ब्रेस्टफीडिंग के दौरान हेपेटाइटिस होना

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान हेपेटाइटिस होना

जब मां बनने के बाद आप मातृत्व के अहसास भरकर अपने बच्चे को स्तनपान कराना शुरू करती हैं तब यह समझती हैं कि बच्चे के साथ बिताए पल कितने खास होते हैं। ब्रेस्टफीडिंग से मां व बच्चे का बॉन्ड अच्छा होने के साथ-साथ शिशु का स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है। पर यदि मां को हेपेटाइटिस जैसी फैलने वाली बीमारी है तो यह एक दुःख की खबर हो सकती है क्योंकि इस बात को समझ पाना कठिन है कि हेपेटाइटिस से ग्रसित मां बेबी को ब्रेस्टफीडिंग करा सकती है या नहीं। 

हेपेटाइटिस क्या है?

जब किसी वायरस की वजह से लिवर में सूजन आ जाती है तो इसे हेपेटाइटिस कहते हैं। हेपेटाइटिस पांच प्रकार के होते हैं – हेपेटाइटिस ए, बी, सी, डी और ई। कुछ प्रकार के हेपेटाइटिस दवा, टॉक्सिन, ड्रग्स और अल्कोहल के कारण होते हैं और ऑटोइम्यून हेपेटाइटिस तब होता है जब शरीर के एंटीबॉडीज लिवर के प्रतिकूल उत्पन्न होने लगते हैं। हेपेटाइटिस ए एक्यूट (तीव्र) और कुछ समय के लिए होने वाली बीमारी है, हेपेटाइटिस बी, सी और डी क्रोनिक बीमारी है। हालांकि हेपेटाइटिस ई अक्सर एक्यूट समस्या होती है। 

हेपेटाइटिस के आम लक्षण 

क्रोनिक व संक्रामक प्रकार के हेपेटाइटिस होने पर शुरुआत में कोई भी लक्षण नहीं दिखाई देते हैं और इसके लक्षण तभी दिखेंगे जब आपका लिवर पूरी तरह से डैमेज हो गया हो। एक्यूट हेपेटाइटिस के लक्षण तुरंत दिखने लगते हैं। कुछ लक्षण निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

  • थकान 
  • फ्लू के लक्षण 
  • पीली पॉटी होना 
  • गाढ़े रंग की पेशाब होना 
  • पेट में दर्द 
  • वजन बेहद कम होना 
  • भूख न लगना 
  • त्वचा और आंखें पीली पड़ना, जॉन्डिस जैसे लक्षण  

क्या हेपेटाइटिस होने पर आप बेबी को ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं?

यद्यपि यदि आपको हेपेटाइटिस है तो बेबी को ब्रेस्टफीडिंग कराना सुरक्षित माना गया है पर इस दौरान आप कुछ सावधानियां बरतें ताकि बच्चे पर कोई भी प्रभाव न पड़े। अमेरिकन एकेडमी ऑफ पेडियाट्रिक्स के अनुसार न्यूबॉर्न बेबी के अच्छे स्वास्थ्य और विकास के लिए ब्रेस्टफीडिंग बहुत जरूरी है। पर यह जानने के जरूरत है कि आपको किस प्रकार का हेपेटाइटिस हुआ है और यह कैसे फैलता है। यदि आपको हेपेटाइटिस है तो बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने से पहले डॉक्टर से बात जरूर कर लें। 

क्या हेपेटाइटिस होने पर आप बेबी को ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं?

अलग-अलग प्रकार के हेपेटाइटिस के इन्फेक्शन ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बेबी को कैसे प्रभावित कर सकते हैं?

