शिशु

बोतल वीनिंग: बच्चे से दूध की बोतल छुड़ाने के टिप्स

जन्म के बाद बच्चे को दूध पिलाना हर माँ का एक सपना होता है और इससे दोनों का बॉन्ड मजबूत हो जाता है। दूध पर बच्चे की निर्भरता धीरे-धीरे बढ़ती जाती है और वह या तो ब्रेस्टमिल्क पीता है या फिर बोतल से दूध पीना पसंद करता है। पर एक समय वो भी आता है जब बच्चा निप्पल से दूध पीना छोड़ कर कप से दूध पीना शुरू कर देता है। विशेषकर यदि बच्चा रात में दूध पीता है तो उसकी दूध की बोतल छुड़ाना कठिन है और बच्चे को सही चीजें सिखाने के लिए आपको हर एक संभव मदद की जरूरत होगी। 

बच्चे से दूध की बोतल छुड़ाने का सही समय क्या है?

कई पेरेंट्स बच्चे की 6 महीने की उम्र होते ही वीनिंग की प्रक्रिया शुरू कर देते हैं। हालांकि यह बहुत कम लोगों के लिए काम करता है पर अक्सर इसकी सलाह नहीं दी जाती है क्योंकि 6 महीने की उम्र में ही बच्चे की दूसरी चीजें भी शुरू होने लगती हैं। तब तक फीडिंग सुव्यवस्थित नहीं हुई होती है और बच्चे को आवश्यकतानुसार दूध की जरूरत होती है। 

कुछ पेरेंट्स एक साल की उम्र में बच्चे की दूध की बोतल छुड़ाना शुरू करते हैं। 10 महीने पूरे होने तक वे बच्चे को कप से परिचित कराने लगते हैं या बोतल छुड़ाने के तरीकों का उपयोग करने के साथ-साथ चम्मच या सिपर का उपयोग करना शुरू कर देते हैं। कुछ बच्चे इस पर पॉजिटिव प्रतिक्रिया देते हैं पर अन्य बच्चे दूध की बोतल से ही दूध पीना पसंद करते हैं। इसके लिए आप बच्चे को उसका समय दें। 

इस चरण में किसी भी समय ब्रेस्टफीडिंग या ब्रेस्टमिल्क पीना नहीं छुड़ाना चाहिए। शुरूआत में बच्चों को अलग अलग तरीकों से तरल पदार्थ पिलाना चाहिए। यदि बच्चा सॉलिड फूड खाने लगा है तो आप सिपर या चम्मच का उपयोग करके उसे खाने के बाद पानी पिलाएं। 

बच्चे का बोतल से दूध पीना क्यों छुड़ाना चाहिए?

बच्चे चीजों को दोहराने पर ही सीखते हैं और कई महीनों तक वे ब्रेस्टमिल्क या बोतल से दूध पीते हैं। जब बच्चा सीख जाता है तो उसे यह अच्छा लगने लगता है और ऐसा समय भी आएगा जब वह दूध पीने के बाद भी बोतल छोड़ना नहीं चाहेगा। बच्चे को लगाव महसूस होने लगेगा जिससे उसकी बोतल छुड़ा पाना कठिन हो जाएगा। इसके अलावा स्वास्थ्य से संबंधित कारणों के लिए भी बच्चे की बोतल छुड़ाना जरूरी है, आइए जानें;

