शिशु

भारत में एकल अभिभावक दत्तक ग्रहण (गोद लेना)

भारतीय समाज में आज के समय में तेजी से बदलाव हो रहे हैं। इन्हीं बदलाव में से एक है सिंगल पेरेंट अडॉप्शन यानी एकल अभिभावक दत्तक ग्रहण जिसे हम आम भाषा में गोद लेना कहते हैं। सिंगल पेरेंट अडॉप्शन के केस भारत में तेजी से बढ़ते दिखाई दे रहे हैं। कोई भी सिंगल पेरेंट चाहे महिला हो या पुरुष दोनों में ही अडॉप्शन की बड़ी संख्या देखी गई है और अडॉप्शन के मामले में दोनों ही पेरेंट अलग-अलग रूप में अहम भूमिका निभा रहे हैं। अडॉप्शन एजेंसियां, जो पहले अविवाहित पुरुषों और महिलाओं को बच्चा अडॉप्ट करने के खिलाफ थी, अब उन्होंने सिंगल पेरेंट के रूप से बच्चा गोद लेने के लिए मंजूरी दे दी है। रिसर्च के मुताबिक सिंगल पेरेंट को बच्चा गोद लेने का उतना ही अधिकार है जितना की कपल पेरेंट का।

क्या सिंगल पेरेंट बच्चे को गोद ले सकता है?

किशोर न्याय अधिनियम (जुवेनाइल जस्टिस एक्ट) (2006 में संशोधित) के तहत अडॉप्शन प्रोसेस में बच्चा अपने बायोलॉजिकल पेरेंट से हमेशा के लिए अलग हो जाता है और अपने अडॉप्टिव फैमिली के सभी विशेषाधिकारों के साथ उसका हिस्सा बन जाता है। आपको एक पेरेंट के रूप में बच्चे के प्रति अपने अधिकारों और जिम्मेदारियों को अच्छी तरह निभाना होता है, यह अधिनियम सिंगल या तलाकशुदा दोनों को ही बच्चा गोद लेने का अधिकार देता है।

सिंगल पेरेंट अडॉप्शन इतना प्रसिद्ध क्यों है?

सिंगल पेरेंट अडॉप्शन के दौरान आने वाली चुनौतियां अब बहुत कम हो गई हैं। यह कई फैक्टर की वजह से मुमकिन हो पाया है। तलाक, अलग हो जाना और बगैर शादीशुदा महिला जैसे कारणों से लोग बच्चा गोद ले कर उसे खुद पालना पोसना चाहते हैं। दूसरा फैक्टर है बढ़ती लिटरेसी और महिलाओं की फाइनेंसियल इंडिपेंडेंस जिसकी वजह से उन्होंने अडॉप्शन में अपना योगदान देकर सिंगल पेरेंट अडॉप्शन को इतना लोकप्रिय बना दिया है।

एजुकेटेड लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लोगों ने अब समझना शुरू दिया है कि पेरेंट बनने के लिए जरूरी नहीं है कि शादी की जाए। लोग अपने करियर पर फोकस करना चाहते हैं, इसलिए बायोलॉजिकल चाइल्ड के लिए वो पूरी तरह से तैयार नहीं होते हैं। इसके अलावा, कई सेलेब्रिटी ने बोल्ड स्टेप लेते हुए सिंगल पेरेंट बनने का फैसला लिया और सिंगल पेरेंट अडॉप्शन से जुड़े इस टबू को खत्म करने में मदद की है।

भारत में सिंगल पेरेंट के लिए अडॉप्शन रूल

भारत में सिंगल पेरेंट के लिए अडॉप्शन रूल कुछ इस प्रकार दिए गए हैं:

1. हिंदुओं के लिए

हिंदुओं के लिए अडॉप्शन, जिसमें सिख, जैन और बौद्ध धर्म के लोग शामिल हैं, जो हिन्दू अडॉप्शन एंड मेंटेनेंस एक्ट, 1956 के अंतर्गत आता है। इस एक्ट के अंतर्गत आपको बताए गए नियमों का आपको पालन करना होता है:

