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शहद – यह एक प्राकृतिक पदार्थ होने के साथ ही बहुत स्वादिष्ट और सेहत के लिए फायदेमंद होता है। इसे प्रकृति की एक देन के रूप में जाना जाता है और ये कई तरीकों से बच्चे को हेल्दी रखने में मदद करता है।
शहद प्राकृतिक होने के कारण अद्भुत औषधीय गुणों से भरपूर होता है। जिससे ये हमें हेल्दी रखने में मदद करता है, लेकिन एक साल से कम आयु के शिशु को शहद देने से बचना चाहिए, क्योंकि शहद में क्लोस्ट्रीडियम बोटुलिज्म नामक बैक्टीरिया का निष्क्रिय एंडोस्पोर्स बीजाणु होता है, जो जहरीला हो सकता है और एक शिशु के लिए समस्या बन सकता है।
शहद के प्रकार पाए जाते हैं जैसे मानुका हनी, जिसे न्यूजीलैंड में खोजा गया था। भले ही शहद के बहुत सारे फायदे होते हैं, लेकिन फिर भी एक साल से कम आयु के शिशुओं को सभी तरह के शहद से दूर रखना चाहिए।
शहद में भरपूर पोषण होता है। इसमें पाए जाने वाले न्यूट्रिशन के बारे में नीचे एक लिस्ट दी गई है।
यह लिस्ट उन सभी पोषक तत्वों को दर्शाती है जो 339 ग्राम शहद में पाए जाते हैं।
प्रोटीन | 1 ग्राम |
पानी | 58 ग्राम |
कैल्शियम | 20.3 मिलीग्राम |
मैग्नीशियम | 6.8 मिलीग्राम |
पोटैशियम | 176 मिलीग्राम |
जिंक | 0.7 मिलीग्राम |
डाइटरी फाइबर | 0.7 ग्राम |
एनर्जी | 304 किलो कैलोरी |
शुगर | 278 ग्राम |
विटामिन सी | 1.7 मिलीग्राम |
नियासिन | 0.4 मिलीग्राम |
फोलेट | 6.8 माइक्रोग्राम |
शहद के अनेक फायदे होते हैं जो बच्चों के संपूर्ण विकास और वृद्धि में सहायक सिद्ध होते हैं।
शहद में कुछ ऐसे मिनरल्स पाए जाते हैं जो बच्चों को हेल्दी रखने में मदद करते हैं, इसलिए आप अपने बच्चे के लिए अलग-अलग रेसिपी में शहद का उपयोग करके या उसे डायरेक्ट भी इसका सेवन करवा सकती हैं।
शहद, लिवर के जरिए ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में कारगर साबित होता है। (शहद, लिवर के लिए अच्छा होता है, लेकिन अकेले शुगर लेवल को नियंत्रित नहीं कर सकता।)
शहद में अनेक आश्चर्यजनक उपचार करने वाले गुण पाए जाते हैं, जैसे सर्दी-जुकाम, कफ, ब्लड शुगर, घाव और जलन को ठीक करने में शहद कारगर साबित होता है।
शहद, गले की खराश के लिए सबसे नेचुरल दवाओं में से एक माना जाता है। गले में खराश और बच्चों की खांसी को ठीक करने के लिए आयुर्वेद और अन्य नेचुरल मेडिसिन में इसका उपयोग अलग-अलग तरीकों से किया जाता है, इसलिए कई भारतीय घरों में शहद का प्रयोग किया जाता है।
शहद, बच्चों के लिए एक बहुत ही अच्छी दवा साबित हो सकता है। क्योंकि अगर आपके बच्चे का पेट खराब है या उसे पेट दर्द है, तो ऐसे में उसे शहद का सेवन कराने से दर्द में राहत मिलेगी और यह मेटाबॉलिज्म को ठीक करने में भी सहायक होगा।
अगर बच्चे के दांत में दर्द है, तो आप एक चम्मच दालचीनी पाउडर और 5 चम्मच शहद को मिलाकर एक पेस्ट बनाएं और उसे अगुंली की मदद से दर्द वाले दांतों पर लगाएं। ये पेस्ट दर्द में बहुत राहत देगा।
शहद, एक नेचुरल मेडिसिन है जो पाचन को ठीक रखने में मदद करती है। अगर पेट खराब है, तो ऐसे में चाय में शहद डालकर पीने से तुरंत आराम मिलेगा।
