बचपन में हम सबने एस्से यानी निबंध जरूर लिखा है। किसी टॉपिक को चुनकर उसके बारे में जानकारी इकट्ठी करने से लेकर अपने विचारों के साथ उसे कागज पर उतारने तक, इस पूरी प्रक्रिया में बहुत सी लर्निंग शामिल होती है। इतने वर्षों में बच्चों के लिए एस्से राइटिंग फॉर्मेट में बहुत से बदलाव हुए हैं और इस स्थिति पर खुद पकड़ बनाने के लिए आपके बच्चे को थोड़ी मदद की जरूरत हो सकती है। एक निबंध लिखना अपने आप में ही शुरुआती रचनात्मक चुनौतियों में से एक है, जिसका सामना हर बच्चे को करना पड़ता है, जो कि बड़े पैमाने पर लॉजिकल, वैज्ञानिक और मैथमेटिकल एंगल्स पर केन्द्रित होती हैं। ऐसे मामलों में बच्चे खुद को एक ऐसी स्थिति में पाते हैं, जहां उन्हें कोई अनुमान नहीं होता है, कि उन्हें किस ओर जाना चाहिए, कौन सा तरीका अपनाना चाहिए और क्या व्यक्त करना चाहिए।
जब पेरेंट्स और टीचर दोनों ही इस बात को लेकर दुविधा में होते हैं, कि कमजोर विद्यार्थियों को निबंध लिखना कैसे सिखाएं, तो आमतौर पर ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि उन्हें उन बेसिक टिप्स की जानकारी नहीं होती है, जिनसे निबंध लिखने की शुरुआत की जा सकती है। यहां पर ऐसे कुछ टिप्स दिए गए हैं, जिन्हें आजमाकर आप अपने बच्चे को निबंध लिखने में मदद कर सकते हैं।
कुछ भी लिखने से पहले यह समझने की जरूरत होती है, कि वास्तव में आप क्या लिखना चाहते हैं। कागज पर शब्दों को लिखने से पहले उन बिंदुओं को कवर करने की और फ्लो और स्ट्रक्चर को पहले स्पष्ट करने की जरूरत होती है। ब्रेनस्टॉर्मिंग यानी मंथन के लिए आप अपने बच्चे को माइंड-मैप का इस्तेमाल करना सिखा सकते हैं और उसके दिमाग में आने वाले थीम और आइडिया या शब्दों के बीच संबंध स्थापित करना सिखा सकते हैं। जब मैप पर अधिक से अधिक विचार बनने शुरू हो जाते हैं, तब इन्हें लॉजिक के साथ व्यवस्थित किया जा सकता है, ताकि एक आइडिया से दूसरे आइडिया तक जाने में एक समझ पैदा हो सके। जब एक ढांचा तैयार हो जाता है, तब उन बिंदुओं पर काम करके और संक्षेप में उन्हें व्यक्त करके ही एक निबंध लिखा जा सकता है।
अपने खुद के विचारों को लिखने की तुलना में जो एकमात्र पहलू बेहतर है, वह है कुछ नए आइडियाज को ढूंढना। सभी टॉपिक रचनात्मक या मत-आधारित नहीं हो सकते हैं और उनमें थोड़ी रिसर्च की भी जरूरत हो सकती है। आर्टिकल्स के लिए इंटरनेट पर छानबीन किए बिना बुद्धिमानी के साथ रिसर्च किस प्रकार की जा सकती है, अपने बच्चे को यह सिखाने से उसमें एक थॉट प्रोसेस के विकास की शुरुआत हो जाती है और वह अपने सवालों के जवाब खुद ही पाना शुरू कर देता है। एक निबंध में लोकप्रिय कोट्स या न्यूज आर्टिकल का उल्लेख करने से इसमें मौजूद तथ्यों को मजबूती मिल सकती है, जिससे बच्चे का लिखा हुआ अधिक सत्यापित हो सकता है और टीचर्स के लिए भी इसे पढ़ना आसान हो सकता है।