  1. शुरूआती दिनों में बच्चा पीठ के बल लेटकर तब तक दूध पीता है जब तक उसका दूध खत्म न हो जाए। यह तब भी होता है जब वह सीधा बैठना शुरू कर देता है। दूध पीने का यह तरीका नेचुरल नहीं है जिसकी आदत जीवन भर रहेगी। डॉक्टर के अनुसार लगातार ऐसे दूध पिलाने से बच्चे को इन्फेक्शन होने का खतरा रहता है। इस बारे में कोई भी प्रमाण नहीं है पर फिर भी आपको सावधानी बरतनी चाहिए।
  2. बच्चे के बढ़ने के साथ उसका पेट व दूध की आवश्यकताएं भी बढ़ती हैं। उसके दूध पीने के तरीके से इसका पता चलने लगता है। बढ़ने के साथ ही बच्चा सॉलिड फूड खाना शुरू कर देता है और अब उसे ब्रेस्टमिल्क या बोतल से दूध पिलाना छोड़ देना चाहिए। यदि बच्चा बदलना नहीं चाहता है तो वीनिंग की प्रक्रिया कठिन हो सकती है। सही समय पर कुछ टिप्स के साथ इसकी शुरूआत करने से आपको काफी मदद मिल सकती है। दबाव डालने से बच्चा पहले से ज्यादा दूध पीने लगता है और यह सिर्फ बोतल की वजह से ही होता है क्योंकि तेज – तेज दूध पीने से दूध का फ्लो बढ़ जाता है जिससे बच्चे को काफी हद तक संतुष्टि मिलती है। हालांकि इस प्रकार लंबे समय तक तेज-तेज दूध पीने से बच्चे की जॉ लाइन की बनावट पर प्रभाव पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप ओवरबाइट जैसा ही दिखने लगता है।
  3. कुछ बच्चे बोतल से दूध पीने की आदत होने की वजह से मुख्य रूप से सॉलिड फूड खाने का प्रयास नहीं करते हैं। बच्चों को सॉलिड फूड खिलाना शुरू करने में थोड़ी सी मेहनत ज्यादा लगती है क्योंकि इसमें बच्चे को चबा कर खाने की आदत डालनी होती है और साथ ही अलग – अलग टेस्ट व टेक्सचर का अनुभव लेना होता है। बच्चों के लिए बोतल से दूध पीना ज्यादा कम्फर्टेबल है इसलिए वे अक्सर यही करना पसंद करते हैं। हालांकि बोतल से दूध पीने की आदत छुड़ाकर कप की आदत लगाने से बच्चे का यह व्यवहार भी बदल सकता है।
  4. इस ऑब्जर्वेशन को पूरी तरह से सही नहीं कहा जा सकता है पर कई बार लंबे समय तक बोतल से दूध पीने वाले बच्चों में बड़े होने पर मोटापे की गंभीर समस्या होती है। बोतल में दूध की मात्रा को नियंत्रित नहीं किया जा सकता है इसलिए यह समस्या होने का कारण भी समझ में आता है। मात्रा में नियंत्रण न होने की वजह से बच्चा आवश्यकता से ज्यादा दूध पीता है जिसकी वजह से उसके पेट का सिस्टम कमजोर हो जाता है और उसे समझ में नहीं आता है कि उसका पेट कब भर गया है व लंबे समय तक ओवरईटिंग की आदत पड़ जाती है।
  5. बोतल से दूध पीने की आदत होने की वजह से पेट भरने के बाद भी बच्चा अक्सर अपने मुँह में बोतल रखना पसंद करता है। वो कभी-कभी दूध पीता और कभी-कभी नहीं भी पीता है पर बोतल को मुँह में दबाए रखता है क्योंकि इससे बच्चे को सुविधा महसूस होती है। इससे बच्चे के मुँह में थोड़ा बहुत दूध हमेशा रहता है और चूंकि इस उम्र में बच्चे के दाँत निकलते हैं इसलिए यह दूध मसूड़ों व दाँतों के संपर्क में भी आता है। यह बच्चे के दाँतों में कैविटी व सड़न का कारण भी बनता है। इस मामले में आप बच्चे को चूसने के लिए पैसिफायर दे सकती हैं।

बच्चे से दूध की बोतल कैसे छुड़ाएं?

