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हेपेटाइटिस-बी लिवर की एक बीमारी है, जो कि हेपेटाइटिस-बी वायरस या एचबीवी के कारण होती है। यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक कई तरीकों से पहुँच सकता है, जैसे ब्लड ट्रांसफ्यूजन, लार और शरीर के दूसरे तरल पदार्थ के माध्यम से। बच्चे के इस वायरस से संक्रमित होने पर, इसे पहचान पाना मुश्किल हो सकता है, क्योंकि अधिकतर लोगों में हेपेटाइटिस-बी के कोई लक्षण या संकेत नहीं दिखते हैं। वहीं कुछ लोगों में तेज बुखार, ठंड लगना, मतली, उल्टी, भूख की कमी और जौंडिस जैसे लक्षण दिख सकते हैं। हेपेटाइटिस-बी को पहचानने के लिए ब्लड टेस्ट ही एकमात्र तरीका है। यह बीमारी खतरनाक होती है, क्योंकि सभी इन्फेक्टेड बच्चों में से लगभग 20% में समय के साथ सिरोसिस या कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी पैदा हो सकती है। पूरे विश्व में हेपेटाइटिस-बी से 350 मिलियन लोग संक्रमित होते हैं, जिनमें से अधिकतर बच्चे होते हैं। जहाँ वयस्कों में यह असुरक्षित सेक्स और इस्तेमाल की जा चुकी ड्रग नीडल का इस्तेमाल करने से होता है, वहीं, हेपेटाइटिस-बी से संक्रमित गर्भवती स्त्री से डिलीवरी के दौरान बच्चे को यह हो सकता है। ज्यादातर बच्चे डिलीवरी के बाद या जीवन के शुरुआती कुछ वर्षों के दौरान इससे इन्फेक्टेड हो जाते हैं।
सभी वैक्सीन की तरह हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन भी, शरीर की इम्युनिटी को बढ़ाकर इस बीमारी के हमले से बचाता है और इन्फेक्शन को रोकता है। इस वैक्सीन में डीग्रेडेड वायरल पार्टिकल होते हैं, जो कि इम्युन सिस्टम को हेपेटाइटिस-बी वायरस के प्रति डिफेंस को एक्टिवेट करने का काम करते हैं। यह वैक्सीन बच्चे के रूटीन वैक्सीनेशन के एक हिस्से के तौर पर देश के हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के द्वारा उपलब्ध कराई जाती है। आपको अपने बच्चे को जन्म के तुरंत बाद इस वैक्सीन की पहली खुराक निश्चित तौर पर देनी चाहिए।
हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन बच्चों के लिए सुरक्षित होती है, हालांकि कुछ दुर्लभ मामलों में कुछ बच्चों को इस वैक्सीन के प्रति एलर्जी का अनुभव हो सकता है। बुखार, इंजेक्शन वाली जगह पर सूजन, दर्द, थकावट जैसे लक्षण देखे जा सकते हैं, जो कि जल्द ही गायब भी हो जाते हैं।
इसके कारण यह जरूरी है, कि बच्चे को यह वैक्सीन लगाने के बाद लगभग एक घंटे तक क्लीनिक में ही रखा जाए। कुछ बहुत ही दुर्लभ मामलों में एनाफिलैक्सिस हो सकता ह। यह एक एलर्जिक रिएक्शन है, जिसमें सांस लेने में परेशानी, इसोफेगस में सूजन, होठों और मुँह का बड़ा हो जाना, रैशेज और ऐसी अन्य तकलीफें हो सकती हैं। अगर क्लीनिक छोड़ने के बाद, आपको किसी भी तरह के गंभीर रिएक्शन दिखाई दें, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें।
बच्चे को हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन लगाने के कई फायदे हैं, जिनमें से कुछ नीचे दिए गए हैं:
हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन बच्चे की आयु के अनुसार विभिन्न खुराकों में दी जाती है।
हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन तीन खुराकों में दी जाती है और इसके साथ ही हूपिंग कफ, पोलियो, डिप्थीरिया, इनफ्लुएंजा और टिटनेस जैसी बीमारियों के लिए भी वैक्सीन दी जाती है।
