बड़े बच्चे (5-8 वर्ष)

बारिश के मौसम में छोटे और बड़े बच्चों को होने वाली 10 आम बीमारियां

बाहर जाना और मानसून की पहली बारिश को एन्जॉय करना, स्ट्रीट फूड और पानी से भरे गड्ढों में खूब खेलना और न जाने हमारी कितनी सारी ख्वाहिशें इस मौसम से जुड़ी हुई हैं जिन्हें हम सब पूरा करना चाहते हैं। लेकिन, इन मजेदार एक्टिविटीज को एन्जॉय करने में रिस्क भी रहती है, क्योंकि यह मौसम कई बीमारियों को भी अपने साथ लाता है, इस मौसम के दौरान बहुत सारे जर्म्स और वायरस के संपर्क में आने का खतरा होता है, जो हमको बीमार कर सकता है, और खासतौर पर बच्चों को सबसे ज्यादा, और फिर पूरे सीजन बिस्तर पर ही रहना पड़ सकता है। बरसात के दौरान बच्चे को होने वाली बीमारियां अचानक वातावरण में आए भारी उतार-चढ़ाव के कारण और एक बड़ी मात्रा में माइक्रोऑर्गेनिज्म के सामने आने से होती है, जिससे शरीर को लगातार लड़ना पड़ता है। मां होने के नाते आपको मानसून में होने वाली आम बीमारियों और रोगों के बारे में जागरूकता होनी चाहिए, ताकि आप बेहतर रूप से इसे डील कर सकें और जरूरत पड़ने पर डॉक्टर की मदद ले सकें।

सबसे आम बीमारियां जिनसे ज्यादातर बच्चे बरसात के मौसम में पीड़ित हो सकते हैं

यहाँ आपको कुछ ऐसी कॉमन बीमारियों के बारे में बताया गया है, जिनसे आपको मानसून के दौरान सावधान रहना चाहिए।

1. मलेरिया

मलेरिया सबसे आम बीमारियों में से एक है जो मानसून के दौरान बड़ी संख्या में लोगों को प्रभावित करता है।

कारण: लगातार बारिश होने से जगह-जगह पर गड्ढे बन जाते हैं और इसमें पानी जमा हो जाता है। ऐसे गड्ढे आपके घर के करीब भी हो सकते हैं, जो मच्छरों के प्रजनन का कारण बनते हैं। एनाफिलीज नाम की फीमेल मच्छर अपने साथ जर्म्स लिए रहती है जिसके काटने के बाद यह इंसानों में ट्रांसफर हो जाता है।

लक्षण: मलेरिया का पहला संकेत है बुखार आना। यह आमतौर पर कुछ-कुछ समय में चढ़ता उतरता रहता है या जब शाम होने लगती है तो ठंड बढ़ने लगती है। इसके अलावा बहुत कंपकंपी होने लगती है, शरीर में बहुत ज्यादा दर्द होता है और साथ ही मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होने लगती है। ये लक्षण समय के साथ और भी खराब होने लगते हैं।

बचाव: मच्छरों को दूर रखना ही एकमात्र तरीका है जिससे आप खुद को और अपने बच्चे को मलेरिया से बचा सकती हैं। इस बात का खास खयाल रखें कि अपने आसपास के एरिया को साफ-सुथरा रखें और कहीं पर पानी जमा न होने दें। हमेशा ध्यान रखें कि बच्चे को ऐसे कपड़े पहनाएं जिससे उसका शरीर पूरी तरह से ढंका रहे और मच्छरों को दूर रखने के लिए मॉस्किटो रेपेलेंट का इस्तेमाल करें। घर के अंदर के लिए आप मच्छरदानी का उपयोग कर सकती हैं।

2. कॉलरा

कॉलरा जिसे हैजा भी कहते हैं, काफी घातक बीमारी है और आमतौर पर ऐसे लोगों को इन्फेक्ट करती है जो बाहर का या अनहेल्दी खाना खाते हैं।

