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नए पेरेंट्स के तौर पर आपको कुछ चिंताएं सताती होंगी, कि कहीं आपका बच्चा आसपास के वातावरण के कारण तरह-तरह की बीमारियों की गिरफ्त में न आ जाए। फ्लू या इन्फ्लुएंजा, इन्फ्लुएंजा वायरस के कारण होता है और यह एक मौसमी बीमारी है। पाँच साल तक की उम्र के बच्चों पर, इन्फ्लुएंजा कई तरह के बुरे प्रभाव डाल सकता है। सीजनल फ्लू शॉट हर किसी के लिए रेकमेंड की जाती है, खासकर बच्चों के लिए, क्योंकि यह इन्फ्लुएंजा वायरस से सुरक्षित रखती है।
बच्चे और वैसे लोग जो अस्थमा, डायबिटीज, दिल की बीमारियों और कमजोर इम्युनिटी के शिकार हैं या इससे गुजर चुके हैं, उन्हें इन्फ्लुएंजा से निमोनिया जैसी गंभीरताओं का खतरा होता है। दो साल से कम उम्र के बच्चों को इसका खतरा अधिक होता है। सौभाग्य से शिशुओं के लिए एक इन्फ्लुएंजा वैक्सीन बड़े पैमाने पर उपलब्ध है।
अधिकतर अन्य वैक्सीन की तरह ही, इन्फ्लुएंजा वैक्सीन में कमजोर इन्फ्लुएंजा फ्लू वायरस होते हैं, जिनमें बीमारी के कोई लक्षण नहीं होते हैं। कमजोर वायरस आपके बच्चे के शरीर को प्राकृतिक रूप से वायरस के प्रति रजिस्टेंट बनाता है। यदि भविष्य में आपका बच्चा विकसित इन्फ्लुएंजा वायरस के सीधे संपर्क में आता है, तो वह इससे आसानी से प्रभावित नहीं होगा।
छः महीने की उम्र या उससे अधिक उम्र के बच्चों को हर साल फ्लू शॉट दिया जाना चाहिए।
आपको आपके बच्चे के डॉक्टर के साथ फ्लू वैक्सीन के बारे में विभिन्न विकल्पों के बारे में चर्चा करनी चाहिए। छः महीने से कम आयु के बच्चों को और जिन बच्चों को फ्लू वैक्सीन के कारण पहले गंभीर रिएक्शन हुए हों, उन्हें यह वैक्सीन नहीं लगाई जानी चाहिए।
आपको एक और बात का ध्यान रखना चाहिए, कि क्या आपके बच्चे को अंडे से एलर्जी है? वैक्सीन में मौजूद वायरस चिकन के अंडों में विकसित किए जाते हैं और उनमें एग प्रोटीन के अंश हो सकते हैं, जिससे आपके बच्चे को रिएक्शन हो सकता है। अगर आपके बच्चे की सेहत ठीक नहीं है, तो उसके डॉक्टर से बात करें और इस बारे में समझें कि क्या वैक्सीन लगाने को स्थगित किया जा सकता है।
फ्लू सीजन आमतौर पर अक्टूबर से मई के महीने के बीच रहता है। चूंकि, वायरस से लड़ने के लिए, जरूरी एंटीबॉडी को पैदा करने के लिए, शरीर को समय चाहिए होता है, इसलिए सबसे बेहतर है, कि फ्लू वैक्सीन दो सप्ताह पहले लगाई जाए।
जैसा कि ऊपर बताया गया है, छह महीने से कम आयु के शिशुओं के लिए फ्लू शॉट्स की सलाह नहीं दी जाती है। लेकिन, अगर आपका बच्चा फ्लू सीजन के बीच छह महीने का हो जाता है, तो उसे वैक्सीन लगाना सुरक्षित है। अपने बच्चे के पेडिअट्रिशन से परामर्श लें और इसकी सुरक्षा के बारे में बात करें।
फ्लू शॉट हर किसी को हर साल लगाना चाहिए, इसमें आप और आपके बच्चे की देखभाल करने वाला कोई भी व्यक्ति शामिल है, क्योंकि फ्लू बहुत अधिक संक्रामक हो सकता है।
इन्फ्लुएंजा वैक्सीन का आमतौर पर एक अच्छा ट्रैक रिकॉर्ड है और इसके अधिक साइड इफेक्ट्स रजिस्टर नहीं किए गए हैं। लेकिन, कुछ मामलों में फ्लू शॉट लगाने के बाद आप बच्चे में कुछ आम साइड इफेक्ट्स देख सकते हैं:
कुछ बहुत ही दुर्लभ मामलों में डॉक्टरों ने फ्लू शॉट के कारण एक एनाफायलैक्टिक रिएक्शन पाया है। हालांकि वैक्सीन लगाने वाले व्यक्ति को इतनी ट्रेनिंग दी जाती है, कि अगर आपका बच्चा एनाफायलैक्टिक शॉक में जा रहा है, तो वह उसे पहचान सके और उसे तुरंत फर्स्ट ऐड दे सके।
