बच्चे बैठना कब शुरू करते हैं – डेवलपमेंटल माइलस्टोन

बच्चे बैठना कब शुरू करते हैं - डेवलपमेंटल माइलस्टोन

एक माँ के तौर पर, आप यह जानना चाहती होंगी, कि आपके बच्चे का विकास सही तरह से हो रहा है या नहीं। आप अपने बेबी के विकास के हर पड़ाव को बारीकी से देखती होंगी। जब बच्चा एक बार करवट बदलने और अपने सिर को स्थिर रखने में माहिर हो जाता है, तो निश्चित रूप से आप यह जानना चाहती होंगी, कि वह अपने अगले माइलस्टोन पर कब पहुँचेगा, यानी कि, बैठना कब सीखेगा। बच्चा बैठने की शुरुआत कब करता है, आइए देखते हैं। 

बच्चे किस उम्र में बैठना शुरू करते हैं?

4 से 7 महीने की उम्र के बीच बच्चे बैठना सीख जाते हैं। इस माइलस्टोन तक पहुँचने पर, बच्चा दुनिया को एक नए नजरिए से देखने लगता है। 8 महीने की उम्र तक पहुँचने पर, वे कुछ समय के लिए बिना सहारे के बैठने में सक्षम हो जाते हैं। जब बच्चा बैठना शुरू कर देता है, तो आपको उसकी पीठ को सहारा देना चाहिए। ऐसा भी हो सकता है, कि वह अपना संतुलन खो बैठे और जमीन पर गिरकर उसके सिर पर चोट लग जाए। 

आमतौर पर, बच्चे 3 से 5 महीने की उम्र में सहारे के साथ बैठना शुरू कर देते हैं। 6 महीने की उम्र तक आने पर, बच्चा बिना सहारे के बैठने लगता है। क्योंकि, अब तक उसकी पीठ और गर्दन की मांसपेशियां इतनी मजबूत हो चुकी होती हैं, कि वह बिना सहारे के बैठ सके। लेकिन ऐसा भी देखा जाता है, कि कभी-कभी 9 महीने की उम्र तक बच्चे बिना मदद के बैठ नहीं पाते हैं। आमतौर पर ऐसा तब होता है, जब शिशु अपना ज्यादातर समय अपने क्रिब में लेटकर ही बिताता है। 

बैठने में बच्चे की क्षमता के संकेत

4 महीने की उम्र तक बच्चा अपने सिर को सहारे के साथ संतुलित रखने में सक्षम हो जाता है। ऐसा उसकी गर्दन की मांसपेशियों में पर्याप्त मजबूती आने के कारण होता है। उसकी गर्दन और सिर पर नियंत्रण को बेहतर बनाने में मदद करने के लिए, सबसे अच्छा तरीका यह है, कि जब वह लेटा हुआ हो, तब उसको सहारा देकर बिठाने का एक खेल खेला जाए। इसके लिए उसके हाथों को मजबूती से पकड़ कर और धीरे से सहारा देकर बिठाया जा सकता है। इस दौरान, मजेदार चेहरे और आवाजें निकालकर इस खेल को और भी मजेदार बनाया जा सकता है।

बैठने में बच्चे की क्षमता के संकेतबच्चा बैठना और संतुलन बनाना कैसे सीखता है?

जैसे ही शिशु अपने सिर पर नियंत्रण बनाना सीख जाता है, वैसे ही बैठने के लिए प्रोत्साहित करना एक अच्छा आईडिया है। जब बैठने की बात आए, तब सिर पर नियंत्रण होना बहुत जरूरी है। सिर पर नियंत्रण का मतलब होता है, पेट के बल पर लेटे होने के दौरान, सिर को सेंटर में थामे रखना। इसका विकास केवल तब ही संभव है, जब बच्चे को फर्श पर खेलने के लिए अधिक समय दिया जाता है। बच्चे को क्रिब या ऐसे ही दूसरे बेबी गियर्स में लंबे समय तक रखने से, सिर के नियंत्रण को हासिल करने की उसकी क्षमता प्रभावित होती है। इसका मुख्य कारण यह होता है, कि ज्यादातर बेबी गियर में बैठने के दौरान बच्चे की पोजीशन आधी पड़ी हुई होती है। 

