स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए 13 जरूरी पोस्टनेटल विटामिन

स्तनपान कराने वाली मांओं के लिए 13 जरूरी पोस्टनेटल विटामिन

ब्रेस्टफीडिंग वह तरीका है जिससे आपके बच्चे को वह सभी पोषण प्राप्त होता है जिसकी उसे आवश्यकता होती है। माँ के दूध में एंटीबॉडी होते हैं जो इम्युनिटी को बढ़ाते हैं। हालांकि, डॉक्टरों मानते ​हैं कि विटामिन की गोलियों का सेवन सप्लीमेंट्स के रूप में काम कर सकता है।

ब्रेस्टफीडिंग कराने के दौरान पोस्टनेटल विटामिन लेना क्यों जरुरी हैं?

माँ के दूध में कुछ आवश्यक विटामिन और मिनरल जैसे विटामिन बी और विटामिन डी एब्सेंट हो सकते हैं। ये दोनों विटामिन माँ और बच्चे के लिए जरूरी हैं। इन विटामिनों की ऑप्टिमल मात्रा में मौजूदगी निश्चित करने से कई बीमारियों को कम किया जा सकता है।

ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बच्चों को कौन से विटामिन की आवश्यकता होती है?

ब्रेस्टफीडिंग करने वाले बच्चों को कौन से विटामिन की आवश्यकता होती है?

यहाँ स्तनपान करने वाले बच्चे की पोषण संबंधी आवश्यकताएं दी गई हैं।

विटामिन के नाम  प्रति दिन की मात्रा किसमें पाया जाता है
विटामिन के 92 माइक्रोग्राम पालक, ब्रोकोली, सोयाबीन तेल, पत्तागोभी, फूलगोभी, सरसों का साग, शलजम साग, सलाद
बायोटिन 35 माइक्रोग्राम अंडे, चीज़, मछली, रसभरी, और लगभग सभी प्रकार के नट्स, फूलगोभी, शकरकंद
विटामिन ई 20 मिलीग्राम सूरजमुखी तेल, कुसुम तेल, नट्स जैसे अखरोट और हेज़लनट्स, मूँगफली, एवोकैडो
विटामिन डी 16 माइक्रोग्राम मछली फैट, अंडे, पनीर, सोया दूध, विटामिन डी सप्लीमेंट्स, संतरे का जूस
विटामिन सी 130 मिलीग्राम नींबू, टमाटर, संतरा, कीवी, आंवला, अमरूद
फोलिक एसिड 520 माइक्रोग्राम दाल, चुकंदर, चावल, दूध, गेहूँ, हरी पत्तेदार सब्जियां
विटामिन बी6 3 मिलीग्राम फोर्टिफाइड सीरियल्स, मछली, प्लम, केला, गाजर
विटामिन बी5 8 मिलीग्राम दालें, फूलगोभी, सूरजमुखी के बीज, शकरकंद, चीज़
विटामिन बी3 18 मिलीग्राम चिकन, तिल, मूंगफली, दूध, अंडे
विटामिन बी2 2 मिलीग्राम ब्राउन राइस, बादाम, पालक, ब्रोकोली, मशरूम
विटामिन बी12 3 माइक्रोग्राम कई पशु स्रोत जैसे मांस, मछली, अंडे, आदि
विटामिन बी1 1.5 मिलीग्राम ब्राउन राइस, सोया, अंडे, फलियां, हरी मटर, बीज के तेल
विटामिन ए 1500 माइक्रोग्राम मछली, लिवर, शकरकंद, कद्दू, आम, खुबानी, कॉड लिवर ऑयल

पोस्टनेटल विटामिन के फायदे

पोस्टनेटल विटामिन माँ और बच्चे को कई फायदे देते हैं। उनमें से कुछ हैं:

1. विटामिन के

विटामिन के नामकरण में, इस विशेष विटामिन के लिए ‘के’ अक्षर अपने जर्मन नाम से आता है, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘जमावट के लिए विटामिन’ है। इसमें ब्लड क्लॉटिंग और घाव को ठीक करने के गुण होते हैं। शरीर में सर्कुलेशन को सपोर्ट करने के अलावा, विटामिन के हड्डियों की ताकत और डेन्सिटी को बढ़ाता है।

