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अगर आपका बच्चा उस हिसाब से अपने विकास के पड़ाव को पार नहीं रहा जैसा ज्यादातर किताबें या वेबसाइट बताती हैं, तो आप इस बात को लेकर बहुत ज्यादा चिंता न करें। यह गाइडलाइन बच्चों में होने वाले औसत विकास क्रम का आईडिया देती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर बच्चा इसी चार्ट के अनुसार अपने विकास के पड़ाव को पार करे। जैसा कि कहा जाता है हर बच्चा अपने आप में अलग होता है और अपनी ही गति से बढ़ता है। कुछ बच्चे जल्दी डेवलप होते हैं और कुछ लेट ब्लूमर्स होते हैं। अगर आपका बच्चा और बच्चों के मुकाबले थोड़ा देर से विकास करता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि उसके साथ कुछ गलत है।
यह जानने के लिए नीचे बताए गए बिंदुओं को बच्चे में ध्यान से नोटिस करना होगा कि क्या आपका बच्चा लेट ब्लूमर चाइल्ड डेवपलमेंट का शिकार है:
बच्चे के विकास को प्रभावित करने वाले कुछ कारकों में शामिल हैं:
आपके बच्चे का स्वभाव आपके उसके विकास के तरीके को सीधे प्रभावित करेगा। उदाहरण के लिए, अगर बच्चे का स्वभाव दृढ़ है, तो वह तब तक हार मानने से इनकार कर सकता है जब तक कि वो किसी स्किल पर अपनी महारत न हासिल कर ले, जैसे कि लुढ़कना या पलटना। इसका मतलब है कि वे तेजी से अपने विकास के पड़ाव को पार करेगा। हालांकि, कुछ बच्चों में यह दृढ़ स्वभाव नहीं होता है और वो जल्दी हार मान जाते हैं, ऐसे में किसी भी स्किल में महारत हासिल करने में उनकी स्पीड कम हो जाती है और उन्हें अपने विकास के पड़ाव को पार करने में समय लगता है।
जिन बच्चों को उनके परिवार के लोगों से बहुत ज्यादा लाड प्यार किया जाता है, ऐसे बच्चे भी अपने विकास के पड़ाव को पार करने में देर कर सकते हैं, क्योंकि उन्हें प्यार दुलार की वजह से मौका ही नहीं मिलता है। वह उन्हें शायद ही अपनी बॉल को पकड़ने के लिए दौड़े क्योंकि उससे पहले ही कोई उन्हें उनकी बॉल पकड़ा देता है, इसी प्रकार बच्चा ठीक से बातचीत करना भी नहीं सीख पाता है, क्योंकि इससे पहले वो कुछ मांगे घर के लोग पहले ही उसकी हर जरूरत को पूरा कर देते हैं। उन्हें वक्त से पहले हर चीज मिल जाने के कारण अपनी माँ को किसी जरूरत के लिए बुलाना नहीं पड़ता है। अगर आप भी अपने बच्चे के साथ ऐसे ही पेश आती हैं, तो आपको ऐसा करने के लिए खुद को रोकना चाहिए, आप उन्हें यह छोटी छोटी एक्टिविटी करने का मौका दें। इससे वो जल्दी अपने विकास के पड़ाव को पार करेंगे। बच्चों को अपने लिए चीजों को आजमाने का अवसर मिलना चाहिए क्योंकि इससे उन्हें अपने डेवलपमेंट माइलस्टोन तक तेजी से पहुंचने में मदद मिलेगी।
यदि आपके बच्चे की मांसपेशियां कम टोन होती है, तो उसे हिलने-डुलने में परेशानी होती है । कमजोर मांसपेशियों वाले बच्चे दूसरों की तुलना में ज्यादा धीमी गति से विकास कर सकते हैं और जब वो रिलैक्स कर रहे हों तब आप उनके अंगों को मूव करने की कोशिश करें, तो कोई तनाव नहीं पड़ता है और ये आसानी से किया जा सकता है। अपने बच्चे की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए आप उन्हें फिजिकल एक्टिविटी में व्यस्त रखें और अगर समस्या ज्यादा लग रही है तो डॉक्टर से बात करें। अगर ऐसा नियमित रूप से किया जाए तो आप काफी तेजी से अपने बच्चे में बदलाव देखेंगी।
बड़ों की तरह सभी बच्चों का अपना इंट्रेस्ट भी अलग-अलग होता है। जो बच्चे अपने माँ के करीब रहना पसंद करते हैं और जल्दी ही चलना सीख जाते हैं कुछ समय बाद उनके अंदर सेपरेशन एंग्जायटी दिखना शुरू हो सकती है। कुछ बच्चों को पेंसिल या क्रेयॉन से ड्राइंग करना इतना ज्यादा पसंद होता है कि उन्हें चलने में कोई इंट्रेस्ट ही नहीं होता है और उनकी आर्ट में ज्यादा रूचि होती होती है। जिन बच्चों को इधर-उधर जाने में ज्यादा मजा आता है वो बातचीत वाली एक्सरसाइज में ज्यादा रूचि नहीं लेते हैं।
