जब माता-पिता पहली बार अपने बच्चे के चेहरे के एक्सप्रेशन को समझने की कोशिश करते हैं उस दौरान उनके लिए इसका अर्थ समझ पाना थोड़ा मुश्किल होता है। लेकिन समय के साथ इस बात का अहसास होता है कि बच्चे यह फनी एक्सप्रेशन आपको ही देखकर देते हैं। क्योंकि बच्चों के लिए आपसे बात करने का अपनी फीलिंग्स बताने का सिर्फ एक ही जरिया होता है। इसलिए आपको उनके एक्सप्रेशन से उनकी हर बात को समझने का प्रयास करना होगा जो बच्चे की केयर करने के बहुत जरूरी है।
यहाँ आपको बताया गया है कि आप अपने बच्चे के एक्सप्रेशन को कैसे समझें।
बच्चे सबसे पहले अगर कुछ सीखते हैं तो वो है आपसे। वह देखते हैं कि आप किस सिचुएशन में किस तरह रिएक्ट करते हैं, जिससे उन्हें यह समझने में मदद मिलती है कि ये अच्छा है या बुरा।
बच्चे को अलग-अलग फेस एक्सप्रेशन दिखाएं और साथ ही अपनी आवाज में उस एक्सप्रेशन के नाम भी बताएं। जैसे ‘हैप्पी’, ‘सैड’। इस तरह बच्चा इमोशन को समझने लगेगा और उसके हिसाब से रिएक्ट करेगा। इसी तरह नए एंवायरमेंट में आने के केस में आप लोगों से फ्रेंडली रहें और बच्चे को इसी तरह आपको हंसता हुआ देखने दें। ताकि वह जान सके कि नए लोगों से मिलना उनके लिए खतरा नहीं है।
माता-पिता को आपस में या उनसे बात करते हुए सुनकर बच्चे अपनी आवाज में वेरिएशन पैदा करते हैं, जिस तरह से आप करते हैं या आपकी पिच है वे उससे खुद को मैच करने की कोशिश करते हैं। लगभग 4-6 महीनों में, बच्चे अपनी जीभ का उपयोग करना शुरू कर देते हैं, और लगातार बड़बड़ाते हैं और इमोशन को समझाने के लिए आपसे कम्यूनिकेट करने की या कोई अक्षर बोलने का प्रयास करते हैं।
अपने बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा बातचीत करें। उससे बात करें कि आप क्या करने जा रहे हैं, या नई चीजों के बारे में उत्साहित रहें जो आप कर सकते हैं। उससे सवाल पूछें और उसे अपने तरीके से जवाब देने का समय दें।
इस तरह एक तनावपूर्ण एक्सप्रेशन का अर्थ है कि बच्चा उस पल अच्छा महसूस नहीं कर रहा है और वो किसी भी समय रोना शुरू कर सकता है। वह अकेला और कम्फर्टेबल महसूस करना चाहता है जो वो फिलहाल महसूस नहीं कर रहा होता है।
अपने बच्चे को एक पालने में लिटा कर उसे धीरे-धीरे से हिलाएं या उसे अपनी बाहों में उठाकर हिलाएं। उसे शांत होने दें और इस तरह वह खुद ही नॉर्मल हो जाएगा।
किकिंग आमतौर पर तब शुरू हो जाती है जब बच्चा एक महीने का या उससे बड़ा हो जाता है, अंगों को लेकर जिज्ञासा जाहिर करने शुरू कर देता है। इस समय के करीब वो दूसरी एक्टिविटीज में भी इंटरेस्ट दिखाने लगता है और वो चीजें न हों तो बोर हो जाता है। तो वो खेलने या आपकी अटेंशन पाने के लिए भी किकिंग स्टार्ट कर सकता है।
जो भी चीज बच्चे को परेशान कर रही है सबसे पहले उसका कारण जानें। हो सकता है कि उसका डायपर गीला हो, या कोई चीज उन्हें चुभ रही हो उसे या खुजली कर रही हो। उनका चेहरा देखें कि क्या वो परेशान हो रहा है या नहीं। अगर ऐसा नहीं है तो फिर शायद वो किकिंग खुद को इंटरटेन कर रहा हो। इसके लिए उन्हें थोड़ी साइकिलिंग करवाएं ताकि वह अलग-अलग डायरेक्शन में अपने पैरों को घुमा सकें।