2. बायोटिन

इसे विटामिन एच के रूप में भी जाना जाता है, यह शरीर को सामान्य रूप से विकास करने में मदद करने वाले प्रमुख न्यूट्रिएंट्स में से एक है। विटामिन की उपस्थिति फैट, अमीनो एसिड और शरीर में मौजूद अन्य कार्बोहाइड्रेट के मेटाबॉलिज्म में मदद करती है। इस विटामिन के कारण बच्चे की सुंदर त्वचा स्वस्थ रहती है, क्योंकि यह त्वचा से जुड़ी अन्य समस्याओं का भी ध्यान रखती है। इसके साथ ही यह आपकी त्वचा, नाखून और बालों को भी अच्छा रखता है।

3. विटामिन ई

बढ़ते बच्चे के लिए मांसपेशियों का अच्छी तरह से मजबूत होना जरूरी होता है। विटामिन ई इसमें काफी मदद करता है। दूसरी ओर, यह शरीर की इम्युनिटी में सुधार करने की दिशा में काम करता है, विशेष रूप से सेल्स के बीच, और रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन को बढ़ाता है। इन सबसे शरीर को बाहरी इन्फेक्शन से बचाने के लिए मदद मिलती है।

4. विटामिन डी

सभी विटामिन में सबसे महत्वपूर्ण, विटामिन डी3 सूरज की किरणों से त्वचा द्वारा शरीर में उत्पन्न होता है। विटामिन डी2 यीस्ट से सिंथेसाइज्ड होता है और यह बच्चे के लिए सप्लिमेंट्री ड्रॉप्स के रूप में भी मिलता है। ये दोनों मिलकर लिवर द्वारा अंतिम विटामिन डी घटक बनातेहैं।

इसका सीधा प्रभाव हड्डियों की मजबूती और विकास पर पड़ता है, ताकि मैग्नीशियम और कैल्शियम जैसे मिनरल्स के अब्सॉर्प्शन को बढ़ाकर, मिनरलाइजेशन बूस्ट होने से उन्हें मजबूत बनाया जा सके।

इसका दूसरा प्रभाव इम्युनिटी पर पड़ता है। विटामिन डी न केवल बाहरी इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है, बल्कि कुछ बीमारियों में ऑटोइम्यूनिटी को भी ट्रिगर होने से रोकता है।

हालांकि मानव शरीर स्वयं ही विटामिन डी का उत्पादन कर सकता है और यह माँ के दूध में भी होता है, लेकिन इसकी मात्रा निरंतर फायदा पाने के लिए अपर्याप्त होती है। विटामिन डी के सप्लीमेंट्स या दूध या सीरियल जिसमें फोर्टिफाइड विटामिन डी होता है, उनके द्वारा यह जरूरत पूरी की जा सकती है।

5. विटामिन सी

कई लोग चोट से उबरने पर विटामिन सी से भरपूर खाद्य पदार्थों या ऐसे सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि विटामिन सी शरीर में विभिन्न सेल्स के ठीक होने और किसी भी घाव को जल्दी भरने में मदद करता है। यह ल्यूकोसाइट के बनने को भी बढ़ाता है। ल्यूकोसाइट्स अनिवार्य रूप से वे वाइट ब्लड सेल्स हैं जो शरीर की इनबिल्ट आर्मी होती है। ये शरीर को बाहरी रोगजनकों से बचाते हैं, विशेष रूप से वे जो घाव पर हमला कर सकते हैं।

एक और महत्वपूर्ण फायदा जो विटामिन सी देता है वह है त्वचा और बालों की वृद्धि। सभी ग्रोथ प्रमोटिंग गुण कोलेजन प्रोटीन के गठन के कारण के कारण विकसित होते हैं।

6. फोलिक एसिड

इसे विटामिन बी 9 के रूप में भी जाना जाता है, यह आमतौर पर रेड ब्लड सेल्स के विकास में मदद करने और शरीर के लिए आयरन को अब्सॉर्ब करने के लिए जाना जाता है। हालांकि, इसके महत्वपूर्ण कार्य अधिक गहराई तक होते हैं।