अगर लिखना कठिन है, तो कुछ खास क्राइटेरिया के अंतर्गत फिट करने के लिए उसे फिर से लिखना और भी अधिक कठिन होता है। लेकिन एडिटिंग आपके बच्चे पर उन बातों पर फोकस करने के लिए दबाव बनाती है, जो सबसे अधिक मायने रखते हैं। एक निबंध को संक्षिप्त और छोटा बनाने के लिए और साथ ही बोरियत से बचाने के लिए सभी अनावश्यक बातों को हटाना और केवल सबसे जरूरी बातों को रखना जरूरी है। एडिटिंग एक शुरुआती एक्सरसाइज भी हो सकती है। बच्चे को तरह-तरह की किताबों से मौजूदा निबंध दें और उसे संक्षेप में लिखने को कहें। इससे बच्चे को यह समझने में मदद मिलेगी, कि कौन से बिंदु अधिक जरूरी हैं और जब बच्चा खुद अपना निबंध लिख रहा होगा, तब उसे समय बचाने में मदद मिलेगी।
बेहतर ढंग से निबंध लिखना सिखाने के लिए सबसे अच्छा तरीका है – निबंध लिखना। जैसा कि किसी भी तरह की शिक्षा के साथ होता है, जितनी ज्यादा प्रैक्टिस की जाती है, यह उतना ही बेहतर होता जाता है। प्रैक्टिस करते हुए बच्चा आगे सोचना भी सीखेगा। जब बच्चे एक बिंदु के बारे में सेक्शन को पूरा कर रहे होंगे, तब उनका दिमाग स्वाभाविक रूप से अगले सेक्शन के बारे में सोच रहा होगा और उसके बिंदुओं को तैयार कर रहा होगा। इससे न केवल लॉजिकल विचारों का एक मजबूत ढांचा बनाने में मदद मिलती है, बल्कि परीक्षाओं या कंपटीशन के दौरान समय बचाने में भी मदद मिलती है, क्योंकि इससे सोच विचार में समय व्यर्थ होने से बच सकता है।
सभी टिप्स, ट्रिक्स, प्रैक्टिस और साथ ही सभी माइंड मैपिंग बिल्कुल व्यर्थ हैं, अगर आपका बच्चा निबंध लिखने से ही नफरत करना शुरू कर दे। बच्चे पर लगातार बेहतर और तेज निबंध लिखने के लिए दबाव बनाने से अपने आइडिया और विचारों को कागज पर व्यक्त करने का उत्साह खत्म हो सकता है। जिस प्रकार एक निबंध की रचना करना जरूरी है, उसी प्रकार विचारों का इस्तेमाल और मंथन भी जरूरी है। उसे को इन सब चीजों से एक ब्रेक लेने दें। उसे कुछ अन्य एक्टिविटीज में लगाएं, जिससे उसका दिमाग इन चीजों से हट सके। मस्तिष्क बैकग्राउंड में काम करना जारी रखता है, जिसकी जानकारी हमें नहीं होती है। इसलिए जब वह फ्रेश होकर एस्से लिखने के लिए वापस आएगा, तब उसे ऐसे आइडिया और पैटर्न दिखने शुरू हो जाएंगे, जो उसे पहले नहीं मिल रहे थे।
कुछ बच्चों के लिए निबंध लिखना बहुत आसान होता है, लेकिन ज्यादातर बच्चों के लिए यह एक बड़ी चुनौती होती है। जब बच्चे ऐसे परिवेश में होते हैं, जहां केवल एक ही सही जवाब होता है, तो ऐसे में ज्यादातर बच्चे निबंध लिखने के खुले रचनात्मक पहलू को देख नहीं पाते है, जो हमने अपने विचारों को व्यक्त करने की आजादी देता है। निबंध के बारे में खास बात यह है, कि इसे लिखने के लिए कोई ‘सही जवाब’ नहीं होता है, बल्कि इसका केवल एक ‘बेहतरीन जवाब’ होता है, जिसके कारण बहुत से बच्चे और पेरेंट्स इसे समझने में समय लेते हैं। ऐसा बच्चा जो कि सीखने के लिए उत्सुक हो, उसके लिए लगातार प्रैक्टिस और खुले विचारों के साथ, निबंध लिखना बहुत ही आसान काम हो सकता है और जल्द ही यह उन सब स्वाभाविक बातों में से एक हो जाएगा जो शुरुआत में कठिन लगने के बावजूद आज वह बेहद सहज तरीके से कर लेता है।
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