बच्चे से बोतल की आदत छुड़ाकर कप की आदत लगाते समय आपको कुछ चीजों का ध्यान रखना चाहिए क्योंकि सभी चीजें उसके लिए सही नहीं होंगी। वीनिंग के दौरान निम्नलिखित टिप्स जरूर अपनाएं, आइए जानते हैं;

  1. बच्चे के आम व्यवहार को समझें कि वह बदलाव होने पर कैसी प्रतिक्रिया देता है और फिर धीरे-धीरे उसे सिपर, चम्मच से दूध पिलाना शुरू करें और बोतल की आदत छुड़ाएं। जाहिर है इस दौरान बच्चा कप से दूध पीने पर नखरे बहुत करेगा।
  2. बच्चा जब सीधा बैठना शुरू कर दे और कुछ हद तक आप से इंटरैक्ट करने लगे तो आप ऐसा एक बार करें। शुरूआत के चरणों में बहुत सारे बदलाव करने से बच्चे को कठिनाई हो सकती है और यह कभी-कभी उसके लिए बहुत ज्यादा भी हो जाएगा। यदि उसके आस-पास की चीजें पहले से ही बदल रही हैं तो वीनिंग में थोड़ा समय लग सकता है।
  3. सिपी कप में थोड़ा सा पानी भरें और बच्चे को सॉलिड फूड खिलाने के बाद पिला दें। यदि वह इसे अलग हटाता है तो आप उसे खाली सिपर कप ऐसे ही पकड़ा दें। आप बच्चे को सिपर कप से खेलने दें ताकि वह उसे दूसरे तरल पदार्थ व दूध पीने के लिए उपयोग करने लगे।
  4. यदि बच्चा लगातार किसी चीज को करने के लिए मना करता है तो भी आप उसे देने का प्रयास करती रहें। दूध की बोतल को उसकी आँखो से दूर रखें और इन बदलावों के दौरान बच्चे को प्यार और सपोर्ट दें।

बच्चे से पहली बार में दूध की बोतल छुड़ाना बहुत कठिन है। पर वास्तव में यह उसके फायदे के लिए ही किया जाता है ताकि उसे बोतल से दूध पीने की आदत न पड़े। यह तब तक नहीं होता है जब तक बच्चा ठीक से सॉलिड फूड खाना शुरू न कर दे और आपकी तरह ही कप से दूध न पीने लगे। 

यह भी पढ़ें:

बेबी लेड वीनिंग (बीएलडब्ल्यू) की शुरुआत
बच्चों को बोतल से दूध पिलाना – फायदे और साइड इफेक्ट्स
बच्चे को बोतल से दूध पिलाने के दौरान होने वाली समस्या और समाधान

सुरक्षा कटियार

Recent Posts

गौरैया और घमंडी हाथी की कहानी | The Story Of Sparrow And Proud Elephant In Hindi

यह कहानी एक गौरैया चिड़िया और उसके पति की है, जो शांति से अपना जीवन…

1 week ago

गर्मी के मौसम पर निबंध (Essay On Summer Season In Hindi)

गर्मी का मौसम साल का सबसे गर्म मौसम होता है। बच्चों को ये मौसम बेहद…

1 week ago

दो लालची बिल्ली और बंदर की कहानी | The Two Cats And A Monkey Story In Hindi

दो लालची बिल्ली और एक बंदर की कहानी इस बारे में है कि दो लोगों…

2 weeks ago

रामायण की कहानी: क्या सीता मंदोदरी की बेटी थी? Ramayan Story: Was Sita Mandodari’s Daughter In Hindi

रामायण की अनेक कथाओं में से एक सीता जी के जन्म से जुड़ी हुई भी…

2 weeks ago

बदसूरत बत्तख की कहानी | Ugly Duckling Story In Hindi

यह कहानी एक ऐसे बत्तख के बारे में हैं, जिसकी बदसूरती की वजह से कोई…

2 weeks ago

रामायण की कहानी: रावण के दस सिर का रहस्य | Story of Ramayana: The Mystery of Ravana’s Ten Heads

यह प्रसिद्द कहानी लंका के राजा रावण की है, जो राक्षस वंश का था लेकिन…

2 weeks ago