In this Article
ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं के ब्रेस्ट में गांठ बनना बहुत ही आम है। पर किसी भी स्थिति में इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अपने नन्हे से बच्चे को जन्म देने के कुछ दिनों बाद, आपके ब्रेस्ट बहुत कठोर लग सकते हैं, क्योंकि वे दूध से भरे हुए होते हैं। आप अपने ब्रेस्ट में गांठें भी महसूस कर सकती हैं, लेकिन ये ज्यादातर ब्लॉक हुए मिल्क डक्ट होते हैं, जो कि कुछ दिनों में ठीक हो जाते हैं। अगर यह गांठ एक या दो सप्ताह में ठीक नहीं हो जाती, तो आपको डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। ब्रेस्ट में गांठ होने के कई संभव कारण हो सकते हैं और इससे आपका चिंतित होना भी स्वाभाविक है। लेकिन, अगर सही समय पर इसकी पहचान हो जाए तो आपका जीवन बच सकता है।
जैसा कि ऊपर बताया गया है, जब आप ब्रेस्टफीडिंग करा रही होती हैं, तब ब्रेस्ट में गांठ हो जाना बिल्कुल नॉर्मल है। यह कई कारणों से हो सकता है, जिसका या तो इलाज किया जा सकता है या फिर उसे इलाज की जरूरत ही नहीं होती है। लेकिन, अगर आपके ब्रेस्ट में एक गांठ है और इसमें कोई दर्द नहीं है, तो यह कैंसर का एक संकेत हो सकता है। इसलिए, अगर आपके लक्षण मैस्टाइटिस के हैं और यह 3 दिनों से अधिक समय तक रहते हैं, तो इसकी जड़ का पता लगाने के लिए डॉक्टर से परामर्श लेना सबसे अच्छा होता है।
यहां पर ब्रेस्ट में होने वाली गांठों के कुछ प्रकार दिए गए हैं:
अगर ब्रेस्ट के एक हिस्से में दूध ब्लॉक हो जाए, तो आपको प्लग्ड मिल्क डक्ट की समस्या हो सकती है। यह मिल्क स्टासिस (दूध का डक्ट में रहना) या गलत फीडिंग पोजीशन के कारण गलत तरीके से लैचिंग के कारण भी हो सकता है। कसी हुई ब्रा या कसे हुए कपड़े पहनने से भी प्लग्ड डक्ट की समस्या हो सकती है।
ज्यादातर मांएं कभी ना कभी ब्रेस्ट में दर्द भरी गांठों को महसूस करती हैं। यह ब्रेस्ट इंगोर्जमेंट के कारण हो सकता है। इसके कारण ब्रेस्ट में सूजन और कड़ेपन की समस्या हो सकती हैं और सूजे हुए ब्रेस्ट में गांठे बन सकती हैं। अगर दूध को हाथों से या पंप के द्वारा बाहर निकाल दिया जाए, तो ये गांठें ठीक हो जाती हैं। यह तब होता है, जब बच्चा सही तरह से दूध चूसने में सक्षम नहीं होता है और इसके कारण दूध बाहर नहीं आ पाता है।
मैस्टाइटिस ब्रेस्ट में होने वाली एक गांठ या सूजन होती है, जिसके साथ दर्द, लालीपन या टेंडर्नेस भी देखा जाता है। यह तब होता है, जब प्लग्स डक्ट का इलाज नहीं होता है और डक्ट के पीछे दूध इकट्ठा होने लगता है और इंफेक्शन के कारण इन्फ्लेमेशन हो जाता है। आमतौर पर इसके साथ बुखार भी आता है।
ब्रेस्ट में पस होने के कारण फोड़ा बन जाता है। आमतौर पर यह तब होता है, जब मैस्टाइटिस का इलाज न किया जाए या बुरी तरह से इलाज किया जाए। एक सुई या कैथेटर एस्पिरेशन के द्वारा एब्सस को बाहर निकालना जरूरी है। इसके साथ ही एंटीबायोटिक्स देना भी जरूरी है, अन्यथा अत्यधिक दर्द और बुखार हो सकता है।
