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ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कैल्शियम लेना बहुत जरूरी होता है। यह सबसे आवश्यक मिनरल है जिसे स्तनपान कराने वाली हर एक माँ को लेना चाहिए। पर इसकी जरूरत क्यों है और इसकी कितनी डोज लेनी चाहिए? इस आर्टिकल में इन सभी सवालों के जवाब बताए गए हैं, जानने के लिए पूरा पढ़ें।
बच्चे को स्तनपान कराने के दौरान अक्सर महिलाओं का 3 – 5% बोन मास कम हो जाता है। यह बढ़ते बच्चे में कैल्शियम की आवश्यकताओं की वजह से होता है। जिसकी वजह से एक माँ जितना भी कैल्शियम लेती है वह सब उसकी हड्डियों में जाने के बजाय ब्रेस्टमिल्क के माध्यम से बच्चे तक जाता है और वह कमजोर हो जाती है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान महिलाओं के शरीर में एस्ट्रोजन (हड्डियों की सुरक्षा के लिए हॉर्मोन्स) भी कम हो जाता है और इससे उनकी हड्डियां कमजोर होती हैं। इसलिए ब्रेस्फीडिंग के दौरान महिलाओं का कैल्शियम लेना बहुत जरूरी है।
हड्डियां मजबूत रखने के लिए हर किसी को कैल्शियम लेना चाहिए। हालांकि नर्सिंग महिलाओं को रोजाना लगभग 1000 मिलीग्राम कैल्शियम लेना चाहिए। एक वेजीटेरियन डाइट दिनभर में लगभग 600 – 700 मिलीग्राम कैल्शियम प्रदान करती है। ऐसा माना जाता है कि एक वेजीटेरियन डाइट (जिसमें पनीर, दही, दूध और दूध की चीजें हों) नॉन वेजीटेरियन डाइट की तुलना में पर्याप्त कैल्शियम की आपूर्ति करती है। इसका यह कारण है कि मीट (जिसमें फॉस्फोरस होता है) के कारण शरीर में कैल्शियम अच्छी तरह से अब्सॉर्ब नहीं होता है इसलिए एनिमल प्रोटीन से भरपूर डाइट लेने से रोजाना पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिलता है।
स्वस्थ हड्डियों और दाँतों के लिए कैल्शियम जरूरी है क्योंकि हमारे शरीर में लगभग 99% कैल्शियम हड्डियों व दाँतों में होता है। शरीर में इस मिनरल की कमी होने से ऑस्टिओपोरोसिस होता है और इस समस्या से बचने के लिए ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कैल्शियम पर्याप्त होना चाहिए।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कैल्शियम की कमी होना संभव है और बढ़ते बच्चे के लिए कैल्शियम की आवश्यकताएं बढ़ती हैं। यह आवश्यकता माँ के दूध से पूरी होती है। इसलिए नर्सिंग मांओं को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम लेना चाहिए ताकि उनके शरीर में पर्याप्त कैल्शियम रहे।
नर्सिंग मांओं के लिए कैल्शियम जरूरी है क्योंकि इसकी कमी से ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं के दाँतों में समस्याएं होने लगती हैं। इस मिनरल की कमी से महिलाओं को पिरियोडोंटल रोग भी हो सकते हैं जिससे मसूड़े, हड्डियां व दाँत कमजोर हो जाते हैं।
आपको डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही कैल्शियम सप्लीमेंट्स लेना शुरू करना चाहिए। यदि डॉक्टर को लगता है कि आपको डाइट से ज्यादा कैल्शियम नहीं मिल पा रहा है तो आपको अपने शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़ाने के लिए सप्लीमेंट्स लेने की जरूरत है और यह सप्लीमेंट्स डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही होने चाहिए। पर यदि आप इन्हें बहुत ज्यादा लेंगी तो इससे आपको एलर्जी या हेल्थ से संबंधित अन्य समस्याएं भी हो सकती हैं।
यदि ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं को उनकी डाइट से पर्याप्त कैल्शियम नहीं मिल पा रहा है तो उन्हें हड्डियों व दाँतों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए कैल्शियम सप्लीमेंट्स लेने चाहिए। यहाँ पर स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए कैल्शियम के कुछ सप्लीमेंट्स बताए गए हैं, आइए जानें;
नर्सिंग मांओं को रोजाना की डाइट में कैल्शियम लेना चाहिए ताकि उन्हें हड्डियों व दाँतों की समस्याएं न हों। यहाँ पर कैल्शियम से भरपूर फूड प्रोडक्ट्स बताए गए हैं, आइए जानें:
ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली भारतीय मांओं के लिए कैल्शियम-युक्त डाइट प्लान यहाँ बताया गया है, आइए जानें;
यदि डाइट में कैल्शियम की कमी है तो स्तनपान कराने वाली माँ व बच्चे को भी हड्डियों का डिसऑर्डर और दाँतों में समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली मांओं के लिए रोजाना कैल्शियम-युक्त डाइट लेना बहुत जरूरी है। रोजमर्रा के कई इंग्रेडिएंट्स और फूड्स में कैल्शियम होता है इसलिए इन्हें नियमित रूप से खाना जरूरी है ताकि आपके शरीर में कैल्शियम बराबर बना रहे।
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