यह आपकी समस्या की गंभीरता और आपको होने वाले हेपेटाइटिस के प्रकार पर निर्भर करता है कि आप बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं या नहीं। अलग-अलग प्रकार का हेपेटाइटिस ब्रेस्टफीड करने वाले बच्चे को किस तरीके से प्रभावित कर सकता है, आइए जानें;

1. हेपेटाइटिस ए 

यहां पर एचएवी और ब्रेस्टफीडिंग से संबंधित जानकारी दी गई है, आइए जानें;

  • यह क्या है?: इस वायरस को आमतौर पर एचएवी कहते हैं और यह ज्यादातर फीकल-ओरल से फैलता है। इसका अर्थ यह कि संक्रमित खाना खाने या पानी पीने या एनल या ओरल सेक्स से भी यह बीमारी हो सकती है। फीकल से संबंधित अन्य तरीकों से भी यह बीमारी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकती है।
  • बेबी के लिए जोखिम: 6 साल से कम उम्र के बच्चों में अक्सर हेपेटाइटिस ए के लक्षण नहीं दिखाई देते हैं इसलिए कहना कठिन है कि उन्हें यह बीमारी है या नहीं। हालांकि यदि बच्चे को है तब भी यह बीमारी उन लोगों तक पहुंच सकती है जिन्हें टीका नहीं लगाया गया है, खासकर पेरेंट्स या देखभाल करने वाले।

2. हेपेटाइटिस बी 

हेपेटाइटिस बी और ब्रेस्टफीडिंग में क्या संबंध है यह जानने के लिए आगे पढ़ें। 

  • यह क्या है?: हेपेटाइटिस बी संक्रमित खून में जाता है। हेपेटाइटिस बी का वायरस शरीर के अन्य फ्लूइड में भी हो सकता है पर यदि खून, सलाइवा या सीमेन में वायरस का लेवल ज्यादा है तो यह बेहद संक्रामक हो सकता है। यह संक्रमित व्यक्ति के साथ सेक्स करने या सुई से फैलता है।
  • बेबी के लिए जोखिम: बच्चों में हेपेटाइटिस बी इन्फेक्शन गंभीर और जीवन के लिए खतरनाक होता है। यदि न्यूबॉर्न बच्चों को यह इन्फेक्शन है तो यह बीमारी अन्य लोगों में फैलने की लगभग 90% सभावनाएं हैं। बड़े होने के बाद इससे कैंसर विकसित होने का खतरा बढ़ता है या लिवर में सिरोसिस हो जाता है जिसके परिणामस्वरूप मृत्यु हो सकती है। यदि आपको यह समस्या है और आप बच्चे को ब्रेस्टफीड कराना चाहती हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि आपके निप्पल कटे हुए या उनमें घाव नहीं होने चाहिए व उनसे खून नहीं निकलना चाहिए क्योंकि इससे बच्चे को भी इन्फेक्शन हो सकता है।

3. हेपेटाइटिस सी 

यहां पर हेपेटाइटिस सी और ब्रेस्टफीडिंग के बारे में बताया गया है। यदि आपको हेपेटाइटिस सी है तो क्या आप बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं, आइए जानें। 

  • यह क्या है?: एचबीवी की तरह, एचसीवी को खून के माध्यम से फैल सकता है। इसका यौन संपर्क में जाना बहुत दुर्लभ है क्योंकि यह सीमन या वेजाइनल फ्लूइड में मौजूद नहीं है। मुख्य रूप से यह अक्सर शेयर की हुई सुई इंजेक्ट करने पर ही होता है।
  • बेबी के लिए जोखिम: बच्चों में एचसीवी के लक्षण नहीं दिखाई देते और लगभग 40% बच्चों को 2 साल की उम्र तक यह बीमारी बढ़ती है। कुछ बच्चों में ज्यादा समय भी लगता है पर इससे उनके विकास व वृद्धि में कोई भी प्रभाव नहीं पड़ता है। उम्र बढ़ने पर बच्चे का लिवर मॉनिटर किया जा सकता है। ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बच्चों की तुलना में बोतल से दूध पीने वाले बच्चों को यह इन्फेक्शन कम होता है इसलिए यदि आप बच्चे को ब्रेस्टफीड कराना चाहती हैं तो डॉक्टर से संपर्क करें।

हेपेटाइटिस सी 

4. हेपेटाइटिस डी 

यहां पर हेपेटाइटिस डी और ब्रेस्टफीडिंग के बीच संबंध के बारे में चर्चा की गई है, आइए जानें;

