In this Article
- बचपन में होने वाला मोटापा क्या है?
- बच्चों में मोटापे के कारण
- मोटापे की वजह से बच्चों को कौन सी बीमारियां हो सकती हैं?
- बच्चों में मोटापे का निदान
- अधिक वजन वाले बच्चों के लिए हेल्दी खाना और न्यूट्रिएंट्स
- बच्चों में मोटापे को कैसे रोकें
- बच्चे के मोटापे से लड़ने में मदद करने के तरीके
- क्या होगा यदि आपका बच्चा बड़ा होने पर भी मोटा रहता है?
बच्चों का शारीरिक विकास उनकी बढ़ती उम्र के साथ-साथ बदलता जाता है। ऐसे में ये बात समझना कि बच्चे का वजन उसकी उम्र और शरीर के हिसाब से ज्यादा है या नहीं, इस बात का अंदाजा लगाना थोड़ा मुश्किल हो जाता है। माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को लाड-प्यार के कारण ओवर ईटिंग करने पर मजबूर करते हैं और ये समझने में विफल रहते हैं कि उनका बच्चा, जो कभी गोल-मटोल और प्यारा दिखता था, उसकी उम्र तो बढ़ रही है लेकिन उसका बेबी फैट कम नहीं हो रहा और दिन-प्रति दिन वो क्यूट दिखने के बजाय मोटा होते जा रहा है। एक्स्ट्रा फैट बच्चों में डायबिटीज, हृदय रोग और अस्थमा जैसी गंभीर स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरे पैदा कर सकता है। इतना ही नहीं जिन बच्चों का वजन बहुत ज्यादा हो जाता है उन्हें अपने दोस्तों के साथ कोई भी स्पोर्ट्स खेलने या एक्टिविटी करने में परेशानी का समाना करना पड़ता है, जो उन्हें भावनात्मक रूप से प्रभावित करता है। ऐसे में उन्हें दूसरे बच्चों के द्वारा बात-बात पर परेशान किया जाता है या फिर छेड़े जाने की अधिक संभावना होती है, जिससे बच्चों पर इसका नेगेटिव असर पड़ता है और उनके आत्म-सम्मान को ठेस पहुंचती है, इस प्रकार वे डिप्रेशन में भी जा सकते हैं।
बचपन में होने वाला मोटापा क्या है?
यह जानने के लिए कि आपके बच्चे का वजन अधिक है या वह हेल्दी है, डॉक्टर बॉडी मास इंडेक्स या बीएमआई स्केल का उपयोग करते हैं। किसी भी व्यक्ति का बीएमआई जानने के लिए उसकी लंबाई के हिसाब से शरीर का वजन कितना होना चाहिए उसके आधार पर मापा जाता है। ये जानने के लिए कि बच्चे का वजन कम, सामान्य, या अधिक है या फिर वो मोटापे से ग्रस्त है या नहीं इसके लिए एक फॉर्मूला इस्तेमाल किया जाता है। बच्चों के लिए उनकी उम्र और लिंग को देखते हुए एक स्पेशल स्केल का इस्तेमाल किया जाता है जिसे ‘बीएमआई-फॉर-एज’ कहा जाता है। यू.एस. सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन द्वारा बनाए गए बीएमआई-फॉर-एज ग्रोथ चार्ट का इस्तेमाल करते हैं जो कि बच्चे की उम्र के अनुसार उसके विकास को ट्रैक करने के लिए बनाया गया है। इस चार्ट से इस बात को समझना आसान हो जाता है कि आपके बच्चे का बीएमआई उसकी उम्र के अन्य बच्चों के मुकाबले कितने प्रतिशत बढ़ा या घटा है।
छोटे बच्चे और बड़े बच्चों के बीएमआई को इस तरह से बांटा गया है:
- 5 से 84 पर्सेंटाइल – स्वस्थ वजन
- 85 से 94 पर्सेंटाइल – अधिक वजन
- 95 पर्सेंटाइल या उससे अधिक – मोटापा
इन संख्याओं का मतलब यह है कि अगर कोई बच्चा 85 पर्सेंटाइल की स्टेज में है, तो वह अपनी उम्र के 85% बच्चों से भारी है और अधिक वजन का है। अगर वह 95 पर्सेंटाइल में आता है, तो वह मोटे बच्चों की श्रेणी में आएगा।
बच्चों में मोटापे के कारण
दरअसल पारिवारिक इतिहास, जीवनशैली और मनोवैज्ञानिक कुछ ऐसे कारण है जो कम उम्र से ही बच्चों में मोटापे का कारण बन सकते हैं। जिन बच्चों के माता-पिता या परिवार अन्य सदस्य मोटे होते हैं, उन बच्चों में मोटापा या अधिक वजन होने की समस्या ज्यादा देखी जाती है। हालांकि, इसे लेकर हम ज्यादा कुछ तो नहीं कर सकते लेकिन हाँ, अगर कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो बच्चे के वजन को कंट्रोल में रखा जा सकता है।
