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बच्चों में फेलियर टू थ्राइव को ठीक वजन ना बढ़ने या विकास न होने की समस्या के रूप में देखा जा सकता है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे सामाजिक-आर्थिक कारण, खाने-पीने की आदतें, बच्चों को नजरअंदाज करना या उनके साथ होने वाला गलत बर्ताव, विभिन्न बीमारियाँ या लंबी बीमारी जैसी स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं और सबसे ज्यादा जरूरी पोषक तत्वों की कमी। इसके इलाज में हॉस्पिटल में भर्ती करना (गंभीर मामलों में), न्यूट्रीशनल इलाज (प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, जरूरी पोषक तत्वों के सेवन को बढ़ाना) और बहुत सारा प्यार और देखभाल शामिल हैं।
फेलियर टू थ्राइव (एफटीटी) का क्या अर्थ होता है?
फेलियर टू थ्राइव (एफटीटी) का मतलब है, कि बच्चे का वजन सामान्य रूप से नहीं बढ़ रहा है। यह एक ऐसी स्थिति है, जब एक बच्चे के विकास (कद या वजन) की दर इस आयु के अन्य शिशुओं से काफी धीमी होती है। यह स्थिति, विकास और भावनात्मक कार्यप्रणाली की खराबी से जुड़ी हुई है। इस स्थिति में, वजन के बढ़ने या विकास के लिए जरूरी पर्याप्त पोषक तत्व या तो बच्चे को मिल नहीं पाते हैं या बच्चा इन्हें लेने में सक्षम नहीं होता है या फिर वह इन्हें अपने अंदर रख नहीं पाता है। अगर इस स्थिति पर ध्यान ना दिया जाए, तो शिशु इस उम्र के दूसरे बच्चों की तरह बैठने, चलने या बात करने जैसी सामान्य कामों के लिए भी सक्षम नहीं हो पाता है।
इसे मुख्य रूप से दो वर्गों में बांटा गया है, जिनके नाम इस प्रकार हैं,
- नन ऑर्गेनिक फेलियर टू थ्राइव (एनओएफटीटी)
यह मुख्य रूप से शिशु की मां या उसके केयरगिवर की लापरवाही और नजरअंदाजी के कारण होता है। यह समाज के सभी वर्गों में देखा जाता है, लेकिन गरीबी, माता-पिता के खराब वैवाहिक संबंध और परिवार के खराब माहौल की स्थितियों में अधिक देखा जाता है।
- ऑर्गेनिक फेलियर टू थ्राइव (ओएफटीटी)
यह स्थिति शिशु में किसी छुपी हुई बीमारी या स्वास्थ्य संबंधी परेशानी के कारण होता है, जो कि बच्चे के द्वारा लिए गए पोषक तत्वों में बाधा डालता है, जैसे क्लेफ्ट लिप/पैलेट, सेरेब्रल पाल्सी या कुछ वंशानुगत बीमारियां जो कि बच्चे को माता-पिता से विरासत में मिलती है।
अगर आपके बच्चे का वजन नहीं बढ़ रहा है, तो क्या आपको चिंता करनी चाहिए?
किसी बीमारी के बाद बच्चे का वजन घटना एक सामान्य बात है। वह अपना खोया हुआ वजन वापस बढ़ा सकता है। अगर आपके बच्चे का वजन कम नहीं हुआ है, लेकिन उसके वजन बढ़ने की रफ्तार धीमी है, तो वह भी सामान्य ही है। लेकिन, अगर आपके बच्चे का विकास आमतौर पर तेज गति से होता रहा है, पर अचानक उसके वजन बढ़ने की गति धीमी हो गई है, तो आपको सचेत हो जाना चाहिए।
फेलियर टू थ्राइव के कारण
फेलियर टू थ्राइव को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:
- नन-ऑर्गेनिक फेलियर टू थ्राइव (जो कि आमतौर पर वैसे बच्चों को होती है, जिनकी उम्र 2 साल से कम होती है और जिनमें विकास की गति को धीमी करने वाली कोई बीमारी नहीं होती है)
- ऑर्गेनिक फेलियर टू थ्राइव (जब कोई बीमारी छिपी हुई होती है)
नन-ऑर्गेनिक फेलियर टू थ्राइव के कारण
