शिशु

शिशु का पलटना – डेवलपमेंटल माइलस्टोन

रोल होना या पलटना बच्चे के डेवलपमेंट के सबसे पहले माइलस्टोन्स में से एक है। एक छोटा सा बच्चा जो खुद से कुछ नहीं कर सकता है, उसे पलटता या रोल होता देख कर बहुत आनंद आता है। यह स्किल बच्चे में समय के साथ धीमे-धीमे अपने आप ही आता है। इससे पता चलता है कि बच्चे के बाजुओं में ताकत बढ़ रही है। हालांकि आगे से पीछे और पीछे से आगे की ओर रोल होने के लिए अलग-अलग मसल्स और स्किल्स की जरूरत पड़ती है। 

छोटा बच्चा पलटना कब शुरू करता है?

बच्चे किस उम्र में पलटना शुरू करते हैं? पेरेंट्स अक्सर यह सवाल पूछते हैं। दुर्भाग्य इसका कोई एक जवाब या कोई समय या उम्र नहीं है। कुछ बच्चे 3 से 4 महीने की उम्र में रोल होना शुरू कर देते हैं और कुछ 7 महीने की उम्र में भी रोल नहीं होते हैं। हालांकि 5 से 7 महीने के बच्चों में फ्लेक्सिबिलिटी आ जाती है जिसकी वजह से उनमें अलग-अलग दिशा में पलटने की स्किल्स डेवलप होने लगती है, जैसे आगे से पीछे, पीछे से आगे और अगल-बगल में वो आसानी से रोल होना शुरू कर देते हैं। 

क्या सावधानियां बरतें

बच्चे को एक तरफ से दूसरी तरफ रोल करता देखने पर बहुत अच्छा लगता है। हालांकि इसके लिए आपको सावधानियां बरतनी चाहिए ताकि बच्चे को एसआईडीएस के खतरे से सुरक्षित रखा जा सके। वे कौन से टिप्स हैं, आइए जानें;

  • बच्चे का डायपर या उसके कपड़े बदलते समय आप बच्चे को टेबल या किसी ऊंची जगह रखने के बजाय जमीन में मैट पर रखें ताकि पलटते समय उसके गिरने का डर न हो।
  • बच्चे को जमीन पर रखते समय ध्यान रखें कि आसपास कोई भी चीज या खिलौना न रखा हो ताकि उसे चोकिंग का खतरा न हो।
  • जब बच्चा पलटना शुरू कर दे तो आप उसे लंबे समय तक अकेला न छोड़ें।
  • मैट्रेस क्रिब के साइज का ही होना चाहिए। उसमें कोई भी जगह नहीं रहनी चाहिए जहाँ पर बच्चे का सिर फंस सकता है या उसे घुटन हो सकती है।
  • आप बच्चे को उसके कुछ साल बड़े भाई या बहन के पास न सुलाएं। सोते समय बड़ा बच्चा उस पर हाथ या पैर रख सकता है जिसकी वजह से बेबी का दम घुट सकता है।

यदि बेबी प्रीमैच्योर है तो क्या होगा?

प्रीमैच्योर बच्चे फुल टर्म बच्चे की तुलना में देर से पलटना शुरू करते हैं (इसमें उनकी वास्तविक उम्र मानी जा सकती है)। जैसे, 6 महीने का प्रीमैच्योर बच्चा जो दो महीने ही दुनिया में आ गया है उसकी उम्र 4 महीने मानी जाती है। इसलिए यदि वह 6 महीने में यह माइलस्टोन पूरा करता है तो वह 4 महीने के शिशु के समान ही हुआ और यह बिल्कुल सामान्य है। 

हालांकि प्रीमैच्योर बच्चों में हेल्थ से जुड़ी समस्याएं या दूसरी बीमारियां हो सकती हैं। इसलिए हो सकता है कि वे समय के साथ विकसित नहीं हो रहे हों। 

बेबी पलटना कैसे सीखेगा

बच्चा पलटना या रोल होना धीरे-धीरे सीखता है। रोलिंग ओवर माइलस्टोन को पूरा करने के लिए निम्नलिखित डेवलपमेंट होते हैं, आइए जानें;