आपका बच्चा बहुत ज्यादा हँसता है और गाल ऊपर कर के तरह-तरह की आवाजें निकालता है। इसका स्ट्रांग साइन ये है कि बच्चा एक तरफ की आँख मारता है। ये इस बात का संकेत है कि बच्चा उस समय जो भी देख रहा है कि वो उसे पसंद आ रहा है।
बच्चे जैसे हैं उन्हें वैसा रहने दें। यदि आप डांस कर रही हैं तो आपका बच्चा इसे देखकर बहुत पसंद करेगा और मुस्कुराएगा, उनके चेहरे पर यह मुस्कान बनी रहने दें। उसके साथ मजेदार आवाजें निकालें, उसके साथ गेम खेलते समय मम्मी और डैडी जैसे नामों का उपयोग करें ताकि वह उस चीज को जोड़ना शुरू कर दे जो उसे पसंद है।
जब एक बच्चा नींद से उठता है, तो भूखा रहता है, जिसकी वजह से वो धीमी आवाज में रोने लगता है। अगर आप उसको कोई अटेंशन नहीं देती हैं, तो बच्चा ज्यादा रोने लगता है।
जैसे ही आप बच्चे के रोने की आवाज सुनें, तुरंत बच्चे को उठा लें, ताकि उन्हें यह सुकून रहे कि आप उनके पास हैं। इस बारे में चिंता न करें कि आपका बच्चे को इसकी आदत न लग जाए, कुछ महीनों तो आपको ऐसे ही करना होगा। चेक करें कि उसका डायपर तो गीला नहीं है। यदि ऐसा नहीं है, तो अपनी अंगुली उसके मुँह पर रख के देखें कि कहीं वो भूखा तो नहीं है। अगर वो इसे चूसना शुरू कर देता है, तो समझ जाइए के बच्चा भूख की वजह से ही रो रहा है।
बच्चे अपने आस पास की हर चीज को देखकर मोहित हो जाते हैं। और अगर कोई भी चीज उनका अटेंशन अपनी ओर खींचती है, तो वह उसे लागातार देखते रहते हैं जब उन्हें यह समझ में न आ जाए कि वह क्या देख रहे हैं। इसके अलावा अगर वह आपको घूर रहे हैं, तो आप जिधर भी जाएंगी वो आप पर नजर रखेगा। जब आप उसकी नजर से दूर हो जाएंगी और अचानक फिर उसके सामने आएंगी तो वो आपको देखकर हैरान हो जाएगा।
यदि आपका बच्चा किसी ऑब्जेक्ट को घूर रहा है, तो उसे डिस्टर्ब किए बिना ऐसा करने दें। इसके अलावा आप उसके पास में खिलौने रख दें और देखें कि क्या वो इसे पाना चाहता है। अगर आपके जाने पर भी वो आपको ही देख रहा है तो उसके साथ छुपन छुपाई खेले और अलग अलग दरवाजे से उसके सामने आकर हैरान कर दें।
हालांकि बच्चे अपने एक साल के अंदर ही अपने अंगों को के प्रति जिज्ञासा जाहिर करने लगते हैं। जो उन्हें यह जानने में मदद करता है कि उन्हें अपने अंगों का उपयोग कैसे करना है। अगर बच्चा अपनी दोनों हथेलियों को एक साथ मिलाता है तो ताली की आवाज निकलती है। जिसे सुनकर वो बार बार ऐसा करने लगता है, क्योंकि उसके लिए यह बिल्कुल नया है।
बच्चे को ताली बजाने के लिए प्रोत्साहित करें । वह अपने हाथों के बारे में जानने का प्रयास कर रहे होते हैं, इसलिए उन्हें अलग अलग मूवमेंट कर के दिखाएं, जैसे अपने हाथों को उठाना, वेव करना आदि और फिर आप देखें कि वो कैसे कर रहे हैं। उनके साथ क्लैपिंग गेम खेले और उन्हें नॉन वर्बल कम्युनिकेशन का मतलब सिखाएं।