हर साल एक नया वैक्सीन इसलिए बनाया जाता है, क्योंकि वातावरण में मौजूद वायरस तेजी से म्यूटेशन करते रहते हैं। इस कारण से पिछले वर्ष का वैक्सीन बच्चों को वायरस से पूरी सुरक्षा देने में सक्षम नहीं होता है।
अगर आपका बच्चा 6 महीने से 9 वर्ष की आयु के बीच है और उसे पहले कभी भी फ्लू शॉट नहीं दिया गया है, तो उसे 4 सप्ताह के अंतराल पर दो शॉट्स देने की जरूरत होगी। जिन बच्चों को नियमित रूप से फ्लू शॉट्स दिए जाते हैं, उन्हें साल में केवल एक बार शॉट देना काफी होता है। आदर्श रूप से शॉट फ्लू सीजन की शुरूआत से दो सप्ताह पहले दिया जाना चाहिए। इसके बारे में कोई अन्य सवाल होने पर अपने बच्चे के डॉक्टर से परामर्श लें।
जिन देशों में भी फ्लू वैक्सीन का इस्तेमाल हुआ है, वहाँ फ्लू वैक्सीन का काफी अच्छा रिकॉर्ड देखा गया है। लेकिन, वैक्सीन लेने के बाद भी आपके बच्चे को फ्लू होने का खतरा होता है, पर यह स्ट्रेन आमतौर पर कमजोर होता है, जिससे कोई गंभीर समस्या नहीं आती है।
यह वैक्सीन एक इंजेक्शन के बजाय, एक नेजल स्प्रे के रूप में होता है। इसे दो साल से अधिक के स्वस्थ बच्चों को दिया जाता है। आपके बच्चे के लिए कौन सी वैक्सीन सही है, इसके बारे में निर्णय लेने से पहले अपने बच्चे के पेडिअट्रिशन से संपर्क करें।
दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नेजल फ्लू वैक्सीन नहीं देनी चाहिए। अत्यधिक कमजोर इम्युनिटी की शिकार गर्भवती महिलाओं और गंभीर अस्थमा से ग्रस्त लोगों को नेजल फ्लू वैक्सीन से दूर रहना चाहिए।
फ्लू के लिए नेजल स्प्रे वैक्सीन से उन बच्चों को बचना चाहिए, जिनकी नाक बह रही हो या नाक बंद हो, क्योंकि बंद नाक के कारण, वैक्सीन पूरे शरीर में नहीं जा पाती है। जिन बच्चों को सांस लेने में घरघराहट की आवाज आती हो, उन्हें भी घरघराहट के ठीक होने के बाद 3 दिनों के इंतजार के बाद नेजल स्प्रे लेना चाहिए।
हाँ, वैक्सीन लेने के बाद भी बच्चे को फ्लू होने की थोड़ी संभावना होती है, लेकिन वह किसी ऐसे स्ट्रेन का हो सकता है, जो कि दिए गए वैक्सीन के कार्यक्षेत्र से अलग हो।
वैक्सीन में मौजूद कमजोर वायरस के कारण, आपके बच्चे का बीमार होना असंभव है। बच्चे को नाक बहने की या आम थकावट की समस्या हो सकती है। लेकिन ये लक्षण, फ्लू की तुलना में बहुत अधिक सौम्य होते हैं। ये साइड इफेक्ट्स कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं।
फ्लू शॉट और ऑटिज्म के बीच किसी संबंध को साबित करने के लिए कोई सबूत उपलब्ध नहीं है। हर स्टडी यह दर्शाती है, कि वैक्सीन लगाए गए बच्चों और वैक्सीन नहीं लगाए गए बच्चों, दोनों में ऑटिज्म का खतरा एक समान होता है। आजकल बिना किसी प्रिजर्वेटिव के भी वैक्सीन उपलब्ध होती हैं। इसलिए अपने बच्चे को फ्लू शॉट लगाते समय आपको इसके बारे में सोचने की जरूरत नहीं होती है।
हाँ, लेकिन इसे बच्चे के शरीर पर किसी दूसरी जगह पर लगाना चाहिए।
अब तक ऐसा कोई मामला नहीं देखा गया है, जिसमें जिस बच्चे को अंडे से एलर्जी हो और उससे इन्फ्लुएंजा वैक्सीन से कोई गंभीर इन्फेक्शन हुआ हो। किसी भी तरह के वैक्सीन के बारे में निर्णय लेने से पहले अपने बच्चे के डॉक्टर से परामर्श लें।
इन्फ्लुएंजा वैक्सीन आपको और आपके बच्चे को कई तरह की संभावित परेशानियों से बचा सकती है। खासकर पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों को यह वैक्सीन लगाने की सलाह दी जाती है, क्योंकि उन पर इन्फ्लुएंजा के गंभीर कॉम्प्लीकेशंस का शिकार होने का खतरा अधिक होता है।
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