने कितना स्कोर किया है क्योंकि परीक्षा के दौरान उसके द्वारा लिखे गए सभी पेपर्स अल्फाबेटिकल ग्रेडिंग के अनुसार जांचे जाते हैं। जबकि आईसीएसई में, प्रत्येक विषय के ग्रेड को व्यक्तिगत संख्यात्मक अंकों के साथ दिखाया जाता है जिससे छात्रों को विषयों में अपने अच्छे प्रदर्शन को आंकने का मौका मिलता है।

6. निजी उम्मीदवारी और मेंटरशिप

आईसीएसई निजी उम्मीदवारों को उनकी परीक्षा में बैठने की अनुमति नहीं देता है और केवल आईसीएसई एक्सक्लूसिव छात्रों ही को बोर्ड परीक्षा के दौरान पेपर लिखने की अनुमति देता है। दूसरी ओर, सीबीएसई बोर्ड, एसएससी जैसे अन्य बोर्डों के छात्रों को भी करिकुलम में शामिल होने की अनुमति देता है। अगर कोई छात्र अपने प्रारंभिक वर्षों के बीच में बोर्ड बदलता है, तो सीबीएसई उन्हें आईसीएसई के विपरीत प्रवेश की अनुमति देता है, जो शुरू से ही छात्रों को तैयार करता है। जहां तक ​​ट्यूशन की बात है तो कोलकाता, मुंबई और बैंगलोर जैसे शहरों में सीबीएसई की तुलना में आईसीएसई के ट्यूटर बहुतायत में पाए जाते हैं।

ऑनलाइन एजुकेशन प्लेटफॉर्म आईसीएसई-मोड ऑफ लर्निंग को भी वरीयता देता है और इस तरह सोफिस्टिकेशन और विस्तार के मामले में, आईसीएसई, सीबीएसई के विपरीत शिक्षा की तुलना में बेहतर माना जाता है। सीबीएसई सिलेबस को अब विदेशों में भी शैक्षणिक प्रणालियों द्वारा मान्यता दी जा रही है। हालांकि, आईसीएसई को सीबीएसई की तुलना में पूर्ण और समग्र हाई स्कूल शिक्षा माना जाता है।

लचीलेपन और विषयों की पसंद के मामले में, आईसीएसई निश्चित रूप से विविधता की श्रेणी में आगे है, कुछ स्कूल अपने सिलेबस में इंटीरियर डिजाइन, कंप्यूटर साइंस और एनवायरमेंट साइंस जैसे विषयों की पेशकश भी करते हैं।

अगर आप सीबीएसई या आईसीएसई में से कौन सा बोर्ड चुनें इसके के बारे में सोच रहे हैं, तो उम्मीद है कि हम आईसीएसई और सीबीएसई सिलेबस के बीच आपको बेहतर रूप से अंतर बता पाए होंगे और अब आप अपनी पसंद के मुताबिक सही चुनाव कर सकेंगे।

यह भी पढ़ें:

बोर्डिंग स्कूल के फायदे और नुकसान
सीबीएसई बोर्ड बनाम स्टेट बोर्ड – बच्चों के लिए क्या सही है?
आरटीई स्कूल एडमिशन – माता-पिता के जानने योग्य संपूर्ण जानकारी

समर नक़वी

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