शहद, त्वचा के लिए सबसे अच्छे मॉइश्चराइजर में से एक माना जाता है। आप शहद के साथ नींबू या एलोवेरा मिलाकर स्वयं का एक मॉइश्चराइजर बना सकती हैं। आप शहद और एलोवेरा को मिलाकर बनने वाले मॉइश्चराइजर का उपयोग बच्चों की रूखी त्वचा पर करके परिणाम चेक कर सकती हैं।
शहद, मांसपेशियों के दर्द के अलावा, बढ़ते बच्चों में होने वाले शरीर के दर्द से आराम दिलाता है। दर्द को शांत करने के लिए एक गिलास गुनगुने पानी में एक छोटा चम्मच शहद मिलाकर पीने से फायदा होता है।
मुंह के अल्सर या छालों में बहुत दर्द होता है खासकर बच्चों को, तो ऐसे में उसे ठीक करने के लिए हल्दी के साथ थोड़े से शहद का उपयोग करने से घाव जल्दी भरता है।
अगर बच्चा अस्थमा से पीड़ित है और उसे रात में दमा का दौरा पड़ता है, तो ऐसे में शहद बहुत ही मददगार साबित होगा। क्योंकि शहद में कफ को खत्म करने का गुण होता है, जिससे फिर से सांस लेना आसान हो जाता है।
शहद में सूजन को भी ठीक करने की अद्भुत क्षमता होती है। दरअसल कई वर्षों से सूजन को कम करने के लिए शहद को एंटी इंफ्लेमेटरी के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है।
जब बच्चा तेज सर्दी, खांसी या बुखार से जूझ रहा हो तो शहद काफी मदद करता है। शहद का इस्तेमाल बीमारी के दौरान अलग-अलग तरीकों से किया जा सकता है।
शहद आमतौर पर सभी को पसंद होता है। इसका मीठा स्वाद बच्चों को खासतौर पर अच्छा लगता है। हालांकि, आज भी कई ऐसे बच्चे और बड़े होते हैं, जिन्हें शहद का सेवन करना पसंद नहीं होता है। अगर आपका बच्चा भी शहद खाना पसंद नहीं करता है, तो ऐसे में आप दूध, चाय, कुकीज और अन्य रेसिपी में शहद का उपयोग कर सकती हैं। इससे बच्चा आसानी से शहद खा लेगा।
शहद को एक साल से कम उम्र के बच्चों को कभी भी सेवन नहीं करवाना चाहिए, क्योंकि शहद को शिशुओं के लिए एक जहरीला खाद्य पदार्थ माना जाता है।
शहद में जीवित रहने वाले क्लोस्ट्रीडियम बैक्टीरिया होते हैं, जो इन्फेंट बोटुलिज्म नामक बीमारी का कारण बन सकता है। यह एक तरह का बैक्टीरिया होता है जो मिट्टी में रहने के अलावा शहद जैसे खाद्य पदार्थों में भी पाया जाता है।
शहद को हमेशा ढक कर, ठंडी जगह पर ही रखना चाहिए। क्योंकि यह मीठा और चिपचिपा होता है। जिससे धूल आदि शहद में जा सकती है, इसलिए इसे हमेशा बंद करके ही रखना चाहिए।
अगर आपके बच्चे की आयु एक साल से कम है तो ऐसे में स्वयं भी शहद से बनने वाली चीजों (कुकीज, बिस्किट्स आदि) का सेवन न करें, क्योंकि कई बार गलती से माता-पिता शहद वाली चीजों का बच्चों को सेवन करवा देते हैं।
शहद से एलर्जी होने पर छोटे बच्चों और कभी-कभी बड़े बच्चों को भी सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। इसलिए, अगर आप ऐसी किसी भी समस्या को महसूस करती हैं, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
अगर आपके बच्चे की मांसपेशियां कमजोर हो रही हैं, तो यह शहद के नकारात्मक प्रभाव के कारण भी हो सकता है। ऐसे में डॉक्टर से तुरंत सलाह अवश्य लें।
शहद एक प्राकृतिक और सेहतमंद पदार्थ माना जाता है, जिसके कई अद्भुत फायदे होते हैं। आप शहद के सेवन से स्वाद और स्वास्थ्य दोनों एक साथ पा सकती हैं। अपने बच्चे को शहद देना, उसकी सेहतमंद जिंदगी को शुरू करने का बहुत अच्छा तरीका है।
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