फोलिक एसिड बच्चे के मस्तिष्क के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और इसके कामकाज का विस्तार करने के लिए आवश्यक सपोर्ट प्रदान करता है। यह शुरुआत में सूचनाओं को देखने और प्रोसेस करने में सक्षम होने का गुण है। एक और महत्वपूर्ण भूमिका शरीर के भीतर डीएनए और आरएनए के निर्माण में है, जिससे शरीर को तेज दर से बढ़ने में मदद मिल सके।

7. विटामिन बी6

नींद बच्चे के विकास का एक अनिवार्य हिस्सा है क्योंकि सेल्स के बनने और रिपेयर होने की अधिकांश शारीरिक प्रक्रियाएं गहरी नींद में होती हैं। विटामिन बी6 हार्मोन, मेलाटोनिन के उत्पादन को ठीक करके नींद के चक्र को रेगुलराइज करने में मदद करता है।

यह न्यूरल डेवलपमेंट में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि इसमें पाइरिडोक्सिन होता है जो मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के विकास में मददगार होता है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि बच्चे की सजगता सही लेवल पर हो, इस विटामिन को आहार में शामिल किया जाना चाहिए। यह शरीर के भीतर न्यूरोट्रांसमीटर बनाने में मदद करता है, जिससे न्यूरॉन्स को आपस में सिग्नल भेजने में मदद होती है।

8. विटामिन बी5

जिन महिलाओं की सिजेरियन सर्जरी होती है, उन्हें विटामिन बी5 के सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं, विशुद्ध रूप से घावों की हीलिंग प्रक्रिया को तेज करने की क्षमता के कारण। इसमें पैंटोथेनिक एसिड होता है जो न केवल शरीर के अंदरूनी अंगों की सेहत ठीक रखता है, बल्कि रेड ब्लड सेल्स की जीवन शक्ति को बढ़ाता है।

यह उन विटामिनों में से एक है जो पाचन तंत्र को अन्य विटामिनों को सफलतापूर्वक अब्सॉर्ब करने में मदद करते हैं, जिससे यह उन सभी का सपोर्ट सिस्टम जैसा बन जाता है।

9. विटामिन बी3

शरीर को किसी भी तरह की बीमारी या इन्फेक्शन से पीड़ित होने के साथ-साथ सूजन के मामले में, विटामिन बी3 काम करता है। नियासिन की उपस्थिति एड्रेनल ग्लैंड को बेहतर बनाने में मदद करती है, जो शरीर के भीतर किसी भी तनाव-संबंधी हार्मोन को कंट्रोल करती है। यह नर्वस सिस्टम को बायोलॉजिकली स्वस्थ रखता है और एक स्थिर मानसिक स्वास्थ्य को भी बनाए रखता है।

10. विटामिन बी2

सभी डॉक्टर एनीमिया के लक्षण दिखने पर विटामिन बी2 के सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं। राइबोफ्लेविन, जो इस विटामिन का दूसरा नाम भी है, वह तत्व है जो शरीर के भीतर आयरन को अब्सॉर्ब करने में मदद करता है, साथ ही रेड ब्लड सलेस बढ़ाने में मदद करता है। यह एनीमिया के किसी भी लक्षण को कम करता है क्योंकि यह बच्चे के शरीर में हीमोग्लोबिन के स्तर को सामान्य बनाता है।

शरीर में आयरन के साथ हीमोग्लोबिन को सफलतापूर्वक कैरी करने में सेल संरचना की सुरक्षा महत्वपूर्ण है। इसमें विटामिन के एंटीऑक्सिडेंट नेचर का सपोर्ट मिलता है जो सेल के निरंतर नुकसान को कम करता है और इसे ठीक रखता है।

11. विटामिन बी12

कोबालिन या विटामिन बी12 बच्चे की मूल आनुवंशिक प्रकृति को प्रभावित करते हैं। यह ये सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण है कि आपका बच्चा सही तरीके से बढ़ता है। डीएनए और आरएनए प्रोटीन होते हैं, और इन्हें एलीमेंटल सपोर्ट की जरूरत होती है। विटामिन बी12 एक कदम आगे बढ़कर नई नर्व सेल्स के विकास में सहायक होता है। इससे बच्चे की कॉग्निटिव ग्रोथ होती है और उसे स्मार्ट बनने में मदद मिलती है।