यह एक सिस्ट होती है, जो कि मेमेरी ग्लैंड के पास स्थित होती है। इसमें मिल्क डक्ट में रुकावट के कारण दूध या मिल्क सब्सटेंस रह जाता है। आमतौर पर इससे कोई इंफेक्शन नहीं होता है और जब मां दूध पिलाना बंद कर देती है, तो यह अपने आप ठीक हो जाता है।
यह एक सौम्य ब्रेस्ट टयूमर होता है और यह 15 से 30 वर्ष की उम्र के बीच की महिलाओं में आम होता है। यह ग्लैंड और फाइब्रस टिशू का एक ट्यूमर होता है। पीरियड्स की सायकल के अनुसार आने और जाने वाले कुछ ब्रेस्ट गांठों के विपरीत फाइब्रोएडीनोमा सायकल के बाद अपने आप नहीं जाते हैं। मेनोपॉज की बाद के स्टेज में महिलाओं में इसका होना बहुत ही दुर्लभ है।
लिपोमा फैटी लंप होते हैं, जो कि ब्रेस्ट और अन्य हिस्सों में धीरे-धीरे बढ़ते हैं। इनके डायमीटर का आकार अधिकतम 2 सेंटीमीटर होता है। इनका आकार गोल या अंडाकार होता है। छूने से यह रबड़ की तरह महसूस होता है और हल्का दबाव पड़ने से ये आसानी से मूव कर सकते हैं। ऐसी गांठें एक जगह पर एक से अधिक भी हो सकती हैं।
इंट्राडक्टल पेपिलोमा ब्रेस्ट के मिल्क डक्ट में होने वाली गांठें होती हैं, जिनका कैंसर से कोई संबंध नहीं होता है। एक अकेला इंट्राडक्टल पेपिलोमा एक ट्यूमर होता है, जो कि निप्पल के पास बड़े मिल्क डक्ट में बढ़ता है। कुछ महिलाओं में यह एक से अधिक भी हो सकता है और कुछ महिलाओं को इनमें से खून का बहाव भी महसूस हो सकता है।
ये गांठें ब्रेस्ट में फैटी टिशू को होने वाली किसी इंजरी के कारण होती हैं और अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे, तो उसमें इलाज की जरूरत होती है। हालांकि यह खतरनाक नहीं होता है और सही इलाज के साथ इसे ठीक किया जा सकता है।
आमतौर पर यह एक सख्त या कठोर गांठ होती है, जिसमें आमतौर पर कोई दर्द नहीं होता है। यह निप्पल या ब्रेस्ट में हो सकती है। हालांकि आमतौर पर यह ऊपरी बाहरी क्वाड्रेंट में होती है। कुछ बड़े जानलेवा ट्यूमर ब्रेस्ट के दूसरे हिस्सों को कंप्रेस कर सकते हैं। यह त्वचा से बाहर निकल सकते हैं और काफी दर्दनाक होते हैं।
ब्रेस्ट में किसी तरह की गांठ की जांच के लिए, महिलाओं का खुद अपना परीक्षण करना जरूरी है। कोई गांठ महसूस होने पर इसे ठीक करने के लिए जितना संभव हो सके इन टिप्स को फॉलो करें:
यहां पर कुछ टेस्ट दिए गए हैं, जिनके द्वारा ब्रेस्टफीडिंग कराने वाले मांओं के ब्रेस्ट में गांठ की पहचान की जाती है:
डॉक्टर ब्रेस्ट टिशु और हड्डियों और फेफड़ों जैसे अन्य टिशू को देखने के लिए एक्स-रे कराने की सलाह देते हैं, ताकि किसी असमान्यता का पता लगाया जा सके।
एक कंप्यूटेड टोमोग्राफी स्कैन (सीटी स्कैन) किया जाता है, ताकि यह पता लगाया जा सके, कि यह गांठ कैंसर है या नहीं और कैंसर छाती की दीवारों और शरीर के दूसरे हिस्सों तक फैला है या नहीं।
ब्रेस्ट कैंसर का पता लगाने के लिए यह टेस्ट सबसे प्रभावी है। यह टेस्ट लक्षण दिखने से भी पहले, कैंसर का पता लगा सकता है। ब्रेस्ट की गांठ शुरुआती है या कैंसर, यह पता लगाने के लिए मैमोग्राम किया जाता है।
यह टेस्ट आपके ट्यूमर की स्थिति को दर्शाते हुए, आपको यह बताता है कि इलाज आप पर काम कर रहा है या नहीं।
