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ब्रेस्टफीडिंग से माँ और बच्चे को स्वास्थ्य संबंधी कई फायदे होते हैं इसलिए महिलाओं के लिए यह अनुभव सबसे बेहतरीन हो सकता है। पर बच्चे को दूध पिलाना महिलाओं के लिए चैलेंजिंग भी हो सकता है क्योंकि इससे शरीर में स्ट्रेस बढ़ता है। ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली ज्यादातर मांओं का पोस्चर ठीक नहीं होता है और उनकी पीठ, कंधों व गर्दन में दर्द होने लगता है। जाहिर है अपनी खुद की देखभाल के लिए कई महिलाएं सामान्य एक्सरसाइज कर सकती हैं जिनमें योगासन भी शामिल है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान योग करने से महिलाओं को कई फायदे मिलते हैं और उनकी शारीरिक तकलीफें कम हो जाती हैं।
योग और ब्रेस्टफीडिंग दोनों ही नर्सिंग मांओं के लिए विशेष फायदेमंद होते है। पर क्या आप ब्रेस्टफीडिंग के दौरान हॉट योग कर सकती हैं? शायद यह सही नहीं होगा। यह सलाह दी जाती है कि आप ब्रेस्टफीडिंग के दौरान ज्यादा योग न करें क्योंकि इससे दूध की आपूर्ति में नेगेटिव इफेक्ट पड़ता है। ब्रेस्टफीडिंग के दौरान योग करने से आपको निम्नलिखित फायदे हो सकते हैं, आइए जानें;
अक्सर मांएं अपने बच्चे को दूध पिलाते हुए काफी समय बिताती हैं या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान उनकी पोजीशन असुविधाजनक होती है जिसके परिणामस्वरूप पीठ में दर्द होता है। देर तक बच्चे का वजन उठाने से महिलाओं के शरीर पर स्ट्रेस पड़ता है जिससे उनकी रीढ़ और पीठ में दर्द हो सकता है। योग के विभिन्न पोज से महिलाओं की पीठ का दर्द ठीक हो जाता है और शरीर का पोस्चर भी ठीक हो जाता है।
बच्चे को ज्यादा देर तक और लगातार दूध पिलाने से महिलाओं के ऊपरी शरीर की मांसपेशियां कठोर हो जाती हैं और इनमें दर्द भी होता है। योग करने से शरीर स्ट्रेच होता है जिससे कंधों व गर्दन की मांसपेशियों का तनाव कम होने में मदद मिलती है और दर्द में आराम भी मिलता है।
योग उस उचित सांस पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है जिससे ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं के संपूर्ण स्वास्थ्य को ठीक होने में मदद मिलती है। इसी तरह से योग की सामान्य पोजिशंस जोड़ों के दर्द में बहुत उपयोगी होती हैं और महिलाओं के शारीरिक आकार को दोबारा से ठीक करने में मदद करती हैं जो गर्भावस्था व ब्रेस्टफीडिंग के कारण खराब हो गया था।
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान योग करने से महिलाओं का मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहता है। नींद कम आने और स्ट्रेस की वजह से अक्सर मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ जाता है। योग करने से मन शांत होता है, तनाव कम होता है और ब्रेस्टफीडिंग के दौरान रोज की समस्याओं से जरूरी आराम मिलता है।
बच्चे की देखभाल करने और उसे दूध पिलाने के लिए महिलाओं को सबसे ज्यादा एनर्जी और धैर्य की जरूरत होती है। योग की धीमी प्रक्रिया और हर एक सांस पर ध्यान केंद्रित करने से महिलाओं में धैर्य उत्पन्न होता है और उन्हें सिर्फ खुद से ही नहीं बल्कि बच्चे से भी जुड़ाव की अनुभूति होती है।
ब्रेस्टफीडिंग महिलाओं के लिए योग के निम्नलिखित कुछ पोज हैं जिनसे मदद मिल सकती है, आइए जानें;
कैट-काऊ पोज से छाती और रीढ़ का तनाव कम होता है। इसकी मदद से बच्चे को दूध पिलाते समय महिलाओं का पोस्चर भी सही रहता है। इसे आप कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;
यह पोज आपके पूरे शरीर को स्ट्रेच करता है जिससे आपको ताजगी महसूस होती है। इससे पैरों के पिछले हिस्से की कठोरता कम होती है और यह पीठ व कंधों को प्रभावी रूप से स्ट्रेच करता है। यह खून के प्रवाह को भी बेहतर बनाता है। आप इस पोज को कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;
स्फिंक्स पोज से रीढ़ को मजबूती मिलती है और पीठ के निचले हिस्से का दर्द कम होता है। इसलिए यह स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए सबसे बेहतरीन है। आप इस पोज को कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;
ब्रिज पोज एक रेस्ट्रोरेटिव पोस्चर है जो शारीरिक एलाइनमेंट को सही करने में मदद करता है। इस पोज से सीना, रीढ़ और गर्दन उचित तरीके से स्ट्रेच हो जाते हैं और पैरों को मजबूती मिलने में मदद मिलती है। आप इस पोज को कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;
यह पोज करने से आपके कंधों व पीठ की मांसपेशियों की स्टिफनेस कम होती है। इससे पैरों, घुटनों व एड़ियों में मजबूती आती है और जांघों के लिए भी सही है। आप इस पोज को कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;
योग के अलग-अलग स्टाइल में यह भी एक पोज है जिसमें आपको खड़े होकर आर्क बनाना है। यह ग्रोइन क्षेत्र और हैमस्ट्रिंग की मांसपेशियों को खोलने में मदद करता है। इस योग से पीठ के निचले हिस्से को काफी सपोर्ट भी मिलता है।
यह योग करने से आंतरिक व हाथों की मांसपेशियों को ठीक होने में मदद मिलती है। यह रीढ़, पीठ, धड़ और हाथों के लिए सबसे बेहतरीन एक्सरसाइज है। आप इस पोज को कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;
प्राणायाम में सांस लेने की प्रक्रिया और नियंत्रण से तनाव कम होने में मदद मिलती है और मन शांत होता है। आप इस पोज को कैसे कर सकती हैं, आइए जानें;
विशेषकर शुरूआती दिनों में हर माँ के लिए बच्चे को दूध पिलाना शारीरिक जरूरत है पर जब बच्चा पूरे दिन दूध पीता है तो इससे आपको स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं। यदि आप अपनी लाइफस्टाइल में योग शामिल करती हैं तो इससे आपके स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और आप अपने बच्चे को बेहतर तरीके से दूध पिला सकेंगी।
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