- खराब आहार और बहुत ज्यादा स्नैक का सेवन करना मोटापा बढ़ने का प्रमुख कारण हो सकता है। जैसे फास्ट फूड, सुग्री ड्रिंक और स्नैक्स, सोडा, कोल्ड ड्रिंक और मिठाई कैलोरी की मात्रा और वजन को बढ़ाने का काम करते हैं।
- ऐसा भी होता है कि कुछ माता-पिता यह नहीं जानते कि वे अपने बच्चे के लिए हेल्दी फूड कैसे चुनें या फिर कैसे तैयार करें और कुछ माता-पिता ऐसे भी हैं जो ताजे फल और सब्जियों वाले स्वस्थ भोजन का खर्च नहीं उठा पाते।
- फिजिकल एक्टिविटी की कमी और अस्वस्थ खाना खाने की आदतों के कारण भी बच्चों में मोटापा बढ़ता है। सभी लोग, उनकी उम्र की परवाह किए बिना उनके वजन को बढ़ने की कोशिश ज्यादा करते हैं, बजाय इसके कि बच्चे की फिजिकल एक्टिविटी पर ध्यान दिया जाए। एक्सरसाइज करने से कैलोरी बर्न होती है और जो उसका हेल्दी वेट बनाए रखने में मदद करती है। जब बच्चों को खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित नहीं किया जाता है और वो टीवी या कंप्यूटर के सामने अधिक समय बिताते हैं, तो उनका वजन बढ़ जाता है।
- कुछ बच्चों में मनोवैज्ञानिक कारणों से मोटापे होता है। जो बच्चे उदासी, बोरियत या अच्छा महसूस नहीं करते, वो इस नेगेटिव फीलिंग्स से निपटने के लिए ज्यादा खाना खाने लगते हैं।
- माता-पिता अक्सर अपने बच्चों को यह सोच कर खाना खिलाते हैं कि वे तंदुरुस्त रहें। ऐसे में वो उन्हें अनजाने में जरूरत से ज्यादा खाना खिलाते हैं। जिसकी वजह से बच्चे का वजन बढ़ने लगता है। पेरेंट्स यह नहीं समझ पाते हैं कि बच्चों को कितनी मात्रा में खाना खिलाया जाए और वो ज्यादातर उन्हें एक समय में दो बार का खाना खिला देते हैं। कुछ माता-पिता हर बार बच्चे के रोने पर सोचते हैं कि बच्चे को भूख लगी है और उसे खाना खिला देते है। हालांकि, ये जरूरी नहीं कि बच्चे के हर बार रोने की वजह भूख ही हो।
मोटापे की वजह से बच्चों को कौन सी बीमारियां हो सकती हैं?
मोटे होने के कारण बच्चों में कई गंभीर बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। जो उनके जीवन को प्रभावित कर सकता है। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- डायबिटीज – अधिक मीठा खाने से बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज हो सकता है। यह एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर है जिसमें शरीर ग्लूकोज को ठीक से मेटाबोलाइज नहीं कर पाता है। ये आगे चलकर काफी समस्याएं पैदा कर सकता है जैसे कि नेत्र रोग, गुर्दों का सही से काम न कर पाना और नर्व डैमेज। मोटे बच्चों और बड़ों दोनों में ही टाइप 2 डायबिटीज होने का खतरा बना रहता है। हालांकि, सही आहार और व्यायाम के साथ स्थिति को कंट्रोल किया जा सकता है।
- हृदय रोग – तला और चिकनाई वाला खाना या फिर ज्यादा नमक वाला खाना खाने से कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर बढ़ने की संभावना अधिक होती है। इन दोनों की वजह से मोटे बच्चों में हृदय रोग होने का खतरा बना रहता है। बढ़ता कोलेस्ट्रॉल ब्लड वैसल (रक्त वाहिकाओं) को बंद कर सकता है और ब्लड प्रेशर के बढ़ने का कारण बन सकता है। स्ट्रोक और दिल का दौरा पड़ने जैसे गंभीर कॉम्प्लिकेशन भी इसके कारण हो सकते हैं।
