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मेडिकल टेक्नोलॉजी में डेवलपमेंट के साथ अब गर्भावस्था के दौरान बच्चे के स्वास्थ्य की जांच करना बहुत आसान हो गया है। बायोफिजिकल प्रोफाइल एक मेडिकल प्रक्रिया है जिसमें गर्भ में पल रहे बच्चे के विकास और सेहत का पता लगाया जाता है, यह जांच डॉक्टर को स्पष्ट रूप से यह पता करने में मदद करती है कि गर्भ में बच्चे को पर्याप्त ऑक्सीजन मिल रही है या नहीं। यदि आपकी गर्भावस्था में कोई जोखिम हैं तो बायोफिजिकल जांच करके बच्चे की हेल्थ के बारे में पता किया जाता है। यह जांच नॉनइनवेसिव होती है और इसमें महिलाओं को दर्द भी नहीं होता है इसलिए पूरी दुनिया में बच्चे की सेहत की जांच के लिए अक्सर लोग इसका उपयोग ही करते हैं।
बायोफिजिकल प्रोफाइल क्या है?
बायोफिजिकल प्रोफाइल में अल्ट्रासाउंड और नॉन स्ट्रेस टेस्ट होता है। यदि गायनेकोलॉजिस्ट को लगता है कि गर्भावस्था में संभावित खतरे या कॉम्प्लीकेशंस हो सकती हैं तो ही सिर्फ यह टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। यह जांच गर्भावस्था के 28वें सप्ताह के बाद की जाती है। इसमें बच्चे के दिल की धड़कन, सांसें, हलचल, ताकत और एमनियोटिक द्रव के स्तर का पता चलता है। बायोफिजिकल प्रोफाइल के दौरान डॉक्टर निम्नलिखित चीजों की जांच भी कर सकते हैं, आइए जानें;
- बच्चे की सांसें: इसमें यह पता चलता है कि सांस लेते समय बच्चे का सीना कैसे मूव करता है।
- उसके दिल की धड़कन: इसमें यह पता चलता है कि बच्चे के दिल की धड़कनें एक मिनट में कितनी होती हैं।
- बच्चे की हलचल: इसमें डॉक्टर यह पता करते हैं कि बच्चा आधे घंटे में कितनी बार हिलता-डुलता है पर कभी यदि बच्चा सो रहा होता है तो इस जांच में आधे घंटे से ज्यादा समय भी लग सकता है।
- बच्चे की ताकत: इसमें बच्चे द्वारा झटके से मूवमेंट को गिनकर यह पता लगाया जाता है कि वह फ्लेक्स करने और अपने हाथ-पैर फैलाने में कितना सक्षम है।
- एमनियोटिक द्रव की मात्रा: इसमें बच्चे के आस-पास मौजूद एमनियोटिक द्रव की मात्रा भी चेक की जाती है।
बीपीपी टेस्ट किसे करवाना चाहिए और इसे कब करना चाहिए?
गर्भावस्था में अत्यधिक खतरे, जैसे ड्यू डेट निकल जाने, जुड़वां बच्चे होने, महिला का ब्लड प्रेशर बढ़ने या दिल के रोग होने की वजह से अक्सर महिलाओं को यह टेस्ट करवाने की सलाह दी जाती है। यदि आपकी गर्भावस्था असंयमित है या बच्चे में विकास संबंधित समस्याएं हैं तो भी यह जांच की जाती है। इसके अलावा डॉक्टर गर्भवती महिलाओं को निम्नलिखित कारणों की वजह से यह जांच करवाने की सलाह दे सकते हैं, आइए जानें;
- यदि आपको डायबिटीज है और आप इसकी दवाएं ले रही हैं।
- यदि आपको कुछ ऐसी समस्याएं हैं जिससे गर्भावस्था में प्रभाव पड़ सकता है।
- यदि गर्भावस्था के दौरान आपको हाइपरटेंशन होता है।
- यदि गर्भ में पल रहे बच्चे का विकास धीमा होता है और वह छोटा दिखाई देता है।
- यदि बच्चा एक्टिव नहीं है।
- यदि एमनियोटिक द्रव की मात्रा पर्याप्त नहीं है। इसकी मात्रा नॉर्मल से ज्यादा या कम हो सकती है।
- यदि आपकी ड्यू डेट निकल चुकी है जिसकी वजह से डॉक्टर यह जानना चाहते हैं कि बच्चे का विकास कैसा हो रहा है।
- यदि आपके साथ पहले भी तीसरी तिमाही के दौरान गर्भ में बच्चे की मृत्यु हो जाने की घटना हो चुकी है और आपको उसका कारण नहीं पता है। इसलिए डॉक्टर दोबारा से मिसकैरेज होने से बचाने के लिए यह जांचते हैं कि सब कुछ ठीक है।