बच्चे बैठने के लिए, अपने हाथों, पैरों और कूल्हों का इस्तेमाल करते हैं। ऐसी शारीरिक जागरूकता के विकास के लिए, अधिक टमी टाइम देना जरूरी है। टमी टाइम की शुरुआत जल्दी करने से बच्चा अपने हाथों को वजन उठाने वाली सतह के रूप में इस्तेमाल करना सीख जाता है। 

इस दौरान आप बच्चे को डगमगाता हुआ देखेंगी। जब एक बच्चा डगमगाता है, तब विभिन्न सेंसेस के द्वारा उसके दिमाग को नए सेंसरी इंफॉर्मेशन भेजे जाते हैं। बच्चे को गिरने देना मुश्किल हो सकता है, लेकिन डगमगाने से उसे अपने हाथों के इस्तेमाल, सिर की स्थिति आदि में थोड़े बदलाव करने की प्रेरणा मिलती है। बच्चे को गिरने और चोट पहुँचने से बचाने के लिए, उसे पैडेड मैट पर रखें या तकियों और कंबलों के इस्तेमाल से एक सेफ ज़ोन तैयार करें। 

बच्चा बैठना और संतुलन बनाना कैसे सीखता है?

स्वतंत्र रूप से बैठने में आप अपने बच्चे की मदद कैसे कर सकते हैं? 

6 महीने के शिशु की माँ होने के तौर पर, आप ऐसे कई तरीके ढूंढ लेंगी, जिससे बच्चे को बैठना सिखा सकें। उसे बैठना सिखाने के लिए, बैठने के लिए जरूरी क्षमताओं के विकास में उसकी मदद करें। इसमें कुछ खास मांसपेशियों को ताकत देना शामिल है। 

जब शिशु अपने सिर पर अच्छी तरह से नियंत्रण रखना सीख जाता है, तब आप स्ट्रोलर, इन्फेंट सीट या अपनी गोद में बिठा कर, उसे प्रोत्साहित कर सकती हैं। स्ट्रोलर का इस्तेमाल करना भी काफी अच्छा है, क्योंकि इससे बच्चे में बैठने की दिलचस्पी पैदा होती है। 

बच्चे के बैठने के लिए किन क्षमताओं की जरूरत होती है? 

बच्चे को बैठने में मदद के तरीके यहाँ दिए गए हैं: 

  • सहारे के साथ बच्चे को लेना – जब आप किसी 2 महीने के बच्चे को अपने कंधे पर लेते हैं, तो बच्चा गर्दन की मांसपेशियों का इस्तेमाल करके सिर पर नियंत्रण रखने की कोशिश करता है। बच्चे को गोद में बिठाते समय सबसे पहले ऊपरी शरीर को सहारा देने की कोशिश करें और फिर धीरे-धीरे उसके कूल्हों की ओर बढ़ें। 
  • बच्चे को पेट के बल खेलने दें – पेट के बल खेलना, पीठ और गर्दन की मांसपेशियों के विकास का एक बेहतरीन तरीका है, जो कि बैठने में मदद के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। हाथों का सहारा लेने के लिए आगे की ओर धकेलना भी एक अच्छी एक्सरसाइज है, जिससे मांसपेशियों में ताकत आती है। 
  • पीठ के बल खेलना – पीठ के बल लेटकर खेलना या किक करना, आदि फ्लेक्सर मांसपेशियों को ताकत देते हैं। 
  • करवट लेना – ऊपरी शरीर की मांसपेशियों के विकास का यह एक बेहतरीन तरीका है। 

बच्चे के बैठने के लिए किन क्षमताओं की जरूरत होती है? 