पहला महीना

  • बच्चा मुश्किल से अपना सिर हिला पाता है।

दूसरा और तीसरा महीना

  • बच्चा साइड में मुड़ सकता है।
  • कुछ बच्चे इस समय पेट से पीठ के बल आसानी से रोल हो जाते हैं।

तीसरा और चौथा महीना

  • बच्चा सिर को ऊपर की ओर उठा सकता है क्योंकि उसके गर्दन की मसल्स मजबूत हो गई हैं। हालांकि बच्चे का सिर आगे व पीछे की ओर हिलता रहेगा।
  • बच्चा अपना सिर व कंधा थोड़ा बहुत उठा सकता है, पुश-अप पजिशन में आ सकता है जिससे पीठ की मसल्स को मजबूत होने में मदद मिलती है।

चौथा और पांचवां महीना

  • बच्चा पुश अप पोजीशन में बहुत ज्यादा खेलेगा।
  • बच्चा शरीर को स्ट्रेच करके खिलौने और अन्य चीजों तक पहुंचने का प्रयास करेगा।
  • बच्चा पीठ के बल से आगे की ओर रोल करेगा।
  • बच्चा सिर को बेहतर तरीके से संभाल सकेगा।

पांचवा और छठा महीना

  • बच्चे का सिर हिलना बंद हो जाएगा और वह बैठकर अपना सिर होल्ड कर सकेगा।
  • बच्चा सीना होल्ड कर सकेगा और पेट के बल से पीछे की ओर रोल हो सकेगा।
  • इस समय तक कुछ बच्चे क्रॉल करना शुरू कर देते हैं।

बच्चे को पलटना सिखाएं

सभी बच्चे पलटना अक्सर अपने आप ही सीखते हैं। हालांकि इस स्किल को सीखने में पेरेंट्स बच्चों की मदद जरूर कर सकते हैं, इससे संबंधित कुछ टिप्स निम्नलिखित हैं, आइए जानें;

  • पेट के बल लेटने से बच्चे में मोटर स्किल्स का विकास मुख्य रूप से होता है। इस पोजीशन की वजह से बच्चा पुश-अप पोजीशन में आता है जिससे उसका शरीर, गर्दन और बाजू मसल्स मजबूत होती हैं।
  • बच्चे को दोनों तरफ व पीठ के बल की पोजीशन में भी खेलने के लिए प्रेरित करें।

आप शिशु को उसके दाहिने हाथ से खिलौना या अन्य वस्तु उठाकर बाईं ओर ले जाने के लिए प्रेरित करें। धीरे-धीरे आप बच्चे को उसके हाथ का सहारा लेकर दाहिने हिप पर मोड़ें और बाईं ओर रोल करें। 

बच्चे को पलटने में मदद के लिए टिप्स

बच्चे अक्सर 2 से 5 महीने की उम्र में पलटना शुरू करते हैं। हालांकि इसमें पेरेंट्स उनकी मदद कर सकते हैं और निम्नलिखित टिप्स से उनके विकास का एक भाग बन सकते हैं, आइए जानें;

