शिशु

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे का रोना – कारण और निवारण

ब्रेस्ट मिल्क शिशुओं के लिए पोषण के सबसे बेहतरीन स्रोतों में से एक है। ब्रेस्टफीडिंग ना केवल आपके बच्चे को पोषण देता है, बल्कि यह शिशु के साथ अपने संबंधों को मजबूत बनाने का एक बेहतरीन जरिया भी है। अगर आपका बच्चा ब्रेस्टफीडिंग के दौरान या उसके बाद रोने लगे, तो यह खुशनुमा और सुकूनदेह एहसास एक बुरे सपने में भी बदल सकता है। इस लेख में हम ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे के रोने के कारणों और इसके निवारण के कुछ उपाय भी बताएंगे। 

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे के रोने के कारण

नीचे दिए गए ये बिन्दु आपके बच्चे को दूध पीने के दौरान परेशान कर सकते हैं: 

  • दूध का बहाव

कई शिशु दूध के बहाव के कारण, दूध पीने के दौरान रोते हैं। स्तनपान शुरू करने पर अगर आपका बच्चा खांसने लगे या उसका मुंह भर जाए, तो हो सकता है आपके दूध का बहाव बहुत ज्यादा है। वहीं दूसरी ओर, अगर दूध पिलाना शुरू करने के तुरंत बाद आपका बच्चा दूध खींचना छोड़ दे, अपनी पीठ को मोड़े या आपके ब्रेस्ट पर हाथ से दबाव डाले, तो इसका मतलब है कि आपके दूध का बहाव बहुत ही धीमा है। इसे ठीक करने के लिए आप ब्रेस्ट कंप्रेशन को आजमा सकती हैं। 

  • बच्चे को गैस पास करने की जरूरत है

बच्चे का रोना या परेशान होना, डकार निकालने की या गैस पास करने की उसकी इच्छा का एक संकेत भी हो सकता है। बच्चे को एक ब्रेस्ट से दूसरे ब्रेस्ट की ओर शिफ्ट करते समय उसकी पीठ को हल्के हाथों से रगड़ें। जब बच्चा 6 महीने या उससे अधिक का हो जाता है, तो वह अपने आप ही डकार कर सकता है। पेट में फंसी हुई गैस को बाहर निकालने के लिए आप उसकी नैपी भी बदल सकती हैं। 

  • अगर उसका ध्यान भटक जाता है

जो शिशु 3 महीने या उससे अधिक के होते हैं, वे अपने वातावरण के कारण बहुत आसानी से भटक सकते हैं। अगर आपका उत्सुक शिशु एक तेज आवाज सुनता है, तो ब्रेस्ट की ओर उसे वापस लाने का आपका प्रयास उसे परेशान कर सकता है। 

  • उसके दांत आना

कुछ बच्चे दांत निकलते समय चिड़चिड़े होते हैं और रोते हैं, क्योंकि इस दौरान उनके मसूड़ों में दर्द होता है और ऐसे में ब्रेस्टफीडिंग करने से उन्हें असुविधा और तकलीफ होती है। 

  • अगर बच्चा स्ट्रेस्ड है

अगर आप चिंतित और परेशान हैं, तो आपका बच्चा भी परेशान हो सकता है। इससे फीडिंग के दौरान वह रो सकता है और चिड़चिड़ा हो सकता है। 

  • अगर बच्चा थका हुआ है

कभी-कभी अपर्याप्त नींद के कारण बच्चे ब्रेस्टफीडिंग के दौरान रोने लगते हैं। हालांकि 3 महीने की आयु के बाद बच्चे अधिक स्थिर हो जाते हैं और वे अपने रूटीन के अनुसार व्यवहार करते हैं। 

  • बच्चे का पेट भरा होना

अगर आपके बच्चे को भूख नहीं लगी है या उसका पेट भरा हुआ है, तो वह दूध पीने से मना कर सकता है। ऐसे में शिशु पर दबाव न डालें और उसे बाद में फीडिंग देने की कोशिश करें। 

  • अगर उसे थ्रश हुआ है

कुछ बच्चों को ओरल थ्रश की समस्या हो सकती है। यह एक दर्दनाक स्थिति है, जिसमें बच्चे के मुंह के अंदर पनीर जैसा पदार्थ चिपका होता है और दूध खींचने में उसे दर्द होता है। 