कारण: हैजा एक विशेष प्रकार के बैक्टीरिया के कारण होता है जो आमतौर पर गंदे या दूषित पानी में पनपता है, साथ ही इससे तैयार किए जाने वाले खाद्य पदार्थ से भी। आसपास स्वछता न होना, गंदे टॉयलेट का इस्तेमाल या ऐसी बिल्डिंग में आपका रहना जहाँ साफ सफाई का ध्यान न रखा जाता हो ऐसी जगहों पर बैक्टीरिया के पनपने और फैलने का खतरा ज्यादा होता है।

लक्षण: कॉलरा का एकमात्र लक्षण है बार-बार दस्त आना। पॉटी आमतौर पर पानीदार होती है, जिससे बहुत ज्यादा डिहाइड्रेशन, पेट में ऐंठन और उल्टी की समस्या होने लगती है, जो एक बच्चे के लिए काफी घातक हो सकता है। 

बचाव: इसके लिए टीकाकरण सबसे पहले बचाव का तरीका है, वैक्सीन का एक शॉट आधे साल तक के लिए सुरक्षा देता है। इसके अलावा व्यक्तिगत स्वच्छता का भी बहुत ध्यान रखना चाहिए और इसके लिए आप अपने और बच्चे के हाथों को सैनिटाइज करें। बच्चे को पानी उबालकर दें ताकि जर्म्स मर जाएं। हर हाल में बाहर के खाने से बचें और कोई भी सब्जी और फल खरीदते समय सावधानी बरतें। ऐसे मामलों में कच्चे मांस से भी बचा जाना चाहिए।

3. टाइफाइड

ये एक और ऐसी बीमारी है, जो मानसून में काफी कॉमन है, क्योंकि यह पानी से होती है।

कारण: अस्वच्छ तरीके से या अशुद्ध वातावरण में तैयार किए गए खाद्य पदार्थ और दूषित पानी, टाइफाइड फैलने का एक प्रमुख कारण होते हैं। साल्मोनेला टाइफी बैक्टीरिया टाइफाइड के लिए जिम्मेदार होते हैं और यह बताई गई परिस्थिति में आसानी से पनपते हैं।

लक्षण: टाइफाइड अन्य बीमारियों की तुलना में काफी खतरनाक होता है, क्योंकि अक्सर ट्रीटमेंट के कामयाब होने बावजूद भी यह गॉलब्लैडर में अपनी जगह बना लेता है। टाइफाइड में, बुखार, पेट में दर्द और गंभीर सिरदर्द होने पर, इंफेक्शन का मामला और गंभीर होने लगता है।

बचाव: दूषित भोजन खाने से बीमारियां फैलती है, इसलिए, इस बीमारी को होने से रोकने के लिए हर कीमत पर स्वच्छता बनाए रखना बहुत जरूरी है। इसके अलावा दूसरा तरीका यह है आप बच्चे को 6 महीने की उम्र के बाद वैक्सीन लगवा दें।

4. वायरल फीवर

हालांकि यह साल में कभी भी हो सकता है, लेकिन मानसून के दौरान इस वायरल के होने की संभावना ज्यादा होती है।

कारण: यह वायरल इंफेक्शन से होने वाले किसी भी बुखार को बताने का एक सामान्य तरीका है। बीमारी के कारण होने वाला स्ट्रेस कई तरह से हो सकता है, जिनमें से अधिकांश में एक ही तरीके से अटैक होता है। यह आमतौर पर एयरबॉर्न होता है, जो लोगों को प्रभावित करता है, खासकर जब मौसम में बहुत उतार-चढ़ाव हो रहा हो।

लक्षण: वायरल फीवर में मुख्य रूप से बार-बार छींक आती है, तेज बुखार रहता है, कमजोरी और गले में दर्द भी रहता है। 

बचाव: वायरल फीवर से बचाव करने के लिए बारिश में जाने से बचना सबसे बेहतर ऑप्शन है। बच्चे को नियमित रूप से हल्दी वाला दूध दें, इससे शरीर को इंफेक्शन से बचाने में मदद मिलती है। नमक के गुनगुने पानी से गरारे करने से गले के दर्द से छुटकारा मिलता है।

