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पलास या पलाश के पेड़ पर उसके फूल यानि टेसू खिल रहे हैं। फसलें खेतों में लहरा रही हैं, सर्दियों के दिन अलविदा कह रहे हैं, वसंत आने को है, यह वो मौसम है जब हर तरफ खुशी का माहौल होता है, और इस समय हर घर में होली की तैयारियां भी शुरू हो जाती हैं। बाजारों में पिचकारी, रंग और तरह तरह के त्यौहार के सामान उपलब्ध होने शुरू हो जाते हैं, और यही वजह है कि बच्चों को ये त्यौहार इतना पसंद होता है। जब आप उत्सव की तैयारियों में लगी हों, तो अपने बच्चे को यह बताना न भूलें कि हम होली क्यों मनाते हैं, होली का महत्व क्या है, होली कब होती है, होलिका दहन कब होता है आदि। आपको देखकर ही बच्चे हर चीज सीखते हैं, इसलिए उन्हें भारतीय त्यौहार की अहमियत जरूर बताएं।
होली एक ऐसा त्यौहार है जिसे मनाने के कई और कारण हैं। भारत में अलग-अलग पहलुओं से होली का महत्व है। बच्चों को इस त्यौहार का महत्व समझाना बहुत जरूरी है, उन्हें बताएं कि हम होली का त्यौहार इतनी धूमधाम से क्यों मानते हैं, ताकि वो हर बार से ज्यादा उत्साह के साथ इस त्यौहार को मनाएं।
हम क्यों मनाते हैं होली
होली मनाने के पीछे नीचे बताए गए पौराणिक, सामाजिक, वैज्ञानिक और पर्यावरणीय कारण हो सकते हैं।
होली का पौराणिक महत्व
होली के एक दिन पहले होलिका दहन किया जाता है, इसके पीछे की क्या कहानी है बच्चे को जरूर बताएं, जो कुछ इस प्रकार है कि हिरण्यकश्यप प्राचीन भारत में एक राक्षस राजा था। भगवान विष्णु द्वारा मारे गए अपने छोटे भाई की मृत्यु का बदला लेने के लिए, उन्होंने ब्रह्मा जी की कई वर्षों तक पूजा की। उसकी भक्ति और तपस्या से प्रसन्न होकर, ब्रह्मा जी ने उसे एक वरदान दिया जिससे वह अमर हो गया। हिरण्यकश्यप इस वरदान से खुद को ही भगवान मानने लगा है और लोगों को उसकी पूजा करने के लिए मजबूर करने लगा। लेकिन उसका पुत्र, प्रह्लाद भगवान विष्णु का सच्चा भक्त था और उसने अपने पिता और क्रूर राजा की बातों को स्वीकार से मना कर दिया। अपने पुत्र का यह बर्ताव देखकर हिरण्यकश्यप को बहुत गुस्सा आया और उसने अपनी बहन के साथ मिलकर अपने बेटे की जान लेने का फैसला किया है। उनकी बहन होलिका के पास वरदान था कि आग उसे जला नहीं सकती। इस प्रकार होलिका ने प्रहलाद को अपनी गोद में लिया और आग में बैठ गई ताकि प्रहलाद आग में जलकर भस्म हो जाए।
हालांकि, उनकी यह योजना कामयाब नहीं हुई, क्योंकि प्रह्लाद ने भगवान विष्णु के नाम का पाठ करना शुरू कर दिया और आग उनका कुछ नहीं कर पाई और होलिका उसी आग में जलकर भस्म हो गई। साथ ही भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप का भी वध कर दिया। होलिका की मृत्यु सभी बुराई की हार और होली के जश्न का कारण है।
लेकिन त्यौहार में रंग कब शामिल हुए?
