बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों में हकलाने की समस्या

छोटे बच्चे जब बड़े होने लगते हैं, तब उन्हें शब्दों और ध्वनियों की जानकारी होने लगती है। कभी-कभी आपसे बात करने के लिए वे सही शब्दों और आवाजों को ढूंढने की कोशिश करते हैं और यह एक लर्निंग प्रोसेस होती है। लेकिन कभी-कभी कुछ बच्चों को बिना किसी रुकावट के पूरी बात कहने में असामान्य रूप से संघर्ष करना पड़ सकता है और आप उन्हें हकलाता हुआ देख सकते हैं। 

हकलाहट क्या है?

हकलाना या स्टैमरिंग एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बच्चे बिना किसी रुकावट के सही तरह से बात करने में चुनौती का सामना करते हैं। अक्सर हकलाहट किसी वाक्य की शुरुआत में देखा जाती है, जब कोई बच्चा पहले अक्षर को कई बार दोहराता है और उसके बाद ही वह उसे सही तरह से बोल पाता है। लेकिन कभी-कभी ऐसा भी होता है, कि बच्चा पूरे वाक्य को बोलने के दौरान भी हकलाता है। 

बच्चों के हकलाने का क्या कारण होता है?

ऐसे कई कारण होते हैं, जिनकी वजह से एक बच्चे को हकलाने की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं: 

  • न्यूरोजेनिक स्टैटरिंग: यह नर्वस सिस्टम में देर या उससे जुड़ी एक समस्या होती है।
  • पारिवारिक इतिहास: कुछ मामलों में हकलाने की समस्या आनुवांशिक भी हो सकती है।
  • बचपन के दौरान विकास: बच्चों में विकास में देरी या अन्य कारणों से हकलाहट की समस्या हो सकती है।
  • ज्यादा एक्टिविटी लेवल: जब बच्चे बहुत ज्यादा थके होते हैं या हाई एनर्जी एक्टिविटीज के कारण अत्यधिक थके हुए होते हैं, तब वे हकलाते हुए देखे जा सकते हैं।
  • तेज गति से बात करना: जब बच्चा बहुत तेजी से बात करता है और बड़ों से बात करने की कोशिश करता है, तब आप उसे हकलाता हुआ देख सकते हैं।

बच्चों में हकलाने के संकेत

नीचे कुछ संकेत दिए गए हैं, जिनका इस्तेमाल करके आप इस बात का पता लगा सकते हैं, कि बच्चे को केवल सही शब्द नहीं मिल रहे हैं या वह वास्तव में हकलाने की समस्या का शिकार है: 

  • शब्दों की ध्वनियां और शब्दांश बार-बार दोहराए जाते हैं और यह बहुत अधिक होता है।
  • बच्चे के चेहरे की मांसपेशियों में एक तनाव देखा जाता है।
  • बच्चे की उम्र लगभग 5 साल की होती है।

सामान्य हकलाहट और समस्याजनक हकलाहट के बीच क्या अंतर है?

माता-पिता और देखभाल करने वाले लोगों के लिए यह समझ पाना कठिन हो सकता है, कि बच्चा भाषा को सीख रहा है, इसलिए हकला रहा है या वह स्पीच की किसी समस्या के कारण हकला रहा है। यहां पर कुछ बातें दी गई हैं, जिनके द्वारा आप इन दोनों के बीच अंतर पहचान सकते हैं:

  • आपका बच्चा नए शब्द सीख रहा है। वह हकलाएगा, लेकिन समय के साथ यह हकलाहट कम होती जाएगी। लेकिन अगर बच्चे को कुछ खास आवाजों के साथ दिक्कत आ रही है और यह दिक्कत अगर बढ़ती ही जा रही है, तो यह समस्या सामान्य नहीं है।
  • जब मस्तिष्क शब्दों को ढूंढने में इतना तेज होता है, कि जुबान उसे जोर से बोलने में सक्षम नहीं होती है, तब सामान्य रुकावट देखी जाती है। यह तब देखा जाता है जब आपका बच्चा थका हुआ होता है। यह संकेत केवल दो से तीन महीनों के लिए ही दिखाई देता है, लेकिन अगर यही स्थिति बनी रहती है तो यह एक समस्या हो सकती है।

बच्चों में हकलाने की शुरुआत कब होती है?