  • आपके बच्चे को कोई एक ब्रेस्ट अधिक पसंद है

कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं, जिन्हें किसी एक ब्रेस्ट से दूध पीना ज्यादा पसंद होता है। ऐसे में अगर उन्हें दूसरे ब्रेस्ट से दूध देने की कोशिश की जाए, तो वे रोना शुरू कर देते हैं। कभी-कभी इसके पीछे का कारण कोई स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है, जैसे कान में इन्फेक्शन या दर्द, जिसके कारण कोई एक ब्रेस्ट सुविधाजनक लग सकता है। 

  • अगर बच्चे को टंग टाय है

कुछ बच्चे टंग टाय के साथ जन्म लेते हैं। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें जीभ के नीचे का हिस्सा पूरी तरह से अलग नहीं होता है। इस स्थिति के कारण, बच्चों को ब्रेस्ट पर ठीक तरह से पकड़ बनाने में असुविधा होती है। इस उथले अटैचमेंट के कारण बच्चे की जीभ फिसल सकती है और ब्रेस्ट पर उनकी पकड़ छूट सकती है। इससे ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे को चिड़चिड़ापन हो जाता है और वह रो सकता है। 

  • अगर बच्चे की नाक बंद है

अगर सर्दी-जुकाम या फीडिंग की गलत पोजीशन के कारण बच्चे की नाक बंद हो जाती है, तो वह दूध पीने से मना कर सकता है। 

  • आपके बच्चे को बहुत अधिक दूध में मिल रहा है

कुछ माँओं में ब्रेस्ट मिल्क का सप्लाई बहुत अधिक होता है, जिससे वह शिशु को अधिक दूध पिला देती है। जरूरत से ज्यादा दूध पीने से ना केवल बच्चे को गैस की दिक्कत और बेचैनी हो सकती है, बल्कि वह दूध पीने से दूर भाग सकता है। 

  • आपके बच्चे को एसिड रिफ्लक्स हो सकता है

एसिड रिफ्लक्स एक ऐसी स्थिति है, जिसमें खाना पेट से निकलकर वापस ओसोफेगस तक पहुंच जाता है। इस रिफ्लक्स के साथ आने वाला दर्द और असुविधा बच्चे को रुला सकते हैं। 

  • बच्चा खाने के प्रति संवेदनशील हो सकता है

केवल ब्रेस्टफीड पर निर्भर रहने वाले बच्चों में फूड सेंसटिविटी एक दुर्लभ स्थिति है, लेकिन अगर आपके शिशु को फूड सेंसटिविटी हो जाए, तो आप उसमें गैस, पेट में दर्द और तकलीफ को देख सकते हैं। अपने पीडियाट्रिशियन से मिलें और यह पता करें, कि आपको किन खाद्य पदार्थों से दूर रहने की जरूरत है। 

  • यह एक ग्रोथ स्पर्ट हो सकता है

जब शिशु ग्रोथ स्पर्ट के द्वारा बढ़ते हैं, तो उनमें चिड़चिड़ापन देखा जाता है। इस कारण से भी वे दूध पीने के दौरान रो सकते हैं। 

  • आपके बच्चे की असामान्य महक

 किसी नए साबुन, परफ्यूम या लोशन की खुशबू के कारण आपका बच्चा ब्रेस्टफीडिंग से दूर भाग सकता है। 

  • ब्रेस्ट मिल्क का अलग स्वाद

कोई नया खाना, पीरियड्स या दूसरी प्रेगनेंसी, आपके ब्रेस्ट मिल्क के टेक्सचर और स्वाद को बदल सकती है। इसके कारण भी बच्चा ब्रेस्टफीडिंग से मना कर सकता है। 

अगर आपका बच्चा चिड़चिड़ापन दिखा रहा है, तो इसके पीछे ऊपर दी गई समस्याओं में से कोई कारण हो सकता है या फिर दो या उससे अधिक समस्याओं का मिश्रण भी हो सकता है। चूंकि आपका शिशु अब तक बात करने में सक्षम नहीं है, तो ऐसे में लक्षणों को देखने और कारण का पता लगाने की जिम्मेदारी आपकी है। 

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान नवजात शिशु को शांत कैसे करें

यहां पर कुछ पॉइंट्स दिए गए हैं, जिन्हें आप अपने शिशु को शांत करने के लिए आजमा सकती हैं: 