5. गैस्ट्रोएंटेराइटिस

इन सब बीमारियों से ज्यादा पेट की समस्या बच्चों को परेशान करती है, जिससे बरसात के मौसम में उन्हें बहुत परेशानी का समाना करना पड़ता है।

कारण: यह आमतौर पर कई सारे वायरस और बैक्टीरिया के कारण होता है जो पानी, खाने, यहाँ तक ​​कि दूषित सतहों में मौजूद हो सकते हैं। बच्चे के गंदे हाथों का उनके मुँह के संपर्क में जरा सा भी आने से ये जर्म्स उसकी बॉडी में ट्रांसफर होते हैं और बच्चा इससे इन्फेक्टेड हो जाता है।

लक्षण: बहुत ज्यादा उल्टी और लगातार दस्त होना गैस्ट्रोएंटेराइटिस का संकेत है। इससे बच्चे को काफी कमजोरी हो जाती है। इसके अन्य लक्षणों में शामिल है जलन, सूजन और आंतों में ऐंठन जिसके कारण पेट में बहुत दर्द होता है।

बचाव: हर समय हाथों की स्वच्छता बनाए रखना बहुत जरूरी है। उन खाद्य पदार्थों को खाने से बचें, जो लंबे समय से खुले रखे हुए हों। पूरे दिन लगातार साफ और उबला हुआ पानी ही बच्चे को दें। मसालेदार और चीनी युक्त खाद्य पदार्थों से जितना संभव हो उतना बचा जाना चाहिए।

6. डेंगू

सिर्फ मलेरिया एकमात्र ऐसी बीमारी नहीं है जो मच्छरों के कारण होती है। डेंगू की बीमारी भी मच्छरों के काटने के कारण होती है, जो समय पर इलाज न होने पर बच्चे के लिए काफी घातक हो सकती है।

कारण: डेंगू के मच्छर, मच्छरों के उन वेरिएंट में जिनके शरीर पर धारियां बनी होती हैं जो टाइगर स्किन की तरह दिखती हैं, ये अपने साथ वायरस लेकर आते हैं। जब ये किसी व्यक्ति को काटते हैं, तो वायरस को सीधे ब्लड फ्लो के जरिए शरीर में ट्रांसफर कर देते हैं।

लक्षण: डेंगू के कारण जोड़ों और मांसपेशियों में बहुत ज्यादा दर्द होता है, लिम्फ नोड्स में सूजन आ जाती है, कमजोरी, सिरदर्द, बुखार, यहाँ तक ​​कि इंटरनल ब्लीडिंग भी हो सकती है, जो बच्चे के लिए बहुत खतरनाक हो सकता है।

बचाव: जो कमरा एयर कंडीशन न हो उसमें बच्चे को लिटाएं। कमरे में रिपेलेंट एयरोसोल का उपयोग करें। बच्चे को मच्छरों के काटने से बचाने के लिए हर समय पूरी आस्तीन के कपड़े पहनाएं और अच्छे से उन्हें कवर किए रहें।

7. इन्फ्लूएंजा

यह एक और कॉमन बीमारी है, जो सर्दी और खांसी के रूप में अलग-अलग लेवल पर लोगों को प्रभावित करती है। 

कारण: यह वायरस के कारण होता है, जो बेहद संक्रामक है और हवा के माध्यम से तेजी से फैलता है। यह अपर रेस्पिरेटरी ट्रैक्ट को प्रभावित करते हुए, नाक और गले के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।

लक्षण: लगातार नाक बहना, बदन दर्द, गले में दर्द और बुखार आदि इसके लक्षण हैं।I

बचाव: बच्चे की इम्युनिटी मजबूत होना ही इस वायरस से बचाव का एकमात्र तरीका है, जो बच्चे की हेल्थ को प्रभावित नहीं करता है। ऐसी डाइट चुनें जो न्यूट्रिशियस और बैलेंस हो।

8. हेपेटाइटिस ए

ये एक गंभीर और खतरनाक बीमारी जो पानी के माध्यम से तेजी से फैलती है और लिवर पर अटैक करती है।