इम्युनाइजेशन के ऊपर आईएपी कमेटी ने सख्ती से रेकमेंड किया है, कि हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन की पहली खुराक जन्म के तुरंत बाद, खासकर 24 घंटों के अंदर-अंदर देनी चाहिए। दूसरी खुराक डीपीटी के साथ 6 हफ्तों की आयु में देनी चाहिए, और 14 हफ्ते की आयु होने के बाद तीसरी खुराक दी जानी चाहिए। जो बच्चे जन्म के समय उपस्थित नहीं होते हैं, उनकी वैक्सीनेशन को भी छोड़ना नहीं चाहिए। ऐसी स्थिति में वैकल्पिक रूप से दूसरे शेड्यूल के अनुसार क्रमशः 6, 10 और 14 सप्ताह की आयु में इसकी खुराक दी जानी चाहिए।
अलग-अलग वैक्सीन के प्रभाव कुछ महीनों से लेकर पूरे जीवन तक हो सकते हैं। रिसर्च बताते हैं, कि जिन बच्चों को वैक्सीन दी जा चुकी होती है, उनका इम्यून सिस्टम वायरस को कम से कम दो दशकों तक याद रखता है। इतने समय के बाद एक वयस्क के तौर पर एक बार फिर से वैक्सीनेशन करवा लेना चाहिए।
वैक्सीन लगना एक दर्द भरी प्रक्रिया है, इसलिए वैक्सीन लगाने के बाद निश्चित रूप से अपने बच्चे को आराम और दुलार दें। साथ ही ऐसे किसी भी लक्षण के प्रति चौकन्ने रहें, जो कि एलर्जिक रिएक्शन का संकेत हो सकते हैं। इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द से बचने के लिए, आप एक ठंडे कपड़े का इस्तेमाल भी कर सकते हैं।
इस मामले में हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन या किसी भी अन्य वैक्सीन के कोई भी लॉन्ग-टर्म साइड इफेक्ट्स नहीं होते हैं। जैसा कि पहले भी ऊपर बताया गया है, कुछ दुर्लभ मामलों में, बच्चे को गंभीर एनाफिलैक्टिक शॉक हो सकता है। जिसके लक्षणों में गंभीर फफोले, त्वचा का निकलना, लाल या बैंगनी रैशेज, सांस लेने में परेशानी आदि शामिल हैं। इसके सौम्य साइड इफेक्ट्स में हल्का बुखार, चिड़चिड़ापन, डायरिया आदि जैसे लक्षण शामिल हैं, जो कि जल्द ही ठीक हो जाते हैं। सुई लगाने के कारण बच्चे को थोड़ी तकलीफ हो सकती है, पर इसके अलावा आपको किसी भी तरह की चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।
हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन कुछ चेतावनी के साथ आती है। अगर आपका बच्चा बीमार है, जैसे उसे अगर फ्लू है, तो उसे वैक्सीन लगाने के पहले पूरी तरह से ठीक होने दें। इसके अलावा अगर वैक्सीन की पहली खुराक के बाद उसमें एलर्जी के लक्षण दिखे हैं या अगर वह बेकर्स यीस्ट के प्रति एलर्जिक है, तो वैक्सीनेशन के पहले अपने डॉक्टर को इसके बारे में जरूर बताएं। ऐसा इसलिए क्योंकि, हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन के निर्माण में बेकर्स यीस्ट का इस्तेमाल किया जाता है और वैक्सीन के सॉल्युशन में कुछ मात्रा में यह प्रोटीन अभी भी मौजूद हो सकता है।
अगर आपका बच्चा एक प्रीमेच्योर बेबी है, तो जब तक वह कम से कम एक महीने का न हो जाए, तब तक उसे हेपेटाइटिस-बी वैक्सीन नहीं लगाना चाहिए। ऐसे में अपने बच्चे को वैक्सीन लगाने के सही समय के बारे में, अपने बच्चे के पेडिअट्रिशन से परामर्श लें।
वैक्सीनेशन बच्चों के लिए सबसे जरूरी बातों में से एक है और अपने बच्चे को वैक्सीन लगाकर आप उसे कई तरह की बीमारियों बचा सकते हैं। कुछ वैक्सीन को बच्चों में ऑटिज्म से जोड़ा गया है, पर आपको इसके बारे में चिंता करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। पर, इस बात को गलत साबित करने के लिए कई स्टडीज उपलब्ध हैं। वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित होती हैं और ये आपके बच्चे के लंबे और स्वस्थ जीवन के लिए बहुत जरूरी होती हैं।
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