- अस्थमा – जो बच्चे पहले से ही अस्थमा से पीड़ित हैं या जिनके फेफड़ों में सूजन की समस्या है। ऐसे में अगर वो मोटे भी हैं तो ये उनके लिए और भी घातक साबित हो सकता है। अस्थमा और मोटापा दोनों एक दूसरे से जुड़ी हुई बीमारियां हैं। हालांकि, दोनों के बीच में संबंध क्या है, ये समझ पाना मुश्किल है। अधिकतर लोगों में पाया गया है कि अस्थमा के साथ-साथ वो मोटापे के भी शिकार होते हैं। ऐसा भी देखा गया है कि कुछ लोगों में उनका मोटापा ही अस्थमा होने का कारण बना है।
- स्लीप डिसऑर्डर – मोटे बच्चे जिनके गले में एक्स्ट्रा फैट होता है, उन्हें ब्लॉक्ड एयरवेज की समस्या हो सकती है। ये स्लीप एपनिया जैसी कंडीशन जिम्मेदार होता है। जिसमें सांस लेने में होने वाली रुकावट के कारण उन्हें रात में सोना मुश्किल हो जाता है। उन्हें खर्राटे की समस्या भी हो सकती है।
- जोड़ों में दर्द – अधिक वजन होने से बच्चों को जोड़ों में अकड़न, ज्यादा मोशन न होना और चलने फिरने के दौरान दर्द का अनुभव होता है । वजन कम करने से इस समस्या को अपने आप ही ठीक किया जा सकता है।
बच्चों में मोटापे का निदान
डॉक्टर अन्य कारकों के साथ मोटापे को रोकने के लिए बीएमआई का इस्तेमाल करते हैं। बीएमआई मसल्स मास, सामान्य शरीर से अधिक वजन वाले शरीर या फिर बच्चों में विकास पैटर्न के बारे में नहीं बताता। इसीलिए इसके बारे में डॉक्टर्स भी जानकारी इकट्ठा करते हैं, जैसे-
- मोटापे और अन्य बीमारियों से संबंधित मेडिकल हिस्ट्री
- बच्चे की खाने की आदतें
- एक्टिविटी लेवल या एक्सरसाइज
- मनोवैज्ञानिक इतिहास जैसे डिप्रेशन, तनाव, उदासी आदि
इसके साथ ही डॉक्टर कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर टेस्ट के साथ-साथ हार्मोन असंतुलन और मोटापे के साथ होने वाली अन्य स्थितियों की भी जांच करने के लिए भी कह सकते हैं।
अधिक वजन वाले बच्चों के लिए हेल्दी खाना और न्यूट्रिएंट्स
पेरेंट्स होने के नाते आप यह तय कर सकते हैं कि आपको घर के राशन के लिए उन ही चीजों को चुनना है जो हेल्दी हों। इसी से संबंधित आपको यहाँ कुछ सुझाव दिए गए हैं।
- राशन और खाद्य पदार्थों की खरीदारी करते समय, कुकीज, चॉकलेट आदि की जगह फल और सब्जियां ही चुने। क्योंकि इन चीजों में पोषण कम और फैट या चीनी की मात्रा ज्यादा होती है।
- मीठे पेय पदार्थों को लेने से बचें। इसमें फ्रूट जूस तो है, लेकिन साथ ही सोडा और कई केमिकल भी शामिल किए जाते है, जो नुकसान पहुंचाते हैं। फलों के जूस उच्च कैलोरी के बदले कम पोषण मूल्य प्रदान करते हैं। जूस भी बच्चों को पेट भरा हुआ महसूस करा सकता है जिसे बच्चे के पेट में हेल्दी डाइट लेने की जगह ही नहीं बचेगी।
- फास्ट फूड को कम करें। इसमें ज्यादातर फैट और कैलोरी में मात्रा बहुत ज्यादा होती है।
- एक परिवार की तरह साथ बैठकर खाना खाएं। बच्चे टीवी या कंप्यूटर के सामने खाने के बजाय टेबल पर क्या खाते हैं और कितना खाते हैं, इस पर अधिक ध्यान दे। खाने की टेबल पर फैमिली टाइम बिताएं, बातें करना, किस्से सुनाने से बच्चों के साथ आपका रिश्ता मजबूत होता है।
- बच्चे को थोड़ा ही खाना परोसें। बच्चों को पेट भरने तक ही खाने दें, भले ही प्लेट में कुछ खाना बचा हो। बाहर खाना खाते समय, याद रखें कि होटल में खाने से अक्सर बच्चे अपनी भूख से ज्यादा खाना खाते हैं, जो उनके सेहत के लिया अच्छा नहीं है।
बच्चों में मोटापे को कैसे रोकें
बचपन में होने वाले मोटापे को रोकने के लिए कुछ जरूरी उपाय इस प्रकार दिए गए हैं:
- अगर आप ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं, तो कुछ और खिलाने की बजाय उसे ब्रेस्टफीडिंग ही करवाएं।