यह परंपरा भगवान कृष्ण के काल की है, जो भगवान विष्णु का पुनर्जन्म है। ऐसा कहा जाता है कि वह बहुत मसखरे थे और उन्हें वृंदावन और गोकुल में रंगों के साथ होली मनाना पसंद था।
आप देखिएगा कि इन कहानियों को सुनते ही कैसे आपके बच्चे की आँखों में चमक आ जाएगी, यह एक अच्छा अवसर है जब आप अपने बच्चे को यह सिखाएं कि कैसे बुराई पर अच्छाई की जीत होती है।
होली का सामाजिक महत्व
होलिका दहन के अगले दिन, जब आप बच्चे को रंग खेलने के लिए तैयार कर रही हो, तो उन्हें समझाएं कि आज के दिन हमे एक दूसरे से अपने मन मुटाव भूल कर सबके साथ रंग खेलना चाहिए। उन्हें बताएं कि कैसे त्यौहार रिश्तों को मजबूत करता है और प्यारा बंधन कायम करता है। शाम को दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलने के लिए जाएं। इस त्यौहार पर सबसे ज्यादा इसी बात पर ध्यान दें कि दूसरों के बीच प्यार फैलाएं न कि उन्हें नुकसान पहुँचाएं।
होली का वैज्ञानिक महत्व
साइंटिस्ट का मानना है कि जब ‘होली का रंग’ या ‘अबीर’ शरीर में प्रवेश करता है, तो यह बॉडी आयन को मजबूत करता है और त्वचा की हेल्थ और ब्यूटी में इजाफा करता है। अपने बच्चे को नेचुरल कलर यूज करने से होने वाले फायदों के बारे में की किस तरह यह फूल पत्तियों का उपयोग करके बनाएं जाते हैं। केमिकल कलर के साइड इफेक्ट्स जानकर हो सकता है वह होली खेलने से पीछे हटें। इसके अलावा उन्हें होलिका दहन के भी साइंटिफिक कारण बताएं। साल में जिस समय होली है उस वक्त बैक्टीरिया की सबसे बड़ी वृद्धि देखी जाती है। होलिका दहन ’के दौरान, अलाव से निकलने वाली गर्मी आसपास के बैक्टीरिया को मार देती है, जो हमें होने वाली खतरनाक बिमारियों से बचाता है।
होली का पर्यावरणीय महत्व
होली वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है। अपने बच्चे को समझाएं कि वसंत के दौरान पर्यावरण कैसे बदलता है। उसे खिलते हुए फूल, नई पत्तियों वाले पेड़, मधुमक्खियां के भिनभिनाने और सुबह पक्षियों के चहचहाने की आवाज सुनाएं। रंग-बिरंगे फूल, लंबी शामें और सूर्यास्त – यह सब नेचर के बहुत ही सुंदर रूप है, जो समय और भी ज्यादा देखने मिलता है। बच्चों को बताएं कि होली नेचर के सेलिब्रेशन त्यौहार भी है। इस प्रकार आप बच्चे को एक नेचर लवर बनाने में मदद करेंगी।
होली उत्सव में 3 दिन का सेलिब्रेशन
भारत के कई राज्यों में होली 3 दिनों तक मनाई जाती है, और हर दिन अपने ही कुछ रस्में और रीति-रिवाज होते हैं।
- पहला दिन: होली पूर्णिमा होती है। इस अवसर पर, पानी और रंगों से भरे छोटे-छोटे पीतल के बर्तन थाली पर रखे जाते हैं, और परिवार का सबसे बड़े सदस्य घर के बाकि लोगों को रंग लगा कर इस उत्सव की शुरुआत करते हैं।
- दूसरा दिन: जिसे पूनो के रूप में भी जाना जाता है, जब अलाव के साथ होलिका को जलाया जाता है। माएं, अपने बच्चों के साथ, अग्नि देवता का आशीर्वाद लेने के लिए पाँच बार अलाव के चारों ओर घड़ी की दिशा में चक्कर लगाती हैं।
- तीसरा दिन: होली का अंतिम दिन होता है। इस दिन लोग बहुत मस्ती करते हैं और एक दूसरे के साथ रंग खेलते हैं और त्यौहार को सेलिब्रेट करते हैं। इसके साथ ही कृष्ण और राधा की मूर्तियों को भी रंग लगाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है
यह होली, आपके बच्चे को हिंदू कैलेंडर के फाल्गुन ’महीने का महत्व समझाती है। उन्हें बताएं कि पूर्णिमा के दिन होली मनाई जाती है पूरा चाँद आसमान में दिखाई देता है। देश के विभिन्न हिस्सों में होली कैसे मनाई जाती है, यह दिखाने के लिए इंटरनेट का उपयोग करें। इसके अलावा, अपने बच्चे और उसके दोस्तों को पर्यावरण के अनुकूल होली मनाने के लिए प्रोत्साहित करें।
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