अगर शुरुआती जांच से ब्रेस्ट कैंसर का पता चल जाए, तो डॉक्टर फाइन नीडल एस्पिरेशन बायोप्सी कराने की सलाह देते हैं। जिसमें प्रभावित क्षेत्र से थोड़ा फ्लूइड लिया जाता है और कैंसर सेल की जांच की जाती है।
यह सर्जिकल बायोप्सी का एक वैकल्पिक तरीका है और यह कैंसर की पहचान के लिए जरूरी टिशू पाने का एक कम सर्जिकल तरीका है।
जब नीडल बायोप्सी का नतीजा स्पष्ट न हो, तब सर्जिकल बायोप्सी की जाती है। लोकल एनेस्थीसिया देकर एक छोटी ओपनिंग के द्वारा गांठ का एक हिस्सा या पूरी गांठ निकाल ली जाती है।
ब्रेस्ट की सभी गांठों को इलाज की जरूरत नहीं होती है। फाइब्रोएडीनोमा जैसी सौम्य गांठों को किसी दवा की जरूरत नहीं होती है और इनसे कोई नुकसान नहीं होता है। इंजरी के कारण बनने वाली गांठें भी समय के साथ ठीक हो जाती हैं।
ब्रेस्ट में गांठ के लिए इलाज के विकल्प इस प्रकार हैं:
फाइन नीडल ड्रेनिंग एक सिंपल प्रक्रिया है और इसमें अधिक समय नहीं लगता है। यदि कोई सिस्ट हो या फोड़ा हो, तो एक पतली सुई के द्वारा उसे बाहर निकाल लिया जाता है।
ब्रेस्ट इंफेक्शन के कारण होने वाली गांठों को एंटीबायोटिक्स के द्वारा ठीक किया जा सकता है।
यह सर्जरी की एक प्रक्रिया है, जिसके द्वारा कैंसर ग्रस्त गांठों को बाहर निकाला जाता है।
मास्टैक्टोमी कैंसर ग्रस्त ब्रेस्ट टिशू को निकालने की एक प्रक्रिया है। इसे ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के लिए किया जाता है।
अगर गांठ कैंसर ग्रस्त हो, तो डॉक्टर इसके लिए कीमोथेरेपी की सलाह दे सकते हैं। कैंसर के स्टेज के आधार पर डॉक्टर आपको सलाह देंगे, कि आपको कीमोथेरेपी करानी चाहिए या नहीं।
अगर गांठ कैंसर ग्रस्त हो, तो इसे रेडिएशन थेरेपी के द्वारा भी ठीक किया जा सकता है। इसमें मरीज को कैंसर के स्टेज के आधार पर रेडिएशन की खुराक दी जाती है।
यहां पर ऐसे कुछ तरीके दिए गए हैं, जिन्हें अपनाकर ब्रेस्ट में गांठ बनने से बचाव हो सकता है:
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ब्रेस्ट में गांठ बनने के कई कारण हो सकते हैं और यह केवल ब्रेस्ट कैंसर के कारण नहीं होता है। इसलिए महिलाओं को यह जानकारी होना जरूरी है, कि ब्रेस्ट में गांठ दिखने पर तुरंत डरने वाली कोई बात नहीं होती है।
यह भी पढ़ें:
स्तनपान के दौरान निप्पल में क्रैक और ब्लीडिंग
स्तनपान के दौरान स्तन में खुजली – कारण और उपचार
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान पीठ में दर्द – कारण और उपचार
हिंदी वह भाषा है जो हमारे देश में सबसे ज्यादा बोली जाती है। बच्चे की…
बच्चों को गिनती सिखाने के बाद सबसे पहले हम उन्हें गिनतियों को कैसे जोड़ा और…
गर्भवती होना आसान नहीं होता और यदि कोई महिला गर्भावस्था के दौरान मिर्गी की बीमारी…
गणित के पाठ्यक्रम में गुणा की समझ बच्चों को गुणनफल को तेजी से याद रखने…
गणित की बुनियाद को मजबूत बनाने के लिए पहाड़े सीखना बेहद जरूरी है। खासकर बच्चों…
10 का पहाड़ा बच्चों के लिए गणित के सबसे आसान और महत्वपूर्ण पहाड़ों में से…