एक और सवाल जो पेरेंट्स अक्सर पूछते हैं, वह यह है, कि ‘बच्चे को बैठने के लिए कैसे प्रोत्साहित करें?’ ऊपर दी गई एक्टिविटीज को खेल के रूप में अपनाकर आपका बच्चा बैठने की शुरुआत कर देगा। 

बच्चे को बैठने में मदद करने के लिए पोजीशन

जब आपका बच्चा अपने सिर को नियंत्रित रखने में पूरी तरह से सक्षम हो जाता है और इसके लिए जरूरी गुणों का विकास उसमें हो जाता है, तो स्वतंत्र रूप से बैठने में उसकी मदद के लिए आप निम्नलिखित पोजीशन का इस्तेमाल कर सकते हैं: 

  • अपनी गोद में बिठाकर – आमतौर पर 3 से 6 महीने की उम्र में बच्चा इसमें सक्षम हो जाता है। जब बच्चा आपकी गोद में बैठता है, तो बच्चे के ऊपरी शरीर पर पकड़ बनाएं। पहले ऊपरी हिस्से से शुरू करें और फिर धीरे-धीरे नीचे उसके कूल्हों की ओर बढ़ें। 
  • 4 और 5 महीने की उम्र होने पर आप फर्श पर अपने पैरों के बीच उसे बिठा सकते हैं। यह एक आसान तरीका है, जिसके द्वारा बच्चे को बैठने का अनुभव भी मिलता है और साथ ही आपके पैरों के बीच वह सुरक्षित भी रहता है। 
  • ऊपर दिए गए आयु वर्ग में एक बंबो चेयर से अच्छी मदद मिलती है। ट्रे टेबल पर खिलौने रखने से वह खिलौनों को पकड़ना और उनसे खेलना सीख सकता है। इसलिए बैठना उनके लिए एक जरूरी गुण बन जाता है। इस तरह के गुणों के विकास के लिए बच्चों के लिए जरूरत पैदा करना आवश्यक है। 
  • किसी डिब्बे या लॉन्ड्री बॉस्केट का टिप बंबो चेयर का एक दूसरा विकल्प हो सकता है। लेकिन ऐसा करने के दौरान जरूरी सहयोग और ध्यान देने के लिए एक्स्ट्रा केयर की जरूरत होगी। 
  • बच्चे को तकियों से घेरना – बैठने की प्रैक्टिस के लिए तकियों की मदद से बच्चे को एक गद्देदार वातावरण मिल जाता है। इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए, कि तकिए आसानी से खिसके नहीं। हेड पिलो के इस्तेमाल के बजाय बॉपी पिलो का इस्तेमाल किया जा सकता है, जो कि आसानी से बाजार में उपलब्ध होते हैं। 
  • बैठने की ट्राइपॉड पोजीशन – यह बच्चे की बैठने की एक पोजीशन है, जिसमें बच्चा अपने दोनों हाथों को खड़ी अवस्था में दोनों ओर रखकर सहारे के रूप में इस्तेमाल करता है। बच्चे को बैठने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एक कुशन या तकिए का इस्तेमाल करके खिलौनों को उसकी नजरों के सामने रखा जा सकता है। 

अगर आपका बच्चा बैठता नहीं है, तो आप क्या कर सकती हैं?

अगर नौवें महीने के अंत तक भी, आपका बच्चा सहारे के साथ बैठने में सक्षम नहीं है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करें। इस बात का ध्यान रखें, कि हर बच्चा अपनी गति से बढ़ता है। सिर पर नियंत्रण करना और सीधा बैठना सीखने से बच्चे को आगे चलकर खड़े होने और चलने जैसे अन्य कॉम्प्लिकेटेड माइलस्टोन हासिल करने में मदद मिलती है। 

बच्चे के बैठने के बाद अगला माइलस्टोन क्या होता है?

एक बार जब आपका बच्चा कॉन्फिडेंस के साथ बैठने लगता है, वह अपने शरीर को आगे की ओर झुका कर हाथों और घुटनों पर संतुलन बनाने की कोशिश करता है। 7 से 10 महीने की उम्र में, बच्चा क्रॉलिंग यानी रेंगना भी शुरू कर सकता है।  याद रखें, कि इस उम्र में आपका शिशु काफी उत्सुक होता है, इसलिए अपने घर को चाइल्ड प्रूफ रखना बहुत जरूरी है। 

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