अधिकतर मामलों में पेरेंट्स अपने बच्चे को हकलाता हुआ तब नोटिस करते हैं, जब उसकी भाषा का विकास हो रहा होता है और वह बातचीत के गुणों को सीख रहा होता है। इस दौरान आपका बच्चा नए शब्दों और नई आवाजों के बारे में जान रहा होता है, जिन्हें उसने कुछ समय के लिए ही सुना है। ऐसा अधिकतर 2 से 5 साल के उम्र के बीच के बच्चों में देखा जाता है। 

बच्चे कितना और कितनी बार हकलाते हैं?

बच्चे में हकलाने की समस्या तब देखी जाती है, जब वे बात करना सीखते हैं। यह कुछ सप्ताह या कुछ महीनों तक रह सकता है। हकलाने की समस्या ज्यादातर अनियमित ही होती है। अगर हकलाने की समस्या वास्तव में एक स्थाई समस्या होगी, तो आप बच्चे को सामान्य से अधिक संघर्ष करता हुआ देखेंगे। आप ऐसा भी देख सकते हैं, कि बच्चे की उम्र बढ़ने के साथ ये लक्षण कम नहीं होते हैं। कुछ बच्चे हर दूसरे वाक्य को बोलने के दौरान हकला सकते हैं। आप ध्वनि का दोहराव भी देख सकते हैं(जैसे: प-प-प-प-पंखा)। 

हकलाहट के क्या प्रभाव होते हैं?

जिन बच्चों को स्टैमरिंग की समस्या होती है, वे जब स्कूल जाना शुरू करते हैं तब उन्हें कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इससे उनका आत्मविश्वास प्रभावित हो सकता है और कभी-कभी वे बहुत ज्यादा अंतर्मुखी हो सकते हैं, जो कि उनके साथ के बच्चों और शिक्षकों के द्वारा जजमेंट के कारण हो सकता है। ये कुछ ऐसी बातें हैं, जिन पर ध्यान देना जरूरी है। अगर आपका बच्चा स्कूल में है, तब आप इस समस्या के बारे में उसके टीचर से बात कर सकते हैं। अगर बच्चा इस समस्या को लेकर बहुत अधिक तनाव में है, तो उसकी हकलाहट और भी बिगड़ सकती है। इसलिए उसके लिए एक प्रोत्साहन युक्त और अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराना जरूरी है, जहां वह बात करने में सहज महसूस कर सके। उसकी बात को पूरा करने के लिए उस पर दबाव न डालें। उसे समय लेने दें, लेकिन उसे यह खुद करने दें, क्योंकि इससे उसे कॉन्फिडेंस बढ़ाने में मदद मिलेगी। 

डॉक्टर से कब मिलें?

आपके बच्चे के हकलाने की समस्या उसके बड़े होने के साथ ही अपने आप ठीक हो सकती है। लेकिन कुछ मामलों में बच्चे का हकलाना जारी रहता है और उसे बात करने में कठिनाई हो सकती है। अगर आप अपने बच्चे में निम्नलिखित व्यवहार को नोटिस करते हैं, तो आपको डॉक्टर से परामर्श लेने की जरूरत है: 