  • कोई भी हिन्दू पुरुष जो बच्चे को गोद लेना चाहता है। वह बालिग होना चाहिए ना कि नाबालिग। हालांकि, अगर गोद लेने के समय उसकी पार्टनर भी है, तो वह केवल उसकी सहमति के साथ ही बच्चे को गोद ले सकता है, सिवाय इसके कि उसे अदालत द्वारा उसकी सहमति लेने का अधिकार न दिया गया हो या कोर्ट के अनुसार वो अयोग्य मानी गई हो।
  • कोई भी हिन्दू महिला जो बच्चे को गोद लेना चाहती है। वह अविवाहित हो सकती है। यदि उसका पति जीवित नहीं है या कोर्ट के जरिए उसकी शादी खत्म हो गई हो या उसके पति को चाइल्ड अडॉप्शन के लिए कानूनी रूप से अक्षम घोषित कर दिया गया है।

2. मुसलमानों के लिए

मुस्लिम को टोटल अडॉप्शन के लिए मान्यता नहीं दी जाती है। लेकिन गार्डियन एंड वार्ड एक्ट, 1890 की सेक्शन 8 के तहत उन्हें बच्चे की गार्डियनशिप लेने की अनुमति दी जाती है। एक अभिभावक होने के लिए भी कुछ रूल्स हैं, इसमें बच्चे का संबंध अपनी बायोलॉजिकल फैमिली के साथ हमेशा बना रहता है। हालांकि, जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन) एक्ट, 2000 के तहत मुस्लिम को अडॉप्शन का अधिकार दिया गया। धर्मनिरपेक्ष कानून के तहत भारत में किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार है कि वो बच्चे को गोद ले सकता है, चाहे वह जिस धर्म का पालन करे।

3. ईसाइयों और पारसियों के लिए

ईसाई और पारसी भी पूरी तरह से अडॉप्शन के लिए मान्यता नहीं दी जाती है। यदि कोई व्यक्ति गोद लेना चाहता है तो वह कोर्ट की मदद ले सकता है और गार्डियन एंड वार्ड एक्ट, 1890 के तहत कानूनी अनुमति प्राप्त कर सकता है। इस एक्ट के तहत उन्हें अभिभावक के रूप में बच्चे की देखभाल करने की अनुमति दी जाती है। 18 वर्ष का हो जाने के बाद, बच्चा आपसे अपने संबंध तोड़ कर जा सकता है। इसके अलावा उसके पास ईसाई कानून के अनुसार उसका विरासत में कोई कानूनी अधिकार नहीं होगा। लेकिन सेक्युलर जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत किसी भी धर्म के पर्सनल लॉ को शामिल नहीं किया जाता है, उसमें ईसाई और पारसी धर्म के लोग बच्चे को गोद ले सकते हैं।

सिंगल पुरुष और महिला के लिए नए अडॉप्शन रूल्स

2015 में, महिला और बाल विकास मंत्रालय ने सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स एजेंसी (सीएआरए) की गाइडलाइन जारी किया कि सिंगल वीमेन किसी भी जेंडर के बच्चे को अडॉप्ट कर सकती है। जुवेनाइल जस्टिस एक्ट ने पुरुषों को फीमेल चाइल्ड अडॉप्ट करने के सिलसिले में कानूनी रूप से अनुमति नहीं दी है।

भारत में सिंगल मदर अडॉप्शन की ऐज लिमिट 30 से घटाकर 25 वर्ष कर दी गई है। सिंगल मेल के लिए भी अडॉप्शन ऐज 25 वर्ष है। 45 वर्ष तक के सिंगल पुरुष और महिला, 4 वर्ष से कम उम्र के बच्चे को गोद ले सकते हैं, जबकि जिन लोगों की आयु 50 वर्ष की है वो 5 से 8 वर्ष की आयु के बीच के बच्चों को गोद लेने में सक्षम हैं। जो लोग 55 की उम्र के हैं, वे 9 से 18 वर्ष के बीच के बच्चों को गोद ले सकते हैं। इस उम्र के बाद आपको गोद लेने की अनुमति नहीं दी जाती है।

बच्चे को अडॉप्ट करने से पहले सिंगल पेरेंट के लिए विचार किए जाने वाले कारक

सिंगल पेरेंट अडॉप्शन की कुछ अच्छाई और खराबी भी होती हैं। जो इस प्रकार हो सकती है:

  • क्या आपका सपोर्ट सिस्टम मजबूत है?
  • क्या आपकी वर्तमान नौकरी के साथ बच्चे को बड़ा करने के लिए उसकी जरूरतों को पूरा कर पाएंगी?
  • क्या आप बच्चे की देखभाल करने के लिए आर्थिक रूप से मजबूत हैं?
  • क्या आप पूरी तरह से अडॉप्ट करने के लिए मोटीवेटेड और कमिटेड हैं?