  • बच्चे को बैठाएं और उसका डायपर या कपड़े बदलते समय एक साइड पर रोल करें। आप उसे ऊपर उठाने के लिए भी ऐसा कर सकती हैं।
  • बच्चे को बेबी इक्विपमेंट में कम से कम रहने दें, जैसे क्रैडल, स्विंग, बेबी चेयर आदि। जमीन पर मैट बिछाएं और उसे वहीं पर रखें।
  • आप बच्चे को ज्यादा से ज्यादा टमी टाइम पोजीशन पर रखें ताकि उसकी गर्दन, हाथ और शरीर की मसल्स मजबूत हो सकें।
  • बच्चे को पीठ के बल रखना भी उतना ही जरूरी है जितना टमी टाइम जरूरी है। आप उसे जमीन पर या अपनी गोद में इस पोजीशन पर रखें और उसके साथ इंटरैक्ट करें व खेलें।
  • टमी टाइम पोजीशन व बैक पोजीशन के साथ-साथ बच्चे को साइडवे पोजीशन पर रखना भी जरूरी है। इसमें आप बच्चे की पीठ पर हाथ रखें ताकि वह इस पोजीशन पर रह सके। बच्चे को व्यस्त रखने के लिए आप उसके पास थोड़े-बहुत टॉयज रख सकती हैं।
  • आप बच्चे को चारों पोजीशन, जैसे पेट के बल, पीठ के बल, दाईं तरफ और बाईं तरफ में एक समान समय तक रखें।
  • बच्चे को खेलने व आसान एक्सरसाइज करने के लिए प्रेरित करें, जैसे दाएं हाथ से बाएं हाथ को छूना और पेट के बल लेट कर टॉयज तक पहुंचने का प्रयास करना।
  • बच्चे के हाथ व पैर ट्विस्ट करके उसके शरीर के ऊपरी हिस्से की एक्सरसाइज कराएं।
  • बच्चे को टक-इन, फेस-डाउन या साइडवेज पोजीशन में लेकर पूरे घर में घुमाएं या उसे इनमें से किसी भी पोजीशन में लेकर डांस करें। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि आपको हर बार 30 से 10 सेकंड का ब्रेक लेना चाहिए ताकि बच्चे का नर्वस सिस्टम मूवमेंट के अनुसार एडजस्ट हो सके।

बच्चे को ऐसे कैरियर में न ले जाएं जिस में उसके पैर स्ट्रैडल पोजीशन में अलग-अलग रहते हैं और इसके बजाय आप उसे ऐसे कैरियर में रखें जिसमें उसके पैर मेंढक की पोजीशन में रहते हैं। 

बेबी को पलटने के लिए प्रेरित करने की ट्रिक्स

  • बच्चे को पलटाने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप उसके फेवरेट खिलौने को उससे दूर रख दें।
  • बच्चे को रोल होना सिखाने का एक तरीका यह भी है कि आप उसके पास लेट जाएं, उससे बात करें और अपने पास बुलाएं।
  • यदि बच्चा पलटने का प्रयास करता है पर वह सिर्फ आधा ही रोल हो पाता है तो आप उसकी जांघ को पकड़ कर उसे सहारा दें और रोल करने में मदद करें।
  • यदि बच्चा सफलतापूर्वक इसे कर लेता है तो ताली बजाकर उसकी तारीफ करें, मुस्कुराएं या उससे बच्चे की तरह बात करें।

क्या पलटने का यह मतलब है कि बेबी चल सकता है?

यदि बच्चा रोल कर सकता है तो इसका अर्थ है कि उसके गर्दन की मसल्स सिर को संभालने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत हो चुकी हैं। यह होने के बाद बच्चा क्रॉल करना शुरू करेगा जिसके बाद वह खड़ा होने में सक्षम हो जाएगा। एक बार जब बच्चा इस माइलस्टोन को पूरा कर लेगा तो वह शुरूआत में किसी की मदद लेकर और बाद में खुद से चलना भी शुरू कर देगा। 

क्या बच्चे आगे से पीछे या पीछे से आगे की ओर रोल होते हैं?

ज्यादातर बच्चे के पेट से पीठ के बल पलटते हैं क्योंकि यह करना बहुत आसान है। हालांकि कुछ शिशु शुरुआत में ही पीठ से पेट के बल रोल होने लगते हैं। यह बहुत दुर्लभ है पर नॉर्मल है और एक अच्छा संकेत भी है। पीठ से पेट के बल रोल होने के लिए ज्यादा ताकत की जरूरत होती है और इसलिए यदि बच्चा ऐसा करता है तो इसका यह अर्थ है कि वह पेट से पीठ के बल भी पलट सकता है। 

यदि बेबी सोते समय पलटता है तो क्या होगा

बच्चे का बिस्तर पर पलटना पेरेंट्स के लिए आम समस्या है। बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए निम्नलिखित टिप्स फॉलो करें;