  • यह क्या है?: एचडीवी एक प्रकार का हेपेटाइटिस है जो एचबीवी के मौजूद होने पर ही ट्रांसफर हो सकता है और जिस तरीके से एचबीवी फैलता है उसी तरीके से यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है।
  • बेबी के लिए जोखिम: हेपेटाइटिस डी के लक्षण हेपेटाइटिस बी जैसे ही होते हैं पर इसमें ये लक्षण अधिक गंभीर रूप से दिखाई देते हैं और इसमें बच्चे का लिवर डैमेज होने का खतरा ज्यादा है। जिन मांओं को एचडीवी इन्फेक्शन है वे बच्चे को ब्रेस्टफीड करा सकती हैं पर यदि निप्पल्स में घाव हैं तो ज्यादा देखभाल करने की जरूरत है। जन्म के तुरंत बाद बच्चे को एचबीवी का इंजेक्शन लगवाना बहुत जरूरी है।

5. हेपेटाइटिस ई 

इस प्रकार का हेपेटाइटिस गर्भवती महिलाओं के लिए बहुत खतरनाक होता है। 

  • यह क्या है?: अफ्रीका, एशिया और मध्य अमेरिका के कुछ हिस्सों में प्रचलित, यह वायरस एचएवी के समान ओरल-फीकल के माध्यम से ट्रांसफर होता है। जिन गर्भवती महिलाओं में एचईवी है उनका लिवर डैमेज हो सकता है और इसके लिए पूरी देखभाल करनी चाहिए।
  • बेबी के लिए जोखिम: भारत में जिन गर्भवती महिलों को एचईवी है उनमें से लगभग 15% से 50% तक शिशु की मृत्यु जन्म के पहले हफ्ते में ही हो जाती है क्योंकि यदि अच्छी तरह से देखभाल न की जाए तो यह बीमारी बच्चे में भी जा सकती है। जिन मांओं को एचईवी है वे बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग करा सकती हैं। यद्यपि यदि वायरल की समस्या बहुत ज्यादा है तो ब्रेस्ट मिल्क इन्फेक्टेड होने की संभावना हो सकती है। इन मामलों में मांएं बच्चे को बोतल से दूध पिला सकती हैं।

ब्रेस्टफीडिंग के दौरान हेपेटाइटिस से पीड़ित मांओं के लिए ध्यान देने योग्य बातें 

हेपेटाइटिस और बच्चे को दूध पिलाने से संबंधित समस्याओं का सामना करते समय आप निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें, आइए जानें;

  • यदि ब्रेस्ट के निप्पल्स कटे हुए या घाव वाले हैं तो आप डॉक्टर से बात करें और निप्पल के लिए एक सुरक्षित क्रीम खरीदें जिससे दर्द और परेशानी कम हो सकती है। आप डॉक्टर से एलोवेरा जेल लगाने के बारे में भी पूछ सकती हैं क्योंकि यह बहुत ज्यादा मॉइश्चराइजिंग होता है और इसमें कोई भी केमिकल्स नहीं रहते हैं। 
  • हेपेटाइटिस इन्फेक्शन का डायग्नोस करने के लिए कौन से टेस्ट कराने चाहिए इसके बारे में जानकारी लें। 
  • हमेशा साफ-सफाई बनाए रखें क्योंकि इससे इन्फेक्शन कम होने में मदद मिलती है। 
  • पब्लिक टॉयलेट में जाते समय सावधानी बरतें और अच्छी तरह से हाथ धोना न भूलें। 

यदि आपको हेपेटाइटिस है और आप बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराती हैं तो ब्रेस्टफीडिंग के फायदे इस इन्फेक्शन के खतरों से ज्यादा हैं। ज्यादातर मांएं बच्चे को ब्रेस्टफीडिंग कराने के लिए तैयार रहती हैं व प्रेरित भी होती हैं। इस बात का ध्यान रखें कि आप अपने व बच्चे के लिए भी समय पर डॉक्टर की अपॉइंटमेंट लें। इससे आपको ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा मिलेगी क्योंकि आप इस इन्फेक्शन के बारे में जानती हैं व इससे बचने के लिए डॉक्टर की सलाह के अनुसार अपना बचाव कर सकेंगी। 

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