भारत में अडॉप्शन की प्रक्रिया

बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया में निम्नलिखित स्टेप्स शामिल हैं:

  • पेरेंट को ऑनलाइन रजिस्टर करना होगा। आप इसे वे जिला बाल संरक्षण अधिकारी या डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन ऑफिसर (डीसीपीओ) की मदद लेकर भी ऐसा कर सकते हैं। इसका एप्लीकेशन फॉर्म सीएआरए की ऑफिशियल वेबसाइट पर उपलब्ध होता है।
  • रजिस्ट्रेशन के 30 दिनों के अंदर, अडॉप्शन एजेंसी होने वाले पेरेंट की होम स्टडी रिपोर्ट तैयार करते हैं और अलग-अलग फैक्टर पर नोट तैयार करते हैं और फिर इसके डाटाबेस के आधार पर इसे पोस्ट कर देते हैं।
  • अडॉप्ट करने वाले पेरेंट को बच्चे की तस्वीर और उसकी मेडिकल हिस्ट्री देख लेनी चाहिए, ताकि वो अपनी पसंद के अनुसार बच्चे चुन सकें।
  • अडॉप्ट करने वाले पेरेंट 48 घंटे तक के लिए बच्चे को रिजर्व कर सकते हैं।
  • अडॉप्शन एजेंसी होने वाले पेरेंट और चुने गए बच्चे के साथ मीटिंग कराती है, संभावित माता-पिता और चुने हुए बच्चे के बीच एक मीटिंग की व्यवस्था करेगी, और उनकी योग्यता का आकलन भी करेगी।
  • यदि दोनों के ताल सही से बैठता है, तो होने वाले पेरेंट को बच्चे की स्टडी रिपोर्ट पर हस्ताक्षर करने होते हैं। इस दौरान सोशल वर्कर वहाँ एक गवाह के रूप में उपस्थित होना चाहिए।
  • अगर किसी भी कारण से दोनों के बीच ताल नहीं बैठता है, तो यह सारी प्रोसेस फिर से शुरू की जाएगी। पूरी मैचिंग प्रोसेस के लिए लगभग 15 दिन लगते हैं।

भारत में चाइल्ड अडॉप्शन की क्या कीमत है?

सीएआरए के नियमों के अनुसार, बच्चे को गोद लेने में 50, 000 रुपये से अधिक खर्च नहीं होता है। इसमें रजिस्ट्रेशन फीस, होम स्टडी कॉस्ट और चाइल्ड-केयर कॉर्पस फंड के लिए अडॉप्शन एजेंसी ऑफिशियल फीस शामिल है, जो एक बार में ही नहीं लिया जाता बल्कि अडॉप्शन प्रोसेस के दौरान थोड़ा-थोड़ा करके लिया जाता है।

सिंगल पेरेंट को किन बाधाओं का सामना करना पड़ सकता है?

सिंगल पेरेंट के कांसेप्ट का तेजी से बढ़ने के बावजूद भी, अडॉप्ट करने वाले लोगों को अपने पेरेंट, फैमिली और सोसाइटी का बड़े पैमाने पर विरोध का सामना करना पड़ता है। एक पारंपरिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो एक बच्चे के लिए वही माहौल सबसे अच्छा होता है जिसमें माता-पिता एक दूसरे से प्यार करते हैं, एक दूसरे को समझते हैं और दोनों के बीच एक मजबूत रिश्ता होता है। इसके अलावा, सिंगल पेरेंट के पास एक ठोस सपोर्ट सिस्टम होना चाहिए और वो बच्चे की हर जरूरत को पूरा करने में सक्षम हों जैसे मेडिकल केयर, स्कूल केयर, जॉब से संबंधित ट्रेवल आदि आवश्यक सहायता और राहत प्रदान कर सकें। कुछ सिंगल पेरेंट को एक साथ नौकरी और बच्चे की देखभाल करने में परेशानी हो सकती है। कुछ अडॉप्टिव एजेंसियां सिंगल मेल के प्रति पक्षपाती हो सकती हैं और उन पर कठिन निगरानी कर सकती हैं।

