बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बच्चों में तनाव की समस्या

हर इंसान को स्ट्रेस यानी तनाव का अनुभव होता है, यह चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों को संभालने और उनके अनुकूल होने के लिए शरीर का एक तंत्र है। जहाँ थोड़ी मात्रा में स्ट्रेस ठीक होता है, वहीं हद से ज्यादा नेगेटिव प्रेशर आगे चल कर मानसिक आघात का कारण बन सकता है। इसलिए, बच्चों के लिए तनाव से राहत मिलना बेहद महत्वपूर्ण है। यह लेख आपको बच्चों में तनाव के स्रोतों, इसके प्रभावों और बच्चे को तनाव से निपटने में मदद करने के तरीकों को समझने में मदद करेगा।

बच्चों को तनाव होना क्या है?

वयस्कों की तुलना में बच्चे तनाव से अधिक पीड़ित होते हैं, क्योंकि वे लगातार नए और भ्रमित करने वाले वातावरण के संपर्क में रहते हैं। उनकी सेल्फ-वर्थ की भावना उनके आस-पास के वयस्कों, जैसे पेरेंट्स और टीचर द्वारा की गई अपेक्षाओं से मजबूती से जुड़ी हुई होती है, लेकिन उनके साथ के बच्चे भी उन्हें प्रभावित कर सकते हैं। यदि आपके बच्चे का आत्म-सम्मान प्रभावित होता है, तो उसे परिस्थिति का सामना करना चुनौतीपूर्ण लगेगा।

बचपन में तनाव कितना आम होता है?

हाल में ही की गई स्टडीज से पता चलता है कि पिछले दशकों में बच्चों में देखे जाने वाले तनाव का स्तर बढ़ रहा है। यह मुख्य रूप से उपलब्धियां हासिल करने और दूसरे बच्चों के साथ सफलतापूर्वक मुकाबला करने के दबाव के कारण होता है। आज के समय में असफल होना बहुत बुरी बात बन गया है, भारतीय बच्चों में अपर्याप्तता की भावना इतनी गहरी हो जाती है कि हमारे किशोर और युवाओं की आत्महत्या दर दुनिया में सबसे अधिक है।

बचपन में होने वाले तनाव के प्रकार

बच्चों में दो मुख्य प्रकार के तनाव को नोटिस किया गया है।

1. अच्छा तनाव

अच्छा स्ट्रेस या पॉजिटिव प्रेशर बहुत जरूरी होता है, क्योंकि यह बच्चों के जीवन में आने वाली बाधाओं से निपटने और उन्हें दूर करने में मदद करता है। उदाहरण के लिए, खिलाड़ी और स्टूडेंट तब ज्यादा बेहतर प्रदर्शन करते हैं, जब वे अपने पेरेंट्स और कोच द्वारा थोड़ी मात्रा में तनाव का अनुभव करते हैं, जो उन्हें अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है।

2. बुरा तनाव

अत्यधिक तनाव बच्चे की किसी स्थिति से सामना करने की क्षमता पर हावी हो सकता है। कोई गंभीर घटनाएं जैसे शारीरिक और मानसिक हिंसा, उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन न करना, बीमारी, पेरेंट्स का नजरअंदाज करना, कुछ ऐसे फैक्टर हैं जो बच्चे के लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं। इसका सीधा प्रभाव बच्चे के मानसिक विकास, ब्लड प्रेशर बढ़ने, नींद न आने, बुरे सपने आने, सुस्ती, डिप्रेशन आदि के रूप में भी दिख सकता है।

बच्चों में तनाव के कारण

बच्चों को रोजमर्रा की जिंदगी में कई तरह के तनाव का सामना करना पड़ सकता है। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं:

1. स्कूल में तनाव

बच्चे अपने दिन का ढेर सारा समय स्कूल में बिताते हैं, जहाँ उन्हें खेल, एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज और पढ़ाई के साथ-साथ शैक्षणिक जिम्मेदारियों को निभाना पड़ता है, जिससे वे थक जाते हैं। इसके अलावा, वे फ्रेंड-सर्कल में फिट होने की कोशिश करने से तनाव महसूस कर सकते हैं।