बच्चे में देर से विकास का एक कारण यह भी है कि यह इस बात पर भी बहुत निर्भर करता है कि वह आपके साथ कितना समय बिताता है। जिन बच्चों को उनके माता-पिता पर्याप्त समय नहीं देते हैं, वो अपनी हर चीज खुद से ही सीखते हैं, जिससे उनका आत्मविश्वास कम होता है। जिन बच्चों के माता-पिता उनके साथ अधिक समय बिताते हैं, खेलते हैं और उनके साथ बातें करते उन्हें बोलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं, वे ज्यादा जल्दी अपने विकास के पड़ाव को पार करते हैं।
बच्चे द्वारा प्राप्त किया जाने वाला न्यूट्रिशन और हेल्थ सीधे उसके दिमाग और शरीर को प्रभावित करती है। बीमार या कुपोषण का शिकार बच्चे अन्य बच्चों की तुलना में अपने विकास को उस प्रकार से या उतनी तेजी से पार नहीं करते हैं जितना कि उन्हें करना चाहिए। जो बच्चे शुरुआत से ही हेल्दी खाना खाते हैं उसका अच्छा प्रभाव पड़ता है और ठीक से अपने डेवलपमेंट की ओर बढ़ते हैं।
यहाँ आपको कुछ ऐसी बातें बताई गई हैं, जो पैरेंट के लिए जानना जरूरी है, ताकि वो अपने देर से विकास कर रहे बच्चे से सही तरह से निपट पाएं:
आपके एक से ज्यादा बच्चे हो सकते हैं और अगर पहले बच्चे के मुकाबले दूसरे बच्चे अपने विकास के पड़ाव को पार नहीं कर रहा है, तो आप यह देख कर घबरा सकती हैं, लेकिन आपको यहाँ यह समझना होगा कि कोई भी दो बच्चे एक जैसे नहीं हैं, और दोनों बच्चे तीन साल का होने पर एक ही स्टेज में पहुँच जाएंगे, भले ही दोनों एक दूसरे से थोड़ा अलग विकास क्यों न कर रहे हों।
बच्चे के लिए पेरेंट्स का प्रोत्साहन बहुत जरूरी होता है, लेकिन उन्हें जबरदस्ती अपनी बात मनवाना अलग बात है। हालांकि बच्चे को प्रोत्साहित करना अच्छी बात है, लेकिन आप उन्हें किसी भी काम को जल्दी करने या सीखने के लिए जबरदस्ती न करें। बच्चों को अपनी गति से विकास करने दें, ताकि वे जान सकें कि वो क्या कर रहे हैं और क्या सीख रहे हैं।
बच्चों पर कभी भी कोई लेबल नहीं लगाना चाहिए और वो बुद्धिमान नहीं है ऐसा उनके सामने न कहें, क्योंकि व्यक्ति और बच्चे की अपनी क्षमता और कमजोरी होती है। स्टडीज से पता चलता है कि बच्चे की नकारात्मक लेबलिंग करने से उस पर बुरा प्रभाव पड़ता है। जिसके कारण यह उसके विकास को भी प्रभावित करेगा।
बच्चों के अपनी गति से विकसित होने के बावजूद, भी एक निश्चित आयु वर्ग होता है, जिसे सभी बच्चों को अपना विकास पूरा कर लेना चाहिए। जब बच्चा बहुत छोटा है तो उसे किसी चीज का जवाब देने में कुछ समय लग सकता है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है, उनकी प्रतिक्रिया तेज होती जाती है। बच्चे अपने केयर टेकर और माता-पिता को देखकर मुस्कुराते हैं उनसे बातचीत करने का प्रयास करते हैं, अगर आप बच्चे में यह सभी चीजें नोटिस नहीं करती हैं, तो यह चिंता का कारण हो सकता है और आपको ऐसे हालात में अपने डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
कुछ बच्चों का विकास शुरुआत में धीमा रहता है लेकिन पाँच साल का होने तक वो अपने सभी विकास के पड़ाव को पार कर लेते हैं। तब तक, बिना किसी परेशानी के विकास कर रहा है तब तक उसके स्लो डेवलपमेंट को लेकर आपको चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है। कुछ समय बाद बच्चा अपने ट्रैक पर खुद ही आ जाएगा।
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