- पेरेंट और बच्चे के बीच भावनात्मक लगाव का ना होना या कमजोर होना
- गरीबी
- शिशु की भोजन संबंधी जरूरतों को समझने में माता-पिता की अयोग्यता
- बच्चे का ठीक से खाना ना खाना
- ममता की कमी
ऑर्गेनिक फेलियर टू थ्राइव के कारण
- डाउन सिंड्रोम जैसी वंशानुगत बीमारियाँ
- हॉर्मोनल समस्याएं
- मुख्य अंगो में खराबी
- न्यूरोलॉजिकल समस्याएं या मस्तिष्क में खराबी
- दिल या फेफड़ों की समस्याएं
- एनीमिया जैसी खून संबंधी समस्याएं
- पचन तंत्र की समस्याएं
- लंबे संक्रमण
- मेटाबॉलिक रेट का कम होना
- गर्भावस्था के दौरान समस्याओं के कारण जन्म के समय कम वजन
संकेत और लक्षण
- ठीक से वजन ना बढ़ना
- हमेशा रहने वाली थकान
- आयु के अनुसार सामाजिक प्रतिक्रिया के विकास में कम
- मोटर डेवलपमेंट में विलंब
- बच्चे के बढ़ने के बाद सीखने और व्यवहार संबंधी दिक्कतें
- कमजोरी और थकान
- सनकी होना
- अत्यधिक चिड़चिड़ापन
निदान
फेलियर टू थ्राइव को कई तरह से पहचाना जा सकता है।
- बच्चे/शिशु के खान-पान के इतिहास की जांच की जाती है, क्योंकि यह एफटीटी का सबसे जरूरी और सबसे अधिक संभावित कारण होता है।
- डॉक्टर बच्चे की पूरी शारीरिक जांच करेंगे। इसमें बच्चे का कद, वजन, कोई जन्मजात खराबी, असामान्य सांस के संकेत और विटामिन और जरूरी पोषक तत्वों की कमी के संकेत शामिल हैं।
- बच्चे की मेडिकल हिस्ट्री और फैमिली हिस्ट्री के बारे में भी पूछा जाएगा।
- डॉक्टर बच्चे पर होने वाले किसी तरह के शारीरिक दुर्व्यवहार की भी जांच करेंगे।
- बच्चे पर ‘द डेनवर डवलपमेंट स्क्रीनिंग टेस्ट’ (ऐसे मामलों के लिए विशेष) किया जाएगा, ताकि विकास में देरी के कारण का पता लगाया जा सके।
इन जांच के अलावा नीचे दिए गए जांच भी किए जाते हैं:
- कंपलीट ब्लड काउंट (सीबीसी)
- इलेक्ट्रोलाइट का संतुलन
- सिकल सेल डिजीज जैसी खून संबंधी बीमारियों का पता लगाने के लिए हिमोग्लोबिन इलेक्ट्रोफॉरेसिस
- थायराइड फंक्शन टेस्ट समेत हॉर्मोनल जांच
- हड्डियों की उम्र का पता लगाने के लिए एक्स-रे
- पेशाब की जांच
खतरे
यहां पर कुछ बिंदु दिए गए हैं, जो कि एफटीटी के खतरे को बढ़ाते हैं:
- गरीबी: फेलियर टू थ्राइव (एफटीटी) का सबसे प्रमुख कारण है गरीबी। गरीबी के कारण बच्चा विटामिन और जरूरी पोषक तत्वों से वंचित रह सकता है, इसी कारण कई बीमारियां हो सकती हैं, जिससे बच्चे/शिशु में कम वजन की समस्या हो सकती है।
- मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारण: इसके अलावा मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारणों से भी कुछ बच्चे एफटीटी से जूझते हैं।
- अपर्याप्त देखभाल: भावनात्मक लगाव या ममता में कमी पोषक तत्व की कमी के समान ही होती है। यह तब होता है, जब मां या बच्चे की देखभाल करने वाला व्यक्ति अपनी व्यस्तता या किसी अन्य कारण से बच्चे की न्यूट्रीशनल जरूरतों को पूरा नहीं कर पाता है। इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं:
- दूसरों की देखभाल में व्यस्त होना
- बच्चे के उचित खानपान या न्यूट्रीशनल जरूरतों के बारे में जानकारी ना होना
- पोस्टपार्टम डिप्रेशन
- शराब या ऐसे ही किसी अन्य पदार्थ का सेवन
- प्रीमेच्योर बर्थ: कई बार समय से पहले जन्म लेने वाले बच्चे इस उम्र के दूसरे बच्चों की तरह वजन बढ़ाने में सक्षम नहीं होते हैं।