- यदि आपमें और बच्चे में समस्याएं हैं जिसे मॉनिटर करने की जरूरत है।
यद्यपि यह जांच गर्भावस्था की तीसरी तिमाही में की जाती है इसलिए बीपीपी टेस्ट करना चाहिए या नहीं यह डॉक्टर का निर्णय होता है।
बायोफिजिकल प्रोफाइल की प्रक्रिया
बीपीपी के दो भाग होते हैं। पहला भाग नॉन स्ट्रेस टेस्ट यानि एनएसटी है और दूसरा भाग अल्ट्रासाउंड है। यह टेस्ट अक्सर महिला का ब्लैडर भरा होने पर किया जाता है इसलिए इसकी प्रक्रिया शुरू करने से पहले डॉक्टर महिला को 6-7 गिलास जूस या पानी पीने के लिए कहते हैं। ऐसा करने से पेट में आंतों पर बहुत ज्यादा दबाव पड़ता है जिससे बच्चे की पिक्चर स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। फुल-टर्म गर्भावस्था में ब्लैडर को पूरा भरने की जरूरत होती है क्योंकि इस समय बच्चा खुद ही आंतों पर दबाव डालता है।
एनएसटी के लिए आपको बाएं करवट लेटना चाहिए। इसमें डॉक्टर महिला के पेट में एक बेल्ट बांधते हैं ताकि वे बच्चे के दिल की धड़कन चेक कर सकें और एक दूसरी बेल्ट संकुचन की जांच करने के लिए होती है। यह पैरामीटर्स लगभग 20-30 मिनट में चेक किए जाते हैं। यदि बच्चा हिलता-डुलता नहीं है और सो रहा होता है तो उसे जगाने के लिए बज़र का उपयोग किया जाता है और फिर पेरिनटोलॉजिस्ट के सुपरविजन में एक क्वालिफाइड टेक्नीशियन यह अल्ट्रासाउंड करता है। इस अल्ट्रासाउंड में एक घंटा भी लग सकता है। इसमें बच्चे की शारीरिक हलचल, उसके द्वारा हाथों व पैरों को फैलाने, मांसपेशियों के टोन, सांस लेने के लिए छाती की मांसपेशियों और डायफ्राम को हिलाने की क्षमता और एमनियोटिक द्रव की मात्रा भी देखी जाती है। यह अल्ट्रासाउंड टेस्ट ओब्स्टेट्रिकल अल्ट्रासाउंड की तरह ही होता है जिसे सिर्फ गर्भावस्था के दौरान ही किया जाता है।
बायोफिजिकल प्रोफाइल करवाने के जोखिम और साइड इफेक्ट्स
गर्भावस्था के दौरान बायोफजिकल जांच करवाने से कोई भी संभावित खतरे नहीं होते हैं क्योंकि यह एक नॉन-इनवेसिव प्रक्रिया है पर इसमें सिर्फ एक ही चिंता यह है कि गर्भावस्था के दौरान महिला को अल्ट्रासाउंड की प्रक्रिया में ज्यादा देर तक व्यस्त रहना पड़ता है। विशेषकर नॉन-स्ट्रेस टेस्ट करते समय महिला को एंग्जायटी होने की वजह से पैरामीटर्स में अंतर दिखाई दे सकते हैं। इसलिए यह प्रक्रिया करते समय महिला को रिलैक्स व शांत रहने की सलाह दी जाती है।
बायोफिजिकल प्रोफाइल के परिणाम का क्या मतलब है?
गर्भावस्था के दौरान बीपीपी टेस्ट के बच्चे से संबंधित विशेष 5 पैरामीटर्स होते हैं जिनका अध्ययन किया गया है और प्रक्रिया के दौरान इसमें स्कोर भी दिए गए हैं, आइए जानें:
बायोफिजिकल विशेषता | नॉर्मल | अब्नॉर्मल |
सांस लेना | बच्चे द्वारा हर आधे घंटे में 1 ब्रीदिंग एपिसोड | आधे घंटे में कोई ब्रीदिंग एपिसोड नहीं होता |
हलचल | हर आधे घंटे में 2 या उससे ज्यादा अंग हिलने की प्रक्रिया
(यदि बच्चा एक्टिव होकर लगातार हिलता है तो यह एक मूवमेंट माना जाएगा) |
आधे घंटे में 2 से कम अंगों का हिलना |
मांसपेशियों की ताकत | बच्चा एक से अधिक बार एक्टिव तरीके से हाथ और पैर हिलाता है आदि (उदाहरण के लिए, इसमें बच्चे के हाथ बंद करना और खोलना भी शामिल है)। | बच्चा धीमे-धीमे हाथ और पैर हिलाता है, अपने हाथों को आधा ही खोलता है आदि। |
दिल की धड़कन | 20 मिनट के अंदर-अंदर 2 से अधिक बार बच्चे के दिल धड़कन में प्रतिक्रिया होती है। | 1 से अधिक बार बच्चे की हार्ट रेट अनरिएक्टिव होती है |