1.  उन्हें बाहर ले जाएं

 बच्चे को पार्क में घुमाने के लिए ले जाएं। बाहर घुमाने के बाद उसे दूध पिलाना एक अच्छा तरीका हो सकता है। 

2.  नींद में बच्चे को दूध पिलाना

जब बच्चे को नींद आ रही हो, तो उसे दूध पिलाएं। इस समय वह शांत रहता है और उसे दूध पिलाना आसान होता है। 

3.  अपने साथी की मदद लें

बच्चे भावनाओं का पता लगा लेते हैं। अगर आपको तनाव या डिप्रेशन महसूस हो रहा है, तो बच्चे को शांत करने के लिए अपने साथी या ग्रैंड पैरेंट की मदद लें। 

4. फॉर्मूला मिल्क देने से बचें

अगर आपका बच्चा ब्रेस्ट से दूध नहीं ले रहा है, तो अपने दूध को बाहर निकालें और उसे एक बोतल में डाल कर बच्चे को दें। अगर आपका ब्रेस्ट मिल्क बच्चे के लिए पर्याप्त है, तो उसे फॉर्मूला मिल्क देने से बचें। 

5.  उसके साथ जबरदस्ती ना करें

अगर आपका शिशु दूध पीने से मना कर रहा है, तो उसे छोड़ दें। जबरदस्ती करने पर वह और अधिक चिड़चिड़ा हो जाएगा। 

6.  अंधेरे कमरे में दूध पिलाने की कोशिश करें

आसपास के वातावरण के कारण भटकने से बचाने के लिए, आप उसे अंधेरे कमरे या कम रोशनी वाले कमरे में दूध पिलाने की कोशिश करें। 

7.  ब्रेस्ट बदलें

अगर आपका शिशु किसी एक ब्रेस्ट को लेकर चिड़चिड़ा हो रहा है, तो उसे दूसरा ब्रेस्ट देने की कोशिश करें। 

8. अलग-अलग फीडिंग पोजिशन को आजमाएं

कभी-कभी आपका बच्चा किसी खास फीडिंग पोजिशन में होने वाली असुविधा के कारण भी रो सकता है। अलग-अलग फीडिंग पोजिशन आजमाने से आपको अपने लिए एक सही पोजीशन मिल सकती है। 

9.  ब्रेस्ट को दबाएं

अगर आपका शिशु दूध के धीमे बहाव के कारण परेशान है, तो अपने ब्रेस्ट को मसाज करें और दबाव देकर उसे ठीक करने की कोशिश करें। 

10.  उसे डकार दिलवाएं

ब्रेस्टफीडिंग के बाद उसे डकार दिलाने की कोशिश करें। इससे फंसी हुई गैस बाहर निकलने में मदद मिलती है। 

11.  मधुर संगीत बजाएं

बच्चे को चुप कराने और शांत कराने का एक और तरीका है, मधुर संगीत बजाना या उसे गाकर सुनाना। 

12.  त्वचा से त्वचा का संपर्क बढ़ाएं

शिशु अपनी मां से नजदीकी और उसकी त्वचा से अपनी त्वचा के संपर्क को पसंद करते हैं। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान उसे गले लगाएं, बाहों में भरें और प्यार करें। 

13. अपने शिशु को चिड़चिड़ेपन से बचाने की कोशिश करें

अगर आपको पता है, कि आपका बच्चा हर दिन इसी समय चिड़चिड़ा हो जाता है, तो उसे आराम और शांति का अनुभव करने में मदद करने के लिए, आप किसी आरामदायक प्रक्रिया की शुरुआत कर सकती हैं। 

14.  शांत रहें

अगर ब्रेस्टफीडिंग के दौरान आपका बच्चा रोने लगता है, तो आप शांत रहें और गहरी सांसें लें। 

हालांकि, ब्रेस्टफीडिंग के दौरान रोते हुए बच्चों को संभालना काफी मुश्किल हो सकता है, लेकिन ऊपर दिए गए टिप्स आपके स्थिति को मैनेज करने में काफी मदद कर सकते हैं। 

यह भी पढ़ें:

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान बच्चे को पसीना आना – कारण और रेमेडीज
बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के फायदे और टिप्स
बेबी लैचिंग और सही तरीके से ब्रेस्टफीडिंग कराना

पूजा ठाकुर

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