2. पारिवारिक समस्याओं के कारण तनाव

बच्चे अपने पेरेंट्स का मार्गदर्शन और सहयोग चाहते हैं। घर में समस्या होने के कारण वे तनाव का शिकार हो सकते हैं, जैसे कि माता-पिता के झगड़े और अलग होना, आर्थिक समस्या, शारीरिक रूप से दंड देना, मेंटल डिसऑर्डर से निपटना और अन्य समस्याएं।

3. माहौल या मीडिया के कारण तनाव

बच्चों का टीवी पर दिखाई देने वाली चीजों को लेकर चिंता जाहिर करना बहुत आम है, जैसे कि आपदा की खबरें, आतंकवादी हमले और दुनिया में बढ़ते टेंशन की खबरें। बहुत छोटे बच्चे फिल्मों में अत्यधिक हिंसा, गोरखधंधे और डरावनी चीजों के प्रति रिएक्ट कर सकते हैं जो बच्चों में अजनबी लोगों, अंधेरे या डरावने राक्षसों के प्रति एक भय पैदा कर सकता है। आजकल बच्चों की ऑनलाइन जिंदगी हो गई है जिससे साथ के लोगों या अजनबियों द्वारा साइबर बुली (तंग या परेशान करना) की संभावनाएं बढ़ जाती हैं और यह गंभीर रूप से भावनात्मक तनाव का खतरा पैदा करता है।

4. अन्य कारण

बच्चे तब भी तनावग्रस्त हो सकते हैं जब उनके आसपास के लोग किसी भी कारण से परेशान होते हैं, चाहे वह मृत्यु हो, बीमारी हो या पैसे से जुड़ी समस्या हो। बच्चे अपने माता-पिता के भावनात्मक स्तर को महसूस कर सकते हैं, इसलिए यदि आप परेशान हैं, तो वे निस्संदेह उन्हें भी तनाव होगा।

किन बच्चों को तनाव होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है?

ऐसे कई फैक्टर हैं जो बच्चों में स्ट्रेस पैदा कर सकते हैं और ये बाहरी और आंतरिक दोनों रूप हो सकते हैं:

  • उनकी रोजमर्रा की जिंदगी में गंभीर रूप से परिवर्तन होना, जैसे पेरेंट्स का तलाक, शहर बदलना और स्कूल बदलना।
  • खुद बच्चे का या परिवार के किसी करीबी सदस्य का बीमार हो जाना या चोट लगना।
  • अकेलापन और नजरअंदाज किए जाना।
  • सजा, यौन शोषण और तिरस्कार के रूप में शारीरिक, मौखिक या भावनात्मक शोषण का अनुभव करना।

बच्चों में तनाव के लक्षण

छोटे बच्चों के लिए माता-पिता के सामने अपनी भावनात्मक स्थिति को व्यक्त करना बहुत मुश्किल होता है, इसलिए नीचे आपको कुछ संकेत और लक्षण बताए गए हैं जिनकी पहचान करके आप अपने बच्चे की मदद कर सकती हैं:

1. शारीरिक लक्षण

  • हल्की समस्या को लेकर भी एग्रेसिव ओवर रिएक्शन, जैसे हमला करना, काटना, रोना और चीखना।
  • लगातार नींद की समस्या, जैसे अनिद्रा, बिस्तर गीला करना और बुरे सपने आना।
  • भूख में कमी होना।
  • सिरदर्द या पेट दर्द की शिकायत भी काफी आम है।

2. भावनात्मक या व्यवहार संबंधी लक्षण

  • आराम न करना पाना, हमेशा चिड़चिड़े रहना ।
  • नया डर पैदा होना, पहले का डर फिर से उभरना।
  • चिड़चिड़ापन या मूडी व्यवहार और भावनात्मक प्रतिक्रिया को कंट्रोल न कर पाना।
  • किसी मित्र या रिश्तेदार के घर जाने या स्कूल जाने से इनकार करना, क्योंकि यह ऐसी संभावित जगह है जहाँ उन्हें तनाव हो सकता है।