इंटर-कंट्री अडॉप्शन के मामले में आने वाली बाधाएं

इंटर-कंट्री अडॉप्शन यानी एक देश से दूसरे देश में एडॉप्शन के मामले में, ज्यादातर अडॉप्टेड बच्चों की ह्यूमन ट्रैफिकिंग का शिकार होने की संभावना होती है। ऐसे कई मामले सामने आए हैं जहाँ बच्चों को दूसरे देश में ले जाने के बाद पैसे के बदले में ह्यूमन ट्रैफिकिंग वालों को सौंप दिया जाता है। इसके अलावा, इंटर-कंट्री अडॉप्शन में, निगरानी करना मुश्किल होता है, जिससे अडॉप्टिव पेरेंट बच्चे के साथ लापरवाही और दुर्व्यवहार कर सकते हैं। इसलिए, कई देशों में सिंगल पेरेंट अडॉप्शन पर रोक लगाई जाती है।

अडॉप्शन में आने वाली बाधाओं से कैसे निपटें?

अकेले बच्चे को पालना बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकता है। कोशिश करें कि बच्चे को गोद लेने से पहले आपके साथ आपका फैमिली सपोर्ट हो। उनके साथ बात करें और उन्हें स्पष्ट रूप से बताएं कि आप ऐसा क्यों कर रहे हैं। अगर आप बच्चा अडॉप्ट करना चाहते हैं, लेकिन आपको फाइनेंशियल इशू है, तो आप उन एजेंसियों की मदद ले सकते हैं जो इस मकसद से लोगों को लोन देती है।

रिसोर्स जो अडॉप्शन लेने में सहायता कर सकते हैं

कुछ रिसोर्स हैं जो गोद लेने की प्रक्रिया में आपकी सहायता कर सकते हैं वे हैं:

  • चिल्ड्रेन ऑफ द वर्ल्ड (इंडिया) ट्रस्ट, मुंबई
  • दिल्ली काउंसिल ऑफ चाइल्ड वेलफेयर
  • नेशनल काउंसिल ऑफ सिंगल अडॉप्टिव पेरेंट

डिस्क्लेमर: आपको यह सुझाव दिया जाता है कि आप गोद लेने की प्रक्रिया में आगे बढ़ने से पहले संसाधनों (रिसोर्स) की प्रामाणिकता को सत्यापित कर लें तो बेहतर होगा।

हर इंसान की यह इच्छा होती हैं कि उसे एक प्यार करने वाला परिवार मिले। सिंगल पेरेंट अडॉप्शन एक अच्छा मौका है उन लोगों के लिए जो अपनी इस इच्छा को पूरा करना चाहते हैं और साथ ही इससे एक जरूरतमंद बच्चे को हमेशा के लिए एक घर भी  मिल जाएगा।

यह भी पढ़ें:

भारत में बच्चा गोद लेना – प्रक्रिया, नियम और कानून

दत्तक ग्रहण: भारत में संतान गोद लेने के 6 विकल्प

समर नक़वी

Recent Posts

जादुई हथौड़े की कहानी | Magical Hammer Story In Hindi

ये कहानी एक लोहार और जादुई हथौड़े की है। इसमें ये बताया गया है कि…

1 week ago

श्री कृष्ण और अरिष्टासुर वध की कहानी l The Story Of Shri Krishna And Arishtasura Vadh In Hindi

भगवान कृष्ण ने जन्म के बाद ही अपने अवतार के चमत्कार दिखाने शुरू कर दिए…

1 week ago

शेर और भालू की कहानी | Lion And Bear Story In Hindi

शेर और भालू की ये एक बहुत ही मजेदार कहानी है। इसमें बताया गया है…

1 week ago

भूखा राजा और गरीब किसान की कहानी | The Hungry King And Poor Farmer Story In Hindi

भूखा राजा और गरीब किसान की इस कहानी में बताया गया कि कैसे एक राजा…

1 week ago

मातृ दिवस पर भाषण (Mother’s Day Speech in Hindi)

मदर्स डे वो दिन है जो हर बच्चे के लिए खास होता है। यह आपको…

1 week ago

मोगली की कहानी | Mowgli Story In Hindi

मोगली की कहानी सालों से बच्चों के बीच काफी लोकप्रिय रही है। सभी ने इस…

1 week ago