अगर आप अपने बच्चे की धीरे-धीरे घरघराहट की आवाज करते हुए सुनती हैं, तो इसका मतलब है कि बच्चे को किसी तरह की कोई परेशानी हो सकती। ऐसे में आप नोटिस कर सकती हैं कि उसका चेहरा टाइट कर लेता है, अपने घुटनों को मोड़ लेता है और सीने की तरफ अपने पैरों को अंदर कर लेता है।
हो सकता है कि आपका बच्चा गैस की समस्या से पीड़ित हो और यह नहीं समझ पा रहा हो कि क्या हो रहा है। हल्के से उसके पेट को रगड़ें और उसके पैरों को इधर-उधर घुमाएं ताकि गैस बाहर निकल सके। उसे उठाएं और अपनी छाती पर उसे पीठ के बल लिटा दें, ताकि पेट पर दबाव कम पड़े। उसे थोड़ा बाहर टेहलाएं जब उसे थोड़ा बेहतर न महसूस होने लगे। अगर इसके बावजूद भी बच्चा रोता है, तो इसका मतलब है बच्चे को अभी भी दर्द है। आपको बिना देर किए ऐसे हालात में डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।
आमतौर पर जन्म के शुरुआती महीनों में, बच्चे तेज आवाज पर या तेज रोशनी पर रिऐक्शन देते हैं। अचानक धमाके से या रोशनी करने से बच्चा चौक जाता है, और रोना शुरू कर सकता है।
यदि बच्चा रोने लगता है तो उसे कंबल के साथ गोद में उठा लें। ताकि उसे गर्भनके जैसे राहत महसूस हो। उसे हल्का हल्का थपथपाएं और उन्हें सुरक्षित महसूस कराएं, कि डरने की कोई बात नहीं है वो अपने पैरेंट के साथ हैं।
यह एक ऐसा एक्सप्रेशन है, जिसमें बच्चा अपनी दुनिया में बिल्कुल मस्त रहता है। न ही उसे किसी प्रकार की कोई अटेंशन चाहिए होती है और न ही वो अपने आसपास की चीजों को देखकर किसी प्रकार की प्रतिक्रिया देते हैं। और अपनी ही पोजीशन में रिलैक्स करते हैं।
अपने बच्चे को ऐसे ही रहने दें। अपने बच्चे को ऐसे ही संतुष्ट रहने दें। वो तरह तरह की आवाज निकाल कर अपने अंगों को एक्सप्लोर करने का प्रयास करते हैं। बच्चे को बेवजह डिस्टर्ब न करें। उन्हें कुछ देर अकेले रहने दें। बस इस बात का ध्यान दें कि बच्चा कंफर्टेबल रहे ताकि जब वो सोना चाहे तो आसानी से सो सके।
लगभग 6 महीने या उसके बाद से ही बच्चे अपनी मुट्ठी बंद करने लगते हैं। आमतौर पर, वह ऐसा अपनी अंगुली को चूसने के लिए करते हैं। लेकिन कभी कभी ये किसी समस्या या भूख लगने का भी संकेत हो सकता है। या फिर वो अकेले रहना चाह रहा हो।
यदि आप या कोई भी बच्चे के साथ खेल रहा है, तो उन्हें रोक दें और बच्चे को कुछ देर अकेले रहने दें। उनसे आराम से बात करें ताकि आप उनके करीब हैं उन्हें यह महसूस हो। यदि बच्चा रोने लगे तो चेक करें कहीं उसे भूख तो नहीं लगी या डायपर चेंज करने का टाइम तो नहीं हो गया है।
बच्चों के एक्सप्रेशन को समझना किसी विदेशी भाषा को समझने से कम नहीं है। एक एक्सप्रेशन से कई मतलब निकल सकते हैं। लेकिन बच्चे के बड़े होने के साथ साथ आप उनके हर एक्सप्रेशन को समझने भी लगती हैं और वो भी आपको समझने लगते हैं।
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