In this Article
भारत में बच्चे के जन्म से संबंधित बहुत सारी परंपराएं व अंधविश्वास है पर सभी मिथ के अलावा भी इस देश में कुछ प्राचीन विज्ञान समर्थित उपाय व रहस्य हैं जो आज भी काम आते हैं। जन्म के दौरान बच्चे के शरीर में उसका सिर सबसे ज्यादा नाजुक होता है और आसानी से मुड़ भी जाता है। कभी-कभी बर्थ कैनाल से निकलते समय दबाव के कारण बच्चे के सिर का प्राकृतिक आकार बिगड़ जाता है। इसे ठीक करने के लिए आप राई की तकिया का उपयोग कर सकती हैं। यहाँ इस आर्टिकल में मस्टर्ड पिलो का बारे में पूरी जानकारी दी गई है, जानने के लिए पूरा पढ़ें।
हाल ही में जन्मे बच्चे के लिए राई की तकिया सिर्फ एक मामूली पिलो होती है जिसमें सरसों के बीज या राई भरी जाती है। इसका फैब्रिक बहुत मुलायम व पतला होता है और इसके प्रभाव से बच्चे के सिर का आकार गोल होने में मदद मिलती है।
यदि आप अपने बच्चे के सिर का आकार गोल करना चाहती हैं तो आपको राई की तकिया का उपयोग करना चाहिए। बच्चे के शरीर व सिर की हड्डियां बहुत मुलायम होती हैं और जन्म के बाद 18 महीनों तक यह किसी भी प्रकार से मुड़ सकती हैं जिसकी मदद से आप प्राकृतिक रूप से बच्चे के सिर का आकार गोलाई में ढाल सकती हैं। हालांकि यदि बच्चे के सिर की 2 हड्डियों के बीच का गैप बंद होने लगा है तो इसका फायदा नहीं मिल सकता इसलिए आपको अच्छे परिणामों के लिए शुरूआत से ही इसका उपयोग करना चाहिए।
बच्चे के लिए राई का तकिया बनाना बहुत आसान है। आप इसे कैसे बना सकती हैं, आइए जानें;
बच्चों के लिए राई की तकिया के फायदे निम्नलिखित हैं, आइए जानें;
राई के तकिए से बच्चे के सिर को प्रभावी रूप से सहारा मिलता है और यह आकार संबंधी सपोर्ट भी देती है। यह तकिया बच्चे के मुलायम सिर के लिए परफेक्ट है और साथ ही इससे बच्चे के सिर का आकार 3- 4 सप्ताह में बिना किसी दबाव व स्ट्रेस के सही हो जाता है।
राई की तकिया का आकार आसानी से खराब नहीं होता है। वास्तव में इस तकिए की मदद से बच्चे का सिर दाईं ओर या बाईं ओर सही दिशा में रहता है। मस्टर्ड पिलो से बच्चे के सिर का आकार सही रहता है और इससे सिर ज्यादा मुड़ता या टेढ़ा नहीं होता है।
राई या सरसों के बीज में विटामिन्स, मिनरल्स और ऐसे गुण होते हैं जो बच्चे के सिर को प्राकृतिक रूप से गर्माहट पहुँचाते हैं। यदि आपके बच्चे को सर्दी या खांसी है तो मस्टर्ड पिलो की मदद से यह समस्या ठीक हो सकती है।
राई की तकिया का उपयोग करने से एक और फायदा यह होता है कि सोते समय किसी भी तरफ सिर रखने पर इससे बच्चे के सिर पर दबाव नहीं पड़ता है। कभी-कभी बच्चे को सिर मोड़ने व एक विशेष पोजीशन में सिर रखने की आदत होती है जिससे उसके सिर व गर्दन में दबाव भी पड़ सकता है और सिर का आकार बिगड़ सकता है। पर इस तकिए का उपयोग करने से किसी भी पोजीशन में बच्चे के सिर पर कोई भी दबाव नहीं पड़ता है। सिर के नीचे मस्टर्ड पिलो रखने से सिर की हड्डियों पर दबाव पड़ना मुमकिन नहीं है।
यदि बच्चे के जन्म के बाद उसके सिर में कोई समस्याएं हैं, जैसे कोई चोट, बंप्स, डिप्रेशन या बच्चे के सिर का आकार बिगड़ा हुआ है तो राई की तकिया से आपको काफी मदद मिल सकती है। सबसे अच्छी बात यह है कि ये तकिया बच्चे का सिर चपटा होने के खतरे को भी कम करती है।
यदि आप अपने बच्चे के लिए राई के तकिए का उपयोग कर रही हैं तो आपको उसके सिर की बहुत ज्यादा मालिश नहीं करनी चाहिए। ऐसा इसलिए है क्योंकि बच्चे के सर की हड्डियां बहुत कमजोर होती हैं और इसमें अधिक दबाव डालने से बच्चे को हमेशा के लिए हानि हो सकती है। इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे का सिर हमेशा राई के तकिए पर ही रखा होना चाहिए। इससे आपको धीरे-धीरे ही सही लेकिन इसके बेहतरीन रिजल्ट्स जरूर दिखाई देने लगेंगे।
यह भी पढ़ें:
यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…
गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…
दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…
रामायण की अनेक कथाओं में से एक सीता जी के जन्म से जुड़ी हुई भी…
यह कहानी एक ऐसे बत्तख के बारे में हैं, जिसकी बदसूरती की वजह से कोई…
यह प्रसिद्द कहानी लंका के राजा रावण की है, जो राक्षस वंश का था लेकिन…