  • दिन में बच्चे को ज्यादा से ज्यादा टमी टाइम दें ताकि उसे पीठ के बल रोल होने का अभ्यास हो सके।
  • बच्चे को हमेशा पीठ के बल सुलाएं। यह बच्चे के सोने की सबसे सुरक्षित पोजीशन है।
  • बच्चे को सुलाते समय उसके क्रिब या बेड में कोई भी खिलौना या तकिया न रखें। क्योंकि इससे उसे घुटन हो सकती है।
  • बच्चे के बिस्तर की चादर को साइड से टाइट कर लें ताकि रोल होने पर उसे घुटन न हो।

छोटे बच्चे को सुरक्षित तरीके से सुलाने के टिप्स

बच्चे को एसआईडीएस के खतरे से बचाने के लिए उसे सुलाते समय बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है। ऐसी समस्याओं से बचने के लिए निम्नलिखित बातों पर ध्यान दें;

  • एक साल की उम्र होने तक बच्चे को पीठ के बल सुलाएं।
  • पहले साल के लिए बच्चे को क्रिब में अपने बिस्तर के पास ही सुलाएं ताकि रात को आप उस पर ध्यान दे सकें।
  • यदि बच्चा आपके कमरे में सोता है तो उसे अपने बिस्तर पर न सुलाएं।
  • बच्चे को काउच, सोफे, कुर्सी या ऐसी किसी भी जगह पर न सुलाएं जहाँ से वह गिर सकता है।
  • बच्चे के पास कोई भी खिलौना न रखें, उसे ढीले बिस्तर पर न सुलाएं या बिस्तर पर कोई भी चीज न रखें ताकि उसे घुटन न हो।

बेबी का पलटना शुरू होने के बाद क्या करें

बच्चे के पलटना शुरू करने के बाद इस बात का ध्यान रखें आप जमीन पर ब्लैंकेट या मैट बिछाएं और उसे वहीं रखें। टेबल या किसी ऊंचे प्लेटफॉर्म पर रखने से बच्चा गिर भी सकता है। बच्चे को सुलाते समय उसे पीठ के बल एक टाइट बेडिंग पर सुलाएं। साथ ही बिस्तर से सभी खिलौने, तकिया या अन्य वस्तुएं हटा दें ताकि घुटन न हो। 

यदि 7 महीने का होने के बाद भी बेबी पलटता नहीं है तो क्या करें

रोल करना शुरू करने के लिए 3 महीने की उम्र सही है। पेरेंट्स की एक मुख्य चिंता यही है कि यदि बच्चा सोते समय रोल होता है या रात में रोल होता है तो इससे एसआईडीएस का खतरा बढ़ सकता है। इसके अलावा पेरेंट्स की अन्य चिंताएं यह भी हैं कि बच्चा 7 महीने की उम्र तक रोल नहीं कर पाता है। हालांकि यदि बच्चा प्रीमैच्योर है तो वह देरी से पलटना शुरू करेगा। यदि बच्चे के साथ ऐसा भी नहीं है और फिर भी उसमें अन्य स्किल्स, जैसे बैठना या क्रॉलिंग अब तक विकसित नहीं हुए हैं तो पेडिअट्रिशन से संपर्क करें। 

बच्चे में डेवलपमेंट का सबसे पहला माइलस्टोन पलटना है। यह बच्चे में एक मुख्य मोटर स्किल्स है। यह सिर्फ तभी होगा जब बच्चे की मसल्स डेवलप हो जाएंगी जिससे वह बेहतर तरीके से करने में सक्षम होगा। बच्चे को हर तरफ लुढ़कता, पलटता देखकर आप मुस्कुराएंगी पर आपको इससे संबंधित कुछ सावधनियों पर भी ध्यान देना चाहिए, जैसे उसकी सेफ्टी। 

यह भी पढ़ें:

बच्चे बैठना कब शुरू करते हैं – डेवलपमेंटल माइलस्टोन
बच्चे कब बोलना शुरू करते हैं – डेवलपमेंटल माइलस्टोन
बच्चे खड़े होना कब शुरु करते हैं – डेवलपमेंटल माइलस्टोन

सुरक्षा कटियार

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