एमनियोटिक फ्लूइड | एक से अधिक फ्लूइड की पर्याप्त पॉकेट | फ्लूइड की कोई भी पॉकेट नहीं होती है या पर्याप्त नहीं है |
बीपीपी में बच्चे की हर एक हलचल की जांच होती है जिसके परिणाम अलग संकेत देते हैं और यह अलग-अलग सेंट्रल नर्वस सिस्टम (सीएनएस) से उत्पन्न होते हैं। यह गर्भावस्था में ही मैच्योर हो जाता है। डॉक्टर बच्चे के स्वास्थ्य की जांच करने के लिए पूरे स्कोर का उपयोग करते हैं।
बीपीपी प्रोफाइल अल्ट्रासाउंड में टेक्नीशियन (सोनोग्राफर) हर पैरामीटर के लिए 0-2 स्कोर देते हैं। इसमें 8 से ज्यादा स्कोर अच्छा होता है और यदि इससे कम स्कोर है तो यह चिंता का कारण है। यदि 6 से कम स्कोर होता है तो बीपीपी स्कैन 24 घंटों में दोबारा किया जाता है। यदि स्कोर 4 से कम है तो बच्चे को तुरंत डिलीवर करने की जरूरत है। कभी-कभी यदि स्कोर सही है तो डॉक्टर एमनियोटिक द्रव के स्तर की जांच करते हैं। गर्भावस्था के चरण के अनुसार ही डॉक्टर आपको डिलीवरी कराने की सलाह देते हैं। डॉक्टर अम्बिलिकल कॉर्ड में अब्नॉर्मल पैटर्न के साथ बच्चे का हार्टरेट कम होने (एफएचआर) और सांस लेने में कमी को भी जांचते हैं। बच्चे की हलचल और टोन सबसे अंतिम पैरामीटर्स हैं जिसमें अब्नॉर्मलिटीज दिखाई देती हैं। यदि अब्नॉर्मलिटी गर्भावस्था पूरी होने के आस-पास होती है तो डॉक्टर तुरंत डिलीवरी करने की सलाह दे सकते हैं। हालांकि यदि यह अभी गर्भावस्था पूरी होने से बहुत दूर है तो डॉक्टर बच्चे के स्वास्थ्य को मैनेज करने की योजना बनाते हैं। इसमें डॉक्टर हर हफ्ते या दो हफ्ते में महिला की जांच करते हैं।
मॉडिफाइड बायोफिजिकल प्रोफाइल में नॉन-स्ट्रेस टेस्ट और एमनियोटिक फ्लूइड के स्तर की जांच होती है। यह बायोफिजिकल प्रोफाइल टेस्ट का एक प्रभावी रूप है। यदि महिला में एमनियोटिक फ्लूइड का स्तर कम है तो इससे पता चलता है कि बच्चे को ज्यादा यूरिन नहीं हो रहा है या प्लेसेंटा अच्छी तरह से काम नहीं कर रही है। यदि एनएसटी या एमनियोटिक फ्लूइड का स्तर अब्नॉर्मल है तो इसके लिए डॉक्टर बीपीपी का पूरा टेस्ट और साथ ही कॉन्ट्रैक्ट स्ट्रेस टेस्ट (सीएसटी) करते हैं।
“भ्रूण मूत्र उत्पादन का जन्मपूर्व माप” या “द एंटेनेटल मेजरमेंट ऑफ फीटल यूरिन प्रोडक्शन” में बताया गया है: “दो मेकैनिज्म द्वारा कम हुई एएफवी और प्रीनेटल मॉर्बिडीटी व मॉर्टेलिटी में संबंध है। फ्लूइड कम होने से विशेषकर विकास में कमी और पोस्ट-मैच्योर गर्भावस्था (ज्यादा दिन की गर्भावस्था) में यूटेरोप्लासेंटल कम हो जाता है।
बीपीपी स्कैन में बहुत ज्यादा खर्च नहीं होता है। हालांकि यह अलग-अलग हॉस्पिटल पर भी निर्भर करता है। इस प्रक्रिया को करवाने से पहले आप रेडियोलॉजिस्ट से बात कर लें।
बायोफिजिकल प्रोफाइल टेस्ट के माध्यम से बच्चे को मॉनिटर किया जाता है और यह बच्चे की समस्याओं को रोक सकता है। यह एक ऐसा टूल है जो गर्भावस्था में बच्चे की जांच करने में मदद करता है। बीपीपी के परिणाम गलत और नकारात्मक बहुत कम होते हैं (लगभग 1000 बच्चों में 0.77 मृत्यु दर) और इसलिए ही यह एक विश्वसनीय प्रक्रिया है। जब इस टेस्ट के परिणाम में बढ़ते बच्चे के लिए जोखिम के संकेत दिखाई देते हैं, तो फिजिशियन हस्तक्षेप करने और प्रगतिशील मेटाबॉलिक एसिडोसिस को खत्म करने के लिए उपाय कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु हो सकती है।
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