- खराब स्वास्थ्य: कोई वंशानुगत बीमारी या खराबी, जो कि खान-पान और माता-पिता के साथ लगाव में रुकावट पैदा करे, वह भी शिशुओं में फेलियर टू थ्राइव का एक कारण हो सकता है।
एफटीटी का इलाज
अक्सर बच्चे में एफटीटी का इलाज डॉक्टर के उचित मार्गदर्शन के साथ घर पर ही किया जा सकता है। कुछ गंभीर मामलों में शिशु/बच्चे को अस्पताल में भर्ती करना पड़ सकता है। घर पर बच्चे को ऐसा खाना दिया जाना चाहिए, जिसमें भरपूर मात्रा में पोषक तत्व भी हो और कैलोरी भी ज्यादा हो। कुछ गंभीर मामलों में जब बच्चे को अस्पताल में रखना पड़ता है, तब उसे नली के द्वारा भोजन और सभी जरूरी पोषक तत्व दिए जा सकते हैं।
लेकिन अगर बच्चा एनओएफटीटी या मिश्रित एफटीटी से ग्रसित हो, तो पहले एक पीडियाट्रिशियन के द्वारा उसकी जांच करानी चाहिए। अगर बच्चे के चूसने या निगलने में रुकावट आ रही हो, तो उसे स्पीच थैरेपिस्ट के पास रेफर किया जा सकता है, व्यवहार संबंधी कोई समस्या होने पर मनोवैज्ञानिक और अन्य समस्याओं की स्थिति में कार्डियोलॉजिस्ट, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, एंडोक्रिनोलोजिस्ट, हेमेटोलॉजिस्ट आदि जैसे विशेषज्ञों के पास रेफर किया जा सकता है। इन सबके अलावा माता-पिता या बच्चे के केयरगिवर को डॉक्टर द्वारा काउन्सेलिंग की जा सकती है या फिर उन्हें ब्रेस्टफीडिंग के सही तरीके या बच्चे के लिए भोजन की सही मात्रा आदि के बारे में उचित जानकारी दी जा सकती है (चूंकि कुछ माता-पिता इनसे अंजान होते हैं)।
क्या वजन बढ़ने में कमी के कारण आपका बच्चा हमेशा सामान्य से छोटा रहेगा?
यह बच्चे में फेलियर टू थ्राइव के पीछे के कारण के ऊपर निर्भर करता है। अगर एफटीटी किसी ऐसी बीमारी के कारण है, जो उसके साथ आजीवन रहने वाली है, तो बच्चा इस उम्र के दूसरे बच्चों की तरह नहीं बढ़ पाएगा। लेकिन अगर इसके पीछे कोई ऐसा कारण है, जिसका इलाज किया जा सकता है, तो बच्चे का सामान्य विकास संभव है। उदाहरण के लिए, एक प्रीमेच्योर बच्चे (फेलियर टू थ्राइव के कारणों में से एक) का वजन और लंबाई उचित खान-पान और इलाज के साथ सामान्य रूप से बढ़ सकता है।
डॉक्टर की मदद कब लेनी चाहिए?
शिशुओं में एफटीटी मनोवैज्ञानिक-सामाजिक-आर्थिक कारणों के मेल से हो सकता है, पर इसका कारण कोई दबी हुई बीमारी भी हो सकती है। जो बच्चे एफटीटी से ग्रस्त होते हैं, उनमें वजन न बढ्ने की समस्या आमतौर पर सबसे अधिक देखी जाती है।
यदि बच्चे को फेलियर टू थ्राइव की दिक्कत हो, तो उसे कई तरह की बीमारियां हो सकती हैं और ऐसे में डॉक्टर की मदद लेनी चाहिए।
- बच्चे को सांस लेने में तकलीफ हो
- बच्चा बेहोश हो जाए
- बच्चे का वजन काफी तेज गति से घटने लगे
- बच्चा कमजोरी और थकावट महसूस करे
- बच्चा हमेशा रोता रहे
विकास का अर्थ केवल आकार का बढ़ना नहीं होता है। विकास का मतलब है शारीरिक, भावनात्मक और क्षमताओं का विकास। इसके लिए गर्भावस्था के दौरान मां के स्वास्थ्य की देखभाल बहुत जरूरी है, ताकि समय से पहले जन्म से बचा जा सके, जो कि बच्चे में फेलियर टू थ्राइव की समस्याओं का एक कारण है। इसके अलावा एक बच्चे के सामाजिक, आर्थिक और मनोवैज्ञानिक समस्याओं की देखभाल से भी एफटीटी को रोकने में मदद मिलती है।
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