बच्चों पर तनाव के प्रभाव

एक बच्चा जितना छोटा होता है, उस पर स्ट्रेस का उतना ही बुरा प्रभाव पड़ता है। यहाँ कुछ तरीके बताए गए हैं कि कैसे तनाव बच्चों को प्रभावित करता है:

  • बच्चे के सामान्य मानसिक विकास में कमी आना।
  • बच्चे की कार्य करने की क्षमता पर नेगेटिव प्रभाव पड़ना।
  • आगे चलकर ईटिंग डिसऑर्डर, एंग्जायटी, पैरानोया और डिप्रेशन।
  • स्ट्रेस हार्मोन के कारण उनकी इम्युनिटी प्रभावित होती है, जिससे वे इन्फेक्शन की चपेट में आ सकते हैं।

बचपन के तनाव से निपटना

तनाव का अनुभव करने वाले बच्चों के लिए स्ट्रेस की पहचान और स्ट्रेस मैनेजमेंट प्रदान करने के लिए स्कूल और माता-पिता सबसे अच्छी तरह तैयार होने चाहिए।

1. स्कूल में

  • बच्चों में तनाव की पहचान करने में मदद करें और इससे मुकाबला करने के तरीके सिखाएं।
  • शाब्दिक या शारीरिक सजा के खिलाफ कड़ी नीति का पालन करें।
  • बच्चे को कोई तंग कर रहा है तो ध्यान दें और अगर वह इसमें शामिल है तो देखभाल करें।
  • पेरेंट्स और टीचर के बीच एक प्रभावी कम्युनिकेशन बनाएं रखें।

2. घर में

  • अपने बच्चे को एक ऐसा स्थान दें जहाँ वह सुरक्षित महसूस करे।
  • बिना आलोचना किए या वह किसी समस्या का हल नहीं निकाल पा रहा है, इस मुद्दे पर अपमान किए बगैर उसकी समस्याओं को सुनें।
  • फिक्स्ड रूटीन के अनुसार उसके साथ समय बिताएं, जिससे उसे अच्छा महसूस होगा।
  • सजा देने के बजाय सकारात्मक तरीकों से उनकी बात सुनें।

डॉक्टर से कब परामर्श करें

कई मामलों में, अच्छी पेरेंटिंग बच्चे के स्ट्रेस को दूर करने में मदद कर सकती है, लेकिन कभी-कभी तनाव के कारण इतने बड़े होते हैं कि घर या स्कूल में इन्हें ठीक नहीं किया जा सकता। ऐसे में आपको अपने बच्चे के डॉक्टर से बात करनी चाहिए, यदि नीचे बताए गए लक्षण बच्चे में नजर आते हैं, तो आपको तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए:

  • अगर आप बच्चे में डिप्रेशन, खुश न रहना, हर चीज में पीछे हटने जैसे लक्षण नोटिस करती हैं।
  • बहुत तेज भावनात्मक रिएक्शन प्रदर्शित करना, जैसे भय या क्रोध।
  • स्कूल में खराब प्रदर्शन या लोगों से बातचीत करने से मना कर देना।

साथ ही, बच्चों को प्रभावित करने वाले तनाव के विभिन्न प्रकारों के बारे में जानें, क्योंकि उम्र के अनुसार तनाव के प्रकार अलग-अलग होते हैं। यह महसूस करना कि जिन घटनाओं को हम वयस्क महत्वहीन मानते हैं, वे बच्चों में गंभीर तनाव पैदा कर सकते हैं, तनाव को पहचानने का पहला कदम है। सबसे अहम बात कि आप बच्चे की मदद करें ताकि वो इसका सामना कर सके और समझने की कोशिश करें कि बच्चा क्या महसूस कर रहा है बिना उसकी भावनाओं को खारिज किए।

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समर नक़वी

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