  • आपका बच्चा लगातार पूरे शब्द को बार-बार दोहरा रहा है और उसमें कोई भी बेहतरी नहीं दिख रही है।
  • उसके शब्द सामान्य से अधिक समय ले रहे हैं।
  • अगर उसके शब्द बहुत अधिक तनावपूर्ण और असहज हैं।
  • अगर आप देखते हैं, कि बच्चा शब्दों को बदल रहा है, क्योंकि उसे डर है कि उसे हकलाहट की समस्या आएगी।
  • आवाजों का दोहराना बहुत अधिक दिख रहा हो।
  • अगर वोकल टेंशन दिख रहा हो।
  • बच्चे के बात करने के दौरान चेहरे की मांसपेशियों में कसावट को देखा जा सके।
  • हकलाने के साथ-साथ आप शरीर के अजीब मूवमेंट के संकेतों को भी नोटिस कर सकते हैं।
  • आपको अपने बच्चे के स्पीच डेवलपमेंट में कुछ अन्य खास चिंताजनक संकेत भी दिखने शुरू हो सकते हैं।
  • आपका बच्चा हकलाने के डर के कारण बात करने से बचना चाहता है।

बच्चों की हकलाहट के लिए इलाज

आपको अपने बच्चे को मेडिकल अटेंशन देने की जरूरत केवल तब ही है, जब वह वास्तव में लंबे समय से हकलाने की समस्या से ग्रस्त हो। स्टटरिंग से ग्रस्त बच्चे के लिए स्पीच थेरेपी का चुनाव उसे आरामदायक तरीके से शब्दों का सही उच्चारण करने में मदद करेगा। समय के साथ वे एक वाक्य में शब्दों की संख्या को बढ़ाने में बच्चे की मदद करेंगे। इलाज के दौरान जो अन्य चीजें की जाती हैं, उनमें अन्य सेकेंडरी लक्षणों से बाहर निकलने में बच्चे की मदद करना शामिल है, जैसे पलकें झपकाना और ट्विचिंग। 

पेरेंट्स किस प्रकार हकलाने की समस्या से ग्रस्त बच्चे की मदद कर सकते हैं?

यहां पर ऐसी कुछ बातें दी गई हैं, जिनके द्वारा आप अपने बच्चे को उसकी हकलाहट को मैनेज करने में मदद कर सकते हैं:

  • जब बच्चा हकला रहा हो, तब उसे रुक कर दोबारा शुरू करने के लिए न कहें।
  • कभी-कभी जब बच्चे को बात करनी होती है, तब वह बहुत दबाव महसूस करता है। उसे रिलैक्स होने दें और आराम से बात करने दें।
  • जब आप अपने बच्चे को हकलाते हुए संघर्ष करता हुआ देखें, तब उसे अन्य गतिविधियों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित करने की कोशिश करें।
  • बात करने के लिए बच्चे पर दबाव न डालें। इसके बजाय बच्चे के साथ आपसी बातचीत को प्रोत्साहन दें, ताकि वह अधिक रिलैक्स महसूस कर सके।
  • बच्चे की आलोचना न करें या उसे रुकने को न कहें। इसके बजाय बच्चे को वैसा करने दें, जैसे उसे खुशी मिलती है।
  • अगर आपका बच्चा बहुत अधिक हकला रहा है, तो उसे किसी भी तरह से इसका एहसास न दिलाएं।
  • अगर वह बातचीत के दौरान शर्मिंदगी का उल्लेख करता है, तो उसे प्रोत्साहित करें और समस्या को सुलझाने के बजाय, उसे याद दिलाएं कि वह कितना जरूरी है।
  • स्थिति चाहे जो भी हो, उसे हमेशा यह अहसास दिलाएं कि आप उसे तरह से स्वीकार करते हैं।
  • किसी जाने-माने थेरेपिस्ट से जरूर मिलें, जो इस प्रक्रिया में बच्चे की मदद कर सके।

स्थिति बेहतर हो या न हो, बच्चे को महत्वपूर्ण और खास महसूस कराएं। इस स्थिति के दौरान बच्चे की मदद करने का यह सबसे बेहतर तरीका है। 

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पूजा ठाकुर

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