कारण: गंदा पानी और भोजन हेपेटाइटिस ए वायरस के पनपने में मदद करता है। एक इन्फेक्टेड इंसान के मल पर मक्खियां अट्रैक्ट होती हैं जो बाद में खाने पर बैठ जाती हैं, जिससे खाना दूषित हो जाता है और इस प्रकार वायरस लोगों के शरीर में ट्रांसफर हो जाता है।

लक्षण: इसके लक्षणों में लिवर में सूजन, आँखों और त्वचा में पीलापन होने कारण जॉन्डिस के आसार दिखना, पेट दर्द, उल्टी, भूख न लगना, दस्त, और थकावट आदि शामिल है।

बचाव: वायरस के खिलाफ इम्यूनिटी मजबूत करने के लिए वैक्सीन लगवाना बहुत जरूरी है। बेसिक हाइजीन का खयाल रखें इससे भी वायरस फैलने के चांसेस कम होते हैं। अगर कंटेमिनेशन यानी दूषित होने के संकेत नजर आने लगते हैं तो बच्चे को पानी उबालकर दें और बाहर के खुले खाने से दूर रहें।

9. लेप्टोस्पायरोसिस

इसे वेल्स सिंड्रोम के रूप में भी जाना जाता है, यह उन लोगों में देखा जाता है जो नियमित रूप से दूषित पानी के संपर्क में आते हैं।

कारण: ऐसे गंदे पानी और मिट्टी के संपर्क में आना, जिसमें जानवर का यूरिन मिक्स हो, वो लेप्टोस्पायरोसिस जैसे इंफेक्शन के फैलने का कारण बन सकता है। दूषित भोजन, पानी, मुँह, नाक या आँखों के माध्यम से या त्वचा पर मौजूद किसी छोटे से जख्म के जरिए शरीर में प्रवेश कर सकता है।

लक्षण: सिरदर्द, बदन दर्द, बुखार, सभी इन्फ्लूएंजा से मिलते-जुलते लक्षण इसमें भी दिखाई देते हैं। इसके अलावा कंपकंपी और गर्दन में अकड़न, मस्तिष्क और पेट की सूजन होना भी इसके ही लक्षणों में शामिल है।

बचाव: बच्चे को एक सही फुटवियर पहनाएं जो पैरों को गीला होने से बचाए। अपने पालतू जानवरों को साफ रखें और उनको चेक करती रहें। किसी भी खुले घाव को हर समय ढक कर रखें।

10. स्केबीज

स्केबीज एक स्किन इंफेक्शन है जो बच्चे को इन्फेक्ट कर सकता है और पूरे शरीर में जलन पैदा कर सकता है।

कारण: पैरासिटिक माइट्स जो आकार में छोटे होते हैं, वे त्वचा के जरिए अपना रास्ता खोज लेते हैं। ये गर्म और उमस वाली जगहों जैसे कि बगल, स्किन फोल्ड, कोहनी, जेनिटल और सिर की त्वचा में भी पनप सकते हैं। स्केबीज संक्रामक होता है और त्वचा से त्वचा के संपर्क में आने से भी फैलता है।

लक्षण: पानी से भरे फफोले के साथ लाल चकत्ते दिखाई देना इसका लक्षण हो सकते हैं। जहाँ ये होते हैं उन क्षेत्रों में ब्राउन या सिल्वर लाइन नजर आने लगती हैं जो यह बताती है कि माइट्स त्वचा के अंदर प्रवेश कर गए हैं।

बचाव: बच्चे को ऐसे लोगों से दूर रखें जिन्हें स्किन इंफेक्शन हो। बेडशीट, कंबल और अन्य घरेलू चीजों को नियमित रूप से धोएं और बदलती रहें। बच्चे को पूरे कपड़े पहनाएं जो पूरी तरह से सूखे और जर्म फ्री हों।

मानसून की बीमारियां बच्चों में अलग-अलग रूप में आती हैं। बचाव करना ज्यादा बेहतर है, बजाय इसके कि पूरा सीजन बीमारी में बीत जाए। इम्यूनिटी को बूस्ट करने के लिए स्वस्थ डाइट और रेगुलर वैक्सीनेशन कराएं, जो ऐसी स्थितियों में बच्चे को सुरक्षित रखने में मदद करते हैं।

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समर नक़वी

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