12. विटामिन बी1

बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन फैमिली सामूहिक रूप से मस्तिष्क के विकास के लिए आवश्यक न्यूरॉन्स को विकसित करने और मेमोरी और कॉग्निशन की निरंतर वृद्धि के लिए जिम्मेदार है, और इसमें विटामिन बी1 कोई अपवाद नहीं है। इसे थियामिन भी कहा जाता है और यह एटीपी, या एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट पैदा करने में मदद करता है, जो शरीर की सेल्स के लिए एनर्जी का स्रोत होता है। यह मेटाबोलिक प्रक्रियाओं को स्टिमुलेट करने में मदद करता है जो शरीर को एक ऑप्टिमल स्टेट में बदलने के लिए आवश्यक हैं।

13. विटामिन ए

सबसे काम के विटामिनों में से एक, विटामिन ए का पहला काम दृष्टि के विकास से जुड़ा हुआ है, विशेष रूप से रंग समझने में और रात में देखने की क्षमता के निर्माण में। इसके अलावा, यह इम्यून सिस्टम को तैयार करने मदद करता है और त्वचा और बालों के टिश्यूज के विकास को सीधे प्रभावित करता है, साथ ही बच्चे के ऑल राउंड स्वस्थ विकास के लिए काम करता है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल 

नीचे पोस्टनेटल विटामिन के बारे में अक्सर पूछे जाने वाले सवाल दिए गए हैं।

1. क्या ब्रेस्टफीडिंग कराने के दौरान मैं प्रीनेटल विटामिन ले सकती हूँ?

प्रीनेटल विटामिन लेना हानिकारक नहीं है। ये विटामिन आपके शरीर को बच्चे के विकास की मांग का सामना करने में मदद करते हैं। डिलीवरी के बाद के शुरूआती कुछ समय विटामिन सप्लीमेंट देने में उपयोगी हो सकते हैं। ऐसे प्रीनेटल विटामिन डिलीवरी के बाद केवल पहले महीने तक उपयोगी होते हैं क्योंकि उसके बाद माँ के शरीर में बदलाव शुरू हो जाते हैं।

2. क्या ब्रेस्टफीडिंग के दौरान मुझे अपने बालों, त्वचा और नाखूनों के लिए विटामिन लेने चाहिए?

जब आप स्तनपान कराती हैं तो आपके बच्चे को आपके द्वारा खाई जाने वाली चीजों से पोषक तत्व मिलते हैं। त्वचा और बालों के लिए बनाए गए कई मल्टीविटामिन में बायोटिन कंपाउंड होते हैं। जब आपका बच्चा इन विटामिनों का सेवन करता है, तो उसके स्वास्थ्य पर इसका उल्टा प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, इस तरह के सप्लीमेंट्स लेने से बचना ही ठीक है।

3. क्या डिलीवरी के बाद विटामिन लेना बहुत जरूरी है?

यदि आप अपने न्यूट्रिशनिस्ट द्वारा बताई गई डाइट का पालन करती हैं तो डिलीवरी के बाद सप्लीमेंट आवश्यक नहीं है।

डिलीवरी के बाद का आहार गर्भावस्था के आहार से अलग होता है क्योंकि अब आपके बच्चे के विकास के प्रत्येक चरण में अलग पोषण की जरूरत होती है। स्तनपान कराने वाली माओं के लिए जो सबसे अच्छा विटामिन होगा वह बच्चे के लिए भी होगा। माँ का डाइट स्ट्रक्चर इस प्रकार होना चाहिए कि वह जहाँ तक संभव हो बच्चे को नेचुरली विकास करने में मदद करे।

यह भी पढ़ें: 

ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली माएं और विटामिन डी
ब्रेस्टफीडिंग के दौरान कैल्शियम लेना – महत्व और जरूरत
ब्रेस्टफीड कराने वाली माँ कौन से फल खाए और कौन से न खाए