- जहाँ तक हो सके बच्चों में फास्ट फूड के देने के बजाय फल देने की कोशिश करें।
- मीठा खाना जैसे कैंडी, चॉकलेट, आइसक्रीम और जूस से बचें और उन्हें कभी कभार ही खाने को दें।
- स्क्रीन टाइम कम करें और उनका आउटडोर टाइम बढ़ाएं। फिजिकल एक्टिविटी के जरिए कैलोरी बर्न करें।
- खेल और आउटडोर एक्टिविटी में हिस्सा लेने के लिए प्रेरित करें।
बच्चे के मोटापे से लड़ने में मदद करने के तरीके
यहाँ कुछ ऐसे उपाय दिए गए हैं, जो आपके बच्चे का स्वस्थ वजन बनाए रखने में मदद करेंगे।
1. पोषण से संबंधित मूल बातों को जानें
बहुत से माता-पिता इस बात से अनजान होते हैं कि पोषण के मामले में क्या आवश्यक है और क्या नहीं और वे अक्सर विज्ञापनों में बताई गई जानकारी को ही सही मान लेते हैं। पोषण से संबंधित बेसिक चीजें जानने से उन्हें इन्हें चुनना आसान हो जाएगा। इस तरह आप अपने बच्चे को बेहतर आहार लेने में मदद कर सकती हैं।
2. पूरे परिवार को शामिल करें
घर में ही हेल्दी हैबिट बनाई जाती है। जब सभी लोग स्वस्थ भोजन खाते हैं और पर्याप्त मात्रा में फिजिकल एक्टिविटी करते हैं, तो बच्चे भी बड़ों से यही सीखते हैं। क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता को देखकर ही चीजों को सीखते हैं, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने बच्चे के लिए उदाहरण बनें।
3. फिजिकल एक्टिविटी पर जोर दें
अपने बच्चों को घर में खेलने के बजाय बाहर खेलने के लिए कहें। फिजिकल एक्टिविटी बच्चों के बढ़ने और विकास के लिए बहुत जरूरी है। अगर आप चाहें तो अपने बच्चों के साथ भाग ले सकते हैं और बच्चे के साथ अच्छा समय बिता सकते हैं। साथ ही उन्हें खेलकूद और एक्टिविटीज जैसे डांस, स्विमिंग, स्केटिंग, फुटबॉल आदि में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें।
4. खाने को लेकर स्मार्ट बनें
आपको फूड पुलिस बनने और उन सभी खाद्य पदार्थों पर जबरस्ती रोक लगाने की आवश्यकता नहीं है जो फैट युक्त होते हैं। इससे उनके खाने की इच्छा और बढ़ेगी। आप उन्हें सीमित मात्रा में ऐसी चीजें दे सकते हैं। जंक और फास्ट फूड को कम से कम रखें और घर बना खाना ही खिलाएं। यह बच्चों में आगे चलकर, खाने की स्वस्थ और अच्छी आदत स्थापित करता है।
5. अपने बच्चों से उनकी भावनाओं के बारे में बात करें
यदि बच्चा मोटा है, तो जरूरत से ज्यादा खाने देने के बजाय उसकी भावनाओं को समझ कर इसे बेहतर ढंग से निपटने में उसकी मदद करें। उसे नकारात्मक बातें न बोलें, जो उसके लिए हानिकारक हो सकती हैं, भले ही यह नेक इरादे से ही क्यों न कही गई हों। जब वह कोई अच्छा प्रयास तो बच्चे की प्रशंसा करें।
क्या होगा यदि आपका बच्चा बड़ा होने पर भी मोटा रहता है?
हो सकता है कि आपके बच्चे में बड़े होने के साथ यह एक्स्ट्रा फैट कम न हो, लेकिन उसकी अच्छी हेल्थ के लिए आप उसे आहार के स्वस्थ विकल्प दें और एक्सरसाइज को उसके रूटीन में शामिल करें। जैसे-जैसे वह बड़ा होता जाएगा, एक्टिव रहने से उसमें वजन बढ़ने संभावना कम हो जाएगी। भले ही बच्चा नॉर्मल वजन हासिल न कर सके, लेकिन अच्छी आदतों को अपने रूटीन में लाने से वह हेल्दी जरूर रह सकता है।
बच्चे में मोटापा दूर करने के लिए माता पिता और बच्चे दोनों को ही प्रयास करना होगा। उसके रूटीन में पर्याप्त एक्सरसाइज और खाने की अच्छी आदतें शामिल करें, इस प्रकार आप अपने बच्चे को हेल्दी रखते हुए उसका मोटापा दूर कर सकती हैं।
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